चुनावों में सितारों का असर तो पड़ता है; किस नेता ने कहा

आप पंजाब में तीसरी ताक़त बनकर उभरी #नवजोत कौर कहती हैं ‘हां हम ज्योतिष में यकीन रखते हैं इसलिए वह (सिद्धू) तारीख देखकर ही पार्टी में शामिल होंगे. सितारों का असर तो पड़ता है.’  www.himalayauk.org (Leading Digital Newsportal) 

आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब में तीसरी ताक़त बनकर उभरी है.  कांग्रेस और अकाली-बीजेपी गठबंधन को टक्कर देने के लिए पार्टी ने दिल्ली का कामयाब फॉर्मूला यहां भी अपनाया है. उसके उम्मीदवारों में साइकिल पंक्‍चर बनाने वाले का बेटा भी है. लोकसभा चुनाव में चार सीटें जीत कर पंजाब की सियासत में धमाकेदार एंट्री करने वाली आप कारोबार से लेकर किसानों के हक़ की बात कर रही है. दिल्ली की तर्ज पर यहां भी फ़ोकस आम आदमी पर ही है. आज जब पंजाब और गोवा चुनाव की ओर बढ़ रहे हैं, सैकड़ों अप्रवासी भारतीय वॉलंटियरों ने छुट्टियां ले ली हैं, और पार्टी के लिए प्रचार करने की खातिर इन दोनों राज्यों में मौजूद हैं. या तो उन लोगों ने अपनी पसंद से चुनाव क्षेत्र चुन लिए हैं, या उन्हें हमने किसी एक चुनाव क्षेत्र की ज़िम्मेदारी सौंप दी है. पंजाब के लगभग हर गांव से कमाने के लिए कोई न कोई विदेश में जाकर बसा हुआ है, और विदेश में बसे ऐसे किसी दोस्त या रिश्तेदार की ओर से आने वाली कॉल का भारत में बसे उस परिवार, गांव के अन्य साथियों तथा शहरों में बसे लोगों के वोट डालने के फैसले पर खासा असर पड़ता है. ये वॉलंटियर वे लोग हैं, जिन्हें उनके गांव और आसपास के लोगों द्वारा कामयाब व्यक्ति के रूप में सम्मान के साथ देखा जाता है, सो, उनकी किसी भी बात का खासा असर होता है.

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से नवजोत सिंह सिद्धू की मुलाकात के एक दिन बाद पूर्व क्रिकेटर की पत्नी और राजनेता ने अपना रुख़ साफ किया है.  नवजोत कौर ने कहा कि ‘चुनाव कोई भी लड़े उससे एतराज़ नहीं, हम बस पंजाब में साफ़ भूमिका चाहते हैं.’ नवजोत कौर ने कहा कि सिद्धू के औपचारिक रूप से कांग्रेस में शामिल होने से पहले वे दोनों पार्टी में अपनी भूमिका में स्पष्टता चाहते हैं. बता दें कि पूर्व क्रिकेटर सिद्धू ने सितबंर 2016 में यह कहते हुए बीजेपी छोड़ी थी कि उनसे कहा गया था कि वह पंजाब से दूर रहें. दो महीने बाद उनकी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू, कांग्रेस में शामिल हो गईं. फिलहाल उनके पति नवजोत सिंह के पार्टी में शामिल होने को लेकर बातचीत जारी है. एक तरफ नवजोत कौर ने साफ भूमिका की बात कही है, वीहं यह भी कहा है कि कांग्रेस में उनके शामिल होने के पीछे कोई शर्त नहीं है. नवजोत कौर कहती हैं ‘हां हम ज्योतिष में यकीन रखते हैं इसलिए वह (सिद्धू) तारीख देखकर ही पार्टी में शामिल होंगे. सितारों का असर तो पड़ता है.’ नवजोत ने इससे पहले एक इंटरव्यू में कहा था कि वह और उनके पति दो जिस्म एक जान है. गौरतलब है कि पंजाब में 4 फरवरी को चुनाव होने हैं. कांग्रेस इस वक्त कैप्टन अमरिंदर सिंह को अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार बताते हुए जोर शोर से अभियान कर रही है. वहीं बादल और आम आदमी पार्टी की तरफ से अरविंद केजरीवाल भी चुनावी प्रचार में जुटे हैं. नवजोत कौर ने कहा कि पंजाब के लिए वह या उनके पति में से कोई भी चुनाव लड़ सकता है लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि सिद्धू ने अमृतसर की संसदीय सीट जिसे कैप्टन सिंह ने खाली किया, उसके अलावा अपनी पत्नी और कुछ और साथियों के लिए 4-5 विधानसभा सीटों की मांग भी की है. नवजोत कौर ने कहा कि ‘हम पंजाब में साफ भूमिका चाहते हैं, हम अमरिंदर सिंह के साथ वैसे संबंध नहीं चाहते जैसे अकालियों के साथ थे.’

पांच दिन के पंजाब दौरे में दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल अपनी सभाओं में मतदाताओं के साथ भावनात्‍मक तार जोड़ने की कोशिश में हैं. वो कहते हैं,”हम तो बहुत छोटे लोग हैं. पूरा पंजाब इकट्ठा हो रहा है. कुछ क़ुदरती करिश्मा हो रहा है. हमारे पास चुनाव लड़ने के पैसे नहीं है. हमारे पास बड़ी रैली के पैसे नहीं है फिर भी लोग आ रहे हैं.” नाभा सुरक्षित सीट से आप उम्मीदवार देव मान ने कनाडा में रेडियो जॉकी की नौकरी छोड़ माइक की जगह केजरीवाल की झाड़ू थाम लिया है. पिता पिछले चालीस साल से साइकिल पंक्चर की दुकान चला रहे हैं. देव कहते हैं कि पुरानी साइकिल की तरह पंजाब को भी दुरुस्त करना है. देव मान कहते हैं,”जैसे साइकल पंक्चर हो जाती है वैसे ही पंजाब की सियासत भी पंक्चर हो गई है. लोगों से सिर्फ़ वादे किए गए है किया कुछ भी नहीं गया. मुझे उम्मीद है कि केजरीवाल के साथ मिलकर हम पंजाब की सियासत को दुरुस्त कर देंगे.”

यूं तो सियासी पार्टियों ने बुज़ुर्गों के लिए ढाई हज़ार रुपये पेंशन, मुफ़्त तीर्थ दर्शन यात्रा जैसे कई वादे किए हैं लेकिन देव के पिता लाल सिंह को युवाओं की चिंता ज़्यादा है. वो कहते हैं,”नशा ख़त्म होना चाहिए. नशा ख़त्म होगा तो बच्‍चे तगड़े होंगे. रोटी कमा सकेंगे और मुझे उम्मीद है कि आने वाली सरकार बच्चों को रोज़गार देगी.” टिकट बंटवारें को लेकर आरोप झेलने वाली आम आदमी पार्टी की ये सोशल इंजीनियरिंग क्‍या पंजाब में दिल्ली जैसा गुल खिला पाएगी. ये उम्मीद काफ़ी कुछ देव मान जैसे उम्मीदवारों पर टिकी है.

वर्ष 2014 में हुए चुनाव में अप्रत्याशित रूप से पंजाब में चार लोकसभा सीटें जीतने वाली आम आदमी पार्टी ने अब विधानसभा चुनाव के लिए अपने मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को राज्यभर में प्रचार की ज़िम्मेदारी सौंपी है, ताकि परंपरागत प्रतिद्वंद्वियों कांग्रेस व भारतीय जनता पार्टी तथा शिरोमणि अकाली दल गठबंधन (वर्तमान में बीजेपी-अकाली गठबंधन ही राज्य में सत्तासीन है) को हटाकर ‘आप’ को सरकार बनाने का मौका हासिल हो सके. पार्टी का दावा है कि पंजाब से विदेशों में जाकर बसे 2,500 अप्रवासी भारतीय उन्हें वोट दिलवाने के लिए लौटे हैं, और वे इस बात के लिए दृढ़प्रतिज्ञ हैं कि उनके गृहराज्य की कमान इस बार ‘आप’ को ही मिले. ऐसे ही एक शख्स हैं हैरी धालीवाल, जिन्होंने लुधियाना में जनसभाएं करने की खातिर क्यूबा में परिवार के साथ छुट्टियां मनाने का कार्यक्रम रद्द कर दिया. वह कहते हैं, “37 साल पहले, मुझे अपना मुल्क छोड़ना पड़ा था, क्योंकि जो मूल्य मैंने यहां सीखे और अपनाए, उनके बदले सिस्टम ने कभी कुछ नहीं दिया… लेकिन जब कनाडा जाकर वही मूल्य मैंने खेत मज़दूर के रूप में अपनाए, मैं वहां आखिरकार एक जज बन सका…” कनाडा के कैलगरी में काम करने वाले 45-वर्षीय करम सिंह सिद्धू का कहना है, “हर पांच में से एक पंजाबी विदेश में बसा हुआ है… अवसरों, नौकरियों और स्तरीय जीवन का अभाव लोगों को यहां से दूर ले जाता है… जो भी थोड़ा-बहुत हम अपने गांव के लिए कर सकते हैं, करते हैं, लेकिन वह काफी नहीं है…” ‘आप’ को अपनी कुल फंडिंग का 20 फीसदी से ज़्यादा हिस्सा अप्रवासी भारतीयों से ही मिलता है, और उन्होंने ‘चलो पंजाब’ कैम्पेन शुरू किया है, जिसमें वे अप्रवासी भारतीयों से न सिर्फ अपने पैसे पार्टी के लिए खर्च करने का आग्रह करते हैं, बल्कि अपना समय देने का भी अनुरोध करते हैं. जो हिन्दुस्तान आकर मदद नहीं कर सकते, वे भारत में रहने वालों मित्रों, जानकारों और रिश्तेदारों को फोन कॉल कर पार्टी के लिए समर्थन जुटाने का काम करते हैं.

पिछले सप्ताह पार्टी मुखिया अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि चुनाव लड़ने के लिए उनके पास संसाधनों की कमी है. इसके जवाब में बुधवार को कनाडा से पूरा विमान भरकर एनआरआई चंडीगढ़ पहुंच रहे हैं, ताकि केजरीवाल को वैसी मदद मिल सके, जैसी वह चाहते हैं.

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