10 फरवरी ;बसंत पंचमी- मां सरस्वती को समर्पित दिन

10 फरवरी 2019 यानी रविवार को देशभर में वसंत पंचमी त्योहार को मनाया जाएगा- वसंत पंचमी का दिन विद्या और बुद्धि की देवी मां सरस्वती (Saraswati) को समर्पित है। इस दिन मां सरस्वती की आराधना की जाती है। शास्त्रों के मुताबिक माघ मास की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी मनाई जाती है। बसंत पंचमी का दिन माता सरस्वती के प्रकट होने का दिन माना जाता है। अगर विद्या और बुद्धि की देवी मां सरस्वती से बुद्धि पाना चाहते हैं तो बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती को ये पांच चीजे अवश्य चढ़ाएं। क्योंकि जो चीजे हम आपको बताने जा रहे है वे उनकी बहुत प्रिय हैं….

विद्या और बुद्धि की देवी मां सरस्वती को सफेद और पीले रंग के फूल अत्यधिक प्रिय है। आप सफेद और पीले रंग के फूल मां सरस्वती अर्पित कर सकते हैं, यह दोनों रंग के फूल बसंत ऋतु में आसानी से मिल भी जाते हैं। सफेद और पीले रंग के फूल के अलावा मां सरस्वती को गेंदा के फूल की माला भी अर्पित कर सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि इन फूलों और फूल माला के अर्पण से मां सरस्वती बहुत प्रसन्न होती हैं और मनचाहा वरदान देतीं हैं।

विद्या और बुद्धि की देवी मां सरस्वती को बूंदी का पकवान बेहद प्रिय है। बूंदी का पकवान का रंग भी पीला होता है। अगर बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती को बूंदी का पकवान अर्पित किया जाता है तो वह मनचाहा वरदान देती हैं। 

बसंत पंचमी में पीले रंग का विशेष महत्व होता है। विद्या और बुद्धि की देवी मां सरस्वती को पीले रंग का वस्त्र बहुत प्रिय है। अगर बसंत पंचमी पर मां सरस्वती को पीले रंग का वस्त्र अर्पित किया जाता है कि इसे बेहद शुभ माना जाता है और मां मनचाहा वरदान देती हैं। 

विद्या और बुद्धि की देवी मां सरस्वती का पूजन करते समय कलम को जरूर शामिल करें। शास्त्रों में कलम को बहुत शुभ माना गया है। ऐसा भी बताया गया है इसका संबंध सीधा बुध ग्रह से है, जो कि ज्ञान का कारक है। पूजन में ये शामिल करने से बुद्धि में वृद्धि होती है।

बसंत पंचमी के दिन विद्या और बुद्धि की देवी मां सरस्वती का पूजन करते समय पीले चंदन को केसर के साथ मिलाकर चंदन लगाएं। केसर और पीले चंदन को गुरु से संबंधित वास्तु माना जाता है। पूजा के समय माता सरस्वती को इनका अर्पण करने से विद्या और बुद्धि दोनों की प्राप्ति होती है।

वसन्त पञ्चमी का दिन हिन्दु कैलेण्डर में पञ्चमी तिथि को मनाया जाता है। जिस दिन पञ्चमी तिथि सूर्योदय और दोपहर के बीच में व्याप्त रहती है उस दिन को सरस्वती पूजा के लिये उपयुक्त माना जाता है। इसी कारण से कुछ वर्षों में वसन्त पञ्चमी चतुर्थी के दिन पड़ जाती है। हिन्दु कैलेण्डर में सूर्योदय और दोपहर के मध्य के समय को पूर्वाह्न के नाम से जाना जाता है।

ज्योतिष विद्या में पारंगत व्यक्तियों के अनुसार वसन्त पञ्चमी का दिन सभी शुभ कार्यों के लिये उपयुक्त माना जाता है। इसी कारण से वसन्त पञ्चमी का दिन अबूझ मुहूर्त के नाम से प्रसिद्ध है और नवीन कार्यों की शुरुआत के लिये उत्तम माना जाता है।

वसन्त पञ्चमी के दिन किसी भी समय सरस्वती पूजा की जा सकती है परन्तु पूर्वाह्न का समय पूजा के लिये श्रेष्ठ माना जाता है। सभी विद्यालयों और शिक्षा केन्द्रों में पूर्वाह्न के समय ही सरस्वती पूजा कर माता सरस्वती का आशीर्वाद ग्रहण किया जाता है।

द्रिक पञ्चाङ्ग में सरस्वती पूजा का जो मुहूर्त दिया गया है उस समय पञ्चमी तिथि और पूर्वाह्न दोनों ही व्याप्त होते हैं। इसीलिये वसन्त पञ्चमी के दिन सरस्वती पूजा इसी समय के दौरान करना श्रेष्ठ है।

बसंत पंचमी यानी सरस्वती पूजा का पर्व इस साल 10 फरवरी को मनाया जाएगा। इस दिन बुद्धि की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती की पूजा करने से मुश्किल से  मुश्किल मनोकामना पूरी होती है। पौराणिक मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन ही देवी सरस्वती प्रकट हुई थीं। इसलिए बसंत पंचमी में मां सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। आज के दिन विद्धार्थी, कलाकार, संगीतकार और लेखक आदि
मां सरस्वती की उपासना करते हैं। स्वरसाधक मां सरस्वती की उपासना का उसने से स्वर प्रदान करने की प्रार्थना करते हैं। 

बसंत पंचमी (Basant Panchami) के दिन मां सरस्वती (Saraswati) को समर्पित होता है.
माता सरस्वती को ज्ञान, संगीत और कला की देवी माना जाता है. बसंत पंचमी (Basant Panchami) को श्री पंचमी (Shri Panchami) और सरस्वती पंचमी (Saraswati Panchami) भी कहा जाता है. इस दिन उत्तर भारत में मां सरस्वती की खास पूजा की जाती है. वहीं, कुछ लोग बसंत पंचमी के दिन प्रेम के देवता कामदेव (Kamadeva) की भी पूजा करते
हैं. पूजा-पाठ के अलावा बसंत पंचमी को बसंत ऋतु का आगमन माना जाता है. ऋतुओं का राजा कहे जाने वाले इस मौसम को लेकर कहा जाता है कि इस दिन से ठंड कम होने लग जाती है और हर तरफ हरियाली ही नज़र आती है. वहीं, गांवों में सरसों, चना, जौ, ज्वार और गेंहू की बालियां खिलने लग जाती हैं.
 

बसंत पंचमी शुभ मुहूर्त (Basant Panchami​ Shubh Muhurat)
बसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त (9 फरवरी) – 12:26 से 12:41 तक
बसंत पंचमी शुरू – 12:25, 9 फरवरी 2019
बसंत पंचमी समाप्त – 02:08, 10 फरवरी 2019

बसंत
पंचमी को ऋतुओं का राजा कहा जाता है. इस दिन से कड़कड़ाती ठंड खत्म होने लग जाती है और एक बार फिर मौसम सुहावना होने लग जाता है. हर तरफ हरियाली, पेड़-पौधों पर फूल, नई पत्तियां और कलियां खिलने लग जाती हैं. इस नज़ारे को गुलाबी ठंड और भी खास बना देती है. वहीं, हिंदू मान्यताओं के अनुसार बसंत पंचमी के दिन को मां सरस्वती का जन्मदिन माना जाता है. इस दिन उनकी विशेष पूजा होती है और पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है. साल 2019 की बसंत पंचमी और भी खास है, क्योंकि इस दिन प्रयागराज में चल रहे कुंभ में शाही स्नान होगा. बसंत पंचमी के दिन होने वाले इस स्नान में करोड़ों लोग त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाने आएंगे. इतना ही नहीं, उत्तर भारत की कई जगहों पर बंसत मेला (Basant Mela) भी लगता है. 

वसंत पंचमी माघ शुक्ल पंचमी को ज्ञान और बुद्ध‌ि की देवी मां सरस्वती जी के प्राकट्य दिवस के रूप मे जाना जाता है। हालाँ कि ऋतुओं मे श्रेष्ठ वसंत ऋतु माघ के प्रतिपदा से ही प्रारम्भ हो जाती है, पर पंचमी के दिन लोगों का ध्यान इस ऋतु के लिए ज्यादा आकर्षित होता है। मौसम में आसानी से उपलब्‍ध होने वाले पीले फूलों को माँ सरस्वती को चढ़ाए जाने की महिमा है। यह त्योहार माँ सरस्वती को समर्पित होने के कारण, इस दिन पाठ्य सामिग्रि जैसे कलम और कॉपी की पूजा करनी चाहिए। इस दिन निम्न लिखित कार्यों को करना बेहद शुभ माना जाता है जैसे, मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा, घर की नींव रखना, गृह प्रवेश, वाहन खरीदना, व्यापार शुरू करना आदि। इस दिन नवजात बच्चे को पहला निवाला खिलाया जा सकता है और माना जाता है कि बच्चे की जिह्वा पर शहद से ॐ बनाने से बच्चा ज्ञानी बनता है।

भारत के सबसे बड़े स्कूल संस्थानों मे से एक विद्या भारती, जिसके अंतर्गत आने वाले सरस्वती शिशु मंदिर व सरस्वती विद्या मंदिर में माँ सरस्वती की पूजा को विशेष महत्व दिया जाता है, अतः वसन्त पंचमी इन स्कूलों मे सबसे अधिक धूम-धाम से मनाए जाने वाला त्योहार है, इस दिन स्कूल में हवन का आयोजन भी किया जाता है।

हिंदु पौराणिक कथाओं में प्रचलित एक कथा के अनुसार भगवान ब्रह्मा ने संसार की रचना की. उन्होंने पेड़-पौधे, जीव-जन्तु और मनुष्य बनाए. लेकिन उन्हें लगा कि उनकी रचना में कुछ कमी रह गई. इसीलिए ब्रह्मा जी ने अपने
कमंडल से जल छिड़का, जिससे चार हाथों वाली एक सुंदर स्त्री प्रकट हुई. उस स्त्री के एक हाथ में वीणा, दूसरे में पुस्तक, तीसरे
में माला और चौथा हाथ वर मुद्रा में था. ब्रह्मा जी ने इस सुंदर देवी से वीणा बजाने को कहा. जैसे वीणा बजी ब्रह्मा जी की बनाई हर चीज़ में स्वर आ गया. बहते पानी की धारा में आवाज़ आई, हवा सरसराहट करने लगा, जीव-जन्तु
में स्वर आने लगा, पक्षी चहचहाने लगे. तभी ब्रह्मा जी ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती नाम दिया. वह दिन बसंत पंचमी का था. इसी वजह से हर साल बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती का जन्मदिन मनाया जाने लगा और उनकी
पूजा की जाने लगी.  

सृष्टि की रचना के समय ब्रह्मा ने जीव-जंतुओं और मनुष्य योनि की रचना की। लेकिन उन्हें लगा कि कुछ कमी रह गई है  जिसके कारण चारों ओर सन्‍नाटा छाया रहता है। ब्रह्मा ने अपने कमंडल से जल छिड़का, जिससे चार हाथों वाली एक सुंदर स्त्री प्रकट हुईं। उस स्‍त्री के एक हाथ में वीणा और दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। बाकि दोनों हाथों में पुस्तक और माला थी। 

ब्रह्मा ने देवी से वीणा बजाने का अनुरोध किया। जैसे ही देवी ने वीणा का मधुरनाद किया, संसार के समस्त जीव-जंतुओं को वाणी मिल गई। मधुर शीतल जलधारा कलकल नाद करने लगी। मीठी हवा सरसराहट कर बहने लगी। चारों तरफ भीनी-भीनी सुगंध प्रवाहित होने लगी। रंग बिरंगे फूलों ध्रती सज गई।

चारों तरफ हरियाली छा गई। वातावरण में प्रकृति के संगीत की धुनें बजने लगी…तब ब्रह्मा ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती कहा। सरस्वती को वागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावा‍दिनी और वाग्देवी समेत कई नामों से पूजा जाता है। वो विद्या, बुद्धि और संगीत की देवी हैं। ब्रह्मा ने देवी सरस्‍वती की उत्‍पत्ति वसंत पंचमी के दिन ही की थी। इसलिए हर साल वसंत पंचमी के दिन देवी सरस्‍वती का जन्‍मदिन मनाया जाता है।

संरस्वती मां का वंदना मंत्र

या
कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता 
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना। 
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा
वन्दिता 
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥ 

शुक्लां ब्रह्मविचार
सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं 
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌। 
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌ 
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां
शारदाम्‌॥२॥

कैसे करें मां सरस्‍वती की पूजा?
स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में मां सरस्वती की
पूजा के साथ-साथ घरों में भी यह पूजी जाती हैं. अगर आप घर में मां सरस्वती की पूजा
करें तो इन बातों का ध्यान रखें.
1. सुबह नहाकर मां सरस्वती को पीले फूल अर्पित करें
2. पूजा के समय मां सरस्वती की वंदना करें.
3. पूजा स्थान पर वाद्य यंत्र और किताबें रखें, और बच्चों को पूजा में शामिल करें.
4. इस दिन पीले कपड़े पहनना शुभ माना जाता है, पूजा के वक्त या फिर पूरे दिन पीले रंग के वस्त्र
धारण करें.
5. बच्चों को पुस्तकें तोहफे में दें.
6. पीले चावल या पीले रंग का भोजन करें. 

बसंत पंचमी के दिन कामदेव की पूजा
कामदेव को प्रेम और काम का देवता माना गया है.
इन्हें रागवृंत, अनंग, कंदर्प, मनमथ, मनसिजा, मदन, रतिकांत, पुष्पवान और पुष्पधंव नामों से जाना जाता है. कुछ
लोग बसंत पंचमी के दिन कामदेव को भी पूजते हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार बसंत
कामदेव के मित्र हैं, इसलिए
कामदेव का धनुष फूलों का बना हुआ है. बसंत ऋतु का सबसे सुहावना मौसम माना गया है
और मान्यता है कि कामदेव ही इस मौसम को रूमानी कर देते हैं.

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