सदन में अमित शाह की व्‍यूह रचना; जब कांग्रेस आत्मघाती गोल कर बैठी

अमित शाह झट अपनी सीट से उठे- हम इसके लिए जान भी दे सकते हैं।  तब तक बात निकल चुकी थी और बीजेपी ने इसे लपक लिया था- क्‍या हुआ  था  सदन में-  जब कांग्रेस आत्‍मघाती गोल कर बैठी ; हिंदू-बहुल राज्य में बदलेगा कश्मीर : वाशिंगटन पोस्ट की सुर्खियां बन गयी- HIMALAYAUK Execlusive & अधीर चौधरी ने बहुत बड़ी ग़लती कर दी & यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गाँधी भी लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी के बयान से चौंक गई। सोनिया ने अपने पीछे बैठे राहुल गाँधी की तरफ़ देखा और इशारों में कुछ बोला। तभी राहुल गाँधी को अपना सिर हिलाते देखा गया  & & जनसंघ के जमाने से 370 को हटाने का सपना रहा है बीजेपी का & अनुच्छेद 370: विश्व मीडिया ने लिखा, कश्मीर में हालात बदतर होंगे

हिमालयायूके की प्रस्‍तुति

अमित शाह झट अपनी सीट से उठे और चौधरी से पूछा, ‘क्या आप जम्मू-कश्मीर को भारत का अहम हिस्सा नहीं मानते। आप क्या बात कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। जब भी मैं जम्मू-कश्मीर की बात करता हूँ तो पीओके भी इसके अंदर आता है। मैं इसलिए आक्रामक हो रहा हूँ क्योंकि आप लोग यह नहीं सोचते कि पीओके जम्मू-कश्मीर के अंदर आता है। हम इसके लिए जान भी दे सकते हैं।’ शाह ने यह भी पूछा कि आप यह स्पष्ट कर दें कि क्या यह कांग्रेस का स्टैंड है कि संयुक्त राष्ट्र कश्मीर को मॉनिटर कर सकता है। इसके बाद सदन में ‘भारत माता की जय’ और ‘वंदे मातरम’ के नारे लगने लगे। 

सदन में क्‍या हुआ- विस्‍तार से जानिये

क्या कश्मीर के मुद्दे पर कांग्रेस ने आत्मघाती गोल कर लिया है? कांग्रेस के अंदर पहले से ही जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के मुद्दे को लेकर पार्टी नेताओं के अलग-अलग बयान आ रहे थे। पार्टी के वरिष्ठ नेता जनार्दन द्विवेदी ने ग़ुलाम नबी आज़ाद के बयान के बिलकुल विपरीत बयान दिया था। अब लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कुछ ऐसा ही बयान दे दिया है जिसे लेकर बीजेपी हमलावर हो गई है। 

लोकसभा में अधीर रंजन चौधरी ने 1994 में लोकसभा के द्वारा पास किए गए एक संकल्प के बारे में बात करते हुए कहा कि सरकार पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) के बारे में स्थिति साफ़ करे। इस संकल्प में पूरे जम्मू-कश्मीर को भारत का हिस्सा बताया गया था। चौधरी ने आगे कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि आप पीओके के बारे में बात कर रहे हैं। सरकार ने जम्मू-कश्मीर राज्य को केंद्र शासित प्रदेश बनाकर नियमों की धज्जियाँ उड़ा दी हैं।’ इस पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि वह यह साफ़ करना चाहते हैं कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और इसमें कोई शक नहीं है और कोई क़ानूनी विवाद भी नहीं है।

लेकिन इसके बाद चौधरी ने बहुत बड़ी ग़लती कर दी। चौधरी ने कहा, ‘मुझे शक है। आप कहते हैं कि कश्मीर हमारा आतंरिक मामला है। आपने राज्य के दो हिस्से कर दिए हैं। मेरा यह कहना है कि 1948 से संयुक्त राष्ट्र कश्मीर की मॉनिटरिंग कर रहा है तो यह कैसे आतंरिक मामला हुआ। हमने शिमला समझौते और लाहौर घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। तो यह आतंरिक मामला है या द्विपक्षीय? कुछ दिन पहले विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका से कहा कि यह हमारा द्विपक्षीय मामला है। क्या इसके बाद भी जम्मू और कश्मीर भारत का आतंरिक मामला हो सकता है। आपको इस पर जवाब देना चाहिए।’ तभी उनकी दायीं तरफ़ बैठी यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गाँधी भी उनके बयान से चौंक गई। सोनिया ने अपने पीछे बैठे राहुल गाँधी की तरफ़ देखा और इशारों में कुछ बोला। तभी राहुल गाँधी को अपना सिर हिलाते देखा गया। 

इस पर बीजेपी के सदस्यों ने शेम, शेम के नारे लगाने शुरू कर दिए। इस पर चौधरी ने कहा, ‘आप लोग मुझे ग़लत समझ रहे हैं। मैं आपको बताना चाहता हूँ कि यह बुनियादी सवाल है। आप इस बात को ग़लत न समझें।’ लेकिन तब तक बात निकल चुकी थी और बीजेपी ने इसे लपक लिया था। 

अमित शाह झट अपनी सीट से उठे और चौधरी से पूछा, ‘क्या आप जम्मू-कश्मीर को भारत का अहम हिस्सा नहीं मानते। आप क्या बात कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। जब भी मैं जम्मू-कश्मीर की बात करता हूँ तो पीओके भी इसके अंदर आता है। मैं इसलिए आक्रामक हो रहा हूँ क्योंकि आप लोग यह नहीं सोचते कि पीओके जम्मू-कश्मीर के अंदर आता है। हम इसके लिए जान भी दे सकते हैं।’ शाह ने यह भी पूछा कि आप यह स्पष्ट कर दें कि क्या यह कांग्रेस का स्टैंड है कि संयुक्त राष्ट्र कश्मीर को मॉनिटर कर सकता है। इसके बाद सदन में ‘भारत माता की जय’ और ‘वंदे मातरम’ के नारे लगने लगे। 

सूत्रों के मुताबिक़, सोनिया और राहुल गाँधी ने कांग्रेस सांसदों की बैठक में चौधरी के इस बयान पर कड़ी नाराज़गी जताई है। बताया जाता है कि चौधरी ने अपनी सफ़ाई में कहा कि उन्होंने जो कुछ कहा वह सरकार से स्पष्टीकरण देने के लिए कहा था लेकिन यह सरकार इसे मुद्दा बना रही है।

बीजेपी हमेशा से ही कश्मीर की समस्या के लिए पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को ज़िम्मेदार ठहराती रही है। बीजेपी नेता वर्षों से यह कहते आ रहे हैं कि कश्मीर समस्या सिर्फ़ कांग्रेस की ही देन है। अब अधीर रंजन चौधरी के बयान के बाद कांग्रेस को बैकफ़ुट पर आना पड़ सकता है।

जनसंघ के जमाने से 370 को हटाने का सपना रहा है बीजेपी का

अनुच्छेद 370 को हटाने का सपना बीजेपी आज से नहीं तब से देख रही है, जब वह जनसंघ हुआ करती थी। केंद्र में दुबारा मोदी सरकार आने के बाद से ही यह माना जा रहा था कि सरकार इस बार अनुच्छेद 370 पर आर या पार करेगी। बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अनुच्छेद 370 और 35ए को ख़त्म करने की माँग लंबे अरसे से उठाते रहे हैं। बीजेपी ने कई बार कहा कि 35ए के ज़रिए संविधान को छला गया। धारा 370 और 35ए को हटाने का जिक्र बीजेपी ने अपने चुनाव घोषणा-पत्र 2019 में भी प्रमुखता से किया था।

सबसे पहले जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अनुच्छेद 370 का विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि एक देश में दो विधान, दो निशान और दो प्रधान नहीं चलेंगे। मुखर्जी ने कहा था कि अनुच्छेद 370 देश की एकता और अखंडता पर धब्बा है और वह इस प्रावधान के सख़्त ख़िलाफ़ थे। डॉ. मुखर्जी इस बात पर अडिग रहे कि जम्मू एवं कश्मीर भारत का एक अविभाज्य अंग है।

इसे लेकर मुखर्जी ने आंदोलन शुरू किया और कार्यकर्ताओं के साथ कश्मीर के लिए रवाना हो गए थे। जम्मू-कश्मीर सरकार ने राज्य में प्रवेश करने पर मुखर्जी को 11 मई 1953 को हिरासत में ले लिया था लेकिन कुछ समय बाद 23 जून 1953 को उनकी मौत हो गई। लेकिन बीजेपी ने बार-बार मुखर्जी के त्याग का उदाहरण दिया और देश के लोगों से वादा किया कि वह सत्ता में आने पर अनुच्छेद 370 को ख़त्म करेगी। 

2014 में सत्ता में आने के बाद बीजेपी ने राज्य में वहाँ की प्रमुख पार्टी पीडीपी के साथ सरकार बनाई। तब लोगों को बीजेपी के इस फ़ैसले पर अचरज भी हुआ था क्योंकि पीडीपी धारा 370 की कट्टर समर्थक थी तो बीजेपी उसकी कट्टर विरोधी। लेकिन फिर भी दोनों दलों ने 40 महीने तक सरकार चलाई और बाद में अलग हो गए। बीजेपी2019 लोकसभा चुनाव से पहले यह संदेश देना चाहती थी कि धारा 370 पर उसके रुख में क़तई नरमी नहीं आई है और वह आतंकवादियों के सख़्त ख़िलाफ़ है। पीडीपी के साथ सरकार बनाने पर उस पर यह आरोप लग रहा था कि वह अलगाववादियों के प्रति नरम है।

2019 में 30 मई को एनडीए सरकार ने शपथ ली थी। तब से आज तक सिर्फ़ 66 दिनों में ही बीजेपी ने अनुच्छेद 370 को हटाने के लिए सारी ज़रूरी तैयारी कर ली। गृह मंत्री बनते ही अमित शाह ने इस मुद्दे पर अपने तेवर यह कहकर दिखा दिये थे कि धारा 370 अस्थायी है। 2019 लोकसभा चुनाव के लिए जारी किए गए अपने संकल्प पत्र में भी पार्टी ने अनुच्छेद 370 को हटाने की बात दोहराई थी। पार्टी ने स्षष्ट किया था कि वह जनसंघ के समय से अनुच्छेद 370 के बारे में अपने दृष्टिकोण को दोहरा रही है। 

इसके साथ ही बीजेपी ने कहा था कि वह धारा 35ए को भी ख़त्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। बीजेपी जोर देकर कहती रही है कि धारा 35ए जम्मू-कश्मीर के ग़ैर स्थायी निवासियों के साथ भेदभाव करती है और यह जम्मू-कश्मीर के विकास में भी बाधा है।  साथ ही पार्टी ने कश्मीरी पंडितों की सुरक्षित वापसी तय करने की भी बात कही थी।

अब जब बीजेपी ने जनसंघ के समय से जो वादा किया था, उसे पूरा करने की दिशा में क़दम बढ़ा दिया है तो देखना होगा कि उसे इसका कितना राजनीतिक फ़ायदा मिलता है। अमित शाह ने राज्यसभा में विपक्षी दलों पर हमला करते हुए कहा कि उनकी सरकार और पार्टी वोट बैंक की चिंता नहीं करती। क्योंकि बीजेपी कश्मीर विवाद के लिए हमेशा देश के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को ज़िम्मेदार ठहराती रही है। बीजेपी ने इसका डंका भी पीटते हुए कहा है कि 370 हटाने के मुद्दे पर उसे एनडीए के बाहर से भी सपोर्ट मिला है। बता दें कि बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी, बीजू जनता दल, वाईएसआर कांग्रेस, एआईएडीएमके, आम आदमी पार्टी ने उसे समर्थन दिया है।

अनुच्छेद 370: विश्व मीडिया ने लिखा, कश्मीर में हालात बदतर होंगे

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने की प्रक्रिया शुरू किए जाने का दुनिया के प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों ने हालात बिगड़ने के संकेत दिए हैं। ‘द गार्जियन’, ‘वाशिंगटन पोस्ट’ जैसे अख़बारों ने लिखा है कि इससे क्षेत्र में तनाव बढ़ेगा। कुछ अख़बारों ने यह भी लिखा है कि बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार ने ‘हिंदू राष्ट्र’ की दिशा में एक और क़दम बढ़ा दिया है। 

‘द गार्जियन’ के लिए ब्रिटिश पत्रकार और दक्षिण एशिया के पूर्व संवाददाता जेसन बर्क ने अपने लेख में लिखा है कि कश्मीर में सबसे ख़राब दौर से इसकी तुलना की जाए तो राज्य में इंसर्जेंसी, हत्या, अत्याचार और अपहरण के भयावह स्तरों से काफ़ी नीचे है, लेकिन डर यह होना चाहिए कि इसमें अब बदलाव आएगा। यानी बर्क यह मानते हैं कि जम्मू-कश्मीर में हाल के घटनाक्रमों से स्थिति बदलेगी और ज़ाहिर है वह बदलाव बुरे दौर की तरह ही होंगे

हिंदू-बहुल राज्य में बदलेगा कश्मीर : वाशिंगटन पोस्ट

‘वाशिंगटन पोस्ट’ के लिए लफ़ेयेट कॉलेज में दक्षिण एशियाई इतिहास के सहायक प्रोफ़ेसर हफ़्सा कंजवाल ने इस क़दम को असंवैधानिक बताया। उन्होंने लिखा, ‘भारतीय अब कश्मीर में संपत्ति और भूमि ख़रीद सकते हैं, और स्थानीय आबादी को बाहर निकाल सकते हैं। इस प्रकार, इस असंवैधानिक क़दम में जो कुछ भी दाँव पर लगा है वह है कश्मीर में बसने वाली औपनिवेशिक परियोजना की शुरुआत जो कि इज़राइल के फ़लीस्तीनी क्षेत्रों के समान है। …यहाँ आशय यह है कि कश्मीर के जनसांख्यिकी को मुसलिम-बहुल राज्य से बदलकर एक हिंदू-बहुल राज्य में बदल दिया जाए।’

हिंदू बहुसंख्यक राष्ट्र की ओर क़दम : अल जज़ीरा

उत्तरी कोलोराडो ग्रीले विश्वविद्यालय की प्रोफ़ेसर अथर ज़िया ने अल जज़ीरा के लिए लिखा कि मोदी सरकार का अनुच्छेद 370 को रद्द करने का क़दम न केवल हिंदू बहुसंख्यक राष्ट्र की ओर बढ़ता एक कदम है, बल्कि पाकिस्तान और दुनिया के बाक़ी हिस्सों को भी ताक़त दिखाने का प्रयास है। 

उन्होंने लिखा, ‘अनुच्छेद 370 को रद्द करने का निर्णय बीजेपी के लिए लोगों को खु़श करने का तरीक़ा है। इसने प्रधानमंत्री मोदी को अपने स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त के संबोधन में कुछ अलग करने के लिए दिया, क्योंकि इसने सरकार के इस दावे को पुष्ट किया कि यह हिंदू राष्ट्र के अपने दृष्टिकोण को पाने के लिए अथक प्रयास कर रही है। इससे उन्होंने यह भी दिखाया कि पाकिस्तान से भिड़ने से वह डरते नहीं हैं, तब भी जब वाशिंगटन उनकी तरफ़ नहीं है।’

जेरूसलम पोस्ट के लिए अपने लेख में प्रसिद्ध पत्रकार और पश्चिम एशिया विशेषज्ञ सेठ फ्रांत्ज़मैन लिखते हैं कि कश्मीर का मुद्दा केवल अनुच्छेद 370 के बारे में नहीं है, बल्कि इसमें व्यापक वैश्विक संबंध हैं।

कश्मीरियों में डर: डॉन

पाकिस्तान के अख़बार ‘डॉन’ ने लिखा है कि भारत की सत्तारूढ़ बीजेपी ने सोमवार को राष्ट्रपति के आदेश के माध्यम से सात दशकों तक रही ‘विशेष स्वायत्तता’ को कश्मीरियों से छीन लिया है।

अख़बार ने लिखा,  ‘संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद शेष भारत के लोगों को अब ‘अधिकृत कश्मीर’ में संपत्ति प्राप्त करने और स्थायी रूप से बसने का अधिकार होगा। कश्मीरी और भारत के हिंदू राष्ट्रवादी नेतृत्व वाली सरकार के आलोचकों ने इस क़दम को मुसलिम-बहुल कश्मीर की जनसांख्यिकी को हिंदू निवासियों के साथ ‘घालमेल’ करने के प्रयास के रूप में देखा है।’

अख़बार ने यह भी लिखा है कि अब कश्मीरियों को यह डर सता रहा है कि यह इलाक़ा मुसलमान बहुल होने के बजाय हिंदू बहुल हो जाएगा।

एक अन्य पाकिस्तानी अख़बार ‘एक्सप्रेस’ ने लिखा है कि अनुच्छेद 370 ख़त्म किए जाने के कारण फ़लस्तीनियों की तरह कश्मीरी भी बिना मुल्क़ के हो जाएँगे। अख़बार ने लिखा है कि यह ऐसा इसलिए होगा क्योंकि करोड़ों की संख्या में ग़ैर-कश्मीरी वहाँ बस जाएँगे और उनकी ज़मीन, संसाधनों और नौकरी पर अधिकार जमा लेंगे।

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