त्रिशंकु लोकसभा- सर्वे- 543 लोकसभा सीटों पर

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लोकसभा चुनाव का बिगुल अब किसी भी हफ्ते में बज सकता है. राजनीतिक दल अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटे हैं. सियासत के नए समीकरण बन रहे हैं और तमाम छोटे दल एक दूसरे से गठबंधन कर अपनी ताकत बढ़ाने में जुटे हैं. हर तरफ यही सवाल है कि 2019 में किसकी बनेगी सरकार और किसकी होगी हार. सियासत के इसी शोर के बीच आजतक ने कार्वी इनसाइट्स के साथ अपने सर्वे में देश का मिजाज जाना और इस सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश की कि क्या 2019 में भी 2014 जैसे परिणाम दोहराए जाएंगे या इस बार केंद्र में कोई नई सरकार देखने को मिलेगी.

ना तो एनडीए को और ना ही यूपीए को बहुमत मिलेगा. ऐसे में इस बार अन्य दल किंग मेकर

सर्वे के नतीजे बताते हैं कि 2014 के मुकाबले 2019 में वोटों के मामले में बहुत अंतर आया है. 2014 में एनडीए को 38 फीसदी वोट मिले थे जबकि यूपीए के हिस्से में महज 23 फीसदी वोट आए थे. अन्य दलों के हिस्से में तब 39 फीसदी वोट गए थे. हम जानते हैं कि इस वोट प्रतिशत ने बीजेपी के नेतृत्व वाले एऩडीए को केंद्र में भारी बहुमत दिलाया था और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने थे. उसके बाद हर छह महीने बाद आजतक के सर्वे देश का मिजाज में ये वोट प्रतिशत बदलता रहा. इस महीने के लिए हुए सर्वे में एनडीए को 35 फीसदी तो यूपीए को 33 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है. अन्य दलों के हिस्से में बाकी के 32 फीसदी वोट जा रहे हैं.

एबीपी न्यूज ने सी-वोटर के साथ मिलकर देश की सियासी नब्ज टटोलने की कोशिश की है. सर्वे के मुताबिक सत्ताधारी एनडीए को बड़ा झटका लग सकता है, जबकि यूपीए के पहले से बेहतर प्रदर्शन करने के अनुमान हैं, लेकिन सत्ता की दौड़ में काफी पीछे रह जाएगी. अन्य क्षेत्रीय दलों के खाते में काफी सीटें जा रही हैं और अगली सरकार बनाने में इन दलों की बड़ी भूमिका होगी.

सर्वे के मुताबिक 543 लोकसभा सीटों में से एनडीए को 233 सीटों पर जीत मिल सकती है. वहीं यूपीए 167 सीटों पर अपना परचम लहराएगा और अन्य दलों को 143 सीटें मिलने की उम्मीद है. यानि कोई भी दल या गठबंधन बहुमत के जादुई आंकड़े 272 को छूने या पार करने की स्थिति में नहीं हैं. याद रखने की बात है कि एनडीए जो 233 सीटें जीत सकती है उसमें बीजेपी का हिस्सा 203 होगा. इसी तरह यूपीए की झोली में जो 167 सीटें जा सकती हैं उसमें कांग्रेस का हिस्सा 109 सीटों का होगा.

इस वोट शेयर को जब सीटों में तब्दील करते हैं तो अगले पांच साल के लिए लोकसभा की तस्वीर साफ हो जाती है. तस्वीर ये कि 16वीं लोकसभा त्रिशंकु होगी जिसमें किसी भी दल या गठबंधन को अपने दम पर बहुमत नहीं मिलने जा रहा है. सबसे ज्यादा नुकसान बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को हो रहा है और उसकी सीटें 99 घटकर 237 तक सिमट सकती हैं. यूपीए जबर्दस्त वापसी करता दिख रहा है लेकिन सत्ता से काफी दूर रहने वाला है. उसकी सीटों में 106 का इजाफा हो रहा है और उसे 166 सीटें मिलने का अऩुमान है. वहीं अन्य दलों को भी नुकसान हो रहा है. वो 140 सीटें जीत सकते हैं जबकि पिछली बार उऩका ये आंकड़ा 153 था.

लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा सीटों वाला राज्य उत्तर प्रदेश है और यहां से जो पार्टी ज्यादा सीटें जीतती है उसे केंद्र की सरकार में आने की संभावनाएं काफी बढ़ जाती हैं. इसी बीच कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को सक्रिय राजनीति में उतारकर बड़ा दांव चल दिया है. यूपी में कुल 80 सीटें हैं और एबीपी न्यूज़-सी वोटर सर्वे के मुताबिक आज यहां चुनाव होते हैं तो यूपीए चार सीटों पर सिमट जाएगा वहीं 2014 में बड़ा कमाल करने वाला एनडीए को भारी नुकसान होगा और वह 25 सीटों (बीजेपी 24 +अपना दल 1) पर रुक जाएगा. वहीं, अखिलेश-मायावती का महागठंबधन 51 सीटें जीत सकता है. सर्वे के मुताबिक एनडीए को इस बार 48 सीटों का नुकसान हो रहा है.


सर्वे के नतीजों से साफ है कि 2014 के मुकाबले 2019 में एनडीए को तीन फीसदी वोटों का नुकसान होने का अनुमान है जबकि यूपीए के खाते में पूरे 10 फीसदी अतिरिक्त वोट जा रहे हैं और वो 2014 के 23 फीसदी के मुकाबले 2019 में 33 फीसदी वोट हासिल कर सकता है. अन्य दलों को 2014 के मुकाबले भारी नुकसान हो रहा है. 2014 में उनके कुल वोट 39 फीसदी थे लेकिन इस बार यानी 2019 में उन्हें महज 32 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है.

इस सर्वे में एनडीए में जो राजनीतक दल शामिल किए गए हैं उनमें भारतीय जनता पार्टी, ऑल इंडिया एन रंगास्वामी कांग्रेस, अपना दल, बोडो पीपुल्स फ्रंट, डीएमडीए, जनता दल यूनाइटेड, असम गण परिषद, नागा पीपुल्स फ्रंट, पीएमके, नेशनल पीपुल्स पार्टी, आरपीआई(ए), शिरोमणि अकाली दल, सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट व शिवसेना है. जबकि, यूपीए में कांग्रेस के अलावा डीएमके, जेडीएस, नेशनल कॉन्फ्रेंस, जेएमएम, केरल कांग्रेस (मणि), आईयूएमएल, एनसीपी, आरजेडी, राष्ट्रीय लोकदल, तेलुगुदेशम पार्टी को शामिल किया गया है. अन्य दलों में जो पार्टियां शामिल हैं उनके नाम हैं आम आदमी पार्टी, असम गण परिषद, अन्नाद्रमुक, फॉरवर्ड ब्लॉक, तृणमूल कांग्रेस, एआईयूडीएफ, बीजू जनता दल, सीपीआई, सीपीआई-एम, इंडियन नेशनल लोकदल, पीडीपी, केरल कांग्रेस(जोसेफ), महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना, एनएलपी,आरएसपी, टीआरएस, वायएसआर कांग्रेस, इंडिपेंडेंट्स और एसपी-बीएसपी-आरएलडी गठबंधन.

लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कभी भी हो सकता है. सभी पार्टियां अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटी हैं. कई छोटे दल एक साथ आकर अपनी ताकत को बढ़ावा देने की कोशिश में हैं. देश में हर तरफ बस यही सवाल है कि इस बार किसकी सरकार. बीजेपी जहां एक बार फिर मोदी के सहारे जीत की आस लगा रही है तो कांग्रेस अपने अध्यक्ष राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनते देखना चाहती है. इन तमाम उम्मीदों और सियासी शोर के बीच आजतक ने कार्वी इनसाइट्स के साथ अपने सर्वे में देश का मिजाज जानने की कोशिश की.

सर्वे में यह जानने की कोशिश की गई अगर यूपीए और एनडीए में और पार्टियां शामिल होती हैं तो इसका नतीजा क्या होगा. पीडीपी, टीएमसी, बसपा और सपा अगर यूपीए में शामिल हो जाती हैं और AIADMK, YSRCP, टीआरएस और बीजेडी जैसी पार्टियां एनडीए में शामिल हो जाती हैं तो दोनों ही गठबंधन का वोट शेयर बराबर रहेगा. सर्वे के नतीजे के मुताबिक एनडीए और यूपीए का वोट शेयर 44-44 फीसदी रहेगा. वहीं अन्य का वोट शेयर 12 फीसदी रहेगा.

सीटों की संख्या की बात जाए तो एनडीए का कुनबा बढ़ने से भी उसको कोई फायदा होता नहीं दिख रहा है. एनडीए को 2014 के मुकाबले 79 सीटों का नुकसान होते दिख रहा है. उसको 257 सीटें मिलने का अनुमान है. यूपीए की 2014 के मुकाबले स्थिति बेहद मजबूत दिख रही है. उसको बंपर फायदा होता दिख रहा है. यूपीए के खाते में 272 सीटें मिलने का अनुमान है. वहीं अन्य के खाते में 14 सीटें जा सकती हैं. 

पश्चिम बंगाल की बात करें तो यहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का जादू अभी भी बरकरार है. सर्वे के मुताबिक, राज्य में कुल 42 लोकसभा सीटों में से टीएमसी के खाते में 34, बीजेपी को 7 और कांग्रेस को एक सीट मिल सकती है. राज्य में वामपंथी दलों की स्थिति बेहद खराब दिख रही है.

एबीपी न्यूज-सी वोटर सर्वे के मुताबिक,  महाराष्ट्र में यूपीए इस बार बेहतर प्रदर्शन कर सकती है. महाराष्ट्र में शिवसेना एनडीए के साथ और एनसीपी यूपीए के साथ चुनाव लड़े तो एनडीए के हिस्से 20 तो यूपीए के हिस्से 28 सीटें मिलने की संभावना बनती दिख रही है. लेकिन यदि सभी दल अलग-अलग चुनाव लड़ें तो बीजेपी 16, शिवसेना 4, कांग्रेस 19 और एनसीपी को 9 सीटें मिल सकती हैं. राज्य में कुल 48 लोकसभा सीट हैं.

दक्षिण भारत में अब भी एनडीए की नो एंट्री है. तमिलनाडु, केरल, आंध्र, तेलंगाना, कर्नाटक को मिलाकर कुल 129 लोकसभा सीटें हैं जिसमें से एनडीए के खाते में सिर्फ 14 सीटें, यूपीए को 69 जबकि अन्य के खाते में 46 सीटें जाती हुई दिख रही है.
उत्तर भारत- सर्वे के मुताबिक, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल, जम्मू कश्मीर और उत्तराखंड की 45 सीटों में से एनडीए को 26 और यूपीए को 19 सीटें मिलने का अनुमान है.
 पंजाब की बात करें तो यहां यूपीए एनडीए पर भारी पड़ रहा है. 13 सीटों में से एनडीए को एक और यूपीए को 12 सीटें मिलेने का अनुमान है. वहीं, हरियाणा की बात करें तो यहां एनडीए को सात और यूपीए को तीन सीटें मिलने का अनुमान है.

लोकसभा चुनाव का बिगुल किसी भी वक्त फूंका जा सकता है और राजनीतिक दलों ने अपने-अपने गठबंधनों का विस्तार और चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है. सवाल है कि क्या मोदी सरकार के कामकाज के आधार पर बीजेपी को 2014 जैसा जनादेश मिलेगा या कांग्रेस सरकार के खिलाफ माहौल बनाकर उसका चुनावी फायदा उठाने में सफल होगी, या फिर जनता इन दोनों ही बड़े दलों और उनके गठबंधनों क्रमशः एनडीए और यूपीए को नकारकर तीसरा विकल्प तलाशेगी? इस सवाल का सही जवाब तो मई में ही मिलेगा जब मतदान के बाद ईवीएम मशीनें खुलेंगी और जनादेश बाहर आएगा लेकिन उससे पहले आजतक ने कार्वी इनसाइट्स के जरिए देश का मिजाज जाना और पता लगाया कि देश के अलग-अलग हिस्सों में किस गठबंधन को कितने वोट और कितनी सीटें मिलने का अनुमान है.

सर्वे के नतीजे कई दलों को चौंका सकते हैं. अगर उत्तर भारत की ही बात करें तो यहां एनडीए का दबदबा दिखाई देता है. उत्तर भारत में दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान को शामिल किया गया है. सर्वे के मुताबिक यहां एनडीए को 40 फीसदी तक वोट मिल सकते हैं जबकि यूपीए इससे तकरीबन आधे यानी महज 23 फीसदी वोट ही हासिल करने में सफल रहेगा. हालांकि सर्वे ये भी बताता है कि इन राज्यों में या देश के इस हिस्से में अन्य पार्टियां एनडीए को तगड़ी चुनौती देंगी. अन्य दलों को यहां 37 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है.

सर्वे के वोट शेयर को अगर सीटों में ढाला जाए तो एनडीए को यहां से 66 सीटें मिल सकती हैं. अन्य दलों का भी प्रदर्शन ऐसा ही रहने की उम्मीद है. उनके खाते में इससे महज एक सीट कम यानी 65 सीटें जाने की संभावना है. यूपीए यहां से 20 सीटें जीत सकती है.

यहां एनडीए में जो दल शामिल हैं उनमें भारतीय जनता पार्टी, ऑल इंडिया एन रंगास्वामी कांग्रेस, अपना दल, बोडो पीपुल्स फ्रंट, डीएमडीए, जेडीयू, एलजेपी, नागा पीपुल्स फ्रंट, पीएमके, नेशनल पीपुल्स पार्टी, आरपीआई(ए), शिरोमणि अकाली दल, सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट, शिवसेना

यूपीए में कांग्रेस के अलावा डीएमके, जेडीएस, नेशनल कॉन्फ्रेंस, जेएमएम, केरल कांग्रेस (मणि), आईयूएमएल, एनसीपी, आरजेडी, आरएलडी, टीडीपी शामिल हैं.

अन्य दलों में आम आदमी पार्टी, असम गण परिषद, अन्नाद्रमुक, फॉरवर्ड ब्लॉक, तृणमूल कांग्रेस, एआईयूडीएफ, बीजू जनता दल, सीपीआई, सीपीआई-एम, इंडियन नेशनल लोकदल, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, केरल कांग्रेस (जोसेफ), महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना, एनएलपी, आरएसपी, टीआरएस, वायएसआर कांग्रेस, इंडिपेंडेंट्स, एसपी-बीएसपी-आरएलडी गठबंधन शामिल है.

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर पर सवार होकर बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन एनडीए ने प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाई थी. वहीं, आगामी लोकसभा चुनाव के लिए एनडीए गठबंधन एक बार फिर अपना सरकार बनाने का दावा कर रहा है, जबकि कांग्रेस के नेतृत्व में दूसरा बड़ा धड़ा यूपीए भी पूरे दम-खम के साथ मैदान में उतरने की तैयारी में है. दोनों बड़े धड़ों के अलावा अन्य दल भी हैं इस गठबंधन से अलग राह पर चल रहे हैं. पिछले 5 साल के दौरान इंडिया टुडे की तरफ से हर 6 महीने Mood Of The Nation (MOTN) यानी देश का मिजाज जानने की कोशिश की गई. इन 5 सालों के वोट शेयर ट्रैकर पर नजर डाले तो पता चलता है कि पिछले डेढ़ साल में केंद्र में सत्ताधारी एनडीए का ग्राफ लगातार गिरा है, जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए ने रफ्तार पकड़ी है. ऐसे में जब देश आम चुनाव के मुहाने पर खड़ा है तो जनवरी 2019 का अनुमानित वोट शेयर ट्रैकर खंडित जनादेश की तरफ इशारा कर रहा है.

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में जीत का परचम लहराने वाले एनडीए का वोट शेयर 38 फीसदी था, जबकि इसकी तुलना में यूपीए को 23 फीसदी वोट मिले थे. वहीं, अन्य को 39 फीसदी वोट मिले थे. चूंकि इन चुनावों में तीसरे मोर्चे पर कोई गठबंधन नहीं था लिहाजा एनडीए के विपक्ष में पड़ने वाले अन्य वोटों का बिखराव हुआ. मई 2014 से जनवरी 2019 के बीच किए गए 7 MOTN सर्वे में केंद्र में सत्ताधारी गठबंधन एनडीए का ग्राफ मोदी सरकार की लोकप्रियता के लिहाज से बढ़ता-घटता रहा. जहां फरवरी 2016 में एनडीए का अनुमानित वोट शेयर पहले की तुलना में 1 फीसदी कम यानी 37 फीसदी था तो वहीं इसके ठीक 6 महीने बाद यानी अगस्त 2016 में यह 40 फीसदी तक पहुंच गया.

जनवरी 2017 में किए गए सर्वे के मुताबिक एनडीए के अनुमानित वोट शेयर का आंकड़ा 42 फीसदी के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया. यहां बताना जरूरी है कि इस दौरान केंद्र की मोदी सरकार द्वारा उठाए गए बड़े कदम नोटबंदी और सर्जिकल स्ट्राइक से सत्ताधारी एनडीए गठबंधन की लोकप्रियता अपने चरम पर थी. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टैक्स सुधार की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाते हुए जून के महीने में वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू किया. लिहाजा इसके ठीक बाद अगस्त 2017 में किए गए सर्वे में एनडीए के अनुमानित वोट शेयर में कोई गिरावट नहीं आई.

हालांकि साल 2017 में मिली बढ़त जनवरी 2018 में कुछ कम जरूर हुई. इस दौरान एनडीए का वोट शेयर 40 फीसदी आंका गया. जबकि अगस्त 2018 एनडीए के वोट शेयर का आंकड़ा 36 फीसदी पर पहुंच गया. बता दें कि इस दौरान केंद्र में एनडीए की एक अहम सहयोगी तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) एनडीए छोड़ चुकी थी और देश में कृषि संकट, बेरोजगारी जैसे मुद्दों को विपक्ष ने हवा देनी शुरू कर दी. इसके बाद साल दिसंबर 2018 में 5 राज्यों में विधानसभा के चुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा जिसका प्रभाव उसके अनुमानित वोट शेयर पर भी पड़ा. चुनावी साल यानी जनवरी 2019 में किए गए सर्वे के मुताबिक एनडीए को 35 फीसदी वोट मिलने के अनुमान हैं.

यहां एनडीए में जो दल शामिल हैं उनमें भारतीय जनता पार्टी, ऑल इंडिया एन रंगास्वामी कांग्रेस, अपना दल, बोडो पीपुल्स फ्रंट, डीएमडीए, जेडीयू, एलजेपी, नागा पीपुल्स फ्रंट, पीएमके, नेशनल पीपुल्स पार्टी, आरपीआई(ए), शिरोमणि अकाली दल, सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट, शिवसेना

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में सत्ताधारी यूपीए गठबंधन मोदी लहर के आगे धाराशाई हो गया. इन चुनावों में यूपीए को 23 फीसदी वोट मिले थे. लेकिन फरवरी 2016 में यूपीए के अनुमानित वोट शेयर में इजाफा हुआ और यह आंकड़ा 27 फीसदी पहुंच गया. वहीं अगस्त 2016 में यूपीए के वोट शेयर के अनुमानित आंकड़े में 1 फीसदी की मामूली गिरावट देखी गई. जबकि जनवरी 2017 में यह आंकड़ा 25 फीसदी पहुंच गया. जाहिर है इस दौरान केंद्र की मोदी सरकार की लोकप्रियता तमाम कारणों से अपने चरम पर थी लिहाजा यूपीए को इसका नुकसान होता दिखा. लेकिन अगस्त 2017 में यूपीए ने अपने प्रदर्शन में सुधार किया और इस दौरान उसका वोट शेयर 28 फीसदी आंका गया.

हालांकि जनवरी 2018 में यूपीए के अनुमानित वोट शेयर में 1 फीसदी की गिरावट देखी गई. लेकिन अगस्त आते-आते विपक्षी गठबंधन ने केंद्र के खिलाफ बेरोजगारी, कृषि संकट, नोटबंदी से होने वाले नुकसान के मुद्दे घेरना शुरू कर दिया. लिहाजा अगस्त 2018 में यूपीए का अनुमानित वोट शेयर 31 फीसदी तक पहुंच गया. दिसंबर 2018 में यूपीए गठबंधन के सबसे बड़े दल कांग्रेस ने हिंदी पट्टी के तीन राज्य मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की. लिहाजा चुनावी साल में जनवरी 2019 में किए गए सर्वे में यूपीए के अनुमानित वोट शेयर में भी बढ़त दर्ज की गई है और यह आंकड़ा 33 फीसदी पहुंच गया. जो इसी माह में सत्ताधारी एनडीए के आंकड़े से महज 2 फीसदी कम है.

यूपीए में कांग्रेस के अलावा डीएमके, जेडीएस, नेशनल कॉन्फ्रेंस, जेएमएम, केरल कांग्रेस (मणि), आईयूएमएल, एनसीपी, आरजेडी, आरएलडी, टीडीपी शामिल हैं.

अन्य दलों के आंकड़ों पर नजर डालने से पहले यह बताना जरूरी है कि यह वो दल हैं जो वर्तमान में एनडीए और यूपीए का हिस्सा नही हैं. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में ये क्षेत्रीय दल अलग अलग चुनाव लड़े थे. इस दौरान इनका वोट शेयर कुल मिलाकर 39 फीसदी था. MOTN वोट शेयर ट्रैकर के मुताबिक अन्य दलों के अनुमानित वोट शेयर में लगातार गिरवट देखी गई. सर्वे के मुताबिक फरवरी 2016 में इनका अनुमानित वोट शेयर 36 फीसदी हो गया जबकि अगस्त 2016 में इनके अनुमानित वोट शेयर के आंकड़े में 2 फीसदी की और गिरवट देखी गई. जनवरी 2017 में यह आंकड़ा घटकर 33 फीसदी हो गया जबकि अगस्त में इनका अनुमानित वोट शेयर घटकर 30 फीसदी हो गया. हालांकि जनवरी 2018 में इनके अनुमानित वोट शेयर में 3 फीसदी का इजाफा हुआ जो अगस्त 2018 में बरकरार रहते हुए 33 फीसदी रहा. वहीं चुनावी साल यानी जनवरी 2019 में अनुमानित वोट शेयर 32 फीसदी है.  

बता दें इनमें से अधिकांश दल अपने राज्य के सियासी समीकरण बैठाते हुए केंद्र में सरकार बनाने वाले गठबंधन के साथ शामिल होते रहे हैं. इन अन्य दलों में आम आदमी पार्टी, असम गण परिषद, अन्नाद्रमुक, फॉरवर्ड ब्लॉक, तृणमूल कांग्रेस, एआईयूडीएफ, बीजू जनता दल, सीपीआई, सीपीआई-एम, इंडियन नेशनल लोकदल, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, केरल कांग्रेस (जोसेफ), महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना, एनएलपी, आरएसपी, टीआरएस, वायएसआर कांग्रेस, इंडिपेंडेंट्स, एसपी-बीएसपी-आरएलडी गठबंधन शामिल है.

2019 के लोकसभा चुनावों में अब बस कुछ ही हफ्ते शेष हैं. केंद्र की सत्तारूढ़ बीजेपी यहां एक और बार मोदी सरकार के नारे के साथ मैदान में उतर रही है, वहीं कांग्रेस अपने सहयोगी दलों के साथ अपने पुराने दिनों की वापसी की उम्मीद में खम ठोंके हुए है. इसके अलावा ऐसे दल भी हैं जो न तो एनडीए में शामिल होना चाहते हैं और न यूपीए में. ये दल जनता को तीसरा विकल्प देने के नाम पर एकजुट हो रहे हैं. हालांकि एनडीए हो या यूपीए अथवा तीसरा विकल्प. पूरे भारत में इनमें से किसी की भी पकड़ एक समान नहीं है. अगर दक्षिण भारत की ही बात करें तो यूपीए का डंका बजने की ज्यादा उम्मीद है. कम से कम आजतक के कार्वी इनसाइट्स के साथ किए गए सर्वे देश का मिजाज में तो कुछ ऐसे ही नतीजे सामने आ रहे हैं.

दक्षिण भारत यानी आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना का अनुमानित वोट शेयर देखें तो केंद्र की सत्ता पर काबिज बीजेपी के नेतृत्व वाला एनडीए यहां पिछड़ता दिख रहा है. दक्षिण के वोट शेयर में एनडीए को महज 18 फीसदी वोट मिलते दिख रहे हैं. यहां वोट शेयर का सबसे ज्यादा हिस्सा यूपीए हड़प रहा है. यूपीए को देश के दक्षिणी हिस्से के 43 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है. हालांकि वोट शेयर के मामले में अन्य दल भी ज्यादा पीछे नहीं हैं. उन्हें दक्षिण भारत के 39 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है.

वोट शेयर के हिसाब से देखें तो दक्षिण भारत में यूपीए और अन्य दलों की टक्कर होनी है लेकिन वोट शेयर इस मामले में पूरी कहानी नहीं कहता. इसी वोट शेयर को जब सीटों में बदला जाता है तो असली तस्वीर साफ होती है. इस तस्वीर के मुताबिक 2019 में यूपीए को दक्षिण भारत से 78 सीटें मिल सकती हैं. अन्य दलों को यहां 30 सीटें मिलने का अनुमान है तो एनडीए को महज 26 सीटों से संतोष करना पड़ सकता है.  

यहां राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए में जो दल शामिल हैं उनमें बीजेपी, ऑल इंडिया एन रंगास्वामी कांग्रेस, अपना दल, बोडो पीपुल्स फ्रंट, डीएमडीए, जनता दल यूनाइटेड, एलजेपी, नागा पीपुल्स फ्रंट, पीएमके, नेशनल पीपुल्स पार्टी, आरपीआई(ए), शिरोमणि अकाली दल, सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट, शिवसेना

इसी तरह यूपीए में कांग्रेस के अलावा डीएमके, जनता दल सेक्युलर, नेशनल कॉन्फ्रेंस, झारखंड मुक्ति मोर्चा, केरल कांग्रेस (मणि), आईयूएमएल, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, आरजेडी, आरएलडी, टीडीपी शामिल हैं.

अन्य दलों में आम आदमी पार्टी, असम गण परिषद, अन्नाद्रमुक, फॉरवर्ड ब्लॉक, तृणमूल कांग्रेस, एआईयूडीएफ, बीजू जनता दल, सीपीआई, सीपीआई-एम, इनेलो, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, केरल कांग्रेस(जोसेफ), एमएनएस, एनएलपी, आरएसपी, टीआरएस, वायएसआर कांग्रेस, इंडिपेंडेंट्स, सपा-बसपा-आरएलडी गठबंधन शामिल है.

NDA में कौनसी-कौनसी पार्टियां हैं?
सत्तारूढ़ एनडीए में बीजेपी, शिवसेना, अकाली दल, जद(यू), मिजो नेशनल फ्रंट, अपना दल, सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट, रामविलास पासवान की लोजपा, मेघालय की एनपीपी, पुदुचेरी की आईएनआरसी, नागालैंड की पीएमके और एनडीपीपी शामिल हैं.

यूपीए में कौनसी-कौन सी पार्टियां हैं?
यूपीए में कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, डीएमके, टीडीपी, शरद पवार की एनसीपी, जेडीएस, नेशनल कॉन्फ्रेंस, आरएलएसपी, जेएमएम, आईयूएमएल, केरल कांग्रेस (मैनी) और आरएलएसपी शामिल हैं.

महागठबंधन में कौनसी-कौनसी पार्टियां शामिल हैं?
महागठबंधन में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी, मायावती की बहुजन समाज पार्टी और अजीत सिंह की आरएलडी शामिल है.

अन्य में में कौनसी-कौनसी पार्टियां हैं?
एआईएडीएमके, टीएमसी, तेलंगाना राष्ट्र समिति, बीजू जनता दल, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी, लेफ्ट फ्रंट, पीडीपी, एआईयूडीएफ, एआईएमआईएम, आईएनएलडी, आम आदमी पार्टी, जेवीएम(पी), एएमएमके और निर्दलीय सांसद.


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