7 मई -सूर्य और चन्द्रमा अपने उच्च प्रभाव में होगे; अक्षय तृतीया का सुंदर अद्‍भुत संयोग

अक्षय का अर्थ होता है, जिसका क्षय नहीं हो अर्थात जिसका फल नष्ट न हो। अर्थात् अक्षय तृतीया पर किए जाने वाले कार्य, दान, पुण्य व्यर्थ नहीं रहते। त्रेता युग का आरंभ भी इसी दिन से माना जाता है। हर वर्ष वैसाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि में जब सूर्य और चन्द्रमा अपने उच्च प्रभाव में होते हैं, और जब उनका तेज सर्वोच्च होता है, उस तिथि को हिन्दू पंचांग के अनुसार अत्यंत शुभ माना जाता है| और इस शुभ तिथि को कहा जाता है ‘अक्षय तृतीया’ अथवा ‘आखा तीज’| हिमालयायूके न्‍यूज पोर्टल केे लिए चन्‍द्रशेेेेखर जोशी की विशेष प्रस्‍तुति-

इस वर्ष यह शुभ तिथि 7 मई को मनाई जाएगी| मान्यता है कि इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं, उनका सुखद परिणाम मिलता है|  अक्षय तृतीया का सुंदर अद्‍भुत संयोग पूरे 1 दशक बाद बन रहा है। इससे पूर्व वर्ष 2003 में 5 ग्रहों का ऐसा योग बना था। वर्ष 2019 में एक बार फिर ऐसा संयोग बनेगा, जब 4 ग्रह अपनी उच्च राशि में गोचर करेंगे।  अक्षय तृतीया के दिन विवाह, गृह निर्माण, गृह प्रवेश, देव प्रतिष्ठा, व्यापार आरंभ, मुंडन संस्कार आदि का शुभ मुहूर्त है। इसके अलावा व्यापार के लिए भी यह दिन विशेष रहेगा।

वैशाख महीने का वैसे ही काफी महत्व है। इस महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि तो अत्यंत ही शुभकारी और सौभाग्यशाली मानी गई है। इस तिथि को अक्षय तृतीया के रूप में जाना जाता है। यह एक अबूझ मुहूर्त है। इस दिन आप बिना किसी सोच-विचार के किसी भी शुभ कार्य को कर सकते हैं। इस साल यानी वर्ष 2019 में मंगलवार 7 मई को देशभर में अक्षय तृतीया का त्योहार मनाया जाएगा। खास बात यह है कि इस दिन करीब एक दशक बाद चार ग्रहों का विशेष संयोग भी बन रहा है, जो आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। 

अक्षय तृतीया से कई मान्यताएं, और कहानियां भी जुड़ी हैं। इसे भगवान परशुराम जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। इतना ही नहीं इस दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम के अलावा विष्णु के नर और नारायण अवतार के भी इसी दिन होने की मान्यता है। यही नहीं, त्रेता युग का आरंभ भी इसी तिथि से होने की मान्यता जुड़ी हुई है। मान्यता है कि इस तिथि को उपवास और स्नान दान करने से अनंत फल की प्राप्ति होती है। इस व्रत का फल न कभी कम होता है और न नष्ट होता है, इसलिए इसे अक्षय (कभी न नष्ट होने वाला) तृतीया कहा जाता है। इस दिन किए गए कर्म अक्षय हो जाते हैं।  इस दिन शुभ कर्म ही करने चाहिए।

खास बात यह है कि इस साल यानी 2019  में अक्षय तृतीया का अद्भुत संयोग बन रहा है। ऐसा पूरे एक दशक बाद हो रहा है। इससे पूर्व वर्ष 2003 में 5 ग्रहों का ऐसा योग बना था और अब वर्ष 2019 में एक बार फिर ऐसा संयोग बनेगा, जब 4 ग्रह सूर्य, शुक्र, चंद्र और राहु अपनी उच्च राशि में गोचर करेंगे। कुल मिलाकर देखा जाए तो मानव जीवन पर इनका प्रभाव बेहतर होगा। हालांकि अापकी कुंडली के हिसाब से ग्रहों के प्रभाव अलग-अलग हो सकते हैं। 

अक्षय तृतीया के दिन धन प्राप्ति आदि के लिए लोग कई टोटके और उपाय आजमाते हैं। हम यहां कुछ उपाय बता रहे हैं, 

– अक्षय तृतीया के दिन सोने-चांदी की चीजें खरीदने का विधान है। आप भी बरकत चाहते हैं इस दिन सोने या चांदी की लक्ष्मी की चरण पादुका लाकर घर में रखें और इसकी नियमित पूजा करें।

– अक्षय तृतीया के दिन 11 कौड़ियों को लाल कपडे में बांधकर पूजा स्थान में रखने से देवी लक्ष्मी आकर्षित होती हैं। देवी लक्ष्मी के समान ही कौड़ियां भी समुद्र से उत्पन्न हुई हैं।

– अक्षय तृतीया के दिन केसर और हल्दी से देवी लक्ष्मी की पूजा करने से आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं। 

– अक्षय तृतीया के दिन घर के पूजा स्थल पर एकाक्षी नारियल स्थापित करने से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

– इस दिन पितरों की प्रसन्नता और उनकी कृपा प्राप्ति के लिए जल कलश, पंखा, खड़ाऊं, छाता, सत्तू, ककड़ी, खरबूजा, फल, शक्कर, घी आदि ब्राह्मण को दान करने चाहिए। 

– इस दिन गौ,  भूमि, तिल, स्वर्ण, घी, वस्त्र, धान्य, गुड़, चांदी, नमक, शहद और कन्या यह बारह दाक्लिकन का महत्व है।

– सेवक को दिया गया दान एक चौथाई फल देता है।

– कन्या दान इन सभी दानों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण है इसीलिए इस दिन लोग शादी विवाह का विशेष आयोजन करते हैं। 

अक्षय तृतीया पर्व तिथि व मुहूर्त 2019

मंगलवार 7 मई

अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त – 06:40 से 12:26 बजे तक

अवधि – 6 घंटे 

तृतीया तिथि प्रारंभ – 7 मई 2019 को 00:47  बजे से

सोना खरीदने के लिए शुभ मुहूर्त 

7 मई मंगलवार को – 06.26 बजे से 23:47 बजे तक

भारत में धर्म, जाति, भाषा, क्षेत्र के अनुसार सांस्कृतिक विभिन्नताएं मिलती हैं। हर धर्म, हर क्षेत्र में कुछ खास त्यौहार प्रचलित होते हैं। इन्हीं त्यौहारों के जरिये उस धर्म या उस क्षेत्र की संस्कृति को समझ सकते हैं। दिवाली, ईद, क्रिसमस आदि त्यौहार उदाहरण के रूप में लिये जा सकते हैं। लेकिन इन बड़े त्यौहारों के अलावा भी कुछ विशेष दिन होते हैं जिन्हें अपनी-अपनी धार्मिक सांस्कृतिक मान्यताओं द्वारा सौभाग्यशाली माना जाता है। हिंदूओं में लगभग वर्ष के हर मास में कोई न कोई व्रत व त्यौहार अवश्य मिलता है। चाहे वह दिन यानि वार विशेष का उपवास हो या फिर तिथि विशेष का। हर व्रत त्यौहार के पिछे मानव कल्याण के संदेश देती पौराणिक कथाएं भी होती है। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि एक ऐसी ही तिथि है जिसे बहुत ही सौभाग्यशाली माना जाता है।

अक्षय तृतीया से जुड़ी मान्यताएं

इस तिथि को अक्षय तृतीया कहा जाता है। अक्षय तृतीया के पिछे बहुत सारी मान्यताएं, बहुत सारी कहानियां भी जुड़ी हैं। इसे भगवान परशुराम जयंती के जन्मदिन यानि परशुराम जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम के अलावा विष्णु के अवतार नर व नारायण के अवतरित होने की मान्यता भी इसी दिन से जुड़ी है। यह भी मान्यता है कि त्रेता युग का आरंभ इसी तिथि से हुआ था।

मान्यता के अनुसार इस तिथि को उपवास रखने, स्नान दान करने से अनंत फल की प्राप्ति होती है। यानि व्रती को कभी भी किसी चीज़ का अभाव नहीं होता, उसके भंडार हमेशा भरे रहते हैं। चूंकि इस व्रत का फल कभी कम न होने वाला, न घटने वाला, कभी नष्ट न होने वाला होता है इसलिये इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है।

अक्षय तृतीया सर्वसिद्ध अबूझ मुहूर्त तिथि

मांगलिक कार्यों के लिये इस तिथि को बहुत ही शुभ माना जाता है। एक और जहां मांगलिक कार्यों को करने के लिये अक्षर शुभ घड़ी व शुभ मुहूर्त जानने के लिये पंडित जी से सलाह लेनी पड़ती है वहीं अक्षय तृतीया एक ऐसी सर्वसिद्धि देने वाली तिथि मानी जाती है जिसमें किसी भी मुहूर्त को दिखाने की आवश्यकता नहीं पड़ती। इस तिथि को अबूझ मुहूर्तों में शामिल किया जाता है। इस दिन सोना खरीदने की परंपरा भी है। मान्यता है कि ऐसा करने से समृद्धि आती है। मान्यता यह भी है कि अपनी नेक कमाई में से कुछ न कुछ दान इस दिन जरुर करना चाहिये।

अक्षय तृतीया महत्त्व

पारंपरिक रूप से यह तिथि भगवान विष्णु के छठे अवतार श्री परशुराम की जन्मतिथि होती है| इस तिथि के साथ पुराणों की अहम वृत्तांत जुड़े हुए हैं, जैसे –

सतयुग और त्रेतायुग का प्रारंभ

भगवान विष्णु के अवतार नर-नारायण और हयग्रीव का अवतरण

ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का आविर्भाव अर्थार्त उदीयमान

वेद व्यास एवं श्रीगणेश द्वारा महाभारत ग्रन्थ के लेखन का प्रारंभ

महाभारत के युद्ध का समापन

द्वापर युग का समापन

माँ गंगा का पृथ्वी में आगमन

भक्तों के लिए तीर्थस्थल श्री बद्रीनाथ के कपाट भी इसी तिथि से खोले जाते हैं

वृन्दावन के श्री बांके बिहारी जी मंदिर में सम्पूर्ण वर्ष में केवल एक बार, इसी तिथि में श्री विग्रह के चरणों के दर्शन होते हैं

अक्षय तृतीया एक ऐसी शुभ तिथि है जिसमें कोई भी शुभ कार्य हेतु, कोई नयी वस्तु खरीदने हेतु पंचांग देखकर शुभ मुहूर्त निकालने की आवश्यकता नहीं पड़ती| विवाह, गृह-प्रवेश जैसे शुभ कार्य भी बिना पंचांग देखे इस तिथि में किये जा सकते हैं| इस दिन पितृ पक्ष में किये गए पिंडदान का अक्षय परिणाम भी मिलता है| अक्षय तृतीया में पूजा-पाठ और हवन इत्यादि भी अत्याधिक सुखद परिणाम देते हैं| यदि सच्चे मन से प्रभु से जाने-अनजाने में किए गया अपराधों के लिए क्षमा-याचना की जाए तो प्रभु अपने भक्तों को क्षमा कर देते हैं और उन्हें सत्य, धर्म और न्याय की राह में चलने की शक्ति प्रदान करते हैं|

अक्षय तृतीया व्रत एवं पूजा विधि

अक्षय तृतीया सर्वसिद्ध मुहूर्तों में से एक मुहूर्त है| इस दिन भक्तजन भगवान विष्णु की आराधना में विलीन होते हैं| स्त्रियाँ अपने और परिवार की समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं| ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान करके श्री विष्णुजी और माँ लक्ष्मी की प्रतिमा पर अक्षत चढ़ाना चाहिए| शांत चित्त से उनकी श्वेत कमल के पुष्प या श्वेत गुलाब, धुप-अगरबत्ती एवं चन्दन इत्यादि से पूजा अर्चना करनी चाहिए| नैवेद्य के रूप में जौ, गेंहू, या सत्तू, ककड़ी, चने की दाल आदि का चढ़ावा करें| इसी दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें| साथ ही फल-फूल, बर्तन, वस्त्र, गौ, भूमि, जल से भरे घड़े, कुल्हड़, पंखे, खड़ाऊं, चावल, नमक, घी, खरबूजा, चीनी, साग, आदि दान करना पुण्यकारी माना जाता है|

अक्षय तृतीया के प्रमुख पौराणिक कथाएँ

एक पौराणिक कथा के अनुसार महाभारत के काल में जब पांडव वनवास में थे, तब एक दिन श्रीकृष्ण जो स्वयं भगवान विष्णु के अवतार है, ने उन्हें एक अक्षय पात्र उपहार स्वरुप दिया था| यह ऐसा पात्र था जो कभी भी खाली नहीं होता था और जिसके सहारे पांडवों को कभी भी भोजन की चिंता नहीं हुई और मांग करने पर इस पात्र से असीमित भोजन प्रकट होता था|

श्रीकृष्ण से सम्बंधित एक और कथा अक्षय तृतीया के सन्दर्भ में प्रचलित है| कथानुसार श्रीकृष्ण के बालपन के मित्र सुदामा इसी दिन श्रीकृष्ण के द्वार उनसे अपने परिवार के लिए आर्थिक सहायता मांगने गए था| भेंट के रूप में सुदामा के पास केवल एक मुट्ठीभर पोहा ही था| श्रीकृष्ण से मिलने के उपरान्त अपना भेंट उन्हें देने में सुदामा को संकोच हो रहा था किन्तु भगवान कृष्ण ने मुट्ठीभर पोहा सुदामा के हाथ से लिया और बड़े ही चाव से खाया| चूंकि सुदाम श्रीकृष्ण के अतिथि थे, श्रीकृष्ण ने उनका भव्य रूप से आदर-सत्कार किया| ऐसे सत्कार से सुदामा बहुत ही प्रसन्न हुए किन्तु आर्थिक सहायता के लिए श्रीकृष्ण ने कुछ भी कहना उन्होंने उचित नहीं समझा और वह बिना कुछ बोले अपने घर के लिए निकल पड़े| जब सुदामा अपने घर पहुंचें तो दंग रह गए| उनके टूटे-फूटे झोपड़े के स्थान पर एक भव्य महल था और उनकी गरीब पत्नी और बच्चें नए वस्त्राभूषण से सुसज्जित थे| सुदामा को यह समझते विलंब ना हुआ कि यह उनके मित्र और विष्णुःअवतार श्रीकृष्ण का ही आशीर्वाद है| यहीं कारण है कि अक्षय तृतीया को धन-संपत्ति की लाभ प्राप्ति से भी जोड़ा जाता है।

अक्षय तृतीया के अवसर पर हम आपको कुछ टोटकों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें करने से आपके घर में मां लक्ष्मी हमेशा विराजमान रहती हैं और आपको किसी भी तरह की आर्थिक परेशानी नहीं होती है।

अक्षय तृतीया पर आजमाएं ये टोटके, आर्थिक तंगी होगी दूर

वैसे तो ज्यादातर लोग अक्षय तृतीया के दिन सोने की कोई न कोई वस्तु खरीदते ही हैं लेकिन इस दिन सोने की मां लक्ष्मी की चरण पादुका घर खरीदकर लाएं और इसकी विधि विधान से पूजा करने से आपके घर में कभी धन की कमी नहीं होगी।

माना जाता है कि कौड़ियों की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई थी, जो मां लक्ष्मी को बेहद पसंद है। अक्षय तृतीया के दिन ग्यारह कौड़ियों को लाल कपड़े में बांधकर देवी के चरणों में रखने से मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है।

अक्षय तृतीया के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करते समय इनके माथे पर केसर और हल्दी का तिलक लगाएं। ऐसा करने से मां लक्ष्मी का वास हमेशा आपके घर में बना रहता है।

वैसे तो सभी प्रकार की पूजा में नारियल रखना शुभ होता है लेकिन अक्षय तृतीया के दिन मां लक्ष्मी के चरणों में एकाक्षी नारियल रखने से मां हमेशा प्रसन्न रहती हैं और कृपा बरसाती हैं।

अक्षय तृतीया के दिन शक्कर, खरबूजा, तिल, घी, वस्त्र, चांदी, नमक सहित अन्य वस्तुएं ब्राह्मणों को दान करने से मन शांत रहता है और धन की चिंता नहीं सताती है।

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