पार्टी-संगठन से दूरी बढने के कारण मुख्‍यमंत्री पद नही बच पाया

MODI & ANAND B PATELहरीश रावत जी के लिए गौरतलब है गुजरात की घटना- एक्‍सक्‍लूसिव- पार्टी संगठन से दूरी बढने के कारण हाईकमान भी नही बचा पाया- मुख्‍यमंत्री का पद-

गुजरात के मुख्‍यमंत्री आननंदी बेन के मुख्‍यमंत्री पद गंवाने का मुख्‍य कारण-पार्टी संगठन से दूरी तथा कैबिनेट के साथियो से बढता मनमुटाव तथा दूरी लगातार बढने के कारण उन्‍हें मोदी का समर्थन भी नही बचा पाया- वही
उत्‍तराखण्‍ड के मुख्‍यमंत्री हरीश रावत को गुजरात के मुख्‍यमंत्री के पद से हटाये जाने के मामले को गौर करना चाहिए- पार्टी संगठन से दूरी बनने के कारण गुजरात के मुख्‍यमंत्री का पद चला गया, मोदी ने उनको अपनी गददी दी थी, तथा मोदी का प्रबल समर्थन था, परन्‍तु संगठन से दूरी बनने के कारण मोदी का समर्थन भी आनंदी बेन पटेल को बचा नही पाया- कमोबेश यही स्‍थिति उत्‍तराखण्‍ड में भी बन रही है- सरकार तथा संगठन में दूरी लगातार बढती जा रही है, वही हरीश रावत को कांग्रेस हाईकमान का प्रबल समर्थन है, परन्‍तु प्रदेश संगठन से दूरी हरीश रावत के लिए भविष्‍य में भारी पड सकती है, सोनिया गॉधी का समर्थन भी उन्‍हें पाटी के कामों पर पकड नही दे पायेगा, इस बारे में विस्‍तार से अलग से आलेख –

हिमालयायूके के इस प्रस्‍तुत आलेख के अनुसार-
मोदी ने पीएम बनने के बाद आनंदी बेन को चुना था लेकिन पटेल आंदोलन के बाद पार्टी संगठन ने उन्‍हें अलग थलग कर दिया। यहां तक कि मोदी का समर्थन भी उन्‍हें पार्टी के कामों पर पकड़ नहीं दे पाया। बताया जाता है कि कैबिनेट के ही कुछ साथियों ने उनके खिलाफ काम किया। सूत्रों का कहना है कि उन्‍होंने अपने एक समर्थक को बताया था कि पटेल आंदोलन शुरू होने पर पार्टी संगठन ने उनका साथ नहीं दिया। उनका मानना था कि पार्टी कैडर और नेताओं ने अध्‍यक्ष अमित शाह के आदेश माने।
गुजरात की मुख्‍यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने जब पार्टी नेतृत्‍व को अपना इस्‍तीफा भेजा तब वह गुस्‍से में और दुखी थी। सूत्रों के अनुसार दो महीने पहले ही तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका इस्‍तीफा नामंजूर किया था। यह दर्शाता है कि आनंदीबेन राज्‍य की राजनीति पर अपनी पकड़ गंवा रही थी और उनके आसपास का माहौल तेजी से बिगड़ रहा था। पार्टी के आला नेताओं को उनके इस्‍तीफे से आश्‍चर्य नहीं हुआ।
गुजरात में अगले साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं और कांग्रेस गुजरात के पंचायत चुनावों में ग्रामीण इलाकों में उसके अच्छे प्रदर्शन से उत्साहित है.पार्टी पिछले दो दशकों से गुजरात में सत्ता से बाहर है. राज्य में पाटीदार समुदाय आरक्षण की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहा है और मृत गाय की खाल निकालने के मामले को लेकर उना में लोगों के समूह ने दलित समुदाय के सात लोगों पर हमला किया था जिसके बाद दलित वहां प्रदर्शन कर रहे हैं। कांग्रेस के गुजरात मामलों के महासचिव गुरूदास कामत ने कहा कि अगर आनंदीबेन को किसी राज्य का राज्यपाल बनाया जाता है या केंद्रीय कैबिनेट में जगह दी जाती है तो यह दलितों और पाटीदार समुदाय के लोगों के जख्मों पर नमक छिड़कने के बराबर होगा.
क्या वाकई बीजेपी में 75 साल का कोई बेंच मार्क बन गया है, जिसके कारण मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक को पद छोड़ना पड़ रहा है. वे नवंबर में 75 साल की हो रही हैं. लेकिन मोदी मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री कलराज मिश्र पिछले महीने 75 साल के हुए हैं. क्या वे भी इस्तीफा देने वाले हैं. 75 का यह बेंचमार्क सबके लिए है या परिस्थिति के अनुसार है.

नंदीबेन पटेल के गुजरात के मुख्यमंत्री पद से हटने संबंधी फैसला लेने के एक दिन बाद राहुल गांधी ने आज कहा कि किसी को ‘बलि का बकरा’ बना देने से भाजपा स्वयं को राज्य में नहीं बचा पाएगी क्योंकि राज्य के ‘जलने’ के लिए नरेंद्र मोदी का 13 साल का शासन जिम्मेदार है.
गांधी ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर कहा, ‘‘गुजरात के जलने के लिए आनंदीबेन का दो साल का शासन नहीं, बल्कि मोदी शासन के 13 साल जिम्मेदार हैं।’’ गुजरात की मुख्यमंत्री ने पद से हटने का फैसला लेते हुए कल कहा था कि अब समय आ गया है कि नया नेतृत्व जिम्मेदारी संभाले क्योंकि वह जल्द ही 75 वर्ष की होने जा रही हैं.

गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने आनंदीबेन के इस्तीफ़े के बाद कहा कि अब पार्टी का संसदीय बोर्ड अगला कदम तय करेगा. हालांकि ये बात सामने है कि आनंदी बेन पर नाकामी के आरोप लगे हैं, लेकिन वो 75 साल की एज लिमिट को अपनी वजह बता रही हैं.
इस्तीफा लिखकर फैक्स करने की बात तो हम सब सुनते रहे हैं मगर यह भारतीय राजनीति का पहला इस्तीफा है जो स्टेटस अपडेट की शक्ल में आया है। गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन ने फेसबुक पर अपने इस्तीफे का लंबा सा पोस्ट लिखा तो दो घंटे के भीतर 3400 से ज्यादा लाइक मिल गए और 1163 शेयर हो गए। दो घंटे में 896 कमेंट आ गए।
गुजरात सरकार के उत्तराधिकारी का नाम तय करने के लिए बीजेपी संसदीय बोर्ड की आज बैठक होने जा रही है.इस बैठक में गुजरात के नए मुख्यमंत्री के नाम पर फैसला हो सकता है.यह बैठक गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल के इस्तीफे देने के फैसले के बाद हो रही है.

माना जा रहा है कि गुजरात के मुख्यमंत्री की रेस में नितिन पटेल सबसे आगे हैं.वहीं गुजरात के बीजेपी अध्यक्ष विजय रुपानी का नाम भी रेस में है, क्योंकि विजय रुपानी की संगठन में पकड़ अच्छी है हालांकि नए मुख्यमंत्री के नाम का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे.कल आनंदीबेन पटेल ने इस्तीफा देने का ऐलान किया था.

गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने आनंदीबेन का इस्तीफा मिलने की पुष्टि की है.वहीं आनंदीबेन ने पार्टी नेतृत्व से कहा है कि नवंबर में वह 75 साल की हो जाएंगी, ऐसे में दो महीने पहले ही उन्हें जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया जाए.आनंदीबेन के इस्तीफे के फ़ैसले से साफ़ है कि गुजरात की सड़कों पर उमड़े दलितों के गुस्से और पटेल आंदोलन से निपटने में नाकामी का वह शिकार हुई हैं. भारत की राजनीति में पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने अपना इस्तीफा सोशल मीडिया पर स्टेट्स डाला है.

सीएम पद के दावेदार
आनंदीबेन ने तो इस्तीफ़ा दे दिया है, लेकिन अब सवाल यह है कि वह जाएंगी तो उनकी जगह कौन लेगा.सूत्रों की माने तो दो नाम सबसे आगे बताए जा रहे हैं एक हैं विजय रुपानी और दूसरे हैं नितिन पटेल।
तो सबसे पहले आपको बताते हैं कि आखिर नितिन पटेल कौन हैं..
नितिन पटेल का उत्तरी गुजरात में जनाधार है
पटेल समाज में उनकी अच्छी पकड़ है
पटेल आंदोलन के दौरान उन्होंने सरकार की ओर से बातचीत में अहम भूमिका निभाई
उनकी छवि ज़मीन से जुड़े नेता की है
नितिन पटेल पीएम नरेंद्र मोदी के क़रीबी हैं

वहीं अब बात करते हैं विजय रुपानी की
विजय रुपानी साफ़ सुथरी छवि के नेता हैं
वह अमित शाह के क़रीबी हैं
सौराष्ट में रुपानी की अच्छी पकड़ है
सबसे समन्वय बनाकर चलते हैं
जैन हैं इसलिए उन पर पटेल, दलित विवाद का दबाव कम होगा
गुजरात बीजेपी के अध्यक्ष होने के साथ-साथ गुजरात सरकार में ट्रांसपोर्ट मंत्री भी हैं
आलाकमान ने उन्हें ‘एक व्यक्ति एक पद’ से छूट दी है

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