भाजपा के संकल्प पत्र में अनुच्छेद 370 और 35 ए हटाने का जिक्र ; सत्ता में इतने दिन तक रहने के बावजूद कुछ नहीं किया

 बीजेपी ने राष्ट्रवाद का हव्वा खड़ा करने की कोशिश में बार-बार यह कहा है कि वह धारा 370 और अनुच्छेद 35-ए को ख़त्म कर देगी। दिलचस्प बात यह भी है कि सत्ता में इतने दिन तक रहने के बावजूद इस मुद्दे पर बीजेपी ने कुछ नहीं किया, पर चुनाव के थोड़ा पहले इस पर आक्रामक हो गई। Himalayauk Bureau

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने एक बार फिर देश विरोधी बयान दिया है. भाजपा के संकल्प पत्र में अनुच्छेद 370 और 35 ए हटाने के जिक्र पर महबूबा मुफ्ती ने देशद्रोही बयान दिया है. महबूबा ने ट्वीट कर कहा कि  BJP अनुच्छेद 370 हटाने की बात कर रही है. अगर ऐसा हुआ तो हम स्वत: ही चुनाव लड़ने के अधिकार से वंचित हो जाएंगे, क्योंकि तब भारतीय संविधान जम्मू-कश्मीर पर लागू ही नहीं होगा. इसके बाद महबूबा ने धमकी भरे अंदाज में लिखा कि ना समझोगे तो मिट जाओगे ऐ हिन्दुस्तान वालो. तुम्हारी दास्तान तक भी ना होगी दास्तानों में.

महबूबा ने ये ट्वीट दिल्ली हाईकोर्ट में फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को लोकसभा चुनाव लड़ने से बैन करने के लिए डाली गई पीआईएल के संदर्भ में कहा है.

राष्ट्रवाद के अपने अजेंडे को चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश में भारतीय जनता पार्टी ने जिस तरह इसे अपने संकल्प पत्र में शामिल किया है, उससे इस मुद्दे पर एक नई और तीखी बहस छिड़ गई है। हालाँकि यह मुद्दा पूरे भारत के लिए बेहद संवेदनशील है, पर जम्मू-कश्मीर के लिए कुछ ज़्यादा भावनात्मक है। बीजेपी के संकल्प पत्र में इसे ख़त्म करने की कोशिश का एलान करने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने कहा कि यदि ऐसा हुआ तो जम्मू-कश्मीर का भारत मे ंविलय का प्रावधान भी ख़त्म हो जाएगा और राज्य आज़ाद हो जाएगा।  अब्दुल्ला ने बीजेपी पर पलटवार करते हुए ट्वीट किया। उन्होंने कहा, ‘हाल ही में जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल ने कहा कि धारा 370 और धारा 35-ए को कोई ख़तरा नहीं है और मेरी जैसी छोटी पर्टियाँ चुनाव के डर से इस तरह की बातें करती हैं। मुझे उम्मीद है कि बीजेपी के उनके सहकर्मी उन्हें पार्टी के चुनाव घोषणापत्र की एक कॉपी भेज देंगे।’

सोमवार को ही बीजेपी के संकल्प पत्र जारी किए जाने के बाद एक चुनावी सभा में अब्दुल्ला ने कहा, ‘वे लोग धारा 370 को ख़त्म करने की बात कर रहे हैं। यदि उन्होंने ऐसा कर दिया तो भारत में जम्मू-कश्मीर के विलय का प्रावधान भी नहीं रहेगा। ख़ुदाकसम, यह अल्लाह की मर्ज़ी है। हम आज़ाद हो जाएँगे।’  

गुस्साए अब्दुल्ला ने चुनौती देने के अंदाज़ में कहा, ‘मैं देखता हूँ, वे ऐसा कैसे करते हैं। वे दिलों को जोड़ने की नहीं, तोड़ने की बात करते हैं।’ इसके बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस के इस नेता ने कहा कि कुछ चीजों लाख कोशिशें करके भी नहीं की जा सकती हैं।

बीजेपी के संकल्प पत्र में धारा 370 और 35-ए को ख़त्म करने की बात शामिल किए जाने से फ़ारूक़ अब्दुल्ला ही गुस्से में नहीं हैं। राज्य की राजनीति में उनकी धुर विरोधी और बीजेपी की मदद से जम्मू-कश्मीर में साझा सरकार चला चुकी महबूबा मुफ़्ती ने भी इस पर बीजेपी की जम कर आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि पहले से ही जम्मू-कश्मीर बारूद की ढेर पर बैठा हुआ है। ऐसे में इस फ़ैसले से जम्मू-कश्मीर ही नहीं, पूरे देश में आग लग जाएगी। 

जम्मू के आरएसपुरा में एक रैली को संबोधित करते हुए गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि कश्मीर में आतंकवाद पर वे जीरो टॉलरेंस की नीति पर कायम हैं. उन्होंने कांग्रेस से सवाल किया कि वे भारत में दो पीएम की मांग करने वाली पार्टी को सपोर्ट करती है या नहीं. राजनाथ ने दोहराया कि आज अगर कोई जम्मू-कश्मीर के लिये अलग प्रधानमंत्री की बात करता है तो हमारे पास अनुच्छेद 370 और 35 ए को खत्म करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा.  

बीजेपी के संकल्प पत्र में कहा गया है कि पार्टी जनसंघ के समय से ही अनुच्छेद 370 के बारे में अपना दृष्टिकोण दोहराती रही है जो इसे समाप्त करने का रहा है. बीजेपी ने कहा कि हम 35ए को भी खत्म करने के लिये प्रतिबद्ध हैं. हमारा मानना है कि 35ए जम्मू-कश्मीर के गैर स्थायी निवासियों और महिलाओं के खिलाफ भेदभावपूर्ण है. यह धारा जम्मू-कश्मीर के विकास में भी बाधा है. वहीं कांग्रेस के घोषणापत्र में इस मुद्दे पर यथास्थिति बनाने रखने की बात कही गई है.

अनुच्छेद 370 पर आंच आते देख जम्मू-कश्मीर के दो प्रमुख राजनीतिक दल पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस एक होकर इसका लगातार विरोध कर रहे हैं. नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूख अब्दुल्ला भी विरोध दर्ज कराते रहे हैं.

क्या है धारा 370?

प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने जम्मू-कश्मीर की स्वायत्तता से जुड़े मुद्दे को भारतीय संविधान में शामिल करने के लिए डॉ भीमराव आंबेडकर से एक मसौदा तैयार करने को कहा। उन्होंने बाद में यह काम गोपालस्वामी आयंगर को सौंपा। आयंगर ने जो मसौदा पेश किया, उसे ही धारा 370 कहा गया। इस धारा में प्रावधान थे कि:

जम्मू-कश्मीर को भारतीय संविधान मानने से छूट दी गई। 

उसे अपना अलग संविधान रखने की इजाज़त दी गई।

राज्य के लिए क़ानून बनाने के केंद्र के अधिकार को सीमित कर दिया गया।

उस समय यह तय हुआ कि सिर्फ़ सुरक्षा, संचार और विदेश मामलों में केंद्र के नियम जम्मू-कश्मीर में लागू होंगे।

केंद्र के दूसरे संवैधानिक प्रावधान जम्मू-कश्मीर में सिर्फ़ राज्य की सहमति से ही लागू होंगे।

तमाम मुद्दों पर राज्य की सहमति सिर्फ़ तात्कालिक है, उन प्रावधानों को राज्य की संविधान सभा से पारित कराना होगा।

केंद्र के प्रावधानों पर सहमति देने का राज्य सरकार को अधिकार संविधान सभा के गठन तक ही रहेगा। राज्य संविधान सभा के गठन के बाद तमाम मुद्दों पर सहमति संविधान सभा ही देगी।

धारा 370 को ख़त्म करने या इसमें संशोधन करने का अधिकार सिर्फ़ जम्मू-कश्मीर संविधान सभा को ही होगा।

धारा 370 के तहत संविधान में जम्मू-कश्मीर को कुछ विशेष अधिकार दिए गए हैं। जम्मू-कश्मीर के राजा हरि सिंह ने भारत में राज्य के विलय के लिए जो क़रार किया, उसके तहत इस राज्य को ख़ास तरह की छूटें दी गई हैं। इन छूटों को संविधान का हिस्सा बनाने के लिए धारा 370 जोड़ी गई।

इसकी वजह साफ़ है। सत्तारूढ़ दल की कोशिश है कि वह उग्र राष्ट्रवाद का मुद्दा, जिसमें कश्मीर भी शामिल है, इतना तेज़ कर दे कि लोगों का ध्यान दूसरे मुद्दों से हट जाए। लोग सरकार से उसके कामकाज के बारे में नहीं पूछे, किसी तरह का हिसाब न माँगे। 

इसे इससे भी समझा जा सकता है कि जब बीजेपी ने 2016 में पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी से क़रार किया और उसके साथ मिल कर साझा सरकार बनाई, इसने पीडीपी को आश्वस्त किया था कि वह धारा 370 के मुद्दे को नहीं उठाएगी। उसने जम्मू-कश्मीर में दो साल सरकार चलाई और एक बार भी इस मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं की। लेकिन पीडीपी से समर्थन वापस लेकर उसकी सरकार गिराने के कुछ दिन बाद इसने इस मुद्दे को ठंडे बस्ते से फिर बाहर निकाल लिया

IFSC CODE: SBIN0003137 IFSC ACCOUNT NUMBER: 30023706551 IFSC ACCOUNT NAME: HIMALAYA GAURAV UTTARAKHAND

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *