Astrology 2020 ; 21 वीं सदी का 20वां साल राहु का है;लोकप्रिय व्यक्ति रहें सतर्क

HIGH LIGHT # Himalayauk Bureau # अगला 2020 वर्ष अंक ज्योतिष के अनुसार राहु के स्वामित्व वाला वर्ष है  # वर्ष 2020 में केतु का राशि परिवर्तन कर रहा है। # केतु 23 सितंबर 2020 को सुबह 08: 20 बजे गुरु की राशि धनु से मंगल की राशि वृश्चिक में जाएगा # केतु के इस राशि परिवर्तन का प्रभाव सभी राशियों पर प्रभाव पड़ेगा # वर्ष 2020 राहु का साल है अत: इस साल में केतु का राशि पर कैसा प्रभाव होगा  ##

2020 में गुरु के राशि परिवर्तन से 12 राशियों में से कुछ को बड़ा फायदा हो सकता है। ज्योतिष में गुरु शुभ ग्रह माना जाता है। साल 2020 में गुरु (बृहस्पति) 30 मार्च 2020 को अपनी राशि धनु से शनि की राशि मकर में प्रवेश करेंगे। एक निश्चित समय के बाद दोबारा 30 जून को वक्री होकर धनु राशि में आ जाएंगे और फिर 20 नवंबर को गुरु वापस मकर राशि में गतिशील रहेंगे। गुरु ज्ञान, धर्म-अध्यात्म और नैतिक कार्यों का कारक है। राशियों में इसे धनु और मीन राशियों का स्वामित्व प्राप्त है। इस परिवर्तन के चलते राशियों पर  प्रभाव होगा

वर्ष 2020 में शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या किस लग्न में जन्मे जातक को लाभ प्रदान करेगी एवं किस लग्न के जातक को पीड़ा देगी

लाल किताब के अनुसार राहु के देवी या देवता सरस्वती है। उसका नक्षत्र स्वामी आद्रा है। उसका रंग काला जबकि पेशा सेवा करना है। वह लोगों में सोचने की ताकत बढ़ाता है, डर पैदा करता है और शत्रुता बढ़ाता है। उसकी सिफत चालबाज, मक्कार, नीच और जालिम है। वह कल्पना शक्ति का स्वामी, पूर्वाभास तथा अदृश्य को देखने की शक्ति रखता है। मतलब यह कि वर्ष की कुंडली में राहु यदि खराब होगा तो देश में षड़यंत्र, चालबाजी और दहशत बढ़ेगी।

हमारे शरीर के भाग में ठोड़ी और सिर, पोशाक में पायजामा और पतलून राहु है। उसी तरह पशुओं में हाथी और कांटेदार जंगली चूहा है। वक्षों में नारियल का पेड़ और कुत्ता घास है। यदि रत्न की बात करें तो नीलम, सिक्का और गोमेद है। वह सूर्य, मंगल और चंद्र से शत्रुता रखता है जबकि बुध, शनि और केतु से मित्रता। गुरु और शुक्र से समभाव है। राहु यदि सूर्य के साथ हो तो सूर्य ग्रहण और चंद्र के साथ हो तो चंद्र का असर नाकाम कर देगा।

राहु जिस के भी सिर पर सवार होता है उसकी मौत अचानक होती है। कुंडली में यदि छठे या आठवें भाव में राहु है तो अन्य ग्रहों की स्थिति देखकर कहा जा सकता है कि इस व्यक्ति की मौत पलंग पर नहीं होगी। मतलब यह किसी बीमारी से नहीं मरेगा। मौत बिजली के जाने जैसी होगी।

यदि राहु अच्छा है तो व्यक्ति दौलतमंद होगा। कल्पना शक्ति तेज होगी। रहस्यमय या धार्मिक बातों में रुचि लेगा। राहु के अच्छा होने से व्यक्ति में श्रेष्ठ साहित्यकार, दार्शनिक, वैज्ञानिक या फिर रहस्यमय विद्याओं के गुणों का विकास होता है। इसका दूसरा पक्ष यह कि इसके अच्छा होने से राजयोग भी फलित हो सकता है। आमतौर पर पुलिस या प्रशासन में इसके लोग ज्यादा होते हैं।

यदि राहु खराब है तो व्यक्ति बेईमान या धोखेबाज होगा। ऐसे व्यक्ति की तरक्की की शर्त नहीं। राहु का खराब होना अर्थात दिमाग की खराबियां होंगी, व्यर्थ के दुश्मन पैदा होंगे, सिर में चोट लग सकती है। व्यक्ति मद्यपान या संभोग में ज्यादा रत रह सकता है। पुराणों के अनुसार राहु सूर्य से 10,000 योजन नीचे रहकर अंतरिक्ष में भ्रमणशील रहता है। कुण्डली में राहु-केतु परस्पर 6 राशि और 180 अंश की दूरी पर दृष्टिगोचर होते हैं जो सामान्यतः आमने-सामने की राशियों में स्थित प्रतीत होते हैं। इनकी दैनिक गति 3 कला और 11 विकला है। ज्योतिष के अनुसार 18 वर्ष 7 माह, 18 दिवस और 15 घटी, ये संपूर्ण राशियों में भ्रमण करने में लेते हैं।

राहु की दृष्टि 5, 9 और 7 होती है पर ये राहु के वक्री गति के कारण 9, 7, 5 भाव पर होती इसके अतिरिक्त राहु की एक विशेष दृष्टि 12 भाव पर होती जो कि कुंडली मे क्रमशः जहां राहु बैठा है उससे 2, 5, 7 और 9वें भाव पर पड़ती है। इस 12 दृष्टि जो कि पीछे देख पाने में सक्षम से ही राहु को विशिष्ठ माना जाता है। अपनी इन विशिष्ट दृष्टि की वजह से राहु कैसे भी सारे ज्ञान को प्राप्त करने के लिए प्रयासरत रहता है।

मेष लग्न- मेष लग्न में शनि दशमेश व लाभेश होते हैं। दशमेश व लाभेश होने के कारण मेष लग्न में जन्मे जातकों के लिए शनि शुभ फ़लदायक होते हैं। यदि मेष लग्न के जातकों की जन्मपत्रिका में शनि शुभ भावों में स्थित होकर अशुभ प्रभावों से मुक्त हों तो मेष लग्न के जातकों के लिए शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या लाभदायक होती है। शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या की अवधि में मेष लग्न के जातक अतीव सफ़लताएं अर्जित करते हैं। उन्हें कर्मक्षेत्र में विशेष लाभ होता है। इस अवधि में उन्हें धनलाभ होता है। उनकी पदोन्नति होती है। स्वास्थ्यअच्छा रहता है।

धनु लग्न- धनु लग्न में शनि द्वितीयेश व तृतीयेश होते हैं। द्वितीयेश व तृतीयेश होने के कारण धनु लग्न में जन्मे जातकों के लिए शनि अशुभ फ़लदायक होते हैं। धनु लग्न के जातकों के लिए शनि मारक भाव के स्वामी होने के कारण मारकेश भी होते हैं। यदि धनु लग्न के जातकों की जन्मपत्रिका में शनि शुभ भावों में स्थित हैं तो उनके लिए साढ़ेसाती व ढैय्या की अवधि बेहद कष्टकारक व पीड़ा देने वाली होती है। इस अवधि में उन्हें मृत्युतुल्य कष्ट होने की संभावना होती है। उनका संचित धन अचानक से व्यय हो जाता है। उन्हें आर्थिक हानि होती है। उनके नेत्रों में तकलीफ़ होती है। उनका पारिवारिक-जनों से विवाद होता है। इस अवधि में पारिवारिक विवाद के कारण उन्हें मानसिक अशान्ति होती है। उन्हें अपने घर व परिवार से अलगाव की संभावना होती है। नौकरीपेशा लोगों को इस अवधि में स्थानान्तरण का सामना करना पड़ता है।

मकर लग्न- मकर लग्न में शनि लग्नेश व द्वितीयेश होते हैं। लग्नेश व द्वितीयेश होने के कारण मकर लग्न में जन्मे जातकों के लिए शनि मिश्रित फ़लदायक होते हैं। मकर लग्न के जातकों के लिए शनि मारक भाव के स्वामी होने के कारण मारकेश भी होते हैं। किन्तु लग्नेश होने से शुभ भी होते हैं। मकर लग्न के जातकों के लिए शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या मिश्रित फ़लदायी होती है। साढ़ेसाती के पूर्व काल में उन्हें लाभ होता है। वे सफ़लताएं अर्जित करते हैं। उन्हें धन-धान्य की प्राप्ति होती है। उनके कार्य सफ़ल होते हैं। उनका स्वास्थ्य अच्छा रहता है। किन्तु साढ़ेसाती का उत्तरार्द्धकाल मकर लग्न के जातकों के लिए कष्टकारक होता है। उनके संचित धन की हानि होती है। उन्हें पारिवारिक विवाद के कारण मानसिक अशांति होती है। उनका अपने कुटुम्बियों से विवाद होता है। उनके नेत्रों में विकार उत्पन्न होता है। उन्हें अपने घर से दूर निवास करना पड़ सकता है। नौकरीपेशा व्यक्तियों का स्थानांतरण होने के संभावना होती है।

कुंभ लग्न- कुंभ लग्न में शनि व्ययेश व लग्नेश होते हैं। लग्नेश व द्वितीयेश होने के कारण कुंभ लग्न में जन्मे जातकों के लिए शनि मिश्रित फ़लदायक होते हैं। कुंभ लग्न के जातकों के लिए शनि लग्नेश होने से शुभ भी होते हैं। कुंभ लग्न में जातकों के लिए शनि की साढ़ेसाती अपेक्षाकृत शुभ होती है। कुंभ लग्न के जातकों को शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या के दौरान जीवन में लाभ व सफ़लताएं प्राप्त होती हैं। उन्हें उत्तम शैय्या सुख की प्राप्ति होती है। उनके कार्य व यात्राएं सफ़ल होती हैं। उन्हें विदेश यात्राओं के अवसर प्राप्त होते हैं। इस अवधि में उनका व्यय अधिक होता है। उन्हें कोर्ट-कचहरी के मामलों में विजय मिलती है।

मीन लग्न- मीन लग्न में शनि लाभेश व व्ययेश होते हैं। लाभेश व व्ययेश होने के कारण मीन लग्न के जातकों के लिए शनि शुभ होते हैं। यदि मीन लग्न के जातकों की जन्मपत्रिका में शनि शुभ भावों में स्थित होकर अशुभ प्रभावों से मुक्त हैं तो उनके लिए साढ़ेसाती व ढैय्या की अवधि बहुत लाभदायक सिद्ध होती है। इस अवधि में उन्हें अतीव धनलाभ होता है। उनकी आय में बढ़ोत्तरी होती है। उनका स्वास्थ्य अच्छा रहता है। उन्हें पदोन्नति के अवसर प्राप्त होते हैं। उन्हें कोर्ट-कचहरी के मामलों में लाभ होता है। इसके साथ ही उन्हें अनिद्रा के कारण थोड़ी परेशानी हो सकती है। उनका व्यय अधिक होता है। इस अवधि में वे भोग-विलास की सामग्री पर खूब व्यय करते हैं। इस अवधि में उन्हें उत्तम दाम्पत्य सुख की प्राप्ति होती है।

वृष लग्न- वृष लग्न में शनि नवमेश व दशमेश होते हैं। नवमेश व दशमेश होने के कारण वृष लग्न में जन्मे जातकों के लिए शनि शुभ फ़लदायक होते हैं। यदि वृष लग्न के जातकों की जन्मपत्रिका में शनि शुभ भावों में स्थित होकर अशुभ प्रभावों से मुक्त हों तो वृष लग्न के जातकों के लिए शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या लाभदायक होती है। शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या की अवधि में वृष लग्न के जातकों को भाग्य का खूब सहयोग प्राप्त होता है। इस अवधि में उन्हें कर्मक्षेत्र में सफ़लताएं प्राप्त होती हैं। बेरोजगारों को आजीविका की प्राप्ति होती है। नौकरीपेशा लोगों को पदोन्नति मिलती है। राज्य की ओर से सहयोग प्राप्त होता है। यश, मान एवं प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। सामाजिक यश प्राप्त होता है।

मिथुन लग्न- मिथुन लग्न में शनि अष्टमेश व नवमेश होते हैं। अष्टमेश व नवमेश होने के कारण मिथुन लग्न में जन्मे जातकों के लिए शनि सामान्य फ़लदायक होते हैं। यदि मिथुन लग्न के जातकों की जन्मपत्रिका में शनि शुभ भावों में स्थित होकर अशुभ प्रभावों से मुक्त हों तो मिथुन लग्न के जातकों के लिए शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या मिश्रित फ़लदायी होती है किन्तु यदि शनि की स्थिति अशुभ भावों में है तो साढ़ेसाती व ढैय्या की अवधि में मिथुन लग्न वाले जातकों को घोर व असहनीय कष्ट सहना पड़ता है। इस अवधि में दुर्घटनाओं के कारण उन्हें पीड़ा होती है। उनकी पैतृक सम्पत्ति की हानि हो सकती है किन्तु इस अवधि में उन्हें भाग्य का साथ प्राप्त होता रहता है। इस अवधि में उन्हें तीर्थयात्रा करने का अवसर प्राप्त होता है।

कर्क लग्न- कर्क लग्न में शनि सप्तमेश व अष्टमेश होते हैं। सप्तमेश व अष्टमेश होने के कारण कर्क लग्न में जन्मे जातकों के लिए शनि अशुभ फ़लदायक होते हैं। यदि कर्क लग्न के जातकों की जन्मपत्रिका में शनि शुभ भावों में स्थित होकर अशुभ प्रभावों से मुक्त हों तो कर्क लग्न के जातकों के लिए शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या अशुभ फ़लदायी होती है किन्तु यदि शनि की स्थिति अशुभ भावों में है तो साढ़ेसाती व ढैय्या की अवधि मिश्रित फ़लदायी होती है। इस अवधि में कर्क लग्न के जातकों के जीवनसाथी से मतभेद होते हैं। कर्क लग्न में शनि मारकेश भी होते हैं अत: कर्क लग्न के जातकों को साढ़ेसाती व ढैय्या की अवधि में मृत्युतुल्य कष्ट होने की संभावना होती है। उनका स्वास्थ्य खराब होता है। उनके जीवनसाथी का स्वास्थ्य खराब होता है। उनका अपने जीवनसाथी के साथ अलगाव होने की संभावना होती है। दुर्घटना के कारण उन्हें चोटिल होने की संभावना रहती है।

सिंह लग्न- सिंह लग्न में शनि षष्ठेश व सप्तमेश होते हैं। षष्ठेश व सप्तमेश होने के कारण सिंह लग्न में जन्मे जातकों के लिए शनि अशुभ फ़लदायक होते हैं। यदि सिंह लग्न के जातकों की जन्मपत्रिका में शनि शुभ भावों में स्थित होकर अशुभ प्रभावों से मुक्त हों तो सिंह लग्न के जातकों के लिए शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या अशुभ फ़लदायी होती है किन्तु यदि शनि की स्थिति अशुभ भावों में है तो साढ़ेसाती व ढैय्या की अवधि मिश्रित फ़लदायी होती है। इस अवधि में सिंह लग्न के जातकों का स्वास्थ्य खराब होता है। वे किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित होकर कष्ट उठाते हैं। इस अवधि में उनपर कर्ज होने की भी संभावना होती है। इस अवधि में उनकी लोगों से अक्सर दुश्मनी हो जाया करती है। उनके अपने जीवनसाथी से मतभेद होते हैं। सिंह लग्न में भी शनि मारकेश होते हैं अत: सिंह लग्न के जातकों को साढ़ेसाती व ढैय्या की अवधि में मृत्युतुल्य कष्ट होने की संभावना होती है। उनके जीवनसाथी का स्वास्थ्य खराब होता है। उनका अपने जीवनसाथी के साथ विवाद व अलगाव होने की प्रबल संभावना होती है।

कन्या लग्न- कन्या लग्न में शनि पंचमेश व षष्ठेश होते हैं। पंचमेश व षष्ठेश होने के कारण कन्या लग्न में जन्मे जातकों के लिए शनि मिश्रित व सामान्य फ़लदायक होते हैं। कन्या लग्न के जातकों के लिए शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या का पूर्वाद्धकाल सफ़लतादायक होता किन्तु उत्तरार्द्ध काल हानिकारक व कष्टकारक होता है। अंतिम रूप से कन्या लग्न के जातकों के लिए शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या मिश्रित फ़लदायी होती है। इस अवधि में उन्हें प्रेम संबंधों में सफ़लता प्राप्त होती है। उन्हें उच्चशिक्षा में अच्छी सफ़लता प्राप्त होती है। संतान सुख प्राप्त होता है। किंतु उन्हें रोग के कारण कष्ट भी उठाना पड़ता है। उन्हें आर्थिक क्षेत्र में हानि होती है। उनपर कर्ज होने की संभावना बढ़ जाती है। इस अवधि में उनके गुप्त शत्रु सक्रिय होकर उन्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं। उन्हें पेट संबंधी विकारों के कारण शल्य-चिकित्सा से गुजरना पड़ता है।

तुला लग्न- तुला लग्न में शनि चतुर्थेश व पंचमेश होते हैं। चतुर्थेश व पंचमेश होने के कारण तुला लग्न में जन्मे जातकों के लिए शनि बहुत ही शुभ फ़लदायक होते हैं। यदि तुला लग्न के जातकों की जन्मपत्रिका में शनि शुभ भावों में स्थित होकर अशुभ प्रभावों से मुक्त हों तो तुला लग्न के जातकों के लिए शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या बहुत ही शुभ फ़लदायी होती है। केन्द्र व त्रिकोण के अधिपति होने के कारण शनि अपनी साढ़ेसाती व ढैय्या में आशातीत सफ़लता व समृद्धि प्रदान करते हैं। इस अवधि तुला लग्न के जातकों भूमि, भवन एवं वाहन का सुख प्राप्त होता है। अपने अधीनस्थों का सहयोग प्राप्त होता है। मित्रों से लाभ होता है। प्रेम संबंधों में सफ़लता मिलती है। उच्चशिक्षा में सफ़लता प्राप्त होती है। संतान से सुख मिलता है। राजनीति से जुड़े व्यक्तियों को इस अवधि में खूब जनसहयोग प्राप्त होता है। स्थाई संपत्ति की प्राप्ति होती है।

वृश्चिक लग्न- वृश्चिक लग्न में शनि तृतीयेश व चतुर्थेश होते हैं। तृतीयेश व चतुर्थेश होने के कारण वृश्चिक लग्न में जन्मे जातकों के लिए शनि सामान्य फ़लदायक होते हैं। वृश्चिक लग्न के जातकों के लिए शनि की साढ़ेसाती मिश्रित फ़लदायी होती है। इस अवधि में उनमें अतीव साहस का संचार होता है। भाई-बहनों से विवाद की संभावनाएं बनती हैं। भूमि,भवन व वाहन का सुख प्राप्त होता है। माता से लाभ प्राप्त होता है। नौकर-चाकर का सुख मिलता है। स्थाई संपत्ति की प्राप्ति होती है।

मेष राशि – मेष राशि वालों को केतु का गोचर अधिक धार्मिक बना सकता है। पिछले समय में हुए सभी नुकसान पूरे हो सकते हैं। आर्थिक स्थिति अच्छी होगी। इस वर्ष आपके किसी तीर्थ स्थल पर जाने की संभावना है। सांसारिक जीवन की अपेक्षा अध्यात्म जीवन में आपकी रुचि बढ़ेगी।

वृष राशि इस वर्ष आपको केतु किसी शोध में कामयाबी दिला सकता है। आपको पैरों में दर्द की शिकायत रह सकती है। धन संबंधी कामों में सावधानी रखनी होगी। बचत पर ध्यान देना होगा। ज्यादा दिखावे से बचना होगा। धन का सदुपयोग करें और आवश्यक कार्यों में ही व्यय करें।


मिथुन राशि मिथुन राशि के जातकों को कार्यक्षेत्र में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। वैवाहिक जीवन में भी परेशानियां उत्पन्न होंगी। जीवनसाथी और व्यापार में सहयोगियों से मतभेद हो सकते हैं। जरूरी काम होते रहेंगे और धन की आवक सामान्य रहेगी। परिवार की स्थिति संतोषजनक रहेगी।


कर्क राशि कर्क राशि के जातकों के लिए केतु का गोचर अशुभ परिणामकारी हो सकता है। इस दौरान आपको जीवन में संघर्ष का सामना करना पड़ सकता है। शत्रु आपके ऊपर हावी होने का प्रयास करेंगे और आपको स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानी का भी सामना करना पड़ सकता है।


सिंह राशि केतु के गोचर से आपको संतान से जुड़ी समस्या हो सकती है। प्रेम जीवन में पार्टनर के साथ गलतफहमियां बढ़ेंगी। छात्र हैं तो आपको अच्छे परिणाम मिलने की प्रबल संभावना है। व्यापार में तरक्की होगी। नौकरी करने वालों को भी प्रमोशन के साथ धन का लाभ हो सकता है।

कन्या राशि सुखों में कमी आने की संभावना है। इस समय आपकी माता जी की सेहत भी खराब रह सकती है। यदि आप इस समय कोई वाहन या प्रॉपर्टी खरीदने वाले हैं तो उन्हें मुहूर्त के हिसाब से ही खरीदें। पैसों की कमी का सामना करना पड़ सकता है।

तुला राशि केतु के गोचर के प्रभाव से आपके साहस में कमी आएगी। आपका आत्मविश्वास कमजोर हो सकता है। साथ ही घर में छोटे भाई-बहनों के साथ भी मतभेद हो सकते हैं। अध्यात्म के विषय आपको अपनी ओर आकर्षित करेंगे।


वृश्चिक राशि इस वर्ष आपकी राशि में केतु का गोचर होगा, इसलिए परिस्थितियां आपके लिए प्रतिकूल होंगी। आपका मोह सांसारिक चीजों से भंग हो सकता है। धार्मिक, वैराग्य और अध्यात्म के विषय आपको अपनी ओर आकर्षित करेंगे।


धनु राशि केतु के गोचर से आपकी कल्पना शक्ति प्रबल होगी। आपको को चीजों का पूर्वानुमान हो सकता है। वहीं कार्य व व्यवसाय में परिस्थितियां आपके अनुकूल नहीं होंगी। घर में परिजनों से अनबन हो सकती है। समय का सदुपयोग करें, लाभ मिलेगा।


मकर राशि इस वर्ष आपके खर्चों में अनावश्यक रूप से वृद्धि हो सकती है। धन हानि की संभावनाएं हैं। लंबी दूरी की यात्राएं योग में हैं लेकिन इस यात्राओं में आप अधिक धन खर्च होगा। इस वर्ष आप किसी कारण से विदेश यात्रा पर भी जा सकते हैं।


कुंभ राशि इस साल आपकी आमदनी में वृद्धि होगी। रुका हुआ पैसा आसानी से प्राप्त होगा। भाई बहनों में स्नेह बढ़ेगा। कार्य क्षेत्र में उपलब्धि अथवा पहचान के प्रबल योग हैं। धन की दृष्टि से बहुत शुभ और सफलतादायक है यह वर्ष। केतु अधिष्ठित चंद्र कुंडली में होगा तो बाधाओं से मुक्ति मिलेगी।


मीन राशि मीन राशि के जातकों की राह में परिस्थितियां आसान नहीं होंगी। कार्यक्षेत्र में चुनौतियां आएंगी। इस साल ऑफिस में आपके विरोधी आपकी छवि को नुकसान पहुंचाने की पूरी कोशिश करेंगे। आपको उनके कुचक्र से बचने की आवश्यकता होगी। कठिन समय से सबक भी मिलेंगे।

2020 में गुरु के राशि परिवर्तन से 12 राशियों में से कुछ को बड़ा फायदा 

मेष

मेष राशि के वालों को साल 2020 में गुरु का आशीर्वाद मिलेगा। इस वर्ष आपको न केवल धर्म और अध्यात्म के क्षेत्र में सफलता मिलेगी, बल्कि कार्यक्षेत्र में भी तरक्की होगी। साल के प्रारंभ में आपको किसी तीर्थ स्थल पर जाने का अवसर मिल सकता है।


वृष

वर्ष 2020 में वृष राशि वालों के जीवन पर गुरु की चाल का मिलाजुला प्रभाव देखने को मिलेगा। इस साल की शुरुआत में आपकी किसी रहस्य को जानने की इच्छा तीव्र होगी। लेकिन सेहत से जुड़ी परेशानी भी आपको रह सकती हैं। ससुराल पक्ष से आपको कोई कीमती तोहफा मिल सकता है।


मिथुन

साल 2020 में गुरु की चाल से मिथुन राशि के जातकों को शुभाशुभ फलों की प्राप्ति होगी। गुरु के शुभ प्रभाव से आपके वैवाहिक जीवन में खुशियां आएंगी। व्यापार में साझेदारी से भी लाभ मिलेगा। अगर आप शोध के कार्य से जुड़े हैं तो उसमें भी आपको सफलता मिलने की प्रबल संभावना है। लेकिन इस साल वाहन चलाते समय सावधानी बरतें।


कर्क

वर्ष की शुरुआत में आपको पेट से जुड़ी हुई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए इस ओर आपको अपनी सेहत का ध्यान रखना होगा। अपने शत्रुओं की चाल से भी बचकर रहें, क्योंकि वे आपको नुकसान पहुंचाने की भरसक कोशिश कर सकते हैं। इस साल आपके शादीशुदा जीवन में शांति बनी रहेगी।


सिंह

वर्ष 2020 में गुरु के आशीर्वाद से आपको संतान की ओर से खुशियां मिलेंगी। अगर आप शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े हैं तो इसमें आपको प्रबल सफलता मिलने की संभावना है। आप उच्च शिक्षा के लिए विदेश भी जा सकते हैं। इस साल आपको सेहत से जुड़ी भी समस्याएं हो सकती हैं। ये समस्याएं पेट, मोटापे या सूजन से जुड़ी हो सकती हैं।


कन्या

कन्या राशि वालों के लिए गुरु का गोचर लाभकारी होगा। गोचर के शुभ प्रभाव के कारण आपके सुख-संसाधनों में वृद्धि होगी। आपकी माता जी को सेहत का लाभ मिलेगा। परिवार में सुख-शांति का वातावरण देखने को मिलेगा। उच्च शिक्षा में बड़ी सफलता मिलने की संभावना है। इस वर्ष आप कोई नया वाहन या प्रॉपर्टी आदि भी खरीद सकते हैं।


तुला

गुरु के इस गोचर से साल 2020 में तुला राशि वालों को अनचाही यात्रा पर जाना पड़ सकता है। भाई-बहन से किसी बात को लेकर झगड़ा होने की भी संभावना है। परंतु जैसे ही साल के शुरुआती महीने बीतेंगे वैसे ही परिस्थितियाँ आपके अनुकूल होंगी। आपके सुखों में वृद्धि होगी।


वृश्चिक

गुरु के राशि परिवर्तन से आपको इस वर्ष बहुत अच्छे परिणाम मिलेंगे। इस साल आपको विभिन्न स्रोतों से धन प्राप्त होगा। आपकी वाणी में मिठास आएगा। आप अपने गुस्से को काबू कर पाने में सफल होंगे। इस वर्ष आपके आत्म-विश्वास में भी वृद्धि होगी। आप बेबाकी से अपनी बातों को रखेंगे।


धनु

धनु राशि वालों के लिए गुरु का गोचर शानदार रहेगा। वर्ष की शुरुआत में गुरु आपकी राशि में ही स्थित होगा। इस दौरान आपके ज्ञान में वृद्धि होगी। आप अपने नैतिक मूल्यों को सर्वोपरि रखेंगे। आर्थिक जीवन में आपको तरक्की मिलेगी। आपके पास एक से अधिक स्रोतों से धन आएगा।


मकर

गुरु के गोचर से साल 2020 में आपके खर्चों में वृद्धि होगी। आपके पास धन तो आएगा, लेकिन वह आपके हाथों पर नहीं रुकेगा। आर्थिक फैसले ध्यान लें अन्यथा आपको धन हानि भी ह सकती है। गुरु के गोचर से आपके स्वभाव में सकारात्मक परिवर्तन भी देखा जा सकता है।


कुंभ

साल 2020 में गुरु का राशि परिवर्तन आपको विभिन्न क्षेत्रों में सफलता दिलाएगा। इस वर्ष आपका आर्थिक पक्ष मजबूत होगा। आप धन की बचत कर पाने में भी सफल होंगे। बड़े भाई-बहनों से प्रेम भाव बढ़ेगा। आवश्यकता पड़ने पर वे आपकी सहायता कर सकते हैं।


मीन

मीन राशि वालों के लिए साल 2020 में होने वाला गुरु का गोचर शुभ रहेगा। इसके आशीर्वाद से आपको कार्यक्षेत्र में सफलता मिलेगी। अगर आप शिक्षा विभाग से जुड़े हैं तो यह आपके लिए सोने पर सुहागा जैसा हो सकता है। कार्य में तरक्की मिलने से आपका मन भी प्रसन्न रहेगा।


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