बीजेपी आलाकमान मंथन के लिए मैराथन बैठक

यूपी व बिहार में लोकसभा की तीन सीटों पर करारी हार के बाद अब बीजेपी आलाकमान मंथन के लिए मैराथन बैठक कर रही है। उपचुनावों में लगातार हार से यह तय हो गया कि बीजेपी इसे भेद पाने में सफल होती नहीं दिख रही है। विपक्ष भी इस स्थिति को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। यूपी, बिहार, पंजाब, पश्चिम बंगाल और राजस्थान में हुए कुल 8 उपचुनावों बीजेपी को लगातार करारी हार हुई। विपक्ष इस हार को वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव का ट्रायल बोल रहा है। हालांकि 2019 के पहले बीजेपी के सामने कर्नाटक, मध्यप्रदेश, और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने वाले है। हालांकि उपचुनावों के इतर विधानसभा चुनावों में बीजेपी को लाभ ही हुआ है। लेकिन इन्हीं चुनावों के बीच एक बार फिर महाराष्ट्र के दो और यूपी के कैराना में लोकसभा के उपचुनाव होने हैं। तीनों ही सीट पर बीजेपी के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी। अब अगर बीजेपी फिर से उपचुनावों वाला अपना इतिहास दोहराती है तो इसका सीधा असर आने वाले विधानसभा व लोकसभा चुनाव पर पड़ सकता है।

नोट- इस आलेख का फोटो से कोई लेना देना नही है

उत्तर प्रदेश और बिहार उपचुनाव में बीजेपी की हार के बाद खुद पार्टी के अंदर विवाद शुरू हो गया है। जहां यूपी में बीजेपी लोकसभा सीट पर बड़ा झटका लगा वहीं बिहार में भी नतीजे पार्टी के पक्ष में नहीं दिखे।  चुनाव में हार के बाद सुब्रमण्यम स्वामी, शत्रुघ्न सिन्हा और रमाकांत यादव ने पार्टी पर निशाना साधा है। बीजेपी के पूर्व सांसद रमाकांत यादव और बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने योगी आदित्यानाथ पर निशाना साधा है।  जबकि हर बार बीजेपी के खिलाफ बोलेने वाले अभिनेता और बीजेपी नेता शत्रुघ्न सिन्हा ने पीएम मोदी पर फिर से निशाना साधा है। सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने मुख्यमंत्री योगी पर हमला करते हुए कहा जो नेता अपनी सीट पर जीत नहीं दिला सकते, उन्हें बड़े पद देना लोकतंत्र में आत्महत्या करने जैसा है। 

अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा ने यूपी-बिहार उपचुनाव में हार मिलने पर ट्वीट किया है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि यहां वास्तव में हमें सीट बेल्ट बांधने की आवश्यकता है। उन्होंने एक ट्वीट में आगे लिखा कि लंदन से भारत लौटते समय जेट एयरवेज में जोरदार स्वागत हुआ। कितना सुरक्षित और आरामदायक सफर था। पर यहां भारत में यूपी-बिहार उपचुनाव के नतीजों को देखते हुए लगता है कि वास्तव में यहां हमें सीट बेल्ट बांधने की आवश्यकता है।

 
सुब्रमण्यम स्वामी ने इशारों-इशारों में यूपी के सीएम आदित्यनाथ पर सवाल उठाए हैं. स्वामी ने कहा कि जो नेता अपने सीट पर चुनाव नहीं जिता सके, ऐसे नेताओं को बड़ा पद देना लोकतंत्र में आत्महत्या करने जैसा है. उत्तर प्रदेश में दो सीटों के उप चुनावों में मिली करारी हार के बाद अब अपनों ने ही सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ पर हमला बोलना शुरू कर दिया है. पूर्व सांसद और बीजेपी के सीनियर नेता रमाकांत यादव ने कहा कि पिछड़ों और दलितों की उपेक्षा के चलते उपचुनाव में बीजेपी को हार मिली है.
 

यूपी के कैराना लोकसभा सीट से हुकुम सिंह ने बीजपी के टिकट पर 2014 में जीत हासिल की थी। 4 फरवरी 2018 को उनके निधन से इस सीट पर फिर से उपचुनाव होना है। इस सीट पर बीजेपी केवल दो बार 1998 और 2014 में भगवा फहरा सकी थी। 2014 में तो मोदी लहर का लाभ मिला, लेकिन जिस तरह से एक के बाद एक उपचुनावों से बीजेपी अपनी सीट गंवाती जा रही है उससे कैराना की लोकसभा सीट पर खतरा मंडराना तय है। इस सीट पर चौधरी अजीत सिंह की पार्टी का काफी असर दिखता है, हालांकि अजीत सिंह के अलावा किसी पार्टी ने अपना कार्यकाल लगातार नहीं दोहराया है।
चिंतामन वनगा महाराष्ट्र के पालघर से लोकसभा सांसद थे। वह 11वीं और 13वीं लोकसभा के भी सदस्य रह चुके थे। 30 जनवरी 2018 को उनके निधन से पालघर सीट के लिए लोकसभा का उपचुनाव होना तय है। 19 फरवरी 2008 को पालघर लोकसभा सीट का निर्माण हुआ था। 2009 में इस सीट से बहुजन विकास अगाडी पार्टी के उम्मीदवार बलीराम जाधव जीते थे, इसके बाद 2014 में बीजेपी के टिकट पर चिंतामन वनगा ने जीत पक्की थी। हालांकि अभी उपचुनावों की घोषणा नहीं की गई है।

अखिलेश यादव ने कहा कि अब भाजपा की भाषा बदल जाएगी। अखिलेश यादव ने सपा कि जीत को उत्तर प्रदेश के दलितों और पिछड़ों की जीत बताया है। 

उपचुनाव में हार को लेकर सबसे बड़ी बात गोरखपुर में हुई मासूम बच्चों की मौत के आक्रोश को बताया जा रहा है। जबकि ये दोनों ही गढ़ सूबे के मुख्या योगी के हैं।  अररिया में बीजेपी अध्यक्ष नित्यानंद राय के बयान को भी हार के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है। प्रचार के अंतिम दिन कहा कि अररिया आईएसआई का अड्डा बन जायेगा और बीजेपी प्रत्याशी जीता तो ये राष्ट्रवादी शक्तियों का केंद्र होगा, काम नहीं कर पाया।  अररिया और जहनानाबद में आरजेडी की जीत के लिए तेजस्वी यादव के द्वारा प्रचार को सबसे ज्यादा पंसद किया गया। जिसने जनता पर सबसे ज्यादा असर किया। ख़ासकर विधान सभा सत्र के बीच उन्होंने कुछ विधायकों को सदन में रहने का जिम्मा दिया गया।  गोरखपुर सीट और फूलपुर सीट पर समाजवाटी पार्टी की साइकिल पर जनता ने खुला समर्थन किया है। इसके पीछे दो कारण हैं एक तो खुद सीएम योगी जो अब सूबे के नहीं रहे और दूसरा कारण सपा और बसपा के एक साथ आना भी इसका मुख्य कारण बताया जा रहा है। नीतीश कुमार और सुशील मोदी का हेलिकॉप्टर से चुनावी दौरा असर नहीं डाल सका। नीतीश और उनके सहयोगी दलो के प्रत्याशी को शराबबंदी, बालू की समस्या का ख़ामियाज़ा उठाना पड़ा। ख़ासकर दलित समुदाय के एक बड़े तबके में बहुत शराबबंदी के दौरान उनके लोगों की गिरफ्तारी से नाराज थे।

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