महाभारत का शंखनाद – मोदी के पटना कार्यक्रम के बाद

#भाजपा में महाभारत का शंखनाद #मोदी के पटना कार्यक्रम में #अगले रविवार को है पटना यूनिवर्सिटी का शताब्दी समारोह #पटना साहेब के सांसद और पूर्व छात्र शत्रुघ्न सिन्हा को मंच पर जगह नहीं #पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा के कार्यक्रम में भाग लेने की उम्मीद नही #मंच पर बैठने के लिए पीएमओ ले रहा है अंतिम फैसला #प्रधानमंत्री इस समारोह में एक घंटे के लिए शामिल होंगे # www.himalayauk.org (Newsportal) 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले रविवार को पटना यूनिवर्सिटी (पीयू) के शताब्दी समारोह में शिरकत करेंगे. हालांकि ‘बिहारी बाबू’ और पटना साहेब के सांसद शत्रुघ्न सिन्हा उनके साथ मंच पर मौजूद नहीं रहेंगे. पटना यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने स्वीकार किया कि भले ‘बिहारी बाबू’ इस विश्वविद्यालय के छात्र भी रहे हों, लेकिन मंच पर उन्हें जगह नहीं दी जाएगी. प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार पटना विश्वविद्यालय के कार्यक्रम के दौरान मंच पर प्रधानमंत्री मोदी के अलावा राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान, उपेन्द्र कुशवाहा, रामकृपाल यादव और अश्विनी चौबे ही मौजूद रहेंगे. हालांकि विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना हैं कि मंच पर बैठने के लिए उनके ऊपर इतने लोगों का दबाव है कि पीएमओ का इस मामले में अंतिम फैसला लेना एक तरह से वरदान साबित हो रहा है.प्रधानमंत्री इस समारोह में एक घंटे के लिए शामिल होंगे.

पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा के एक अख़बार में लिखे लेख के बाद देश की राजनीति में जो भूचाल आया है, उसके बाद घबराई सरकार द्वारा जीएसटी की दरों में जिस तरह शुक्रवार को कमी लायी गयी, उससे यह संदेश गया कि सिन्हा कम से कम पहले राउंड की बाज़ी जीतने में कामयाब हुए हैं. अगर सिन्हा के तर्कों में दम नहीं होता तो घबराई सरकार कदापि यह कदम नही उठाती, केन्‍द्र सरकार को न केवल जीएसटी काउंसिल की बैठक करनी पड़ी बल्कि कई वस्तुओं पर जीएसटी की दर को भी कम करना पड़ा तथा पेट्रोल और डीज़ल पर केंद्र सरकार ने टैक्स कम कर दाम घटाने की सार्वजनिक रूप से कोशिश शुरू की. यह सब तब शुरू हुआ जब यशवंत सिन्हा के सार्वजनिक रूप से सरकार की आलोचना के बाद, 

पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा के कार्यक्रम में भाग लेने की उम्मीद कम है. यशवंत सिन्हा यहां के छात्र रहे हैं और उन्होंने यहां के छात्रों को पढ़ाया भी है. सिन्हा को विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा अभी तक आमंत्रण भी नहीं दिया गया हैं, लेकिन ‘बिहारी बाबू’ मात्र दर्शक दीर्घा में बैठने के लिए इस कार्यक्रम में जाएंगे. इसे लेकर उनके समर्थकों का कहना है कि इसकी संभावना कम है. लेकिन अगर विश्वविद्यालय की तरफ से विशेष आग्रह हो तब शायद अंतिम समय में वह अपना मन बदल भी सकते हैं. हालांकि कार्यक्रम के समय वह ट्वीट करके अपनी भड़ास निकालेंगे. फिलहाल देखना यह होगा कि शताब्दी समारोह में कौन-कौन राजनेता शिरकत करते हैं. हालांकि समारोह के बहाने बिहार की राजनीति में काफी कुछ देखने को मिल सकता हैं.

धैर्यवान, गंभीर और चतुर कायस्‍थ शिरोमणी कायस्‍थ नेता सिन्हा को शांत करना मुश्किल है, उनकी पिछली जिन्‍दगी में देखे तो पता चलता है कि वह आई0ए0एस0 यशवंत सिन्हा टॉप नौकरशाह के बाद राजनेता बने ; उन्होंने आईएएस की नौकरी से इस्तीफ़ा देकर राजनीति में प्रवेश किया- एक के बाद एक सीढियां चढते गये

आई0ए0एस0 यशवंत सिन्हा जब संथाल परगना के डीसी थे तो एक बार वहां सूखा पड़ा था. स्थिति ख़राब थी लेकिन सिन्हा ने स्थिति को सुधारने के लिए बहुत कुछ किया. उस समय बिहार में महामाया प्रसाद सिन्हा मुख्यमंत्री थे, वह उस क्षेत्र के दौरे पर थे. वहां जनता से मिलने के बाद उन्‍होंने सवाल-जवाब शुरू किया. आई0ए0एस0 यशवंत सिन्‍हा ने सबके सामने मुख्यमंत्री से कहा कि वो अगर चाह लेंगे तो राज्य का मुख्यमंत्री बन सकते हैं लेकिन सर, आप अब जीवन में आईएएस तो कम से कम नहीं बन सकते. ये उस ज़माने में काफ़ी चर्चा का विषय रहा. इसके बाद जब 1977 में कर्पूरी ठाकुर के नेतृत्व में सरकार बनी तब यशवंत सिन्हा उनके प्रधान सचिव हुए. और उनके द्वारा कई महत्‍वपूर्ण निर्णय लिए गए
बिहार की राजनीति में विपक्ष का नेता, पार्टी अध्यक्ष, केंद्र में वित्त मंत्री, विदेश मंत्री वह रहे,. ये सब उनकी क़ाबिलियत थी, अब उन्‍हें अप्रासंगिक बनाने की कोशिश हो रही है यह उनका उनका सबसे बड़ा हथियार साबित होगा

वही दूसरी ओर यशवंत सिन्हा पर बड़ा हमला बोला गया है, इससे भाजपा के अन्‍दरूनी महाभारत का औपचारिक शंखनाद बज गया है, अब यशवंत सिन्‍हा और शत्रुघ्न सिन्‍हा  पर कार्रवाई हो तो अचरज नही वही दूसरी ओर मध्य प्रदेश में शिवराज खेमे के भरोसेमंद नेता तथा बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद कैलाश सांरग ने पार्टी सांसद और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा पर बड़ा हमला बोला है. सिन्हा को पत्र लिखकर सारंग ने उन्हें पद का लालची और पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ षड्यंत्र करने वाला बताया है. सारंग ने कहा है कि उन्होंने यशवंत सिन्हा को लाल कृष्ण आडवाणी से मिलवाकर बड़ी गलती की है. सारंग ने कहा है कि अगर यशवंत सिन्हा पार्टी के खिलाफ बोलना बंद नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ पार्टी को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए. यशवंत सिन्हा को सलाह दी है कि वो अपने बेटे और केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा की भलाई और भविष्य के लिए चुप रहें. सारंग ने सिन्हा को सलाह दी है कि वो अपने बेटे के रास्ते में रोड़ा न बनें.

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