बीएसएनएल का बज गया बाजा, 35 हज़ार कर्मचारियों-अफ़सरों को ज़बरन वीआरएस

बीएसएनएल क़रीब 35 हज़ार कर्मचारियों-अफ़सरों को ज़बरन वीआरएस देने को मजबूर है। उसने टीए-डीए, मेडिकल अर्न्ड लीव, पीएफ, ग्रेच्युटी, बोनस आदि सब फ़्रीज़ कर दिए हैं। बीती तिमाही में उसने दो हज़ार करोड़ का घाटा दर्ज़ किया है, उसका 15% रेवेन्यू कम हो गया है। इन कर्मचारियों को वीआरएस पर भेजने के लिये बीएसएनएल को क़रीब तेरह हज़ार करोड़ रुपयों की ज़रूरत होगी। बीएसएनएल के एमडी अनुपम श्रीवास्तव का कहना है कि हमारे पास कोई चारा नहीं है!
बीएसएनएल को साल 2004-05 में 10,183 करोड़ रुपए का लाभ हुआ था, लेकिन इसके बाद से कंपनी के लाभ में लगातार कमी आ रही है। साल 2010-11 में बीएसएनएल को 6,384 करोड़ रुपए का घाटा हुआ।

सार्वजनिक क्षेत्र की टेलीकॉम कंपनी बीएसएनएल अपने बढ़ते आर्थिक घाटे से निजात पाने के लिए करीब 1 लाख कर्मचारियों को स्वैच्छिक रिटायरमेंट (वीआरएस) देने की योजना पर विचार कर रही है। बीएसएनएल के इस कदम से उसके वेतन खर्च में करीब 15 फीसदी तक कमी आ सकती है

दरअसल, रिलांयस जियो के अलावा देश का पूरा टेलीकॉम सेक्टर तबाही के रास्ते पर है। दर्ज़न भर से ज़्यादा प्रायवेट कंपनियों की जगह मोदी जी की असीम कृपा से अब कुल तीन कंपनियाँ बची हैं। सबसे आगे जियो, फिर वोडाफ़ोन, आइडिया और भारती टेलीकॉम (एयरटेल)! इस सेक्टर पर क़रीब आठ लाख करोड़ रुपये की बैंकों की देनदारी है। वोडाफ़ोन ने सरकार को पत्र लिखा है कि वह बैंकों के ऋण की किश्त देने में असमर्थ है, उसे मोहलत चाहिये और उसके कर्ज़ को नये सिरे से दस साल के लिये रीस्ट्रक्चर कर दिया जाए।

बीएसएनएल ने आईआईएम अहमदाबाद से अपनी दशा सुधारने के लिये एक रिपोर्ट बनवाई थी। इसके लिए उस पर संबंधित मंत्रालय का दबाव था।
रिपोर्ट में ही हर क़िस्म के भुगतान (भत्तों आदि के मद में) तुरंत फ्रीजिंग लागू करने का सुझाव दिया गया है। बीएसएनएल ने भत्ते फ़्रीज़ कर दिये और रिपोर्ट लेकर मंत्रालय पहुँच गया। इसी मार्च तक वह 35 हज़ार कर्मियों को वीआरएस देना चाहता है।

अगले साल भारत एक अरब तीस करोड़ उपभोक्ताओं का टेली-बाज़ार बनने जा रहा है। सरकार की अपरोक्ष मदद से सितंबर 2016 में 4जी लाकर रिलायंस जियो ने पूरी इंडस्ट्री को तबाही की तरफ़ बढ़ा दिया। बीएसएनएल 4जी टेक्नोलॉजी में देश में सबसे आगे था। वह सारे उपकरण आदि पहले से ख़रीद चुका था पर अज्ञात दबाव में उसने रिलायंस जियो को 4जी का पूरा बाज़ार हथियाने दिया।

4जी के मामले में रिलायंस जियो की मनमानियों पर बाक़ी इंडस्ट्री की बात न तो ट्राई ने सुनी और न ही मंत्रालय ने। नतीजतन एक-एक करके तमाम कंपनियों के शटर गिरते चले गये और कई हज़ार कर्मचारी सड़क पर आ गये। अनिल अंबानी की रिलायंस टेलीकॉम देश के बैंकों का 45 हज़ार करोड़ डुबाकर अब दिवालिया वाली लाइन में एनसीएलटी के सामने है। रेटिंग कंपनी आईसीआरए के अनुसार भारत की टेलीकॉम इंडस्ट्री की रेटिंग इस साल निगेटिव में जा रही है और 2020 में भी इसकी हालत बदलने की कोई सूरत नहीं बची है।

  • जो हालात हैं उसमें 2019 की दूसरी तिमाही में संभावित 5जी की नीलामी के लिये कौन बोली लगाने लायक बचेगा, समझना मुश्किल है। कम से कम बीएसएनएल तो उसमें हो नहीं सकता जिसे मोदी जी के राज में एयर इंडिया की तरह बरबाद किया गया है जिसको अब कोई ख़रीदने तक को तैयार नहीं है।

टेलीकॉम इंडस्ट्री की सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसियेशन के डायरेक्टर जनरल राजन मैथ्यू के अनुसार इंडस्ट्री के कर पूर्व मुनाफ़े में क़रीब 28% की गिरावट आई है। इसमें भी पुराने प्लेयर्स (रिलायंस जिओ को छोड़कर बाक़ी सब) तो क़रीब 81% नीचे चले गये हैं।
इंडस्ट्री की तबाही से बचने के लिये वे कंपनियाँ जो दिवालिया नहीं हुई हैं आपस में गठजोड़ करके एक कंपनी बंदकर दूसरे में मर्ज़ हो रही हैं। आइडिया वोडाफ़ोन में समा गया और टाटा टेली सर्विसेज़ एयरटेल में ग़ायब होने की क्यू में है। बाक़ी बिक बिका गये या दिवालिया हो गये। 5जी की नीलामी के बाद बीएसएनएल भी चौराहे पर बिकने को मिलेगा जैसे एयर इंडिया मौजूद है।

प्रायवेट कंपनियों की इस आपाधापी में क़रीब 65 हज़ार रोजगार आइडिया, वोडाफ़ोन, एयरटेल आदि कंपनियों से ख़त्म हो गये हैं। टावर कंपनियों और इन्फ़्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र की कंपनियाँ समझौते करके कर्मचारियों की छँटनी कर रही हैं। हाईएन्ड रोज़गार दिलाने वाली कंपनी रैंडस्टैड इंडिया के अनुसार क़रीब एक लाख लोगों का रोज़गार इस क्षेत्र में अब तक जा चुका है और 2020 में भी इसमें किसी बदलाव के कोई लक्षण नहीं हैं। ऐसी ही एक कंपनी टीमलीज की रितुपर्णा चक्रवर्ती बताती हैं कि जिनकी नौकरी जानी थी वह जा चुकी है। बीएसएनएल को किसी के साथ जाना होगा। टेक्नोलॉजी के बदलाव और बड़ी नक़दी की उपलब्धता के बिना इस क्षेत्र में किसी कंपनी का कोई भविष्य नहीं।

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