बीएसएनएल की लगभग एक लाख नौकरियां संकट में

बीएसएनएल के चतुर्थ श्रेणी के संविदा कर्मचारी रामकृष्णन की ख़ुदकशी से इस कंपनी की स्थिति के बारे में तो पता चलता ही है, पूरे दूरसंचार सेक्टर के बारे में जानकारी मिल जाती है। रामकृष्णन को  10 महीनों से मानदेय नहीं मिल रहा था, वह बेहद परेशान थे और अंत में उन्होंने दफ़्तर में गले में फंदा लगा कर आत्महत्या कर ली। यह घटना उस समय हुई, जब सेंटर ऑफ़ इंडियन ट्रेड यूनियन्स यानी सीटू से जुड़े बीएसएनएल कैजुअल कॉन्ट्रैक्ट लेबर यूनियन लोग लंबित वेतन के भुगतान की मांग को लेकर आंदोलन पर थे।

बीएसएनएल के चतुर्थ श्रेणी के संविदा कर्मचारी रामकृष्णन की ख़ुदकशी से इस कंपनी की स्थिति के बारे में तो पता चलता ही है, पूरे दूरसंचार सेक्टर के बारे में जानकारी मिल जाती है। रामकृष्णन को  10 महीनों से मानदेय नहीं मिल रहा था, वह बेहद परेशान थे और अंत में उन्होंने दफ़्तर में गले में फंदा लगा कर आत्महत्या कर ली। यह घटना उस समय हुई, जब सेंटर ऑफ़ इंडियन ट्रेड यूनियन्स यानी सीटू से जुड़े बीएसएनएल कैजुअल कॉन्ट्रैक्ट लेबर यूनियन लोग लंबित वेतन के भुगतान की मांग को लेकर आंदोलन पर थे।

इससे पहले 23 अक्टूबर को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बीएसएनएल और महानगर टेलीफ़ोन निगम लिमिटेड यानी एमटीएनएल का विलय करने की घोषणा की। इस घोषणा में कहा गया कि घाटे में चल रही दो दूरसंचार कंपनियों को फिर से पटरी पर लाने के लिए 69,000 करोड़ रुपये का राहत पैकेज दिया जाएगा।  इसी घोषणा में कहा गया कि कर्मचारियों के लिए एक आकर्षक स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना का प्रस्ताव है। बीएसएनएल और एमटीएनएल के 60,000 से अधिक कर्मचारी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) के लिये आवेदन कर चुके हैं। जिसमे अकेले बीएसएनएल के कर्मचारियों की संख्या 57,000 से अधिक है। बीएसएनएल की लगभग एक लाख नौकरियां संकट में हैं क्योंकि उसने 20,000 करोड़ रुपये की बकाया राशि को जारी नहीं किया है। 

रिलायंस जियो के बाज़ार में आने के बाद से पूरा परिदृश्य बदल गया।   सबसे पहले बीएसएनएल की हालत ख़राब हुई। अपने प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में बीएसएनएल सेवाओं और तकनीकी प्रगति के मामले में पिछड़ गया है। इसे इससे समझा जा सकता है कि जहाँ हर कोई 5 जी नेटवर्क की तैयारी कर रहा है, बीएसएनएल देश भर में अपने 4 जी नेटवर्क का परीक्षण कर रहा है। एकमात्र राष्ट्रीय दूरसंचार ऑपरेटर के रूप में बीएसएनएल न केवल देश के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसमें देश का सबसे बड़ा ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क (ओएफसी) भी है।  नेटवर्क लगभग 3.25 लाख किलोमीटर लंबा है। इसके बाद ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क कवरेज में एयरटेल (2.5 लाख किलोमीटर) और वोडाफोन आइडिया (1.6 लाख किलोमीटर) का क्रमशः तीसरा और चौथा नंबर है।

बीएसएनएल के पास देश भर में 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति है। इसमें मोदी सरकार द्वारा जारी राहत बीएसएनएल की भूमि और संपत्तियों के मुद्रीकरण के माध्यम से अगले चार वर्षों में 38,000 करोड़ रुपये की व्यवस्था करना शामिल है। लगभग तीन साल पहले रिलायंस जियो ने जब बाज़ार में प्रवेश किया तब टेलीकॉम सेक्टर में एक दर्जन से ज़्यादा ऑपरेटर सवा करोड़ की आबादी के बीच अपनी जगह बनाने के लिए जूझ रहे थे। जियो के आते ही टैरिफ़ वॉर शुरू हुआ, जिसने कई ऑपरेटरों को बाज़ार से बाहर कर दिया।  ग्राहक आधार के मामले में देखा जाए तो शीर्ष पर काबिज वोडाफोन आइडिया को जून तिमाही में 4,874 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ, जबकि जियो ने 891 करोड़ रुपये का लाभ कमाया। वोडाफ़ोन आइडिया एक विलय प्रक्रिया में है। कंपनी का मानना ​​है कि वह अपनी बताई गई रणनीति पर काम कर रही है, हालाँकि नतीजे में लाभ अभी तक दिखाई नहीं दे रहे हैं। वहीं एयरटेल का राजस्व 30 सितंबर को समाप्त तीन महीनों में 10,811 करोड़ रुपये था, जो जून तिमाही में 10,724 करोड़ रुपये था। सितंबर तिमाही में इसका उसका सब्सक्राइबर बेस 276.81 मिलियन से बढ़कर 279.43 मिलियन हो गया।  राजस्व मामले में अधिक ग्राहकों के बावजूद, वोडाफोन आइडिया को 11,269.9 करोड़ का राजस्व मिला जबकि जून तिमाही में Jio ने 11,679 करोड़ रुपये का राजस्व कमाया। 

दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, रिलायंस जियो ने अगस्त में 8.44 मिलियन मोबाइल फोन ग्राहकों को जोड़ा, जबकि एयरटेल और वोडाफोन आइडिया को अपने ग्राहक आधार पर नुकसान उठाना पड़ा। अगस्त में वोडाफ़ोन आइडिया ने 4.95 मिलियन ग्राहक गँवा दिए, जबकि भारती एयरटेल ने 0.56 मिलियन ग्राहक खोए। अब, जियो का कुल ग्राहक आधार 348.2 मिलियन, वोडाफोन आइडिया 375 मिलियन और एयरटेल 327.9 मिलियन है।

जियो से टक्कर लेते हुए ख़स्ताहाल में पहुंचे वोडाफ़ोन-आईडिया और भारती एयरटेल को सुप्रीम कोर्ट से तब बड़ा झटका मिला जब बीते 24 अक्टूबर में अदालत ने एडजेस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू मामले में दूरसंचार विभाग के पक्ष में फ़ैसला सुनाया। इस फ़ैसले के बाद टेलीकॉम कंपनियों को करीब 1.33 लाख करोड़ रुपये सरकार को चुकाने पड़ सकते हैं। एक तरफ जहाँ जियो के सस्ते टैरिफ़ दरों ने बीएसएनएल सहित वोडाफ़ोन-आईडिया और भारती एयरटेल की हालत ख़राब कर रखी है, वहीं सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद निजी टेलीकॉम ऑपरेटरों को तगड़ा झटका लगा है। इन पर सरकार को बकाया अदा करने का दबाव और अपना ग्राहक आधार बनाने की कवायद के लिए सस्ते टैरिफ़ दरों का निर्धारण करने का दबाव है। दूसरी तरफ 2020 में जनय 5 जी शुरू करने की तैयारी में है।

देहरादून में  मीडिया रिपोर्ट के अनुसार दूरसंचार विभाग ने भारत संचार निगम लि. (बीएसएनएल) को व्यापार खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में टेलीफोन एक्सचेंज की व्यवस्था सुचारू बनाये रखने तथा परिवर्तन के दौर को सुगम बनाये रखने के लिये उपाय करने को कहा है। स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) को कंपनी के करीब आधे कर्मचारियों द्वारा अपनाये जाने की संभावना के बीच यह बात कही गयी है। फिलहाल परिवर्तन अवधि के लिये विभिन्न विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। दूरसंचार विभाग के एक सूत्र ने पीटीआई भाषा से कहा कि मामले पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है और वीआरएस योजना के कारण एक्सचेंज के रखरखाव तथा अन्य कार्यों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने को लेकर को लेकर बैठकें जारी हैं।  वीआरएस योजना पेश किये जाने के महज चार दिन में ही सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी के 57,000 कर्मचारियों ने आवेदन कर दिया है। एमटीएनएल को मिलाकर वीआरएस के लिये समय से पहले सेवा निवृत्ति के लिए आवेदन करने वाले कर्मचारियों की संख्या 60,000 से ऊपर पहुंच गयी है।

बीएसएनएल के कर्मचारियों की संख्या करीब 1.50 लाख है। इसमें से करीब एक लाख कर्मचारी वीआरएस के दायरे में आते हैं। कंपनी को उम्मीद है कि करीब 77,000 कर्मचारी इस योजना का लाभ उठाएंगे। इसका मतलब है कि अगर इतने कर्मचारी वीआरएस का विकल्प चुनते हैं, कर्मचारियों की संख्या आधी हो जाएगी। मौजूदा योजना के तहत स्वैच्छिक सेवानिवृत्त की प्रभावी तारीख 31 जनवरी 2020 है। इस बारे में संपर्क किये जाने पर बीएसएनएल के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक पी के पुरवार ने इस बात की पुष्टि की कि इस मामले में चर्चा शुरू की गयी है और निगम कामकाज को जारी रखने तथा उसके पुनर्गठन की योजना बना रही है। पुरवार ने कहा, ”हमें सोच समझकर काम करना है। हमने आंकड़े लेना शुरू किया है…उम्मीद के मुताबिक कर्मचारी वीआरएस का विकल्प चुनते हैं, उसके बाद भी हमारे पास करीब 80,000 कर्मचारी होंगे…लेकिन यह कुल संख्या का आधा होगा। कार्य संस्कृति बदलनी होगी।

दूरसंचार विभाग के सूत्र ने कहा कि कुछ काम को आउटसोर्सिंग करने में भी वक्त लगेगा। वीआरएस जनवरी से प्रभाव में आएगा। जल्दी ही समाधान निकालना होगा। सूत्र के अनुसार कई विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। इसमें से एक विकल्प यह भी है कि जो कर्मचारी वीआरएस ले रहे हैं, उनमें से कुछ की क्या बतौर परामर्शदाता सेवा ली जा सकती है। पिछले सप्ताह आयी बीएसएन की वीआरएस योजना तीन दिसंबर तक खुली रहेगी। बीएसएनएल को उम्मीद है कि 70,000 से 80,000 कर्मचारी वीआरएस योजना को अपनाएंगे और इससे वेतन मद में करीब 7,000 करोड़ रुपये की बचत होगी।

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