चीन की ओर से दो बडी सुखद खबर

चीन की ओर से दो बडी खबर आई है- पहला चीन ने कहा कि वह भारत के साथ एक और टकराव नहीं चाहता है दूसरा चीन ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए सिक्किम की ओर से जाने वाले नाथू-ला मार्ग को फिर से ‘बहाल’ करने की पुष्टि की है. 

हिमालयायूके न्‍यूज पोर्टल ब्‍यूरो- 
भारत और चीन के बीच तनाव की लगातार खबर आती रही हैं, लेकिन आज एक ऐसी खबर आई जो दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने और रिश्तों को बहाल करने की दिशा में थोड़ा योगदान कर सकती है.
चीन ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए सिक्किम की ओर से जाने वाले नाथू-ला मार्ग को फिर से ‘बहाल’ करने की पुष्टि की है. पिछले साल इस रास्ते से मानसरोवर यात्रा नहीं हो सकी थी. तब चीन ने इस मार्ग से ‘सुरक्षित और सुगम’ यात्रा सुनिश्चित करने के लिए परिस्थितियां अनुकूल नहीं होने की बात कही थी.
शुक्रवार को केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह ने लोकसभा को इस फैसले की जानकारी दी. 4 महीने चलने वाली मानसरोवर यात्रा जून से शुरू होती है. सिक्किम के नाथु-ला दर्रे के अलावा उत्तराखंड का लिपुलेख पास भी मानसरोवर यात्रा के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
पिछले साल दोनों देशों की सेनाओं के बीच जारी डोकलाम गतिरोध के चलते चीन ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए अनुमति देने से मना कर दिया जिससे इस रास्ते से यात्रा नहीं हो सकी थी. तब चीन ने कहा था कि भारत पहले डोकलाम से सेना हटाए तब कोई फैसला लिया जाएगा.
पिछले साल चीनी सेना के भूटान के दावे वाले डोकलाम इलाके में घुस आने पर भारतीय फौज ने हस्तक्षेप किया था. पिछले साल 16 जून को शुरू हुआ यह गतिरोध 73 दिन तक चला. चीनी सेना के डोकलाम में घुस आने से भारत को पूर्वोत्तर के राज्यों से जोड़ने वाले चिकन नेक (संकरे गलियारे) की सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया था. लेकिन दोनों सेनाओं के बीच लंबी कूटनीतिक प्रयासों के बाद 28 अगस्त को पीछे हट गई थीं.
विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह ने लोकसभा को दिए अपने लिखित बयान में बताया कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने दिसंबर 2017 में चीनी समकक्ष से हुई मुलाकात के दौरान इस मुद्दे को उठाया था. चीन ने इस मार्ग से यात्रा बहाल करने की बात मान ली थी.
इससे पहले, एक दिन पहले बृहस्पतिवार को चीनी दूतावास में ‘चाइनीज स्प्रिंग फेस्टिवल’ भोज के दौरान चीनी राजदूत लिओ झाओहुई ने कहा, ‘नया साल एक खाली किताब की तरह होता है, और कलम हमारे हाथ में है. हमने भारत-चीन दोस्ती का एक नया अध्याय लिखना शुरू कर दिया है.’
वही दूसरी ओर चीन ने शुक्रवार को कहा कि वह मालदीव में जारी राजनीतिक उथल-पुथल के समाधान के लिए भारत से संपर्क में है और बीजिंग नहीं चाहता है कि यह मामला एक और ‘टकराव का मुद्दा’ बने. भारत के विशेष बलों की तैनाती के लिए तैयार होने से जुड़ी खबरों के बीच चीन के आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि बीजिंग इस बात पर कायम है कि किसी भी तरह का बाहरी हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए.
पेइचिंग ने नई दिल्ली से भी इस मसले के हल के लिए संपर्क किया है। मालदीव के संकट को हल करने के लिए भारत की स्पेशल फोर्सेज के तैयार होने की खबरों के बाद चीन ने बाहरी दखल न दिए जाने की बात कही थी।
चीनी सूत्रों ने कहा कि मालदीव संकट को चीन भारत के साथ टकराव का एक और मसला नहीं बनाना चाहता। पिछले साल भूटान, भारत और चीन की सीमा पर स्थित डोकलाम पठार को लेकर दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने आ गई थीं।
इसके अलावा पाकिस्तान स्थित खूंखार आतंकी मसूद अजहर को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित कराने के भारत के प्रयास में चीनी अड़ंगे के भी संबंध तनावपूर्ण हो गए थे।
उनके मुताबिक चीन मुद्दे के समाधान के लिए भारत के संपर्क में है. सूत्रों ने बताया कि चीन नहीं चाहता है कि मालदीव एक और ‘टकराव का मुद्दा बने.’ डोकलाम में भारत और चीन के बीच गतिरोध एवं संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तानी आतंकी मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने में बीजिंग की बाधा से हाल में द्विपक्षीय संबंध प्रभावित हुए हैं. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच आज हुई बातचीत सहित मालदीव से संबंधित कई सवालों के जवाब में कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मालदीव की संप्रभुता और स्वतंत्रता का सम्मान करना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद समेत 9 लोगों के खिलाफ दायर एक मामले को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने इन नेताओं की रिहाई के आदेश भी दिए थे। मालदीव के मौजूदा राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने 15 दिन की इमरजेंसी लगा दी और चीफ जस्टिस को गिरफ्तार करवा दिया।
यामीन ने गिरफ्तारी पर सफाई दी कि चीफ जस्टिस उनके खिलाफ साजिश रच रहे थे और जांच के लिए इमरजेंसी लगाई गई है। बता दें कि अब्दुल्ला यामीन चीन के करीबी माने जाते हैं।
2008 में मालदीव में लोकतंत्र की स्थापना के बाद मो. नशीद राष्ट्रपति बने थे। 2015 में उन्हें आतंकवादी विरोधी कानूनों के तहत सत्ता से बेदखल कर दिया गया था और तब से वे निर्वासित हैं। नशीद भारत के करीबी माने जाते हैं और उन्होंने राजनीतिक संकट से उबरने के लिए मालदीव में भारत से सैन्य दखल की अपील की है।

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