आज देश की निगाहें राज्यसभा पर क्‍यो ? क्‍या होने जा रहा है? अमित शाह की कठिन परीक्षा की घडी- क्‍या पास होगे?

HIGH LIGHT #कुल मिलाकर अब देश की निगाहें राज्यसभा पर होगी, जुहां बुधवार को यह बिल पेश किया जाएगा. संसद मे हंगामे के आसार दिखाई दे रहे हैं.# 36 घंटे में समीकरण बदल गए हैं. लोकसभा में समर्थन करने वाली शिवसेना ने विधेयक को समर्थन देने के लिए शर्त रखकर मोदी सरकार को फिलहाल टेंशन में डाल दिया है. शिवसेना ने कहा था कि शरणार्थियों को 25 साल तक वोट करने का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए.

नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स यूनियन ने बंद का आह्वान किया है. गुवाहाटी विश्वविद्यालय और डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय ने बुधवार को होने वाली सभी परीक्षाएं रद्द. बंद से असम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, मेघालय, नगालैंड में जनजीवन प्रभावित. त्रिपुरा में 48 घंटे के लिए इंटरनेट सेवाएं बंद. राजधानी नई दिल्ली में भी कई संगठनों ने किया प्रदर्शन.

36 घंटे में समीकरण बदल गए हैं. लोकसभा में समर्थन करने वाली शिवसेना ने विधेयक को समर्थन देने के लिए शर्त रखकर मोदी सरकार को फिलहाल टेंशन में डाल दिया है.

कांग्रेस ने इस मुद्दे पर शिवसेना के टॉप लीडरशिप को संदेश दिया और महाराष्ट्र में गठबंधन से बाहर आने की चेतवानी भी दी. कांग्रेस का कहना है कि शिवसेना का अगर यही रुख कुछ मंत्रालय हमारे लिए अहमियत नहीं रखता. इसके बाद ही शिवसेना नेता संजय राउत (Sanjay Raut) की तरफ़ से बयान आया कि कल जो लोकसभा में हुआ भूल जाइए, लेकिन देखना है कि राज्यसभा में शिवसेना क्या करती है. अब राज्यसभा में शिवसेना के रुख पर नजर रहेगी.

लोकसभा में तो बीजेपी के पास स्‍पष्‍ट बहुमत की वजह से नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill 2019) आसानी से पास हो गया लेकिन राज्‍यसभा में भी सरकार की राह क्‍या ऐसी ही आसान होगी? राज्‍यसभा में आज दोपहर दो बजे पेश ये बिल पेश किया जाएगा और बहस के लिए छह घंटे का वक्‍त नियत किया गया है लेकिन सत्‍तापक्ष के सदस्‍यों की संख्‍या को देखते हुए हर किसी के मन में यही सवाल है कि क्या केंद्र सरकार लोकसभा की तरह राज्यसभा में भी ये बिल पास करा पाएगी?

राज्यसभा में इस वक़्त 240 सांसदों की संख्या है, क्योंकि राज्यसभा में 5 सीटें खाली पड़ी हुई हैं. इस हिसाब से 121 सांसदों के समर्थन के बाद ही ये बिल राज्यसभा में पास हो सकता है. बीजेपी के पास इस वक़्त राज्यसभा में 83 सांसद हैं यानी कि बीजेपी को 38 अन्य सांसदों की आवश्यकता पड़ेगी. लेकिन बीजेपी के लिए चिंता की बात इसलिए नहीं नज़र आ रही है क्योंकि बीजेपी के सहयोगी दलों के साथ-साथ कुछ अन्य दल नागरिकता संशोधन बिल पर सरकार के साथ नज़र आ रहे हैं. AIADMK(11), JDU (6), SAD (3), निर्दलीय व अन्य समेत 13 सांसदों का समर्थन बीजेपी को राज्यसभा में मिल सकता है. इस तरह बिल के समर्थन में 116 सांसद नज़र आ रहे हैं. इन पार्टियों के अलावा सरकार के साथ बीजेडी (7), YSRCP (2), TDP (2) सांसदों के साथ नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन कर सकती हैं. कुल मिलाकर 127 सांसदों के साथ यह बिल पास कराने में सरकार सफल हो सकती है.

नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता जानू बरुआ ने असम राज्य फिल्म महोत्सव से अपनी फिल्म वापस ली. विधेयक से सिक्किम को बाहर न रखने पर भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान बाईचुंग भूटिया ने कहा कि इससे उनके राज्य को मिलने वाले विशेष प्रावधान कमज़ोर पड़ सकते हैं.

Guwahati: Activists from the Veer Lachit Sena, Assam shout slogans as they protest against Citizenship Amendment Bill, in Guwahati, Saturday, Dec. 7, 2019. (PTI Photo) (PTI12_7_2019_000081B)

शिवसेना ने लोकसभा में इस बिल का समर्थन किया था लेकिन राज्यसभा में शिवसेना के 3 सांसद क्या इस बिल का समर्थन करेंगे या नहीं, इस पर सस्पेंस बरक़रार है. लोकसभा में बिल का समर्थन करने वाली शिवसेना ने मंगलवार को यू-टर्न लेकर असमंजस बढ़ा दिया. उद्धव ठाकरे ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक का जो भी विरोध कर रहे हैं, उन सभी को देशद्रोही मानना भ्रम है. केवल बीजेपी ही देश का ध्यान रख सकती है ये भी भ्रम है. शरणार्थी कहां और किस प्रदेश में रखे जाएंगे. ये सारी बातें स्पष्ट होनी चाहिए. साथ ही शिवसेना ने कहा था कि शरणार्थियों को 25 साल तक वोट करने का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए.

लोकसभा ने सोमवार को यह विधेयक पास कर दिया। इसे बुधवार को राज्यसभा में पेश किया जाना है। इस विधेयक में व्यवस्था है कि 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान से भारत आए हिन्दू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी समुदायों के लोगों को देश की नागरिकता दे दी जाएगी। इसमें मुसलमानों को छोड़ दिया गया है। विपक्ष का कहना है कि धर्म के आधार पर किसी तरह का भेदभाव संविधान की मूल भावना के ख़िलाफ़ है।

लेकिन सरकार का कहना है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान में मुसलमान बहुसंख्यक है, उनके साथ भेदभाव या अत्याचार नहीं हुआ है, जबकि अल्पसंख्यकों के साथ ऐसा हुआ है। इसका एक पक्ष यह भी है कि पाकिस्तान में अहमदिया और शिया समुदायों के मुसलमानों के साथ भी भेदभाव की वारदात हुई हैं। इसी तरह म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों पर अत्याचार की ख़बरें आती रही हैं। 

क्या कहा रॉ ने? पर जिस ओर लोगों का ध्यान कम गया है, वह है सुरक्षा कारण। रॉ की आपत्ति सुरक्षा कारणों से ही है। सुरक्षा पर बनी संयुक्त संसदीय समितिने जनवरी में राज्यसभा और लोकसभा को वह रिपोर्ट सौंपी, जिसमें रॉ की आपत्तियों का ज़िक्र किया गया है। रॉ के वरिष्ठ अफ़सरों ने समिति के सामने पेश हो कर कहा कि इस विधेयक से देश की सुरक्षा को ख़तरा है, भारत से दुश्मनी रखने वाले तत्व या ख़ुफ़िया एजेन्सी इसकी आड़ में अपने एजंट की घुसपैठ करा देंगे। इस तरह यह विधेयक क़ानून बना तो वह घुसपैठ कराने के लिए एक तरह से क़ानूनी फ़्रेमवर्क मुहैया करा देगा।

रॉ के संयुक्त सचिव सुजीत चटर्जी ने कहा : हमसे दुश्मनी रखने वाली एजेन्सियों को वह क़ानूनी ढाँचा नहीं मिलना चाहिए, जिसका फ़ायदा उठा कर वे लोग हमारे देश में अपने लोग घुसा सकें। यह हम सबके लिए चिंता की बात है।

इसके अलावा इंटेलीजेंस ब्यूरो के वरिष्ठ अफ़सर भी भी समिति के सामने पेश हुए। इन अफ़सरों ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक से बहुत ही कम लोगों यानी 31,333 लोगों को ही फ़ायदा मिलेगा। इन लोगों ही अब तक लंबे समय के लिए वीज़ा मिला है। इनमें कोई मुसलमान नहीं है। 

इसके अलावा इंटेलीजेन्य ब्यूरो के तात्कालिक निदेशक राजीव जैन भी संयुक्त संसदीय समिति के सामने पेश हुए। उन्होंने कहा, ‘अब तक मिले आँकड़ों के मुताबिक़, ऐसे लोगों की तादाद बहुत ही कम होगी। इसका मानवीय पहलू यह है कि ये लोग अपना घर-बार छोड़ कर आए हैं।

  वहीं अगर विपक्ष की रणनीति पर नज़र डालें तो वह इस मुद्दे पर एकजुटता दिखाने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस के राज्यसभा में 46 सांसद हैं और वह इस बिल के ख़िलाफ़ ज़्यादा से ज़्यादा मतदान कराना चाहती है. मंगलवार को कांग्रेस नेताओं ने संसद भवन में अन्य विपक्षी दलों के साथ बातचीत भी की है. नागरिकता संशोधन बिल पर राज्यसभा में डीएमके (5), RJD (4), NCP (4), KC(M)-1, PMK(1), IUML(1), MDMK (1), व अन्य 1 सांसद ख़िलाफ़ वोट करेंगे. यानि इस तरह से यूपीए का आंकड़ा 64 सांसदों का पहुंचता है. लेकिन यूपीए के साथ-साथ कई अन्य विपक्षी दल भी इस बिल के ख़िलाफ़ राज्यसभा में वोट करेंगे, जिसे लेकर समाजवादी पार्टी समेत कई दलों ने अपने सांसदों को व्हिप भी जारी किया है. TMC(13), Samajwadi Party (9), CPM(5), BSP (4), AAP (3), PDP (2), CPI (1), JDS (1), TRS (6) जैसे राजनीतिक दलों के सांसद इस बिल के ख़िलाफ़ हैं. यूपीए के अतिरिक्त कई विपक्षी दलों के 44 सांसद भी इस बिल के ख़िलाफ़ वोट कर सकते हैं.

इस प्रकार यूपीए और गैर एनडीए दलों के सांसदों के आंकड़े देखें तो नागरिकता संशोधन बिल के ख़िलाफ़ कुल 108 सांसद मतदान कर सकते हैं. इन आंकड़ों के साथ साथ आज आपको यह भी जानना ज़रूरी है कि मंगलवार को इस बिल को लेकर संसद में कैसे गहमागहमी मची रही. केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि यह बिल देशहित का बिल है और राज्यसभा में ज़रूर पास होगा. वहीं कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने इस बिल को देश की एकता के लिए ख़तरनाक बताते हुए कहा कि NRC और नागरिकता संशोधन बिल को एक साथ जोड़कर देखना चाहिए तब जाकर बीजेपी की असली राजनीति जनता तो समझ आएगी.

राज्यसभा में टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि इस बिल पर संसद में संग्राम होगा लेकिन उसके बाद ये बिल सुप्रीम कोर्ट में भी जाएगा. उन्होंने इस दौरान कहा कि ये बिल भारत विरोधी, बंगाल विरोधी है. डेरेक ओ ब्रायन बोले कि बीजेपी की नींव तीन बातों पर है सिर्फ झूठ, झांसा और जुमला. आप घुसपैठियों पर अधिकार छीनने का आरोप लगाते हैं लेकिन आपकी सरकार ने 2 करोड़ लोगों का रोजगार छीन लिया. जो देश में है, उनका आप ध्यान रख नहीं सकते हैं और बाहरी लोगों की बात कर रहे हैं. एजेंसियों के जो आंकड़े हैं उनके अनुसार सिर्फ 31 हजार की शरणार्थी हैं, इसपर अमित शाह ने उन्हें टोका तो डेरेके ओ ब्रायन ने कहा कि मैं सही होऊंगा, इसलिए गृह मंत्री टोक रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ने नोटबंदी, अर्थव्यवस्था, कश्मीर की बात की लेकिन हर बार सरकार ने वादा तोड़ा है. सरकार को वादा तोड़ने में महारत हासिल है.

जेपी नड्डा बोले कि आजादी के बाद पाकिस्तान में लगातार अल्पसंख्यकों की संख्या घटी है जबकि भारत में अल्पसंख्यकों की संख्या बढ़ी है. उन्होंने कहा कि कई बार कुछ लोग समझना नहीं चाहते हैं, विपक्ष ऐसा ही कर रहा है. आर्टिकल 14 को बार-बार उठाया जा रहा है, जो कि गलत तर्क है. कांग्रेस पार्टी को राजनीति नहीं बल्कि देशहित के बारे में सोचना चाहिए. आज देश के कई हिस्सों में ऐसे शरणार्थी हैं, जो पढ़ाई कर चुके हैं लेकिन नागरिकता की वजह से उन्हें नौकरी नहीं मिल रही है.जेपी नड्डा ने कहा कि मनमोहन सिंह की बात आप मानतें है, 18 दिसंबर 2003 में मनमोहन सिंह ने राज्यसभा में बयान दिया था. मनमोहन सिंह तब अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ अत्याचार हो रहा है. हम मनमोहन सिंह की बात ही मान रहे हैं, जो आप नहीं कर पाए. भाजपा सांसद जेपी नड्डा ने कहा कि आज इस बिल से लाखों लोगों को सम्मान मिलेगा. आनंद शर्मा का भाषण विद्युतापूर्ण था, जब वकीलों के पास तथ्य की कमी होती है तो उसका मूल से संबंध कम होता है. उनके भाषण में आवाज बहुत लेकिन तथ्य कम. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान-पाकिस्तान-बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के साथ प्रताड़ना हुई, धर्म के आधार पर देश का विभाजन हुआ. जेपी नड्डा बोले कि तब भारत में हिंदू बहुसंख्यक थे और पाकिस्तान में मुस्लिम, इस बात को मान लीजिए. भारत में मुसलमानों को बराबरी का अधिकार मिला है, लेकिन पाकिस्तान-अफगानिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ बराबरी नहीं हुई.

Guwahati: Demonstrators burn tyres during a strike called by All Assam Students’ Union (AASU) and the North East Students’ Organisation (NESO) in protest against the Citizenship Amendment Bill, in Guwahati, Tuesday, Dec. 10, 2019. (PTI Photo)(PTI12_10_2019_000105B)

आनंद शर्मा ने कहा कि असम में आज बच्चे सड़क पर क्यों हैं, जो डिटेंशन सेंटर बनाया गया है तो वहां पर सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को भेजना चाहिए. किसी राजनीतिक दल का घोषणापत्र देश का संविधान नहीं हो सकता है. असम में आज लोग जल रहे हैं, उनके मन में असुरक्षा है लेकिन आप पूरे देश में NRC लाने की बात कह रहे हैं. आनंद शर्मा ने बोले कि गांधी-पटेल का नाम लेने से कुछ नहीं होगा, अगर सरदार पटेल पीएम मोदी से मिलते तो बहुत नाराज होते..गांधी का चश्मा सिर्फ विज्ञापन के लिए नहीं है.

राज्यसभा में अमित शाह ने रखे ये प्वॉइंट – 1. राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल पेश करने के बाद अमित शाह ने सबसे पहले कहा कि इस बिल से करोड़ों लोगों की उम्मीदें हैं। बिल पास होने से कई लोगों को सममान से जीने का हक मिल जाएगा। 2. अमित शाह ने दूसरी बात पर जोर देते हुए कहा कि अगर ये बिल पास हो जाता है तो अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों को यहां जीने का अधिकार मिल जाएगा, जो हक अभी तक नहीं मिला है। 3. राज्यसभा में अमित शाह ने तीसरी बात पर जोर देते हुए कहा कि ये बिल मुसलमान समुदाय के लिए नहीं है। आगे कहा कि पाकिस्तान के मुसलमानों को नागरिकता कैसे दे दें, लेकिन इस देश के मुसलमान यहीं के नागरिक हैं, थे और रहेंगे। 4. अमित शाह ने चौथी बात रखते हुए कहा कि पाड़ोसी देशों पाकिस्‍तान, अफगानिस्‍तान और बांग्‍लादेश में अल्‍पसंख्‍यकों की जनसंख्या घटी है। ऐसे में इस बिल के जरिए वहां से प्रताडित होकर आए लोगों को यहां हक मिल जाएगा। 5. अमित शाह बोले कि घोषणापत्र में बिल का जिक्र किया था। इस बिल में मुस्लिमों को छोड़कर अन्य सभी धर्मों के अल्पसंख्यकों को नागरिता देने का बिल लाया जा रहा है। इन सभी को समानता का अधिकार नहीं मिला, तभी इस बात को ध्यान में रखकर इस बिल को लाया जा रहा है।

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