मुख्‍यमंत्री पर कथित गंभीर आरोप; मीडिया मैनेजमेन्‍ट मूकदर्शक

रायपुर भू-आबंटन फर्जीवाडे मामले में त्रिवेन्द्र सरकार के खिलाफ जनसंघर्ष मोर्चा द्वारा तहसील घेराव #झूठे शपथ पत्र मामले में उत्तराखण्ड मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने को डीजीपी उत्तराखण्ड से मिला जनसंघर्ष मोर्चा # रघुनाथ सिंह नेगी. अध्यक्ष जनसंघर्ष मोर्चा देहरादून द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसारः # Execlusive : www.himalayauk.org (Leading Digital Newsportal)

#श्री त्रिवेन्द्र रावत  मुख्‍यमंत्री उत्‍तराखण्‍ड पर उक्‍त गंभीर आरोप- वही सरकार का मीडिया मैनेजमेन्‍ट मूकदर्शक #

२५ नवम्बर २०१७ विकासनगर-देहरादून, जनसंघर्ष मोर्चा कार्यकर्ताओं द्वारा मोर्चा अध्यक्ष एवं जी०एम०वी०एन० के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी के नेतृत्व में त्रिवेन्द्र सरकार द्वारा भू-आबंटन में हुए फर्जीवाडे को लेकर तहसील में घेराव कर महामहिम राज्यपाल को सम्बोधित ज्ञापन एस०डी०एम० श्री जितेन्द्र कुमार को सौंपा।
नेगी ने कहा कि जनपद देहरादून के रायपुर विकासखण्ड के नेहरूग्राम में वर्ष २०११ में भाजपा सरकार ने नियम विरूद्व ०.१५४है० (दो बीघा) भूमि असम राइफल पूर्व सैनिक कल्याण समिति को आबंटन कर दी थी। उक्त आबंटन की षर्तों के निहित अनुबन्ध के अनुसार समिति को तीन वर्ष के भीतर निर्माण व नजराना जमा कर जिलाधिकारी से आबंटन सम्बन्धी आदेश हासिल करने थे, लेकिन तीन वर्ष तक कोई निर्माण न कर पाने व नजराना जमा न किये जाने में विफल, उक्त समिति को आबंटित भूमि स्वतः ही समाप्त हो गयी/हो जानी चाहिए थी।

झूठे शपथ पत्र मामले में उत्तराखण्ड मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने को डीजीपी उत्तराखण्ड से मिला जनसंघर्ष मोर्चा

देहरादून-जनसंघर्ष मोर्चा प्रतिनिधिमण्डल मोर्चा अध्यक्ष एवं जी०एम०वी०एन० के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी के नेतृत्व में पुलिस महानिदेषक श्री अनिल रतूडी से प्रदेश के मुख्यमन्त्री श्री त्रिवेन्द्र रावत द्वारा निर्वाचन आयोग के समक्ष दिये गये झूठे षपथ पत्र मामले में प्राथमिकी  दर्ज कराने को लेकर मुलाकात की, तथा ज्ञापन सौंपा।  श्री रतूडी ने कार्यवाही का आश्वासन दिया है। नेगी ने कहा कि सीएम श्री रावत द्वारा अपने षपथ पत्र में वर्ष २००७ के चुनावी नामांकन पत्र में अपनी उम्र ४६ वर्ष, २०१२ के चुनाव में ५२ वर्ष, २०१४ के उपचुनाव में ५४ वर्ष तथा २०१७ के चुनावी नामांकन पत्र में भी ५४ वर्ष अंकित की है। इनकी जन्मतिथि दिसम्बर १९६० है। वर्ष २०१७ के नामांकन के समय इनकी उम्र ५६ वर्ष से अधिक थी तथा इसी प्रकार वर्श २०१२ के चुनाव में इनकी उम्र ५१ वर्ष थी, लेकिन इनके द्वारा ५२ वर्ष प्रदर्शित की गयी। नेगी ने कहा कि इनके द्वारा अपनी पैतृक सम्पत्ति का चालू बाजारू मूल्य मात्र ५० लाख दर्शाया गया, जबकि उसकी कीमत लगभग ३ करोड से अधिक की है, जो कि डिफेन्स कालोनी, देहरादून में स्थित है। इसके साथ-साथ इन्होंने अपनी पत्नी की भूमि इत्यादि का चालू बाजारू मूल्य मात्र २८ लाख दर्शाया गया है, जबकि उस वक्त नामांकन के समय उक्त समस्त भू-खण्डों की कीमत करोडों में थी।

उक्त के अतिरिक्त इन्होंने अपने नामांकन पत्र में ढैंचा बीज घोटाले के सम्बन्ध में योजित जनहित याचिका में जारी हुए नोटिस का कहीं भी उल्लेख नहीं किया है, जो कि सरासर जनता के साथ-साथ निर्वाचन आयोग के साथ भी धोखाधडी है। आलम यह है कि फर्जीवोडा/धोखाधडी करने वाले ही आज जीरो टोलरेंश का ढोल पीट रहे हैं।  प्रतिनिधिमण्डल में ः- मोर्चा महासचिव आकाश पंवार, दिलबाग सिंह, डॉ० ओ०पी० पंवार, मौ० असद, जयदेव नेगी, जयकृत नेगी, प्रवीण षर्मा, बागेष पुरोहित, प्रभाकर जोषी, नरेन्द्र तोमर, ओ०पी० राणा आदि थे।

जनसंघर्ष मोर्चा अध्यक्ष नेगी ने कहा कि उक्त तीन वर्षों यानि वर्ष २०११ में आबंटित भूमि की प्रकि्रया पूर्ण करने में विफल, समिति का आबंटन स्वतः ही वर्ष २०१४ में समाप्त हो जाता है, जैसा कि भू-अधिनियम में उल्लेखित है। वर्तमान में सरकार द्वारा उक्त पट्टे को निरस्त करने के बजाय आनन-फानन में एक ही दिन में बिना जिलाधिकारी की रिपोर्ट व अन्य प्रकि्रयाओं का पालन किये बगैर उक्त समिति को २५.०८.२०१७ को भूमि आबंटन की राह में रोडा बने नजराना ही माफ कर दिया।
महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि सरकार द्वारा उक्त आबंटन, जो कि वर्ष २०११ में हुआ, उसका प्रभाव वर्ष २०१४ में समाप्त हो चुका है यानि पट्टा निरस्त हो चुका है।
अभी जुलाई २०१७ में सरकार ने बिना प्रकि्रया अपनाये व नये प्रावधानों के तहत पट्टा आबंटित करने की कार्यवाही करे बगैर उक्त मृत पट्टे, जिसका अस्तित्व ही समाप्त हो गया था, उसका नजराना माफ कर प्रदेश को राजस्व का चूना लगायाा। हैरानी की बात यह है कि जब पट्टा ही निरस्त हो चुका है तो नजराना माफी किस बात की !
उत्तर-प्रदेष शासन, लखनऊ के शासनादेश (जो उत्तराखण्ड में भी अब तक लागू) ०९ मई १९८४ में स्पष्ट प्रावधान है कि जिलाधिकारी द्वारा इस आशय का प्रमाण पत्र देना होगा कि उक्त ग्राम में कोई भूमिहीन खेतीहर मजदूर व निर्बल वर्ग का व्यक्ति वंचित नहीं रह गया है तथा सरकारी प्रयोजना हेतु भी भूमि आबंटित हो चुकी है, इस सम्बन्ध में जिलाधिकारी का कोई प्रमाण पत्र भू-आबंटन करते समय नहीं लिया गया।

नेगी ने कहा कि पूर्व में ऐसे ही प्रकरण, जो कि तहसील रूडकी, हरिद्वार से सम्बन्धित था, जिसमें जिलाधिकारी द्वारा उक्त आशय का प्रमाण पत्र एवं भू-प्रबन्धन समिति की रिपोर्ट के बिना ही कृषि भूमि आबंटित की गयी थी, के मामले में लोकायुक्त न्यायमूर्ति श्री रजा द्वारा दिनांक २१.१०.२००८ को मुख्य समिति को सम्बन्धित अधिकारियों के विरूद्व कार्यवाही की संस्तुति की थी तथा आदेश पारित किये थे कि जो अधिकारी शासनादेश सं० २५८ दिनांक ०२.०५.१९८४ के हनन के दोशी हैं, के विरूद्व उचित कार्यवाही की जाये।
उक्त से स्पष्ट है कि उक्त भू-आबंटन त्रिवेन्द्र सरकार द्वारा मृत पट्टे को पुर्नजीवित किये बगैर नजराना माफी की गयी, जो कि सरासर नियम विरूद्व है।
जनसंघर्ष मोर्चा, महामहिम राज्यपाल से मांग करता है कि समिति को आबंटित भूमि (मृत आबंटन) को पुर्नजीवित किये बिना नजराना माफ किये जाने सम्बन्धी आदेश के खिलाफ सरकार के विरूद्व कार्यवाही करें।

घेराव में मुख्य रूप से दिलबाग सिंह, डॉ० ओ०पी० पंवार, मौ० असद, जयदेव नेगी, ओ०पी० राणा, जयकृत नेगी, प्रवीण षर्मा, चौधरी मामराज, नरेन्द्र तोमर, मनोज चौहान, मौ० इस्लाम, मौ० नसीम, भजन सिंह नेगी, रूपचन्द, राजेष्वरी, हुमा खान, मौ० अली खान, अनूप रावत, षैलेन्द्र थपलियाल, जाबिर हसन, महेन्द्र सिंघल, विनोद गोस्वामी, विनोद टाईटस, घनानन्द ध्यानी, टीकाराम उनियाल आदि थे।

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