हैरान करने वाला कदम -पेट्रोल-डीजल सस्ते नहीं

पेट्रोल-डीजल सस्ते नहीं होंगे: 8% रोड सेस लगाया  #एक्साइज ड्यूटी करके सरकार ने हैरान करने वाला कदम उठाया देश भर में पेट्रोल और डीजल की कीमतों को लेकर मोदी सरकार को कड़ी आलोचना झेलनी पड़ रही है# Top Breaking; www.himalayauk.org (Leading Digital Newsportal & Print Media) 

केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर 2 रुपए की बेसिक एक्साइज और 6 रुपए की एडिशनल एक्साइज ड्यूटी कम कर दी। लेकिन 8% रोड सेस लगा दिया। फाइनेंस सेक्रेटरी हसमुख अढ़िया ने कहा- एक्साइज ड्यूटी कम करके इसे सेस में कन्वर्ट कर दिया गया है। लेकिन, इसका फायदा सीधा कस्टमर्स को नहीं मिलेगा। यानी पेट्रोल-डीजल सस्ते नहीं होंगे। इसके पहले मीडिया में दो रुपए पेट्रोल और डीजल सस्ता होने की खबरें आई थीं।
2 रुपए की बेसिक एक्साइज ड्यूटी कम की। 6 रुपए की एडिशनल एक्साइज ड्यूटी खत्म की। बदले में 8 रुपए प्रति लीटर रोड सेस लगा दिया। 8 का फायदा हो सकता था, लेकिन ये फायदा रोड सेस में चला जाएगा। अढ़िया ने कहा कि इस सेस से जो पैसा सरकार के पास आएगा उसका इस्तेमाल नए हाईवे और रोड बनाने तथा उनके मेंटेनेंस में किया जाएगा।
सरकार ने एक्साइज ड्यटी 2 रुपए प्रति लीटर कम करने का एलान किया। कुछ दिनों पहले ऑयल मिनिस्ट्री ने फाइनेंस मिनिस्ट्री को लेटर लिखकर कहा था कि एक्साइज ड्यूटी अब कम की जानी चाहिए। बता दें कि मुंबई में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 80 रुपए हो चुकी है। ये रिकॉर्ड हाई है। सरकार ने ब्रांडेड और अनब्रांडेड दोनों तरह के पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाई है।

 
जी.एस.टी. परिषद पेट्रोल और डीजल को वस्तु एवं सेवा कर के दायरे में लाने के लिए राज्यों के बीच सहमति बनाने की लगातार कोशिशें कर रही है। परिषद राज्यों को आश्वस्त कर रही है कि ऐसा होने से उनके राजस्व पर किसी तरह का नुकसान नहीं होगा। परिषद का प्रस्ताव यह है कि पेट्रोलियम पर 28 फीसदी जी.एस.टी. लगाया जाए। केंद्र सरकार पेट्रोलियम को जी.एस.टी. में लाने को इच्छुक है और उसे जी.एस.टी. से ऊपर उत्पाद शुल्क लगाने की अनुमति मिल सकती है। बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि वर्तमान में राज्यों के कुल राजस्व में 40 फीसदी हिस्सेदारी पेट्रोलियम उत्पादों की है। ऐसे में जी.एस.टी. दर से ऊपर कर लगाने या राज्यों और केंद्र को अतिरिक्त कर लगाने की आजादी राज्यों को मिलनी चाहिए।’ हालांकि राज्य पेट्रेालियम को जी.एस.टी. में शामिल करने के पक्ष में नहीं हैं क्योंकि उनके कर राजस्व में इसकी हिस्सेदारी करीब 40 फीसदी है। ऐसे में इस पर वैट या जी.एस.टी. के अतिरिक्त अन्य कर लगाने की अनुमति मिलने से राज्यों को राजी किया जा सकता है। अभी विभिन्न राज्यों में पेट्रोल-डीजल पर अलग-अलग कर लगता है। महाराष्ट्र में पेट्रोल पर वैट की दर सर्वाधिक 43.74 फीसदी है, वहीं डीजल पर 26.14 फीसदी वैट लगता है। दूसरी ओर निर्धारित केंद्रीय उत्पाद शुल्क भी लगाया जाता है, जो कीमत घटने या बढऩे पर कम या ज्यादा नहीं होता है। क्रूड ऑयल, हाई स्पीड डीजल, पेट्रोल, प्राकृतिक गैस और विमानन ईंधन जी.एस.टी. के दायरे से बाहर है। विनिर्मित वस्तुओं पर जी.एस.टी. के तहत कर लगता है लेकिन पेट्रोलियम उत्पादों पर वैट लगाया जाता है, जिससे कंपनियां इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं ले पाती हैं और इसकी वजह से उनका मुनाफा प्रभावित होता है। एक अधिकारी ने कहा, अगर राज्यों को जी.एस.टी. दर से अतिरिक्त कर लगाने की अनुमति मिलती है तो इससे पेट्रेालियम पर राज्यों को सहमत करना आसान हो सकता है।

 
पिछले साल अक्टूबर में आखिरी बार एक्साइज ड्यूटी घटाई गई थी। तब पेट्रोल का दाम देश भर में करीब 80 रुपए प्रति लीटर होने वाला था। एक्साइज ड्यूटी करके सरकार ने हैरान करने वाला कदम उठाया है। दरअसल, इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड आॅयल महंगा होता जा रहा है। इसकी वजह से पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स महंगे होते जा रहे हैं। फिलहाल, ब्रेंट क्रूड ऑयल 68 डॉलर प्रति बैरल है।  मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह रेट आने वाले दिनों में 80 या 100 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकता है। यानी सरकार के लिए मुसीबतें बढ़ेंगी। तीन साल पहले जब क्रूड ऑयल की कीमतें कम हुईं थीं तब सरकार ने पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 12 रुपए और डीजल पर 13.77 रुपए बढ़ाकर अपना खजाना भर लिया था। इकोनॉमिक सर्वे 2018 में कहा गया था कि क्रूड ऑयल अगर 10 डॉलर प्रति बैरल की रफ्तार से इसी तरह बढ़ता रहा तो जीडीपी को इससे 0.2 से 0.3% का हर साल नुकसान होगा। और इससे वित्तीय घाटा भी 9 से 10 बिलियन हर साल बढ़ जाएगा।

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