दून मेडिकल कॉलेज की बदहाल स्वास्थ्य सेवा; पीएमओ का सज्ञांन

PMO - Doon Hospital _ Uttarkhand Health One  copyप्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने लिया दून मेडिकल कॉलेज की बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं का सज्ञांन

उत्तराखंड सरकार से अपील – प्रदेश मे स्वास्थ्य संभंदी मानवीय आपदा (Man Made Medical Disaster) से मिले निजात

उत्तराखंड की बदहाल चिकित्सा व्यवस्था के लिए लम्बे समय से हम प्रशासन को चेताने का प्रयास कर रहे है। इसी कड़ी में शासन और प्रशासन को कई पत्र भी सौंपे गए। यहीं नहीं व्यवस्था में सुधार न होने पर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को भी निम्नलिखित पत्र सौंप कर चिकित्सा व्यवस्था के प्रति सचेत करने का प्रयास किया गया। दून मेडिकल कॉलेज की बदहाल चिकित्सा सबंधित पत्र 23 अगस्त को पीएमओ कार्यालय में भेजा गया था। जिसके बाद पीएमओ कार्यालय से 26 जनवरी को इस पत्र का संज्ञान लेते हुए उत्तराखंड सरकार को अग्रसारित कर दिया है। अपने इस ई-मेल के साथ मैं प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजा ई-मेल (नीचे देखें) एवं हमारी शिकायत के जवाब में PMO से मिले स्क्रीन शाॅट भी भेज रहा हूॅं।

हम अपील करते हैं की उत्तराखंड सरकार और स्वास्थ्य से सम्बंधित समस्त महकमे दून मेडिकल कॉलेज और समस्त प्रदेश मे फैली हुई इस स्वास्थ्य संभंदी मानवीय आपदा (Man Made Medical Disaster) से निजात दिलाने के ठोस प्रयास करें I

अनूप नौटियाल द्वारा भेजा गया पत्र-

माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी को भेजा निन्मलिखित पत्र

अव्यवस्थाओं का शिकार हो रहे दून चिकित्सालय, देहरादून के मरीज

दून चिकित्सालय – इलाज कम, परेशानी ज्यादा

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The state of Uttarakhand has been bifurcated on the 9th November 2000 from the erstwhile state of Uttar Pradesh. Having a distinct geography, socio-economic, cultural heritage and different health seeking behaviours, the state planned to establish a Government Medical College at Dehradun along with two more medical colleges in pipeline. The objective of creating a Government medical college is to not only provide cost effective health services to the entire Garhwal region of Himalayas specially the tribal and disadvantage area of the region. The districts Uttarkashi, Tehri and Dehradun where access is only possible for Dehradun apart from this medical college will help to improve access to health services for common people of this state, Dehradun is the gateway of the whole Garhwal region of Uttarakhand and it drains patients from all the seven districts of the region, A government medical college in Dehradun will not only help the population in this region to access for quality health care in a subsidized pattern but will also help in quality medical health services for the tribal and backward population of the region. It will produce quality doctors, which will help to reduce the gap of trained manpower required in the state. The medical college will also promote research and training in the mid and upper Himalayan regions specially related to health care and disaster mitigation.

The medical college is proposed in two pieces of Land, one in Dehrakhas and another in Central Dehradun. Land of 11.58 acres has been identified, demarcated and transferred to the medical education department at Dehrakhas in the city of Dehradun, around 4.5 km from the teaching hospital. Drawings and detailed DPR was approved by the Government of Uttarakhand vide letter no: 1457/XXVIII(I)/2010-32/2009 TC1 dated 24th December 2011.The construction of administrative block, Department of Anatomy, Physiology, Biochemistry and Community Medicine is going to be completed soon. Construction of Central Library, Accommodation for the Faculty and Students are in full swing.

The proposed teaching hospital, Doon hospital of the medical college was established in 1935. It is a fully functional more than 300 bedded hospital having Central Laboratory, ICU, Emergency, Modern OT’S, MRI, CT Scan, Colour Doppler and full strength of specialists staff is available in this state of art ISO certified hospital.

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महोदय,

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून की बदहाल चिकित्सा की स्थिति को संज्ञान में लाने हेतु आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं। मेरी मंाग है कि आप दून चिकित्सालय की बदहाल चिकित्सा व्यवस्था पर ध्यान दंे।

उत्तराखंड पहाडी राज्य है और पहाड़ों मे रह रहे लोगांे की चिकित्सा सुविधायें दिलाने का तो दूर का विषय है, राजधानी देहरादून मंे भी उचित चिकित्सा सुविधा देने में सरकार असफल साबित हुई है। दून अस्पताल के दून मेडिकल काॅलेज बन जाने से अस्पताल में आने वाले मरीजों को इलाज की उचित सुविधा नहीं मिल पा रही है। उचित इलाज के अभाव में मरीज अव्यवस्थाओं का शिकार हो रहे है।

मंै आपका ध्यान दून अस्पताल के मेडिकल काॅलेज बन जाने के बाद से मरीजों को हो रही समस्या से अवगत कराना चाहता हूं। सरकारी अस्पतालों की व्यवस्थाओं के चरमराने से सीधा असर गरीबो पर पड़ रहा है। इलाज के लिए दूर दराज इलाकांे से आने वाले मरीजों को सुविधा न मिलने के कारण उन्हे मजबूरन निजी अस्पतालों का रूख करना पड़ रहा है। चिकित्सालयों में चिकित्सा के नाम पर आम जन के साथ हो रहे इस खिलवाड़ को देखकर भी प्रशासन चुप्पी साधे बैठा है। यह जांच का विषय है।

मैं आपका ध्यान कुछ मुख्य बिन्दुओं पर दिलाना चाहता हंू जो निम्न है।

दून मेडिकल काॅलेज बनने से बढ़ी समस्या

दून चिकित्सालय अब दून मेडिकल काॅलेज बन गया है। मरीजों के लिए तो समस्या का कारण था ही अब उस पर डाक्टर और कर्मचारी भी इससे अछूते नहीं है। कई कर्मचारी और डाक्टर ऐसे भी है जिन्हे अस्पताल संे वेतन नहीं मिला है। स्थिति यह है कि मेडिकल काॅलेज बन जाने से यहां पर कर्मचारियों की स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है । चिकित्सालय में काम करने वाले कर्मचारी समेत डाक्टर तक को परेशानी झेलनी पड़ रही है।

नेत्र विभाग में संक्रमण

पिछले दिनों दून मेडिकल काॅलेज के नेत्र विभाग में संक्रमण इतना बढ़ चुका है कि हाल ही के दिनों में आखों के आॅपरेशन के दौरान चार मरीजांे की आखों की रोशनी चली गई। आॅपरेशन थियेटर जैसी जगहों पर सफाई की सुचारू व्यवस्था होनी चाहिए। वहां संक्रमण का बोलबाला है, परिणामस्वरूप चार मरीजों को अपने आंखो की रोशनी खोनी पड़ी। अस्पताल ने यह स्वीकारा है कि उचित रखरखाव न होने के कारण मरीजों की आंखो में संक्रमण जैसी समस्या उत्पन्न हुई है।

जंक खा रही मशीने

चिकित्सालय मंे मंहगी से महंगी मशीने तो लेकर रख दी है पर उसके रखरखाव पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जिसके कारण दून मेडिकल काॅलेज में कई मशीने खराब अवस्था मंे पहुंच गई है। ईसीजी और ईको मशीन के खराब पड़े महीनों हो गए उस पर अब पिछले डेढ़ महीने से एमआआई मशीन भी लापरवाही से खराब हो गई है। अब मशीनों के खराब होने से चिकित्सालय में जांच के लिए आ रहे मरीजांे को भी जरूरी जांच के लिए निजी अस्पताल की ओर रूख करना पड़ा है।

प्राथमिक उपचार की दवाईयां भी नहीं

दून चिकित्सालय में बुखार और खासी जैसी दवाईयां आसानी से प्राप्त हो जानी चाहिए। चिकित्सालय में आने वाले मरीजों को डाक्टर द्वारा लिखी दवाईयां भी उपलब्ध न होने से मरीजों को दवाई बाहर से खरीदनी पड़ रही है। चिकित्सालय में मिलने वाली दवाईयां न मिलने का कारण दवाईयांे के टैण्डर समाप्त होना बताया जा रहा है। अब यह भी स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि चिकित्सालय में मिलने वाली दवाईयांे का टैण्डर समाप्त हुआ या स्थानीय खरीद न होने के कारण अस्पताल में दवाईयां नहीं मिल रही है। चिकित्सालय में दवाईयां उपलब्ध नहीं होने से मरीजों को निजी दुकानदारों से दवाई खरीद कर अच्छी खासी कीमत चुकानी पड़ रही है। कई बार गरीबों को प्राथमिक उपचार की दवाईयां न मिलने से वे इलाज से वंचित रह जाते है।

पीने का पानी भी मयस्यर नहीं

दून चिकित्सालय में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को पीने के पानी की समस्या से भी जूझना पड़ रहा है। अस्पताल में पीने के पानी की व्यवस्था सुलभ व सहज होनी चाहिए वह भी बदहाल स्थिति में है। अस्पताल मंे आने वाले मरीजों को अस्पताल में पानी नहीं मिल पाता है। पीने के पानी के नाम पर चिकित्सालय में एक ट्यूबवैल था जिसकी कई दिनों से मोटर खराब होने के कारण लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। इलाज के लिए आ रहे मरीजों को पीने के पानी के लिए अस्पताल से बाहर दुकानों की ओर रूख करना पड़ता है।

विरोध में है नेशनल हैल्थ मिशन के संविदा कर्मी

भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही नेशनल हैल्थ मिशन की स्थिति बदहाल है। इस योजना के तहत प्रदेश में काम कर रहे 2600 कर्मचारी आज हड़ताल पर है। गरीब प्रभावित हो रहा है। चिकित्सालय मंे गरीब आदमी इलाज के लिए आता है जो अस्पताल की अव्यवस्थाओ के कारण उचित इलाज भी नहीं करा पाता है।

चिकित्सालय मे इस तरह की बदहाल चिकित्सा प्रणाली मरीजों के लिए मुसीबत है । इससे पूर्व ही चिकित्सालय की जांच कर व्यवस्थाओं को दुरूस्त करने की आवश्यकता है जिससे चिकित्सा प्रणाली में सुधार हो सके और अस्पताल में आने वाले मरीजों को उचित इलाज मिल सके।

भवदीय

अनूप नौटियाल
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष , आम आदमी पार्टी उत्तराखंड एवं सामाजिक कार्यकर्ता
69 वसन्त विहार,
देहरादून-248006, उत्तराखंड
मो.न – 09760041108,
ई-मेल: anforuk@gmail.com

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