अब दिसम्‍बर में लागू होगा E-way bill* व्‍यापारी नाराज

केन्द्र सरकार शीघ्र ला रही है ई वे बिल* E-way bill  #कर विभाग उत्तराखण्ड द्वारा आनन-फानन में लागू  होगा # विरोध में  भाजपा व्यापारी नेता  # वित्त मंत्री श्री प्रकाश पंत जी को दिया ज्ञापन #माह दिसम्बर में प्रदेश में लागू किया जाएगा; वित्त मंत्री#  उत्तराखण्ड ई वे बिल*E-way bill को लेकर के व्यापारियों का एक प्रतिनिधी मण्डल वित्त मंत्री से मिला #व्यापारी जी०एस०टी० की कठिनाईयों से उभर नहीं पाया- भाजपा व्‍यापारियो ने कहा- #उत्तराखण्ड प्रदेश में*E-way bill की प्रक्रिया को अन्य बडे प्रदेशों में लागू होने के उपरान्त ही थोपना चाहिए# :E-way bill लागू होने से व्यापारियों का उत्पीडन होगा# Top Breaking: www.himalayauk.org (Leading Digital Newsportal) क्या आप जानते हैं कि ये ई-वे बिल है क्या? 

  भाजपा के नाराज व्‍यापारी नेताओ ने मांगी राहत #उत्तराखण्ड राज्य के छोटे व्यापारियों को राहत देने कि कृपा करें #जी०एस०टी० की छूट की सीमा १० लाख से बढाकर २० लाख करे 

देहरादून २९ नवम्बर २०१७ः- ३१ जुलाई से जी०एस०टी० लागू होने के उपरान्त देश में रोड परमिट के नाम पर केन्द्र सरकार शीघ्र ई वे बिल*E-way bill लागू करने जा रही है। इस संदर्भ में उत्तराखण्ड प्रदेश में E-way bill की प्रक्रिया को कर विभाग उत्तराखण्ड द्वारा आनन-फानन में लागू किए जाने के विरोध में व्यापारी नेता श्री अनिल गोयल (प्रदेश अध्यक्ष प्रान्तिय उद्योग व्यापार मण्डल) एवं श्री उमेश अग्रवाल (संरक्षक दून उद्योग व्यापार मण्डल) के नेतृत्व में प्रदेश के वित्त मंत्री श्री प्रकाश पंत जी से मिला।

इस मौके पर व्यापारी नेताओं ने श्री प्रकाश पंत जी को अवगत कराया कि पूर्व में कर विभाग*ई-वे बिल**को लागू करने कि दिशा में इसका डेमो व्यापारी नेताओं के समक्ष प्रस्तुत कर माह दिसम्बर में प्रदेश में लागू किया जाएगा, जबकि अभी तक व्यापारी जी०एस०टी० की कठिनाईयों से उभर नहीं पाया है एवं उत्तराखण्ड भौगोलिक स्थिती से पिछडा होने के कारण इस प्रदेश में*E-way bill की प्रक्रिया को अन्य बडे प्रदेशों में लागू होने के उपरान्त ही थोपना चाहिए।

दून उद्योग व्यापार मण्डल के संरक्षक श्री उमेश अग्रवाल जी ने कहा कि E-way bill की प्रक्रिया ना केवल अन्तर-राज्य स्तर पर ही लागू किया जाना चाहिए प्रदेश के भीतर E-way bill लागू होने से व्यापारियों का उत्पीडन होगा एवं प्रदेश के भीतर वस्तुओं के आवागमन ijE-way bill लगाना संभव नहीं है। दून उद्योग व्यापार मण्डल के अध्यक्ष श्री विपीन नागलिया ने मा० वित्तीय मंत्री जी को कहा कि उत्तराखण्ड में जी०एस०टी० की छूट की सीमा १० लाख से बढाकर २० लाख करने पर Act में संशोधन कर तुरंत उत्तराखण्ड राज्य के छोटे व्यापारियों को राहत देने कि कृपा करें।

इस मौके पर दून उद्योग व्यापार मण्डल के कोषाध्यक्ष श्री प्रवीन जैन, श्री मीत अग्रवाल, श्री आदेश मंगल, श्री कृष्ण गुप्ता क्षेत्रिय पार्षद एवं व्यापारी नेता श्री अजय सिंघल, युवा व्यापार मण्डल श्री अनुज जैन आदि उपस्थित रहे।

क्या आप जानते हैं कि ये ई-वे बिल है क्या?  अगर किसी वस्तु का एक राज्य से दूसरे राज्य या फिर राज्य के भीतर मूवमेंट होता है तो सप्लायर को ई-वे बिल जनरेट करना होगा। अहम बात यह है कि सप्लायर के लिए यह बिल उन वस्तुओं के पारगमन (ट्रांजिट) के लिए भी बनाना जरूरी होगा जो जीएसटी के दायरे में नहीं आती हैं। इस  बिल में सप्लायर, ट्रांसपोर्ट और ग्राही (Recipients) की डिटेल दी जाती है। अगर जिस गुड्स का मूवमेंट एक राज्य से दूसरे राज्य या फिर एक ही राज्य के भीतर हो रहा है और उसकी कीमत 50,000 रुपए से ज्यादा है तो सप्लायर (आपूर्तिकर्ता) को इसकी जानकरी जीएसटीएन पोर्टल में दर्ज करानी होगी।  यह बिल बनने के बाद कितने दिनों के लिए वैलिड होता है, यह भी निर्धारित है। अगर किसी गुड्स (वस्तु) का मूवमेंट 100 किलोमीटर तक होता है तो यह बिल सिर्फ एक दिन के लिए वैलिड (वैध) होता है। अगर इसका मूवमेंट 100 से 300 किलोमीटर के बीच होता है तो बिल 3 दिन, 300 से 500 किलोमीटर के लिए 5 दिन, 500 से 1000 किलोमीटर के लिए 10 दिन और 1000 से ज्यादा किलोमीटर के मूवमेंट पर 15 दिन के लिए मान्य होगा। इस बिल के अंतर्गत विक्रेता (वस्तु के बेचने वाला) को जानकारी देनी होगी की वो किस वस्तु को बेच रहा है, वहीं खरीदने वाले व्यक्ति को जीएसटीन पोर्टल पर जानकारी देनी होगी कि उसने या तो गुड्स को खरीद लिया है या फिर उसे रिजेक्ट कर दिया है। हालांकि अगर आप कोई जवाब नहीं देते हैं तो यह मान लिया जाएगा कि आपने वस्तु को स्वीकार कर लिया है। मान लीजिए जिस व्हीकल से सामान एक राज्य से दूसरे राज्य में पहुंचाया जा रहा है वह अगर किसी दुर्घटना का शिकार होता है तो इस सूरत में आपको सामान दूसरे व्हीकल में ट्रांसफर करने के बाद एक नया बिल जनरेट करना होगा। जब आप (विक्रेता) ई-वे बिल को जीएसटीएन पोर्टल पर अपलोड करेंगे तो एक यूनीक ई-वे नंबर (ईबीएन) जनरेट होगा। यह सप्लायर,ट्रांसपोर्ट और ग्राही (Recipients) तीनों के लिए होगा। गर किसी एक ट्रक में कई कंपनियों का सामान जा रहा है तो ट्रांसपोर्टर को एक कंसालिडेटेड बिल बनाना होगा। इस बिल के अंदर सारी कंपनियों के सामान की अलग–अलग डिटेल होनी चाहिए।

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