प्रत्याशियों के एफिडेविट में घोषित सम्पत्तियों की जांच

सदस्‍यता जायेगी #यदि पता  लगा तो # आयकर विभाग अब करेगा जांच #तथ्यों की सत्यता की जांच #प्रत्याशी द्वारा वर्तमान चुनाव में दिए गए शपथ पत्र की पिछले चुनाव में दिए गए शपथ पत्र से तुलना किये जाने पर यदि चल अचल संपत्ति में बेतहाशा (अप्रत्याशित) वृद्धि नज़र आती है  #प्रत्याशी द्वारा छुपाई गयी चल अचल संपत्ति का यदि पता लगे #वर्ष 2017 में गोवा, मणिपुर, पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश विधान सभा और अमृतसर (02) संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों द्वारा शपथ पत्रों में घोषित की गयी चल-अचल सम्पत्तियों की जाँच  INCOME TAX DEPARTMENT TO VERIFY CANDIDATES’ ASSESTS DISCLOSED IN AFFIDAVITS
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विषय : आयकर विभाग अब करेगा जांच – वर्ष 2017 में गोवा, मणिपुर, पंजाब, उत्तराखंड एवं उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव एवं (02) अमृतसर लोक सभा चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के एफिडेविट (शपथ पत्रों) में घोषित चल एवं अचल सम्पत्तियों की

महोदय

नीरज सक्सैना (एडवोकेट), संजीव गुप्ता (इंजीनियर), अनुज अग्रवाल, विक्रम चौधरी, घनश्याम लाल शर्मा, एवं तिलक राम पांडेय ‘मौलिक भारत’ संगठन के सदस्य हैं और चुनाव सुधार, सुशासन, पारदर्शिता एवं हिंदुस्तान के विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थानों की जनता के प्रति जवाबदेही के लिए कार्यरत हैं।

मौलिक भारत सदस्यों द्वारा दिनांक 17 जनवरी 2017 को भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री नसीम ज़ैदी को चुनाव सुधार के लिए पत्र लिखकर आवश्यक कार्यवाही हेतु निवेदन किया गया था कि :

चुनाव लड़ने वाले सभी प्रत्याशियों द्वारा (Conduct of Elections Rules-1961 के नियम 4 A के अंतर्गत नामांकन के साथ (फॉर्म 26) में भरे जाने वाले शपथ पत्र में बयान किये गए तथ्यों की सत्यता की जांच निर्वाचन आयोग द्वारा की जानी चाहिए। (Annex. 1 copy of Letter dated 17/01/2017).

पांच राज्यों के चुनाव प्रक्रिया के चलते प्रार्थीगण के पत्र उपरोक्त का भारत निर्वाचन आयोग नयी दिल्ली द्वारा कोई निस्तारण न होते देख व् शपथ पत्रों की जांच की गंभीरता के मद्देनज़र नीरज सक्सैना (एडवोकेट), संजीव गुप्ता (इंजीनियर) द्वारा एक ONLINE RTI APPLICATION No. ECOMM/R/2017/50236 दिनांक 10 फरवरी 2017 को निर्वाचन आयोग में दाखिल कर दी जिसमें दस बिंदुओं पर सूचना मांगी गयी थी।
(Annex. 2, copy of online RTI dated 10 Feb 2017).

परन्तु भारत निर्वाचन आयोग नयी दिल्ली सचिवालय द्वारा एक महीना बीत जाने के बाद भी पत्र उपरोक्त दिनांक 17 जनवरी 2017 एवं Online RTI Application दिनांकित 10 फरवरी 2017 का कोई जवाब नहीं दिया गया ।

कोई सूचना/जवाब न दिए जाने की स्थिति में प्रार्थीगण ने मजबूर होकर दिनांक 10 मार्च 2017 को स्वयं भारत निर्वाचन आयोग नयी दिल्ली सचिवालय पर पहुँच कर RTI APPLICATION की कॉपी पुनः प्रेषित की।
(Annex. 3, copy of RTI application acknowledged on 10/3/2017).

भारत निर्वाचन आयोग के जन सूचना अधिकारी अवर सचिव श्री कुमार राजीव द्वारा पत्र संख्या F.No. 4/RTI/PB/2017/NS-I/183 दिनांक 30 मार्च 2017 के माध्यम से RTI Application बिंदु क्रमांक 9 पर निम्न सूचना दी है
RTI Application का प्रश्न (9)
कृपया सूचित करें कि हमारी प्रार्थना “चुनाव लड़ने वाले सभी प्रत्याशियों द्वारा (Conduct of Elections Rules-1961 के नियम 4 A के अंतर्गत नामांकन के साथ (फॉर्म 26) में भरे जाने वाले शपथ पत्र में बयान किये तथ्यों की सत्यता की जांच निर्वाचन आयोग द्वारा की जानी चाहिए” पर भारत निर्वाचन आयोग द्वारा यदि कोई कार्यवाही की गयी हो तो प्रार्थीगण को सूचित करेंऔर सम्बंधित दस्तावेज़ों की सत्यापित प्रति भी उपलब्ध करवाएँ।

निर्वाचन आयोग द्वारा प्रदत्त प्रश्न (9) का जवाब
भारत निर्वाचन आयोग द्वारा अपने पत्र संख्या 76/ECI/LET/EEM/EL.Ex/IED/EEPS/2017Vol-I दिनांक 23 March 2017 (प्रति संलग्न ) के माध्यम से केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) को निवेदन किया गया है कि वर्ष 2017 में पंजाब, इत्यादि में विधान सभा चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों द्वारा शपथ पत्रों में दर्शायी गयी सम्पत्तियों के ब्यौरे की जांच करे ।
झूठा शपथ पत्र भरे जाने के संदर्भ में कृपया निर्वाचन आयोग के निर्देश संख्या 4/2014/SDR.Vol-I दिनांक 26 April 2014 का संदर्भ ग्रहण करें (प्रति संलग्न )
(Annex. 4, copy of Reply from Election Commission PIO dated 30/3/2017).

भारत निर्वाचन आयोग ने अपने पत्र संख्या 76/ECI/LET/EEM/EL.Ex/IED/EEPS/2017Vol-I दिनांक 23 March 2017 द्वारा निदेशक (अन्वेषण-V) (केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड) भारत सरकार, राजस्व मंत्रालय नयी दिल्ली एवं निदेशक आयकर विभाग (अन्वेषण) कोलकाता, उत्तर प्रदेश, चंडीगढ़, कर्नाटक को निर्देशित किया कि वर्ष 2017 में गोवा, मणिपुर, पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश विधान सभा और अमृतसर (02) संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों द्वारा शपथ पत्रों में घोषित की गयी चल-अचल सम्पत्तियों की जाँच (चुनाव आयोग एवं CBDT) के मध्य (दिनांक 19 जून 2013 को सम्पन्न हुई मीटिंग) में निर्धारित किये गए निम्न मापदंडों के आधार पर की जाय।

श्रेणी -A : विशिष्ट मामले जिन्हे भारत निर्वाचन आयोग द्वारा अग्रसारित किया जाय
(Category -A : Specific Cases forwarded by ECI)

श्रेणी -B : वे मामले : जिनमे प्रत्याशी द्वारा वर्तमान चुनाव में दिए गए शपथ पत्र की पिछले चुनाव में दिए गए शपथ पत्र से तुलना किये जाने पर यदि चल अचल संपत्ति में बेतहाशा (अप्रत्याशित) वृद्धि नज़र आती है।
(Category – B :Cases witnessing phenomenal growth when the current affidavit is compared to that filed during the previous elections, if any)

श्रेणी -C : वे मामले : चुनावों में विजयी होने वाले सभी प्रत्याशियों के चुनावी शपथ पत्र में घोषित चल-अचल संपत्ति की सत्यता उनकी आयकर विवरणी से मिलान करके पता लगाई जाय (यदि उनके द्वारा आयकर विवरणी दाखिल की जाती है)
(Category – C : Cases of winning Candidates and the veracity of the affidavits compared to the returns of income, if any filed by them.)

श्रेणी – D वे मामले : जहाँ पर आयकर स्थाई खाता संख्या (PAN) नहीं दिया गया है किन्तु चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी द्वारा चल-अचल संपत्ति 5 करोड़ से अधिक घोषित की गयी है
(Category-D : Instances where there was no PAN but movable/immovable asset disclosed were in excess of Rs. 5 Crore)

श्रेणी – E वे मामले जहां पर चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी के वर्तमान चुनाव में भरे गए शपथ पत्र में दर्शायी गयी चल-अचलसंपत्ति में पिछले चुनाव में भरे गए शपथ पत्र में दर्शायी गयी चल-अचल संपत्ति की तुलना में 2 करोड़ रुपये से अधिक कीबढ़ोतरी हुई हो और आयकर विभाग यदि जांच के दौरान प्रत्याशी द्वारा छुपाई गयी चल अचल संपत्ति का यदि पता लगे अथवा आयकर विभाग द्वारा आकलन की गयी हो तो उसे भी भारत निर्वाचन आयोग को छः (6) महीनों के भीतर अर्थातमाह सितंबर 2017 तक सूचित करे।
(Category-E : Cases where addition of new immovable assets above a threshold say Rs. 2 crore vis-à-vis last affidavit, if any, was witnessed and to report additional concealment detected/estimated by Income Tax Department within 6 months i.e. September 2017)

लोकसभा एवं विधान सभा का चुनाव लड़ने के लिए प्रत्येक प्रत्याशी द्वारा नामांकन भरते समय शपथ पत्र (AFFIDAVIT) भरना अनिवार्य है। शपथ पत्र में प्रत्याशी द्वारा अपनी व अपने परिवार के सदस्यों (पत्नी एवं आश्रितों) की चल संपत्ति जैसे कि नकद धनराशि, बैंक एवं अन्य संस्थान में जमा धनराशि, फिक्स्ड डिपॉज़िट्स, बांड्स, शेयर्स, डिबेंचर्स, म्युचुअल फंड, राष्ट्रीय बचत योजना, पोस्ट आफिस जमा, बीमा पॉलिसी, प्रोविडेंट फंड इत्यादि का मूल्य, वाहन, सोना, चांदी, अन्य कीमती वस्तुएं का मूल्य एवं अचल संपत्ति जैसे कि कृषि भूमि, गैर कृषि भूमि, व्यवसियिक भवन, रिहयशी भवन, फ्लैट, इमारत इत्यादि का (पता सहित) वर्तमान बाज़ारू मूल्य तथा प्रत्याशी द्वारा लिए गए ऋण व सरकारी देनदारियों एवं अन्य कई जानकारियां शपथ पर घोषणा करना अनिवार्य होता है।

प्रत्याशियों द्वारा चुनाव के दौरान भरे जाने वाले शपथ पत्रों की जांच एवं चुनाव सुधार हेतु मौलिक भारत के प्रयास :

महोदय प्रत्याशियों के एफिडेविट (शपथ पत्र) की सत्यता जांच एवं चुनाव सुधार के अन्य मुद्दों को मौलिक भारत टीम द्वारा समय समय पर भारत निर्वाचन आयोग के समक्ष उठाया जाता रहा है। इसी क्रम में माननीय सुप्रीम कोर्ट एवं माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय में जनहित याचिकाएं भी डाली गयी हैं।

माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय में दाखिल की गयी एक जनहित याचिका W.P. (C) 443/2014 [मौलिक भारत द्वारा न्यासी अनुज अग्रवाल एवं नीरज सक्सैना बनाम भारत निर्वाचन आयोग एवं अन्य) में दिनांक 22 जनवरी 2014 को [ याचीगण की प्रार्थना कि चुनाव लड़ने वाले सभी प्रत्याशियों के नामांकन एवं शपथ पत्रों के कड़ाई से जांच किये जाने की कड़ी प्रक्रिया बनाई जाए। इस पर अग्रिम नोटिस पर न्यायालय में उपस्थित आए भारत निर्वाचन आयोग के वकील द्वारा माननीय खंड पीठ का ध्यान धारा 36 जन प्रतिनिधि अधिनियम 1951 (नामांकन पत्रों की जांच) एवं धारा 125A (झूठा शपथ पत्र दाखिल करने पर दंड) की ओर आकर्षित करते हुए बताया कि कानून में इन परिस्थितियों से निबटने के लिए कानूनी प्रावधान तो मौजूद हैं परन्तु इसके लिए अभी दिशानिर्देश GUIDELINES बनाये जाने हैं। आयोग के वकील द्वारा यह बयान भी किया गया कि (उपलब्ध कम समय में) नामांकन पत्रों एवं शपथ पत्रों में वर्णित तथ्यों की जांच आयोग द्वारा किया जाना सम्भव नहीं है।

चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशिओं के शपथ पत्रों में वर्णित तथ्यों की जांच किये जाने के मुद्दे को मौलिक भारत न्यासी अनुज अग्रवाल द्वारा 05 मार्च 2014 को विज्ञानं भवन नयी दिल्ली में 2014 संसदीय चुनाव घोषणा के दौरान तत्कालीन मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री वी० एस० संपथ के समक्ष भी उठाया गया था। वीडियो देखने के लिए निम्न लिंक पर क्लिक करें
https://www.youtube.com/edit?o=U&video_id=ygdgnuh-6Mk

अभियुक्त अरविन्द केजरीवाल (दिल्ली के मुख्य मंत्री) द्वारा निर्वाचन आयोग के समक्ष फ़र्ज़ी वोट बनवाने एवं झूठा शपथ पत्र दाखिल करने पर मौलिक भारत के सदस्यों द्वारा पटियाला हाउस न्यायालय में दाखिल एक आपराधिक मुकदमा संख्या 20786/2016 [नीरज सक्सैना एवं अनुज अग्रवाल बनाम अरविन्द केजरीवाल) अंतर्गत (धारा 31 जनप्रतिनिधि अधिनियम 1950, धारा 125A जनप्रतिनिधि अधिनियम 1951 एवं धारा 177 भारतीय दंड संहिता) में दिनांक 24 दिसम्बर 2016 को अभियुक्त अरविन्द केजरीवाल को जमानत पर छोड़ा गया है।

नीरज सक्सेना (एडवोकेट)
निवासी 20 नवीन पार्क,
साहिबाबाद, गाज़ियाबाद
(उत्तर प्रदेश)

INCOME TAX DEPARTMENT TO VERIFY CANDIDATES’ ASSESTS DISCLOSED IN AFFIDAVITS
Sir
We Neeraj Saxena (Advocate) and Sanjeev Gupta (Engineer) both (residents of Ghaziabad) and members of Maulik Bharat are working on electoral reforms, good governance, transparency and accountability for the last 5 years.
On 23 March 2017, The Election Commission of India conceded to our prayer to verify the moveable and immoveable assets of all candidates who contested Goa, Manipur, Punjab, Uttarakhand and Uttar Pradesh legislative elections 2017, by Income Tax Department.
 
General Elections to all five states were declared by ECI on 04 Jan 2017 and model code of conduct was imposed.  Perhaps the ECI skipped its duty under Article 324 of Indian Constitution to get the contents of affidavits verified filed by candidates during general elections.
To remind the ECI of its duties under Article 324, we submitted a letter/memorandum at their secretariat on 17 January 2017 with a specific prayer “That affidavit in Form 26 (Rule 4A) (Conduct of Elections Rules-1961, filed by all contesting candidates along with nominations must be verified by Election Commission for the truthfulness of their contents”.
(Annex. 1 copy of Letter dated 17/01/2017).
Getting no response from ECI on our prayer we filed an online RTI application No. ECOMM/R/2017/50236 on 10 Feb 2017 to know the action initiated if any by ECI on our prayer. (Annex. 2, copy of online RTI dated 10 Feb 2017).
As ECI was again not responsive and considering the seriousness of the matter we went to ECI secretariat at Ashoka Road, New Delhi and re-submitted (hard copy) of RTI application on 10 March 2017.
(Annex. 3, copy of RTI application acknowledged on 10/3/2017).
Public Information Officer of Election Commission while replying to the (point 9) of RTI application vide letter No. 4/RTI/PB/2017/NS-I/183 dated 30 March 2017 (Annex. 4) also sent us (copies) of two more letters bearing No 76/ECI/LET/EEM/EL.Ex/IED/EEPS/2017Vol-I Dated 23 March 2017 addressed to The Director General(s) of Income Tax (Inv.) of Kolkata, Uttar Pradesh, Chandigarh and Karnataka thereby directing them “Verification of Affidavits of contesting candidates of General Elections to the Legislative Assemblies of Goa, Manipur, Punjab, Uttarakhand and Uttar Pradesh 2017 and bye-election from 02 Amritsar PC, Punjab 2017” to be done by Income Tax Department within 6 six months i.e. September, 2017 on the basis of agreed parameters between ECI and CBDT vide minutes dated 19th June 2013.
Category-A
            Specific cases forwarded by ECI.
Category-B
            Cases witnessing phenomenal growth when the current affidavit is compared to that filed during the previous elections, if any.
Category-C
            Cases of winning Candidates and the veracity of the affidavits compared to the returns of income, if any, filed by them.
Category-D
            Instances where there was no PAN but movable/immovable asset disclosed were in excess of Rs. 5 Crore.
Category-E
Cases where addition of new immovable assets above a threshold say Rs. 2 crore vis-à-vis last affidavit, if any, was witnessed and to report additional concealment detected/estimated by Income Tax Department within 6 months i.e. September 2017.
Copies of the aforesaid letters dated 23/3/2017 have also been sent to The Chairman CBDT, North Block, New Delhi, The Member (Investigation), CBDT, North Block, New Delhi for their information and also to The Chief Electoral Officers of Goa, Manipur, Punjab, Uttarakhand and Uttar Pradesh for necessary action with request to kindly make available the url and soft copy of affidavit lodged by the contesting candidates to the concerned DGIT(Inv.) under information to the Election Commission.
[Annex 5A Copy of Letter dated 23/3/2017 to Director (Inv. V) CBDT]
[Annex 5B Copy of Letter dated 23/3/2017 to all DGITs]
We, Neeraj Saxena Advocate, Sanjeev Gupta Engineer, Anuj Agarwal, Vikram Choudhary and Ghanshyam Lal Sharma, the team ‘Maulik Bharat’ have persistently endeavouring for verification of contents of candidates’ affidavits by The Election Commission of India.
Brief back ground :
In reply to our contention in W.P. (C) 443/2014 (Maulik Bharat Trust-through founder trustee Anuj Agarwal and Neeraj Saxena versus Election Commission of India and others) for formulation of stringent procedure/mechanism for verification and scrutiny of Nomination Papers and Affidavits of all contesting candidates in election to any public office in India the counsel for the respondent No. 1 Election Commission of India appearing on advance notice before Hon’ble Delhi High Court invited attention to Section 36 of the Representation of People Act, 1951 providing for scrutiny of Nomination papers and to Section 125A providing penalty for filing false affidavit etc. contended that remedies have been provided under the said Act for situations for which guidelines are sought to be framed.  It is further stated that it is not feasible for the Election Commission to verify contents of Nomination Forms and Affidavits in the short time available.
The question of verification of the contents of affidavits was also raised by Mr. Anuj Aggarwal (Maulik Bharat Founder Trustee) on 05 March 2014 before the then Chief Election Commissioner Sh. V. S. Sampath at Vigyan Bhawan, New Delhi during a Press Conference convened for declaring schedule for Parliamentary Elections-2014. video can be seen at url : https://www.youtube.com/edit?o=U&video_id=ygdgnuh-6Mk 
 
Accused Arvind Kejriwal (Chief Minister of Delhi) was released on bail on 24/12/2016 by Patiala House Court Metropolitan Magistrate for offences under section 31 RP Act 1950, (Making false Declarations), section 125A RP Act 1951 (Penalty for filing false Affidavit etc.) and 177 IPC (Furnishing false information) in criminal complaint case No. 20786/2016 titled Neeraj Saxena and Anuj Agarwal versus Arvind Kejriwal.
 
With warm regards.
 
Neeraj Saxena (Advocate), 
Trustee, Maulik Bharat

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