चढ़ गुंडों की छाती पर, माया का लोकप्रिय नारा बदल सकता है चुनावी माहौल

एक समय ‘’चढ़ गुंडन की छाती पर, मुहर लगेगी हाथी पर” का नारा देने वाली बसपा अब सपा के साथ है और 2019 का चुनाव मिल कर लड़ रही है. जाहिर है कि इस गठबंधन के बाद नारों का रंग रूप भी बदल जाएगा.  वहीं ‘‘उत्तर प्रदेश को ये साथ पसंद है” का नारा देने वाली सपा को अब कांग्रेस ‘‘नापसंद” है. 
‘‘मिले मुलायम कांशीराम, हवा हो गए जयश्रीराम” .1993 में जब उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा ने मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा था तो भाजपा को टार्गेट पर लेता हुआ ये नारा काफी चर्चित रहा .”उन्होंने कहा, ”अब एक बार फिर सपा-बसपा साथ हैं लेकिन नेतृत्व बदल गये हैं. मुलायम की जगह अखिलेश यादव और कांशीराम की जगह मायावती हैं. सपा-बसपा ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन कर उत्तर प्रदेश की सीटों का बंटवारा भी कर लिया है तो ऐसे में दिलचस्प नारे सामने अवश्य आएंगे .”    

2007 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बसपा का नारा ‘‘हाथी नहीं गणेश है, ब्रह्मा-विष्णु महेश है” खासा चला . 2014 में भाजपा ने नारा दिया, ‘‘अबकी बार मोदी सरकार” जो पार्टी की विजय का कारक बना . ‘‘जात पर न पात पर, मुहर लगेगी हाथ पर”,1996 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस द्वारा दिया गया ये नारा खूब गूंजा. चुनावी मौसम में नारों को संगीत में पिरोकर लाउडस्पीकर के सहारे आम लोगों तक पहुंचाने वाले लोक कलाकार आशीष तिवारी ने कहा, ”इस दीपक में तेल नहीं, सरकार बनाना खेल नहीं … यह नारा एक समय जनसंघ के नारे ‘‘जली झोपड़ी भागे बैल, यह देखो दीपक का खेल” के जवाब में कांग्रेस का पलटवार था .”उन्होंने बताया कि भाजपा ने शुरूआती दिनों में जोरदार नारा दिया था, ‘‘अटल, आडवाणी, कमल निशान, मांग रहा है हिंदुस्तान”. सोनिया गांधी पर निशाना साधते हुए भाजपा ने 1999 में नारा दिया, ‘‘राम और रोम की लडाई . ”तिवारी ने कहा कि राम मंदिर आंदोलन के समय भाजपा और आरएसएस के नारे ‘‘सौगंध राम की खाते हैं, हम मंदिर वहीं बनाएंगे”, ‘‘ये तो पहली झांकी है, काशी मथुरा बाकी है” , ‘‘रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे” जनभावनाओं के प्रचंड प्रेरक बने.

इस नारे के जवाब में आज तक यह कहकर तंज किया जाता है … ‘‘पर तारीख नहीं बताएंगे .”उन्होंने बताया कि भाजपा ने 1996 में नारा दिया था, ‘‘सबको देखा बारी बारी, अबकी बारी अटल बिहारी” खूब चला . पिछले चार दशकों से राजनीति पर पैनी नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार प्रद्युम्न तिवारी ने कहा कि 1989 के चुनाव में वी पी सिंह को लेकर ‘‘राजा नहीं फकीर है, देश की तकदीर है”, दिया गया नारा उन्हें सत्ता की सीढियां चढ़ा ले गया.उन्होंने कहा, ”गरीबी हटाओ” … 1971 में इंदिरा गांधी ने यह नारा दिया था. उस दौरान वह अपनी हर चुनावी सभा में भाषण के अंत में एक ही वाक्य बोलती थीं- ‘‘वे कहते हैं, इंदिरा हटाओ, मैं कहती हूं गरीबी हटाओ, फैसला आपको करना है .” तिवारी ने कहा कि बसपा ने कांग्रेस और भाजपा की काट के लिए दिलचस्प नारा दिया था, ‘‘चलेगा हाथी उड़ेगी धूल, ना रहेगा हाथ, ना रहेगा फूल’. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी जब पहली बार चुनाव प्रचार करने अमेठी गयीं तो कांग्रेसियों का यह नारा हिट रहा था, ‘अमेठी का डंका, बेटी प्रियंका.

समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन में शामिल न होने के बाद कांग्रेस ने अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी है. रविवार को पार्टी प्रदेश मुख्यालय पर प्रदेश कांग्रेस प्रभारी गुलाम नबी आजाद, प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर समेत प्रदेश के शीर्ष नेताओं ने बैठक की. इस दौरान गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हम कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में पूरी शक्ति से अपनी विचारधारा का पालन करते हुए यह चुनाव लोकसभा लड़ेंगे और भारतीय जनता पार्टी को पराजित करेंगे. हम उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. हमारी तैयारी पूरी है. नतीजे चौंकाने वाले होंगे.

लोकसभा चुनाव को लेकर उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के गठबंधन के ऐलान के बाद अब कांग्रेस ने अपनी रणनीति का ऐलान किया है. रविवार को यूपी कांग्रेस प्रभारी गुलाम नबी आजाद और यूपी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर ने स्थानीय कांग्रेस नेताओं के साथ मुलाकात करने के बाद पार्टी की रणनीति का ऐलान किया. प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए आजाद ने कहा कि हम लोग भाजपा के खिलाफ राहुल गांधी के नेतृत्व में लड़ाई लड़ेंगे और इस लड़ाई में जो भी दल आना चाहे, उसका स्वागत है. हम उन दलों का सम्मान करेंगे जो इस लड़ाई में आगे आएगा.

गुलाब नबी आजाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, ‘संसद का सत्र पूरा होने के बाद लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो गई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सवाल उठाया कि 70 साल में कांग्रेस ने कुछ नहीं किया. कांग्रेस ने देश को आजाद कराने की जिम्मेदारी ली. दर्जनों नेता, किसान, मजदूर और महिलाओं ने देश की आजादी में योगदान दिया. आजादी के बाद पहले प्रधानमंत्री ने उस देश को एक भारत बनाया, जो सैंकड़ों टुकड़ों में बंटा हुआ था. ऐसा भारत बनाया गया, जिसमें ऐसी व्यवस्था दी कि नागरिकों को धार्मिक, राजनीतिक न्याय मिले, विचार रखने का अवसर मिले. हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई को अपने धर्म की पूजा-पाठ करने की पूरी आजादी मिले.’

उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया जानती है कि संसद की लड़ाई बीजेपी और कांग्रेस के बीच है. हम उन दलों का समर्थन जरूर लेंगे जो हमारी मदद करेंगे. इस लड़ाई में हम उन तमाम दलों का सम्मान करते हैं जो इस लड़ाई में आगे बढ़ेंगे. बीजेपी और कांग्रेस के बीच सिद्धांतों की लड़ाई है. यह कोई व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है यह भारत को एक रखने की लड़ाई है. देश मजबूत तब होगा जब सरकार पर सभी समुदाय, सभी वर्गों का विश्वास और भरोसा हो. पार्टी वह होती है जो अपनी पार्टी का नुकसान झेल ले, लेकिन राष्ट्र का नुकसान ना झेले.

गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस के इतिहास को बताते हुए कहा कि लोगों ने कुर्बानियां देकर भारत को स्वतंत्र कराया है. आजादी के बाद पहली कांग्रेस सरकार ने सबसे पहला काम सैकड़ों टुकड़ों में बंटे देश को इकट्ठा करके भारत बनाने का किया. पंडित नेहरू की सरकार ने संविधान बनाया और सभी धर्मों को बराबर अधिकार दिए. उन्होंने कहा कि हमने आजादी से पहले भी किसानों, दलितों, गरीबों, महिलाओं के लिए काम किया और आजादी के बाद भी हमने उन्हें बुनियादी सुविधाओं के साथ सामाजिक अधिकार दिया.

भाजपा पर किसानों का उत्थान न करने का आरोप लगाते हुए गुलाम नबी आजाद ने कहा कि राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने जो वादे किए थे, वह हमने पूरे किए. कर्नाटक, पंजाब, मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में किसानों का कर्ज माफ किया.

‘चढ़ गुंडों की छाती पर, मुहर लगेगी हाथी पर’, तो अब बदल जाएंगे चुनावी नारों के सुर

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रविवार को भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा. अखिलेश ने अपने ट्वीट में लिखा कि हमारे गठबंधन के बाद बीजेपी का बूथ चकनाचूर हो गया है. अब बीजेपी के लोग सपा-बसपा में शामिल होना चाहते हैं. बता दें, शनिवार को सपा ने मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन का ऐलान किया था. दोनों पार्टियां उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी.

अखिलेश यादव ने लिखा, ‘बसपा-सपा में गठबंधन से न केवल भाजपा का शीर्ष नेतृत्व व पूरा संगठन बल्कि कार्यकर्ता भी हिम्मत हार बैठे हैं. अब भाजपा बूथ कार्यकर्ता कह रहे हैं कि ‘मेरा बूथ, हुआ चकनाचूर’. ऐसे निराश-हताश भाजपा नेता-कार्यकर्ता अस्तित्व को बचाने के लिए अब बसपा-सपा में शामिल होने के लिए बेचैन हैं.’

अखिलेश ने ट्वीट करके कहा था, ‘आज का दिन हमारे देश के लिए ऐतिहासिक है जब भाजपा से देश के संविधान व सौहार्द की रक्षा तथा दलितों, वंचितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों पर हो रहे उनके अन्याय व अत्याचार से लड़ने के लिए बसपा-सपा दोनों एक साथ आ गये हैं. ये एकजुटता भारतीय राजनीति को एक नयी दिशा देगी और निर्णायक साबित होगी.’

अखिलेश यादव ने कार्यकर्ताओं से कहा था कि गठबंधन का फैसला महत्वपूर्ण है. भाजपा देश के लिए खतरा है. हमें भाजपा की हर साजिश को नाकाम करना है और आपसी भाईचारे को मजबूत करना है. भाजपा ने नौजवानों के सपनों को तोड़ा है. किसानों को धोखा दिया है. सरकारी कुनीतियों के चलते व्यापार चैपट हुआ है. भाजपा राज में नफरत और अपराध में बढ़त हुई है. अब समय आ गया है जब जनता को अपना आक्रोश जताने का शीघ्र मौका मिलेगा. भाजपा को अब सत्ता से बाहर जाना ही होगा.

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