अब किसानों से घबरायी सरकार कर्ज माफ को तैयार

सरकारों ने कंपनियों को उर्वरकों, कीटनाशकों और बीजों के दाम बढ़ाने की खुली छूट दे रखी है. किसानों के आंदोलन से घबरायी सरकारों ने कर्ज माफ करने के लिए तैयार है

महाराष्ट्र में सरकार सभी किसानों के कर्ज माफ करने के लिए तैयार हो गई है. महाराष्ट्र सरकार के किसानों को बड़ी राहत देने के बाद अब किसानों ने भी महाराष्ट्र में आंदोलन रोकने की घोषणा कर दी है. महाराष्ट्र में हडताल कर रहे किसानों ने आज आख़िरकार अपना आंदोलन फ़िलहाल के लिए स्थगित कर दिया है. रविवार को मुंबई में किसानों की सुकानु समिति और राज्य सरकार द्वारा बनाई गई मंत्रियों की कमिटी की बीच हुई बैठक में ये फैसला हुआ. राज्य के किसानों का कर्ज माफी के आश्वासन के बाद किसानों ने आंदोलन खत्म करने का फैसला लिया है.
इस बैठक में आज किसानों की लगभग सभी मांगे पूरी की गई हैं. राज्य सरकार ने छोटे किसानों (यानि जिस किसान की जमीन 5 एकड़ से कम है) उसका सारा पुराना कर्ज आज से तुरंत माफ करने का फैसला लिया और इस बार की फसल के लिए नया कर्ज तुरंत देने का फैसला लिया. इसका स्वागत किसान नेताओं ने किया है.
वही मध्यमभूमिधारक किसान (यानि जिस किसान के पास 5 एकड से ज़्यादा की जमीन है) और ज़रूरतमंद किसानों का कर्ज माफ करने के लिए एक कमिटी बनाई जाएगी जिसमें किसान, किसान नेता, मंत्री, सरकारी अधिकारी और एक्सपर्ट्स मौजूद रहेंगे जो इस कर्ज माफ़ी पर योजना बनाकर सरकार को पेश करेंगे जिसके बाद सरकार कर्जमाफ़ी लागू करेगी.
इससे पहले मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आंशिक तौर पर किसानों का कर्जा माफ करने की बात कही थी लेकिन आंदोलनरत किसानों ने उनके प्रस्ताव को ठुकरा दिया था और पूर्ण कर्जमाफी की मांग करते रहे। महाराष्ट्र के नासिक, नागपुर समेत कई शहरों में किसान पिछले 1 जून से हड़ताल पर हैं। वे लोग शहरों में सब्जी-फल और दूध की सप्लाई नहीं होने दे रहे हैं। इससे मुंबई, पुणे जैसे महानगरों में इन सामानों की भारी किल्लत पैदा हो गई है। लिहाजा, वहां इन चीजों के दाम आसमान छूने लगे हैं।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के सभी किसानों के हित में किसानों की रबी पैदावार का 80 फीसदी उत्पाद सरकार द्वारा खरीदने का फैसला ले लिया. प्रदेश के किसानों को बिचौलियों से मुक्त करने के लिए योगी ने 80 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का फैसला किया है. रबी के बाद खरीफ (धान) फसल की खरीद को लेकर भी सरकार की यही नीति रहेगी. आलू को लेकर भी सरकार ऐसा ही निर्णय लेने जा रही है. किसानों को आलू की उचित कीमत दिलाने के इरादे से उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही और वन एवं पर्यावरण मंत्री दारा सिंह चौहान की तीन सदस्यीय उच्चस्तरीय कमेटी गठित की गई है, जो प्रदेश के आलू उत्पादक किसानों को राहत देने के उपायों पर विचार करने के लिए जमीनी अध्ययन करेगी और सरकार को अपनी रिपोर्ट पेश करेगी. कर्ज माफी के संदर्भ में योगी सरकार ने किसानों का कुल मिलाकर 36 हजार 359 करोड़ रुपए का कर्ज माफ किया है. इस निर्णय के तहत किसानों द्वारा किसी भी बैंक से लिया गया फसली ऋण माफ कर दिया गया है. इस फैसले से प्रदेश के राजकोष पर 36 हजार 359 करोड़ रुपए का भार आएगा. पिछले कुछ वर्षों में सूखा, फिर ओलावृष्टि और बाढ़ के कारण प्रदेश के किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा. तबाही के कारण कई किसानों ने आत्महत्या तक कर ली. प्रदेश में लगभग दो करोड़ 30 लाख किसान हैं, जिनमें 92.5 प्रतिशत यानि, 2.15 करोड़ लघु एवं सीमांत किसान हैं. प्रारम्भिक गणना के अनुसार प्रदेश में ऐसे कुल 86.68 लाख लघु व सीमांत किसान हैं, जिन्होंने बैंकों से फसली ऋण लिया हुआ है. यह कर्ज माफी उन्हीं लघु और सीमांत किसानों के हित के लिए है. इसके साथ ही योगी कैबिनेट ने उन सात लाख किसानों का भी कर्ज माफ किया, जो बर्बादी और मुफलिसी के कारण ऋण का भुगतान नहीं कर सके थे और उनकी ऋण-राशि बैंकों की गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) में शुमार हो गई थी. इस वजह से उन किसानों को और ऋण मिलना बंद हो गया था. ऐसे किसानों को भी राहत देते हुए सरकार ने उनके कर्ज के 5,630 करोड़ रुपए माफ कर दिए. एक हेक्टेयर यानि, ढाई एकड़ तक के सभी किसान सीमांत किसान की श्रेणी में औरदो हेक्टेयर यानि, पांच एकड़ तक के सभी किसान लघु किसान की श्रेणी में आएंगे. योजना का लाभ प्रदेश के सभी लघु व सीमांत कृषकों को मिलेगा.

वरिष्ठ पत्रकार पी. साईनाथ ने रविवार को यूट्यूब के माध्यम से मंदसौर और देशभर चल रहे किसान-आंदोलन पर अपनी राय रखी. देश में किसानों की हालत और कृषि संकट के बारे में उन्होंने कहा कि इस मसले को कर्ज और कर्जमाफी तक सीमित करके नहीं देखा जाना चाहिए. यह समस्या इससे कहीं अधिक गंभीर है.
उन्होंने कहा कि बीजेपी ने वादा किया था कि वो सत्ता में आते ही स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट को लागू करेगी. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि उपज की कीमतों को तय करते वक्त यह ध्यान रखना चाहिए कि किसानों को फसल की लागत पर 50 फीसदी का मुनाफा मिले. 2014 के चुनावी घोषणा पत्र में बीजेपी ने इसे लागू करने का वादा भी किया था.
कृषि उपज में बढ़ती लागत के बारे में साईनाथ ने कहा कि सिर्फ मोदी सरकार ने ही नहीं बल्कि इससे पहले की सभी सरकारों ने कंपनियों को उर्वरकों, कीटनाशकों और बीजों के दाम बढ़ाने की खुली छूट दे रखी है.
इस वजह से पिछले 25 वर्षों में खेती की लागत में दो गुनी से चार गुनी तक बढ़ोतरी हो चुकी है. जबकि इस दौरान किसानों को मिलने वाली उपज की कीमतों में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई है.
साईनाथ ने कहा कि कृषि संकट पर गंभीर चर्चा के लिए 10 दिनों का संसद का विशेष सत्र बुलाना चाहिए. जिसमें एक दिन स्वामीनाथन रिपोर्ट पर ठीक से चर्चा हो. किसानों की आत्महत्या और फसलों की एमएसपी कीमतों के निर्धारण पर भी गंभीर चर्चा हो. पी. साईनाथ ने यह भी कहा कि किसानों के लिए अभी तक जितनी भी कर्जमाफी की घोषणा की गई है उसका लाभ छोटे कर्जदार किसानों को नहीं मिला है और न मिलने की संभावना है.

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