दिग्विजय सिंह की मूर्खता की वजह से गोवा में मौका गंवाया; विधायकों ने कहा

नकारापन- कांग्रेस केन्‍द्रीय नेत़त्‍व पर सवाल उठे- Execlusive Top News; www.himalayauk.org (Leading Web & Print Media)  

कांग्रेस प्रभारी के नकारेपन से गोवा में भाजपा ने मौका लपका, गोवा में कांग्रेस 3 विधायक नही जुटा पायी, भाजपा ने 6 विधायक जुटा लिये- नितिन गडकरी ने खुद कहा कि हम लोग जब सरकार बनाने की कोशिश में थे. उस वक़्त कांग्रेस अपने पार्टी नेता के चुनाव में अपना वक़्त ज़ाया कर रही थी. हमने सारी प्रक्रियाएं पूरी कर राज्यपाल से मुलाक़ात की और राज़्यपाल ने हमें 15 दिनों के भीतर सदन में बहुमत साबित करने का समय दिया है. वही सुप्रीम कोर्ट के सवाल पर भी कांग्रेस के केन्द्री य नेत़त्वि के नकारेपन पर सवाल उठे- कोर्ट ने भी कहा- राज्येपाल के समक्ष या अपनी याचिका में इस बात का कभी जिक्र नहीं किया कि आपके पास जरूरी समर्थन है. कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह का कहना है कि नॉर्मल कनवेंशन में सिंगल लार्जेस्ट पार्टी को पहले बुलाया जाता है. दिल्ली में भी यही हुआ था. जब बीजेपी को बुलाया गया था, और बाद में आप को बुलाया गया था और उन्होंने सरकार बनाई थी. महामहिम को ये प्रक्रिया अपनानी चाहिए थी.
कांग्रेस के कुछ मुख्य विधायकों ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर हमला बोल दिया है. बैठक में नवनिर्वाचित विधायकों की कांग्रेस महासचिव और गोवा प्रभारी दिग्विजय सिंह से तीखी बहस हो गई. इन विधायकों का आरोप है कि वरिष्ठ नेताओं ने सरकार बनाने के लिए छोटी पार्टियों से संपर्क करने के मामले में लचीला रुख अपनाया, जिसका फायदा बीजेपी ने उठा लिया. इससे विधायकों में नाराजगी है. खास बात यह कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर सवाल उठाने वाले प्रमुख नेताओं में विश्वजीत पी राणे ‘मेरी राय में यह पूरी तरह से हमारी लीडरशिप के कुप्रबंधन का नतीजा है.’ कांग्रेस पार्टी के नेताओं को अपनी गलती स्वीकार करनी होगी चुनावों में कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए जनादेश मिला था, लेकिन हमने मौका गंवा दिया और ऐसा हमारे नेताओं की मूर्खता की वजह से हुआ है
कांग्रेस बहुमत के लिए आवश्यक 21 सीटों से महज तीन सीट पीछे थी. कांग्रेस के लिए बहुमत जुटाना ज्यादा कठिन काम नहीं था, फिर भी उसकी ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए और बीजेपी को सरकार बनाने का आमंत्रण मिल गया.
गोवा में मनोहर पर्रिकर की अगुवाई में बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. विधानसभा में कुल सदस्य 40 बहुमत का आंकड़ा 21 कांग्रेस के पास 17 विधायक बीजेपी के पास 13 विधायक एमजीपी, जीएफपी के पास 3-3 विधायक दोनों पार्टियों का बीजेपी को समर्थन एनसीपी के पास 1 विधायक -एनसीपी कांग्रेस के साथ 3 निर्दलीय विधायकों के पास सत्ता की चाबी बीजेपी का दावा निर्दलीय उनके साथ

कांग्रेस विधायक सत्ता की दौड़ में पिछड़ने के चलते अपने नेतृत्व को ज़िम्मेदार ठहर रहे़ हैं. कांग्रेस का कहना है कि गोवा में वो सबसे बड़ी पार्टी है इसलिए उन्हें सरकार बनाने का न्योता दिया जाना चाहिए. मंगलवार को कोर्ट इस मामले की सुनवाई करने के लिए एक स्पेशल हेयरिंग करेगा. उधर बीजेपी ने गोवा में ग़ैर कांग्रेसी पार्टियों के विधायकों को साथ लेकर बहुमत का दावा किया और राज्यपाल ने उन्हें सरकार बनाने का मौका दिया था. राज्यपाल ने पर्रिकर को बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का समय भी दिया है केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि हम लोग जब सरकार बनाने की कोशिश में थे. उस वक़्त कांग्रेस अपने पार्टी नेता के चुनाव में अपना वक़्त ज़ाया कर रही थी. हमने सारी प्रक्रियाएं पूरी कर राज्यपाल से मुलाक़ात की और राज़्यपाल ने हमें 15 दिनों के भीतर सदन में बहुमत साबित करने का समय दिया है.
कांग्रेस की ओर से दाखिल इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि यदि आपके पास विधायकों की पर्याप्त संख्याा थी तो आपको समर्थन करने वाले विधायकों का हलफनामा पेश करना था लेकिन आपकी ओर से ऐसा नहीं किया गया. अदालत ने कहा कि सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करना विधायकों की संख्याय से जुड़ा हुआ है. आपने राज्यनपाल के समक्ष या अपनी याचिका में इस बात का कभी जिक्र नहीं किया कि आपके पास जरूरी समर्थन है. इस मामले में अदालत ने 16 मार्च को पर्रिकर को विश्वाास मत हासिल करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने दोनों पार्टियों को प्रोटेम स्पीाकर का नाम देने को भी कहा है. मामले में सरकार की ओर से वरिष्ठ् वकील हरीश साल्वेो और कांग्रेस की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने पक्ष रखा.

कोर्ट ने दोटूक कहा कि यदि आपके पास बहुमत था तो आपको राज्य्पाल के आवास के बाहर धरना देकर अपने विधायकों की संख्याक के बारे में बताना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं किया. दूसरी ओर, कांग्रेस की ओर से कहा गया कि राज्य पाल को कांग्रेस विधायक दल के नेता को फोन पर ‘संख्याद’ के बारे में बात करनी चाहिए थी और राज्योपाल का फैसला अवैध है. पार्टी ने कहा कि उसके पास सरकार बनाने के लिए जरूरी संख्याह है और आज सदन में शक्ति परीक्षण करा लें. गौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी ने गोवा के राज्यपाल की ओर से मनोहर पर्रिकर को मुख्यमंत्री नियुक्त किए जाने के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है. प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेएस खेहर के आवास पर शनिवार शाम याचिका दायर की गई . इस सिलसिले में विशेष पीठ का गठन किया गया था क्योंकि शीर्ष अदालत होली पर एक सप्ताह के अवकाश पर है. गोवा कांग्रेस विधायक दल के नेता चंद्रकांत कवलेकर की ओर से दायर इस याचिका में मांग की गई थी कि पर्रिकर के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने पर रोक लगाई जाए.

गौरतलब है कि पर्रिकर ने रक्षा मंत्री के पद से इस्ती फा दे दिया है. उन्होंशने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना इस्तीकफा सौंपा. पीएमओ ने उसके इस्तीाफे को मंजूरी के लिए राष्ट्र पति के पास भेजा. राष्ट्र्पति की इस पर मुहर के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली को रक्षा मंत्रालय का अतिरिक्त् प्रभार दे दिया गया है. उल्लेुखनीय है कि जेटली पहले के पास पहले भी इस मंत्रालय का प्रभार था लेकिन बाद में मनोहर पर्रिकर के रक्षा मंत्री बनने के बाद उन्हों ने इस प्रभार को छोड़ दिया था.

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