नौकरशाही बेलगाम – सरकार की मुश्किलें बढ़ती हुई दिखाई दे रही हैं

भाजपा से गठबंधन जारी रखने पर पुनर्विचार

 राज्य सभा चुनावों में मिली बंपर जीत के बाद भाजपा को 2019 के आम चुनावों में तगड़ा झटका लग सकता है। भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी दल 2019 में होने वाले आम चुनाव में एनडीए से अलग हो सकते हैं, इसकी शुरुआत शिवसेना, टीडीपी समेत कई क्षेत्रीय दलों ने कर दिया है। हाल ही मे संपन्न हुए राज्यसभा चुनाव में ओमप्रकाश राजभर पर आरोप है कि उनके दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) द्वारा भाजपा के खिलाफ क्रॉस वोटिंग की गई है। अगर ये बात सच साबित हुई तो भाजपा के सहयोगी दल उनसे अलग हो सकती है।  सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के सुपुत्र और पार्टी के राष्ट्रीय मुख्य महासचिव अरविंद राजभर ने रविवार को मीडिया कर्मियों को दी जानकारी में बताया कि लखनऊ में 27 मार्च को पार्टी की एक आपात बैठक होगी।  सुभासपा 27 मार्च को अपनी बैठक में भाजपा से गठबंधन जारी रखने पर पुनर्विचार करेगी। मामले में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के हस्तक्षेप के बावजूद भी सहयोगी दल सुभासपा असंतुष्ट है। दल का कहना है कि उत्तर प्रदेश में नौकरशाही बेलगाम हो गई है और मौजूदा स्थिति  अनियंत्रित हो गई है 

PHOTO; CAPTION; The Union Minister for Agriculture and Farmers Welfare, Shri Radha Mohan Singh lighting the lamp at the 3rd Agri Leadership Summit-2018, in Rohtak, Haryana on March 25, 2018. The Governor of Haryana, Shri Kaptan Singh Solanki, the Minister for Agriculture, Haryana, Shri Om Prakash Dhankar and other dignitaries are also seen.

बडी खबर- 

कर्नाटक चुनाव से पहले कांग्रेस के लिए यह अच्छी खबर

 कर्नाटक में जनता दल सेक्यूलर के सात विधायकों ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। यह सभी रविवार को राहुल गांधी की अध्यक्षता में कांग्रेस में शामिल होंगे। कर्नाटक चुनाव से पहले कांग्रेस के लिए यह अच्छी खबर है।  225 सीटों वाली विधानसभा में जनता दल सेक्यूलर (जेडीएस) के 37 विधायक थे। जिनमें से सात विधायकों ने शनिवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया। अब जेडीएस के विधायकों की संख्या 30 रह गई है। पार्टी को जेडीएस प्रवक्ता रमेश बाबू ने विधायकों के इस्तीफे की बात पुष्टि की। गौरतलब है कि 23 मार्च को हुए राज्यसभा चुनाव में इन बागी विधायकों ने कांग्रेस के राज्यसभा उम्मीदवार के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की थी।

वही दूसरी ओर

केंद्र सरकार की मुश्किलें बढ़ती हुई दिखाई दे रही हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक 2 अप्रैल से करीब 10 लाख डॉक्टर्स अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने वाले हैं। इंडिया टुडे की मानें तो इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के डॉक्टर्स और मेडिकल स्टूडेंट्स द्वारा नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) बिल का विरोध किया जा रहा है। मेगा स्ट्राइक पर जाने का प्रस्ताव दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी स्टेडियम में आयोजित हुई महापंचायत में पास किया गया है। आईएमए द्वारा एनएमसी बिल के मसौदे का शुरू से ही विरोध किया जा रहा है। यह बिल पास होने के बाद मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की जगह पर नए ढांचे का निर्माण किया जाएगा। डॉक्टर्स का कहना है कि इससे डॉक्टरी के पेशे पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

डॉक्टर्स का कहना है कि उनकी मांगें बहुत ही साधारण हैं। आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि का कहना है, ‘सरकार से हमारी मांगें बेहद ही साधारण हैं। हम चाहते हैं कि देश की हेल्थ पॉलिसी के ऊपर फैसला लेते दौरान हमें भी शामिल किया जाए। हमें शामिल किए बिना ही आप नेशनल कमीशन बिल लाने की कोशिश कर रहे हैं। यह बिल अलोकतांत्रिक, संघ विरोधी और स्टूडेंट विरोधी है। यह बिल मूल रूप से अमीर लोगों को आरक्षण देने का काम करेगा।’ डॉक्टर्स का कहना है कि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है।

इस बिल का विरोध कर रहे डॉक्टर का कहना है, ‘तीन साल से सरकार हमारी बातों को तवज्जों नहीं दे रही है और सरकार ही हमें हड़ताल करने के लिए दबाव बना रही है। मॉडर्न मेडिकल की स्ट्राइक… यानी जनता को यह दिखाया जा रहा है कि अगर आपको आयुष के ऊपर विश्वास है तो केवल उन्हीं से इलाज करवाएं।’ आपको बता दें कि इस बिल में सरकार द्वारा आयुष डॉक्टर्स के लिए ब्रिज कोर्स का प्रावधान रखा गया है, शॉर्ट टर्म ब्रिज कोर्स करने के बाद आयुष डॉक्टर्स भी कुछ हद तक एलोपैथिक दवाइयां मरीजों को दे सकेंगे। इस मामले में डॉक्टर वानखेड़े ने कहा, ‘यह बिल एंटी-पुअर बिल है। यहां एलोपैथिक डॉक्टर्स की कोई कमी नहीं है। सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों में हो रही कमी पर ध्यान देने की जरूरत है।’

 

आम चुनाव अब दूर नहीं है और भारतीय जनता पार्टी के अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में जगह-जगह गांठ पडऩे लगी है। आंध्र प्रदेश की सत्ताधारी तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के बाद पश्चिम बंगाल के गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) ने भी एनडीए से किनारा कर लिया है। कुछ दिनों पहले ही बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का अगुवाई वाला हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा एनडीए से नाता तोड़कर महागठबंधन से जा मिला था।  1998 में 13 राजनीतिक दलों ने साथ मिलकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) बनाया था, लेकिन एक साल के भीतर ही टूट-फूट होने लगी थी। एआईएडीएमके ने अपना रास्ता अलग कर लिया था। 1999 में नए दलों के साथ मिलकर फिर से कुनबा जोड़ा गया, जिसमें सफलता भी मिली। अटल बिहारी वाजयेपी की अगुवाई में गठबंधन को सत्ता मिली और यह सरकार 5 साल तक चली। 2004 में शाइनिंग इंडिया के साथ नारे के साथ यह गठबंधन तय वक्त से छह महीने पहले ही चुनाव में उतरा था, इसे हार का मुंह देखना पड़ा। फिर 2014 में मोदी लहर ने एनडीए की सत्ता में वापसी की। फिलहाल अलग-अलग राज्यों की छोटी-बड़ी 46 पार्टियां इस गठबंधन में साथ हैं। कभी जेडीयू नेता शरद यादव इसके संयोजक हुआ करते थे, पर पार्टी ने जब एनडीए से नाता तोड़ा तो वह संयोजक भी नहीं रहे। बाद अपनी ही पार्टी में नेतृत्व की खींचतान में शरद को पार्टी से बाहर होना पड़ा। जीजेएम से दोस्ती इसलिए महत्वपूर्ण थी कि दार्जिलिंग सीट पर बीजेपी की जीत से प. बंगाल में पार्टी को विस्तार का मौका मिला उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की सीट पर बुआ-बबुआ का समीकरण बिगाडऩे की खुशी में बीजेपी शनिवार को डूबी थी तो पश्चिम बंगाल से एनडीए में फूट की खबर आई। गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) ने बीजेपी पर गोरखा लोगों से धोखे का आरोप जड़ते हुए एनडीए से नाता तोड़ लिया। पार्टी के संगठन प्रमुख एलएम लामा ने कहा कि अब उनकी पार्टी का बीजेपी से कोई नाता नहीं है। जीजेएम और बीजेपी के बीच दोस्ती एक दशक पुरानी थी। यह दोस्ती इसलिए भी महत्वपूर्ण थी कि दार्जिलिंग लोकसभा सीट पर बीजेपी की जीत जीजेएम की वजह से संभव हुई थी और पश्चिम बंगाल में बीजेपी को विस्तार का मौका मिला। 2009 के आम चुनाव के वक्त जीजेएम ने दार्जिलिंग लोकसभा सीट पर बीजेपी उम्मीदवार जसवंत सिंह का समर्थन किया था। फिर 2014 के आम चुनाव में इसी सीट से बीजेपी उम्मीदवार एस एस अहलूवालिया को जीत दिलाने में मदद की थी। पिछले साल नवंबर में जीजेएम में नेतृत्व बदलने के बाद से एनडीए के साथ रिश्तों में दूरी आने लगी थी।

 

यह सभी विधायक रविवार को राहुल गांधी की अध्यक्षता में कांग्रेस पार्टी की सदस्यता लेगें। कांग्रेस में शामिल होने वाले विधायकों में बी.जेड. जहीर अहमद खान, आर. अखंडा श्रीनिवास मूर्ति, एन. चालुवरया स्वामी, इकबाल अंसारी, एच.सी. बालाकृष्ण, रमेश बंदी सिद्देगोडा और भीमा नाइक के नाम शामिल हैं। राहुल गांधी इस वक्त दो दिवसीय कर्नाटक दौरे पर हैं। मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की मौजूदगी में यह पार्टी की सदस्यता लेंगे। 

 

 

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