उत्तराखण्ड में भाजपा का ‘ग्राम स्वराज अभियानः नौकरशाहो के भरोसे

‘ग्राम स्वराज अभियान’ – दलितों में पैठ बनाने की रणनीति

 #हिमालयायूके न्‍यूज पोर्टल दिल्‍ली ब्‍यूरो  

 दलितों व आदिवासियों से संफ के लिए पार्टी ‘ग्राम स्वराज अभियान शुरू करने जा रही है। हुत बडे स्तर पर चलाए जाने वाले इस अभियान के तहत पार्टी के नेता दलित व आदिवासी बहुल २०,००० से अधिक गांवों में जाएंगे और वहां सरकारी परियोजनाओं के कार्यान्वयन का जायजा लेंगे। भाजपा के इस अभियान को अनूसचित जाति/ अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) अत्याचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों को कमजोर करने के आरोपों से जूझने के बाद दलितों के बीच अपनी पहुंच बढाने के प्रयासों के रूप में देखा जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में भाजपा के सांसदों की एक बैठक में ‘ग्राम स्वराज अभियान“ को अंतिम रूप प्रदान किया गया। यह कार्यक्रम १४ अपैल को महान दलित नेता बी. आर. आंबेडकर की जयंती पर शुरू होगा और पांच मई तक चलेगा। संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने संवाददाताओं को बताया कि मोदी ने पार्टी के नेताओं को १४ अप्रैल से पांच मई के बीच कम से कम एक रात ऐसे गांवों में बिताने को कहा है जहां पचास फीसदी से अधिक लोग अनुसूचित जाति व जनजाति के रहते हैं। भाजपा के नेता इन गांवों में सरकार के जनकल्याणकारी कार्यो के कार्यान्वयन का जायजा लेंगे। बैठक में मौजूद रहे एक भाजपा नेता ने कहा, पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं के लिए हर स्तर पर १४ अप्रैल को विविध कार्यक्रम आयोजित करना अनिवार्य है। उन्होंने बताया, उनको साइकिल और मोटरसाइकिल रैलियां व यात्राएं करने को कहा गया है। इस कार्यक्रम का मकसद नेताओं को लोगों से           सीधे तौर पर जोडना और सरकारी योजनओं को प्रचारित करना है।

वही उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून में भाजपा का यह कार्यक्रम कुछ आला अधिकारियों तक सीमित मात्र है। प्रमुख सचिव पंचायती राज श्रीमती मनीषा पंवार ने बताया कि प्रदेश में १४ अप्रैल, २०१८ से ०५ मई, २०१८ तक ग्राम स्वराज अभियान संचालित किया जायेगा। इस अभियान की शुरूआत १४ अप्रैल को सामाजिक न्याय दिवस के रूप में होगी। अभियान के दौरान १८ अपैल को स्वच्छ भारत दिवस, २० अपैल को उज्ज्वला दिवस, २४ अपैल को राष्ट्रीय पंचायत राज दिवस, २८ अपैल को ग्राम स्वराज दिवस, ३० अपैल को आयुष्मान भारत दिवस, ०२ मई को किसान कल्याण दिवस तथा ०५ मई को आजीविका दिवस के रूप में मनाया जायेगा। सभी संबंधित विभाग अभियान के सफल संचालन के लिये अपनी कार्ययोजना अविलम्ब अपर सचिव पंचायती राज को उपलब्ध करा दें। उन्होंने यह भी निर्देश दिये है कि इस अभियान के लिये राज्य, जनपद व ब्लॉक स्तर पर सम्बंधित विभाग नोडल ऑफिसर भी नामित करेंगे। जनपदों में मुख्य विकास अधिकारी तथा ब्लॉक स्तर पर जिलाधिकारी किसी अधिकारी को नोडल अधिकारी नामित करेंगे। उन्होंने विभागों से जिलाधिकारी से भी समन्वय बनाये जाने को कहा। विभिन्न दिवसों पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम राज्य, जनपद व ब्लॉक स्तर पर एक साथ आयोजित किये जायेंगे ताकि योजनाओं की जानकारी तथा उनकी पहुंच संबंधित लाभार्थी तक पहुंच सकें। उन्होंने बताया कि इस अभियान का उद्देश्य सामाजिक सद्वाव, गरीब ग्रामीण परिवारों तक पहुंच बनाना, चलाये जा रहे कार्यक्रमों पर फीडबैक पाप्त करना, किसानों की आय दोगुनी करना, आजीविका के अवसर पैदा करना एवं स्वच्छता और पंचायती राज को मजबूती पदान कर इनमें लोगों की भागीदारी को बढावा देना है। इसमें इस बात का ध्यान रखा जाए कि इस अभियान में समाज के हर वर्ग की भागीदारी सुनिश्चत हो ताकि अभियान सार्थक, पेरक और जानकारी पूर्ण हो। इसमें आमजन की भागीदारी, महिला स्वयं सहायता समूहों की भागीदारी, सूक्ष्म, प्लानिंग और व्यवस्थित मॉनिटरिंग का ध्यान रखा जाए। बैठक में उन्होंने कहा कि इन दिवसों के आयोजन में जनपतिनिधियों की भी भागीदारी सुनिश्चत होनी चाहिए। प्रमुख सचिव श्रीमती पंवार ने बताया कि इस अभियान के अन्तर्गत आयोजित होने वाले दिवसों की कार्यसूची सभी विभागों को उपलब्ध करा दी गई है। इसके आधार पर कार्ययोजना बनायी जाए तथा योजनाओं के क्रियान्वयन व उससे लाभान्वित होने वाले लोगों को इस अवसर पर सम्मानित करने के भी प्रयास हों।

 

मोदी ने कहा कि बगैर किसी अपवाद के हर किसी को गांवों में जाना होगा। बैठक के दौरान मोदी ने पार्टी के सांसदों व अन्य नेताओं को सरकार के ‘सप्तर्षि कार्यक्रमों’ का प्रचार करने को कहा है। इन कार्यक्रमों में ‘इंद्रधनुष’, ‘जनधन’ और ‘भीम एप’ शामिल हैं। मोदी ने पार्टी के नेताओं को 11 अप्रैल को जातिवाद के विरोधी रहे सामाज सुधारक ज्योतिबा फुले की जयंती को समता दिवस के रूप में पूरे देश में मनाने को कहा। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में जनसंघ के संस्थापक सदस्य श्यामा प्रसाद मुखर्जी, दीन दयाल उपाध्याय और अटल बिहारी वाजपेयी समेत पार्टी के हजारों कार्यकर्ताओं के त्याग और बलिदान को याद किया। उन्होंने पार्टी के सांसदों और उनके परिवारों को मराठी नाटक ‘जनता राजा’ देखने को कहा। यह नाटक शिवाजी महाराज के जीवन पर आधारित है। उन्होंने कहा कि इस नाटक को देखने के लिए वह करीब 30 साल पहले गुजरात से पुणे गए थे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही बीजेपी सांसदों को दलितों को रिझाने के टिप्स दे रहे हों मगर हाल की कुछ घटनाओं से साबित होता है कि दलित समुदाय का अब पीएम मोदी पर से भरोसा उठता जा रहा है। खुद बीजेपी के अंदरखाने भी दलित समुदाय के सांसद अब खुलकर विरोध करने लगे हैं। पिछले 10 दिनों में यूपी से ताल्लुक रखने वाले बीजेपी के चार दलित सांसदों ने बागी तेवर दिखाए हैं। इनमें से दो ने तो पीएम को बाकायदा चिट्ठी लिखकर दलितों के साथ हो रहे भेदभाव के आरोप लगाए हैं। ताजा घटनाक्रम में यूपी के नगीना से सांसद डॉ. यशवंत सिंह ने पीएम नरेंद्र मोदी को खत लिखकर आरोप लगाया है कि पिछले चार सालों में केंद्र सरकार ने 30 करोड़ दलितों के लिए कुछ नहीं किया।

गुजरात के विधायक और दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने  कहा कि जब पीएम मोदी युवाओं के सवालों का जवाब न दे पाएं तो उन्हें हिमालय चले जाना चाहिए।

यशवंत किसिंह ने यह भी लिखा है कि वो सिर्फ आरक्षण की वजह से ही सांसद बने हैं। उन्होंने लिखा है कि सरकार या संगठन ने उनकी क्षमताओं का इस्तेमाल नहीं या जबकि वो पेशे से डॉक्टर हैं और एम्स से एमडी की डिग्री ले चुके हैं। सिंह ने लिखा है, “जब मैं चुनकर आया था, उसी समय स्वयं आपसे मिलकर प्रोमोशन में आरक्षण हेतु बिल पास कराने हेतु अनुरोध किया था, परंतु चार वर्ष बीत जाने के बाद भी इस देश के लगभग 30 करोड़ दलितों के प्रत्यक्ष हित हेतु आपकी सरकार द्वारा एक भी कार्य नहीं किया गया। जैसे बैकलॉग पूरा करना, आरक्षण बिल पास करना, प्राइवेट नौकरियों में आरक्षण दिलाना आदि।”

एक दिन पहले ही बीजेपी के 39वें स्थापना दिवस पर बीजेपी के दूसरे दलित सांसद अशोक दोहरे ने टीवी चैनल पर आरोप लगाया था कि 2 अप्रैल को भारत बंद के दौरान यूपी में पुलिसकर्मियों ने दलित युवकों को घरों से खींच-खींचकर बाहर निकाला और उनकी पिटाई की। इटावा से सांसद दोहरे का आरोप है कि पुलिस ने उन निर्दोष युवकों पर रासुका समेत फर्जी केस भी लगा दिए। दोहरे के मुताबिक यह दलित समुदाय का अपमान है। उन्होंने इस मामले में पीएम मोदी से हस्तक्षेप करने की गुहार लगाते हुए दोषी अधिकारियों को दंडित कराने का अनुरोध किया था।

दोहरे से पहले यूपी के रॉबर्ट्सगंज के दलित विधायक छोटेलाल खैरवार ने भी पीएम मोदी को पत्र लिखकर दलित उत्पीड़न की शिकायत की थी। उन्होंने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए उन पर अभद्र व्यवहार करने और आपत्तिजनक शब्द का इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया था। खैरवार ने आरोप लगाया था कि जब उन्हें सरकारी तंत्र और पार्टी के अधिकारियों से न्याय नहीं मिला तब वो सीएम के दरबार में पहुंचे थे लेकिन दो दिन के बाद सीएम ने खुद उन्हें वहां से खदेड़ दिया और दोबारा नहीं आने की धमकी दी थी। बता दें कि इससे पहले बहराइच से बीजेपी की सांसद सावित्री बाई फूले ने भी बागी तेवर दिखाते हुए लखनऊ में विशाल रैली आयोजित की थी और कहा था कि वो सांसद रहें या नहीं रहें लेकिन एससी-एसटी समुदाय का आरक्षण खत्म करने नहीं देंगी। उन्होंने प्राइवेट क्षेत्र में भी आरक्षण देने की मांग की थी।

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