जीएसटी परिषद ने टैक्स की दरें तय कर दी

प्रकाश पंत उत्‍तराखण्‍ड वित्‍त मंत्री भी शामिल हुए #देश को एक बाजार बनाने वाली कर व्यवस्था यानी जीएसटी लागू होने के बाद देश के ज्यादात्तर हिस्सों में सोना महंगा हो सकता है जबकि रेडिमेट गारमेंट और जूते-चप्पल सस्ते होंगे. इसके साथ ही सरकार ने एक बार फिर साफ कर दिया कि नयी कर व्यवस्था पहली जुलाई से ही लागू होगा.
जीएसटी परिषद ने सोने और कुछ अन्य वस्तुओं पर टैक्स की दरें तय कर दी हैं. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी परिषद की बैठक के बाद बताया कि सोने पर 3 प्रतिशत जीएसटी लगेगा. विशेषज्ञों का मानना है कि टैक्स की इस दर से सोने की कीमतों पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. अभी सोने पर करीब 2 फीसदी टैक्स – 1 फीसदी एक्साइज ड्यूटी और 1 फीसदी वैट (वैल्यू एडेड टैक्स) लगता है. हालांकि कुछ राज्यों में वैट की दर थोड़ी अधिक है.

जेटली ने कहा कि जीएसटी के तहत पैकिंग वाले खाद्य उत्पादों पर 5 प्रतिशत की दर से कर लगेगा. बिस्कुट पर 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगेगा. बीड़ी पर 28 प्रतिशत टैक्स लगेगा, लेकिन इस पर कोई उपकर नहीं लगेगा. वित्त मंत्री ने कहा कि तेंदू पत्ते पर 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगेगा. जीएसटी के तहत सोलर पैनल पर पांच प्रतिशत कर लगेगा.

उन्होंने कहा कि जीएसटी परिषद मुनाफा-रोधी उपबंध से जुड़ी शिकायतों पर विचार के लिए समिति गठित करेगी. जीएसटी परिषद ने जीएसटी व्यवस्था के तहत रिटर्न भरने और बदलाव के दौर से गुजरने संबंधी तमाम नियमों सहित सभी लंबित नियमों को मंजूरी दे दी. इसके साथ ही सभी राज्य 1 जुलाई से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था लागू करने पर सहमत हो गए हैं.

जीएसटी परिषद ने पिछले महीने 1,200 वस्तुओं और 500 सेवाओं के लिए 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत की दरें तय की थीं. इसके अलावा अहितकर तथा लग्जरी उत्पादों पर 28 प्रतिशत की ऊंची कर दर के अलावा उपकर भी लगाया गया था.
वित्त मंत्री अरुण जेटली की अगुवाई में हुई जीएसटी काउंसिल की 15 वीं बैठक में करीब आधे दर्जन सामान पर नयी कर व्यवस्था के तहत दर तय की गयी. इन सामान में सोना-चांदी के अलावा, कपड़े, जूते-चप्पल, बिस्कुट और बीड़ी मुख्य रुप से शामिल है. जीएसटी काउंसिल संविधान में फेरबदल के बाद बनाया गया एक संगठन है जिसमे केंद्र के अलावा 29 राज्यों और विधानसभा वाले दो केंद्र शासित प्रदेश (दिल्ली और पुड्डुचेरी) के प्रतिनिधि शामिल होते हैं. परिषद जीएसटी की दरों के अलावा तमाम तरह के कायदे कानून बनाने का काम करती है. बैठक के जरिए पूजा सामग्री को लेकर चल रहे विवाद को खत्म करने की कोशिश की गयी. दरअसल काउंसिल की श्रीनगर मे हुई पिछली बैठक के बाद ये विवाद गरमा गया था कि पूजा सामग्री पर 12 फीसदी की दर से जीएसटी लगेगा. हालांकि बाद में सरकार ने साफ किया कि हवन सामग्री समेत पूजन सामग्री पर जीएसटी नहीं लगेगा, साथ ही पूजन सामग्री की परिषाभा, तय की जाएगी. शनिवार की बैठक में तय हुआ कि रुद्राक्ष, पंचद्रव्य जैसे सामग्री पूजन सामग्री के तहत आएंगे और इनपर जीएसटी की दर शून्य होगी. वैसे अगरबत्ती पर 12 फीसदी की दर से जीएसटी लगेगा और उसमें कोई फेरबदल नहीं होगा.
बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जानकारी दी कि काउंसिल की एक और बैठक 11 जून को बुलायी गयी है जिसमें विभिन्न औद्योगिक संगठनों की ओर से जीएसटी दरों को लेकर उठाए गए मुद्दों पर विस्तार से चर्चा होगी और जरुरी समाधान निकाला जाएगा. हालांकि अभी ये तय नहीं है जो दर तय किए जा चुके हैं, उनमें क्या उद्योग जगत की आपत्तियो के बाद कोई फेरबदल होगा या नहीं. ध्यान रहे कि ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री हाइब्रिड कार पर, ड्राई फ्रूड इंडस्ट्री मेवा-मसालों पर और बिल्डिंग मैटेरियल बनाने वाली इंडस्ट्री फ्लाई ऐश से बने सामान पर जीएसटी की दर घटाने की मांग कर रही है.
जेटली ने ये भी जानकारी दी कि इनपुट टैक्स क्रेडिट के मामले में काउंसिल ने ब़ड़ा फैसला किया. इनपुट टैक्स क्रेडिट का मतलब सामान तैयार करने में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल पर लगा कर, तैयार माल पर लगने वाले कर से घटा दिया जाता है. इससे एक सामान के लिए कर पर कर नहीं लगता और उपभोक्ताओं पर बोझ नहीं बढ़ता. लेकिन ये स्थिति उन्ही सामान या सेवाओं के लिए होगी जो जीएसटी के दायरे में शामिल हैं. दरअसल, उद्योग जगत का कहना था कि बगैर बिल या वाउचर की सूरत में सिर्फ 40 फीसदी की दर से ही इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलता है और इसे बढ़ाया जाना चाहिए. अब ये दर ज्यादा से ज्यादा 60 फीसदी होगी. ये सुविधा उत्तराखंड या हिमाचल प्रदेश में तैयार सामान पर भी मिलेगा जहां एक्साइज ड्यूटी से छूट मिली हुई है.
वित्त मंत्री ने एक बार साफ कर दिया कि जीएसटी लागू करने की तारीख में कोई बदलाव नहीं होगा. दरअसल पश्चिम बंगाल और कुछ उद्योग संगठनों का मानना है कि जीएसटी को लेकर तैयारियां पूरी नही है, लिहाजा पहली जुलाई की तारीख को टाल दिया जाना चाहिए. लेकिन जेटली ने कहा कि विभिन्न राज्य तारीखों में किसी तरह के बदलाव के पक्ष में नहीं है.

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