मेरी आलोचना के बाद सरकार हरकत में आई ; यशवंत सिन्हा

 हर महीने नहीं देना टैक्स.  # जीएसटी काउंसिल की मीटिंग चल रही है  #वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार शाम GST के नियमों में बदलाव की घोषणा की. GST के नियमों में बदलाव के बाद कई सामान सस्ते होंगे. नमकीन, गुजराती व्यंजन खाखरा, स्टेशनरी सामान, आयुर्वेदिक दवाई आदि सस्ते होंगे. गौर करें तो वित्त मंत्री ने GST के नियमों में बदलाव कर सीधे तौर से अभिभावकों को लाभ पहुंचाया है, क्योंकि जिन सामानों पर GST की दरें घटाई गई हैं, उनमें ज्यादातर बच्चों के इस्तेमाल की हैं. वित्त मंत्री ने छोटे और मझौले कारोबारियों को राहत देने वाले कई फैसले लिए हैं. उन्होंने छोटे और मझोले कारोबारियों को टैक्स फाइल करने में भी राहत दी है.

काउंसिल ने कम्पोजिट स्कीम की लिमिट 75 लाख रुपए से बढ़ाकर 1 करोड़ रुपए तक कर दी।  ट्रेडर्स और कारोबारियों को जीएसटी पोर्टल पर रिटर्न फाइलिंग में आ रही दिक्कतों के कारण सरकार ने रिटर्न फाइलिंग में तीन महीने की छूट दे दी है। जीएसटी के तहत अभी तक कारोबारी हर महीने रिटर्न फाइल कर रहे हैं। अब कारोबारियों और ट्रेडर्स को रिटर्न फाइलिंग से तीन महीने की छूट दे दी है।

ये 7 सामान हुए सस्ते 

  1. पैक्ड फूड सस्ता हुआ, GST 18 फीसदी से घटाकर 5 प्रतिशत किया गया.
  2. डीजल ईंजन और पंप के पार्ट्स सस्ते होंगे.
  3. जरी के काम पर GST 18 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी किया गया.
  4. स्टेशनरी का सामान सस्ता होगा. 28 फीसदी से 18 प्रतिशत GST किया गया.
  5. बिना ब्रांड वाली नमकीनों पर GST 12 फीसदी से घटाकर 5 प्रतिशत किया गया. वित्त मंत्री ने खासकर खाखरा का नाम लेकर कहा कि यह स्स्ता होगा.
  6. बिना ब्रांड की आयुर्वेदिक दवाइयां सस्ती होंगी, 12 फीसदी से 5 फीसदी GST किया गया.
  7. बच्चों के खाने के सामान पर पर GST 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया गया है.

# कई उत्पाद और सर्विसेज पर जीएसटी रेट में कटौती हो  सकती है  #. इससे लगभग 60 उत्पाद और सेवाएं सस्ती हो जाएंगी  #   मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक, 60 सेवाएं और वस्तुएं 28% जीएसटी के दायरे से हटाई जाएगी.  #18 प्रतिशत जीएसटी के दायरे में आने वाली कुछ वस्तुओं को 12 प्रतिशत के दायरे में लाया जा सकता है. इससे तकरीबन रोजमर्रा की 60 वस्तुएं सस्ती हो जाएंगी  #  लक्जरी सामानों को 28 प्रतिशत के जीएसटी रेट से हटाकर 18 प्रतिशत जीएसटी के दायरे में लाया जा सकता है. एसी रेस्टॉ रेंट्स में खाने पर 18 फीसदी के बदले 12 फीसदी टैक्सन देना होगा. बिना ब्रांडेड अनाज पर 12 फीसदी के बदले 5 फीसदी टैक्स लगेगा. वहीं, कृत्रिम ज्वैालरी पर 12 फीसदी के बदले 5 फीसदी टैक्‍स लग सकता है  # इसके पहले 9 सितंबर को भी सरकार ने भुने चने, कस्टकर्ड पाउडर, धूप, अगरबत्तीे, रेनकोट और रबर बैंड समेत रोजमर्रा की 40 वस्तु ओं पर टैक्सप कम करके सस्ताह करने का फैसला लिया था  # 

जाने-माने अर्थशास्त्रियों के मुताबिक इसके बावजूद भी अभी कई ऐसे गंभीर सवाल बरकरार हैं, जिन पर प्रधानमंत्री ने चुप्पी साध रखी है। प्रधानमंत्री ने निजी सेक्टर में निवेश के बारे में कुछ नहीं कहा। वाजिब सवाल है कि उनकी सरकार निजी क्षेत्र में निवेश में कुछ खास क्यों नहीं कर सकी? मॉनीटरिंग कंपनी के सीईओ महेश व्यास कहते हैं कि जारी तिमाही में निवेश के प्रस्ताव पिछली 15 तिमाही में सबसे कम हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार ओबीसी वर्ग में बेरोजगारी की दर बहुत तेजी से बढ़ रही है। कई योजनाएं लागू करने के बावजूद सरकार के पास इस गंभीर सवाल का जवाब नहीं है। पीएम ने राजकोषीय घाटे में सुधार की बात कही है। यह सही है कि सरकारी घाटे में कमी आई है। लेकिन, ऐसा सरकार की नीति के चलते नहीं बल्कि क्रूड ऑयल के दामों में आई कमी के चलते हुआ है, जिससे आयात बिलों में गिरावट हुई है। वहीं, कम महंगाई का श्रेय आरबीआई को जाता है, जिसकी अच्छी नीति ने खुदरा महंगाई को लम्बे समय के लिए रोक कर रखा। मोदी ने केवल जून की तिमाही में कम जीडीपी दर (5.7 फीसदी) की आलोचना के लिए आलोचकों को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि यूपीए के दौर में यह इससे भी नीचे जा चुकी थी। यह पूरी तरह से सही नहीं है। सच यह है कि विकास दर पिछली पांच तिमाही से लगातार गिर रही है। जीडीपी में ज्यादातर गिरावट जनवरी-मार्च और अप्रैल-जून में ज्यादा सरकारी खर्च के कारण हुई। वहीं दो कार्यकाल की तुलना भी ठीक नहीं है क्योंकि जीडीपी का फॉर्मूला बदल गया है। ऐसे में सवाल है कि गिर रही जीडीपी कैसे ऊपर जाएगी और नुकसान की भरपाई कैसे होगी। बैंकिंग क्षेत्र में गड़बड़ी पर पीएम ने कुछ भी नहीं बोला। हालांकि, पीएम एनपीए से न निपटने के लिए यूपीए पर दोष मढ़ सकते हैं, लेकिन डूबते ऋण और पुनर्पूंजीकरण से निपटने में देरी के लिए कोई बहाना नहीं बना सकते। तीन साल में एनपीए की समस्या जस की तस बनी हुई है। यह बड़ा सवाल खड़ा करता है क्योंकि बैंकिंग इंडस्ट्री की 70 फीसदी संपत्ति पर राज्यों के स्वामित्व वाले बैंकों के जरिए सरकार का नियंत्रण है।

जीएसटी परिषद की बैठक क्यों की जा रही है?”

अर्थव्यवस्था पर पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा कि  मेरी आलोचना के बाद सरकार हरकत में आई है। उन्होंने कहा, ‘अगर हम लोग केवल निराशा ही फैला रहे हैं तो सरकार ने तेल पर एक्साइज ड्यूटी क्यों घटाई और फिर जीएसटी परिषद की बैठक क्यों की जा रही है?” देश की गिरती हुई अर्थव्यवस्था पर मनमर्जी करने और जब उसके बारे में पूछा जाए तो इसका आरोप पिछली सरकार पर लगाने के लिए आपको यह जनादेश नहीं मिला था। अगले चुनाव में आपको आपके प्रदर्शन और आपके द्वारा किए गए वादों के आधार पर लोग आपको जज करेंगे।’ मुझे संतुष्टि है कि इस मुद्दे पर बहस हो रही है. इस पर काफी समझदारी भरा विचार विमर्श हो रहा है. मैंने जो तथ्य और आंकड़े दिए हैं, मैं उन पर कायम हूं. मुझे अब तक हमारी अर्थव्यवस्था के संकटग्रस्त क्षेत्रों में सुधार का कोई संकेत नहीं दिखाई दे रहा.  आरबीआई ने दरों में संशोधन नहीं किया है. राजस्व के मामले की बात करें, तो यहां भी संकेत दर्शाते हैं कि अगर वे राजस्व नहीं बढ़ाते, तो इस साल जिस तरह व्यय हो रहा है, राजस्व घाटा लक्ष्य से पार हो जाएगा.” सिन्हा ने कहा कि यह अर्थव्यवस्था को लेकर उनका अपना विचार और उनका आकलन है और इसे लेकर कोई अन्य दृष्टिकोण भी हो सकता है. सिन्हा ने भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पर भी निशाना साधा। उनका कहना है कि आर्थिक नीतियां तय करने में शाह की अनावश्यक रूप से बड़ी भूमिका होती है। उन्होंने कहा, ‘जब राजनीतिक और आर्थिक मामलों पर कैबिनेट कमेटी है, जिसके कई अन्य मंत्री हिस्सा हैं, लेकिन उनमें से किसी को नहीं बुलाया गया। अब सवाल यह उठता है कि पार्टी अध्यक्ष कैसे सीधे तौर पर सरकार चलाने या अहम फैसले लेने में शामिल हो सकता है।’ यह बात उन्होंने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात के लिए केरल दौरा बीच में छोड़कर आने के फैसले के संदर्भ में कही।उनका कहना है कि आगामी लोकसभा चुनाव में नौकरियों की कमी एक बड़ा मुद्दा होगा. उनका मानना है कि राम मंदिर या संविधान के अनुच्छेद 370 जैसे मुद्दों पर मतदाताओं के ध्रुवीकरण के प्रयास काम नहीं आएंगे.

छोटे व्यापारियों को हर महीने नहीं देना टैक्स. डेढ़ करोड़ तक के टर्नओवर वालों को तीन महीने पर रिटर्न भरना होगा. मैन्युफैक्चरर को 2 प्रतिशत टैक्स देना होगा. ई-वॉलेट में एडवांस रिफंड दिया जाएगा. जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक 9 और 10 नवंबर को होगी. ई-वॉलेट की व्यवस्था 1 अप्रैल 2018 से शुरू करने की योजना. 10 अक्तूबर से जुलाई का रिफंड देंगे. रिफंड का जो भी अमाउंट होगा वह उस वॉलेट मनी से काट लिया जाएगा. नॉमिनल जीएसची 0.1 फीसदी पर एक्सपोर्ट कर सकते हैं. जुलाई अगस्त के एक्सपोर्ट का रिफंड जल्द से जल्द होगा. अब जेम्स एंड ज्वैलरी मार्केट में 2 करोड़ या इससे ज्यादा का कारोबार करने वाले कारोबारियों को प्रीवेंशन मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट से बाहर कर दिया गया है. सर्राफा बाजार को अगस्त के आखिरी हफ्ते में पीएमएलए के दायरे में लाया गया था. सर्राफा बाजार पर अब पीएमएलए लागू नहीं होगा, जिससे कारोबार करने में आसानी होगी. सालाना 2 करोड़ से अधिक के टर्न ओवर की सर्राफा कंपनियां PMLA से बाहर होंगी अब तक 50,000 से अधिक की ज्वेलरी की खरीद पर पैन कार्ड देना पड़ता था. यह सीमा बढ़ाकर 2 लाख किए जाने की उम्मीद है सर्राफा व्यापारियों को जीएसटी से राहत मिली है. उनको मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट से बाहर कर दिया गया है. अब दो लाख तक की ज्वैलरी खरीद पर पैन नंबर नहीं देना होगा.

जीएसटी काउंसिल से आज छोटे व्यापारियों को बड़ी राहत मिली है. 1.5 करोड़ से नीचे टर्नओवर वाले व्यापारियों को तीन महीने में जीएसटी रिटर्न भरना होगा. 75 लाख सालाना टर्नओवर तक के व्यापारियों को अभी कंपोज़ीशन स्कीम के तहत 1 फीसदी टैक्स देकर रिटर्न दाखिल करने से छूट मिलती है, यह लिमिट एक करोड़ तक बढ़ाई गई है. जीएसटी में अनरजिस्टर्ड डीलर से सामान खरीदने पर व्यापारी को टैक्स का भुगतान खुद करना पड़ता था जिसे रिवर्स चार्ज मेकेनिज़्म कहते हैं. रिवर्स चार्ज मेकेनिज़्म भी 31 मार्च 2018 तक स्थगित कर दिया गया है.
• 1.5 करोड़ टर्नओवर वाले व्यापारियों को हर महीने की जगह अबसे 3 महीने में जीएसटी भरना होगा.
• पहले 75 लाख रुपये तक टर्नओवर वाले व्यापारियों को हर महीने रिटर्न भरना होता था.
• छोटे व्यापारियों को राहत मिली है और उन्हें हर महीने रिटर्न भरने से छूट मिलेगी.
• एक्सपोर्टर्स को जीएसटी के तहत जो भी रिफंड मिलना है वो उनके ई-वॉलेट में आ जाएगा.
• एक्सपोर्टर्स के लिए ई-वॉलेट की व्यवस्था होगी जो 1 अप्रैल से लागू होगी.
• 1 करोड़ तक टर्नओवर वाले व्यापारियों के लिए कंपोजीशन स्कीम आई.
• छोटे और मझौले व्यापारियों को बड़ी राहत मिली. कंपोजीशन स्कीम के तहत व्यापारियों के लिए दायरा बढ़ा.
• सुबह 10.30 बजे जीएसटी काउंसिल की अहम बैठक शुरू हुई थी.
• वित्त मंत्री अरुण जेटली की अगुवाई वाली GST काउंसिल की बैठक में आज कई अहम फैसले लिए जाने की उम्मीद है.
• माना जा रहा है कि छोटे व्यापारियों को हर महीने रिटर्न भरने से छुटकारा मिल सकता है और आगे से 3 महीने में एक बार रिटर्न भरने की सुविधा मिल सकती है.
• माना जा रहा है कि हर महीने की जगह 3 महीने में रिटर्न दाखिल करने की सुविधा और कंपोजिशन स्कीम की सीमा 75 लाख से बढ़ाकर एक करोड़ किए जाने की उम्मीद है. बैठक सुबह 10.30 बजे से जारी है.
• एक्सपोर्टर्स को रिफंड को लेकर परेशानी आ रही थी. टैक्स रिफंड को लेकर उनकी खास परेशनी थी. वित्त मंत्री ने कहा हम टैक्स रिफंड को लेकर नई व्यवस्था बना रहे हैं. हर एक्सपोर्टर का ई-वॉलेट बनेगा. 18 अक्तूबर से अगस्त महीने का रिफंड देंगे.

  1. 10 अक्टूबर से जुलाई महीने का और 18 अक्टूबर से अगस्त महीने का एक्सपोर्टर को रिफंड चेक दे दिए जाएंगे. यह तात्कालिक व्यवस्था है.
  2. स्थाई व्यवस्था के रूप में हर एक्सपोर्टर का एक ही ई वॉलेट बनेगा. ई वॉलेट की व्यवस्था एक अप्रैल 2018 से शुरू होगी. इसी में रिफंड का पैसा आएगा. इन निर्यातकों की बड़ी रकम फंसी हुई है.
  3. सरकार ने कंपोजिशन स्कीम का दायरा बढ़ाया. नए नियम के मुताबिक सालाना एक करोड़ का टर्नओवर करने वाले कारोबारियों को हर महीने के बजाय तीन महीने पर भी रिटर्न फाइल कर सकेंगे.
  4. कंपोजिशन स्कीम के तहत एक करोड़ टर्न ओवर वाले कारोबारियों को ट्रेडर्स का एक फीसदी और निर्यातकों को 2 फीसदी टैक्स देना होगा. इसके अलावा रेस्टोरेंट मालिकों को 5 फीसदी टैक्स देना होगा. पहले यह सीमा 75 लाख रुपए थी.
  5. 1.5 करोड़ तक के कारोबार में अब 3 महीने में फाइल करना होना रिटर्न, पहले हर महीने करनी होता था. 31 मार्च 2018 तक रिवर्स चार्ज प्रणाली को टाल दिया गया है.
  6. ऐसी सर्विस प्रोवाइडर कंपनियां जिनका टर्न ओवर 20 लाख से कम है उन्हें छूट दे दी गई है.

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