जीएसटी के दर्द को गुजरात चुनावों ने कम कर दिया

क्या 178 सामानों पर GST कम होना कोई राजनीतिक संकेत है? # जो काम संसद और कॉमन सेंस से नहीं हो सका वो वहां होने वाले चुनावों ने करा लिया# www.himalayauk.org (Leading Digital Newsportal) 
जीएसटी परिषद ने शुक्रवार को कारोबारियों को राहत प्रदान करते हुए रिटर्न फाइलिंग के नियमों को सरल बनाया. इसके साथ-साथ देरी से रिटर्न फाइलिंग करने पर लगने वाले जुर्माने को भी कम किया गया है. अब, कारोबारियों को मार्च तक सरलीकृत प्रारभिंक जीएसटी-3बी रिटर्न दाखिल करना होगा. साथ ही, मार्च 2018 तक बिक्री और खरीदारी के चालान का मासिक मिलान जारी रहेगा. वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद ने उन व्यवसायों के लिए जीएसटी-3बी फॉर्म को सरलीकृत बनाने का निर्णय लिया है, जिन पर शून्य कर देनदारी दायित्व है या चालान में फाइल करने का कोई लेन-देन नहीं है.
जीएसटीएन पोर्टल पर दाखिल होने वाले कारोबारों में से 40 प्रतिशत कारोबारों पर कर देयता शून्य है. इसके साथ ही जीएसटी परिषद ने देरी में रिटर्न दाखिल करने वालों पर लगने वाले जुर्माने को भी कम किया है. राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने कहा कि देरी से जीएसटी दाखिल करने पर शून्य देनदारी वाले करदाताओं पर जुर्माना 200 रुपये से घटाकर 20 रुपये प्रतिदिन किया गया.

क्या त्रासदी रही व्यापारियों की, जो लुट रहा था, वही चोर कहा जा रहा था. बाद में राहुल गांधी ने इसे आक्रामकता से उठाया तो फिर से मज़ाक उड़ा कि राहुल को जीएसटी की समझ नहीं है. वे अमीरों और चोरों का साथ दे रहे हैं. अंत में सरकार को वही करना पड़ा जो पहले कर देना चाहिए था बहुत कम मीडिया संस्थानों ने जीएसटी के दर्द को मुखरता से उभारा. बड़े व्यापारिक घराने और उद्योगपति भी डर से नहीं बोल पा रहे थे. जितनी तकलीफ थी उस तादाद में गली गली में बने व्यापारिक संगठन भी नहीं बोल रहे थे. कराह रहे थे और नहीं चाह रहे थे कि कोई आह सुन ले. तकलीफ बताते थे मगर यह भी ताक़ीद कर देते थे कि प्लीज़ मेरा नाम मत लेना

जीएसटी घटाने पर पी. चिदंबरम ने मोदी सरकार पर तंज कसा। चिदंबरम ने ट्वीट करके कहा, “शुक्रिया गुजरात। जो काम संसद और कॉमन सेंस से नहीं हो सका वो वहां होने वाले चुनावों ने करा लिया।” बता दें कि मोदी सरकार ने शुक्रवार को 178 आइटम्स पर टैक्स घटाकर उन्हें 18% स्लैब में ला दिया है। यह फैसला जीएसटी काउंसिल की यह 23वीं मीटिंग में लिया गया। अरुण जेटली के मुताबिक इन नए रेट्स का फायदा 15 नवंबर से मिलना शुरू हो जाएगा। नरेंद्र मोदी ने इन बदलावों पर कहा कि इससे हमारे नागरिकों को भविष्य में फायदा होगा। बता दें कि कांग्रेस लंबे वक्त से जीएसटी रेट्स को लेकर अपनी विरोध करती आ रही है।
चिदंबरम ने लिखा, “कांग्रेस निर्दोष है। मेरा कोई दोष नहीं। आखिरकार 18% जीएसटी रेट को मान लिया गया है।”
“अगर सरकार कई चीजों पर 28% से घटाकर 18% टैक्स कर रही है तो साफ है कि उसने देर से ही सही लेकिन सबक तो ले लिया।” “सरकार जीएसटी बिल पर राज्यसभा में डिबेट और वोटिंग पर बचती रही। लेकिन अब वे पब्लिक डोमेन में बहस से नहीं बच सकते।”   “कांग्रेस शासित राज्यों के फाइनेंस मिनिस्टर्स ने जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में टैक्स स्लैब में बदलाव की बात रखी। आगरा, सूरत, तिरुपुर और दूसरे बिजनेस हब इस बात को देख रहे हैं।” “कांग्रेस पार्टी का अगला मकसद एक टैक्स रेट करना रहेगा।”
जीएसटी की टैक्स स्लैब में किस तरह हुआ बदलाव
जेटली ने बताया, ” 28% टैक्स कैटेगिरी में से 178 आइटम्स को 18% टैक्स स्लैब में लाया गया। 13 आइटम्स को 18% से 12% के टैक्स स्लैब में लाया गया। 6 आइटम्स को 18% से 5% के टैक्स स्लैब में लाया गया, 8 आइटम्स को 12% से 5% के टैक्स स्लैब लाया गया। इसके अलावा 6 आइटम्स को 5% से 0 की कैटेगरी में लाया गया है।”
जेटली ने कहा- अब सभी तरह के रेस्टोरेंट्स पर 5% जीएसटी लगाया जाएगा।
28% से 18% के स्लैब में  
च्यूइंगगम, चॉकलेट, कॉफी, कस्टर्ड पाउडर, मार्बल और ग्रेनाइट, डेंटल हाईजीन प्रोडक्ट, पॉलिश और क्रीम, सैनेटरी वेयर्स, लेदर क्लोदिंग, आर्टिफीशियल फर, विंग्स, कुकर, स्टोव, आफ्टर शेव, डियोड्रेंट, डिटर्जेंट और वॉशिंग पाउडर, रेजर्स एंड ब्लेड्स, कटलरी, स्टोरेज वाटर हीटर, बैट्री, चश्मे, रिस्ट वॉच, मैट्रेस जैसे आइटम्स।
उद्योग एवं व्यापार जगत ने विभिन्न प्रकार की वस्तुओं पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरें घटाए जाने के फैसले का स्वागत किया है और उम्मीद जाहिर कि है इससे उपभोक्ताओं और उद्योग धंधा करने वालों को राहत मिलेगी, बाजार में मांग बढ़ेगी और कर व्यवस्था के सरल होने से इकाइयां इसको अपनाने के लिए प्रोत्साहित होंगी.
उद्योग मंडल एसोचैम के महासचिव डी एस रावत ने कहा, “एकमुश्त कर योजना के तहत कारोबार की सीमा को ऊंचा करने से छोटे व्यवसायियों को बड़ी राहत होगी.” उन्होंने कहा कि आज के परिवर्तनों के परिणाम अगले एक-दो महीनों में देखने को मिलेंगे.
असंगठित क्षेत्र के खुदरा व्यापारियों के संगठन कंफेडरेशन ऑफ इंडिया ट्रेडर्स एसोसिएशन (कैट) ने एक बयान में कहा कि उपभोक्ताओं और कारोबारियों को दी गई राहत पासा पलटने वाली है, इससे कर प्रणाली आसान होगी और इकाइयां इसको अपनाने को प्रोत्साहित होंगी. वहीं, सीमेंट उद्योग से जुड़े संगठन ने जीएसटी परिषद द्वारा इस उद्योग को 28 प्रतिशत की उच्चतम दर के स्लैब में बनाए रखने पर निराशा जाहिर की है.
सीमेंट मैन्युफ्रैक्चर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष शैलेंद्र चौकसी ने कहा कि सीमेंट को विलासिता वस्तुओं पर लगने वाले कर के दायरे में रखना दुर्भाग्यपूर्ण है. संगठन का कहना है कि सीमेंट ‘स्वच्छ भारत’ और ‘सबके लिए मकान’ तथा बुनियादी ढांचा के निर्माण जैसी विभिन्न प्रकार की सरकारी योजनाओं के लिए महत्वपूर्ण सामग्री है.
एंजेल ब्रोकिंग के फंड मैनेजर मयुरेश जोशी ने गुवाहटी में आज संपन्न हुई जीएसटी परिषद के निर्णय को मोटे तौर पर उम्मीद के अनुरूप बताया. उन्होंने कहा कि रियायतों से सरकारी राजस्व को सालाना 20,000 करोड़ का नुकसान हो सकता है, लेकिन सरकार को यह भी उम्मीद है कि बेहतर अनुपालन से इसकी भरपाई हो जाएगी.

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