१६ मई बडा मंगल है अति विशिष्ट योग

16 मई, 23 मई, 30 मई, 30 जून 2017 को बडे मंगल का दिन है, वर्ष का राजा मंगल अति विशेष योग लिये हुए है, हनुमान जी की विशेष पूजा से कष्‍ट दूर होगे, यह बडा मंगल लिये हुए है विशेष योग-

#जेठ माह के मंगल #लखनऊ में है खास महत्व #लखनऊ के वरिष्‍ठ पत्रकार- मो0 कामरान ने लखनऊ में बडा मंगल अवसर पर विशाल भण्‍डारे का देश व्‍यापी निमंत्रण भेजा# उत्‍तराखण्‍ड देहरादून भी भेजा#इस बार अरसे बाद लोगों को ज्येष्ठ माह और पाक रमजान माह का दुर्लभ संयोग मिलेगा#दिन में जहां बड़े मंगल पर भंडारे चलेंगे तो वहीं उसी समय मई महीने के आखिरी दिनों में पाक रमजान माह भी शुरू होगा#बड़े मंगल के कुछेक मौके ऐसे भी आयेंगे जब दिन भर भंडारों के दौर केसाथ शाम इफ्तारी होगी#जानकारों के मुताबिक ऐसा संयोग दो दर्शकों के आसपास आता है#अरसे बाद ज्येष्ठ माह और रमजान माह का दुर्लभ योग बना है# www.himalayauk.org (web & Print Media)

ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीराम से हनुमान जी की पहली मुलाकात ज्येष्ठ या जेठ के महीने में हुई थी। यही वजह है कि ज्येष्ठ के महीने में पड़ने वाले मंगलवार का बड़ा महत्व होता है। आज 5 मई से ज्येष्ठ का महीना शुरू हो रहा है और आज ही ज्येष्ठ का पहला बड़ा मंगल है। इस दिन चन्द्रमा वृश्चिक राशि में रहेगा, जो मंगल की राशि है। विशाख गुरू का नक्षत्र है। गुरू सबका कल्याण करता है। इसलिए ज्येष्ठ के बड़े मंगल की शुरूआत काफी शुभ है।

दूसरा मंगल 12 मई को धनिष्ठा नक्षत्र में पड़ेगा। धनिष्ठा मंगल का नक्षत्र है। अतः दूसरे बड़े मंगल का भी खास प्रभाव रहेगा। 19 मई को शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के साथ रोहिणी नक्षत्र पर उच्च का चन्द्र रहेगा। रोहिणी चन्द्रमा का नक्षत्र है और मंगल व चन्द्र आपस में मैत्री भाव रखते हैं। यह भी एक शुभ संकेत है। चौथा मंगल 26 मई को अष्टमी पर मेघा नक्षत्र के साथ सिंह राशि रहेगी। और ज्येष्ठ मास का पांचवां और आखिरी मंगल 2 जून को पड़ेगा। वो भी खास रहेगा क्योंकि पूर्णिमा के साथ शनि का नक्षत्र अनुराधा और शिव योग का अद्धभुत संयोग बन रहा है। इस बार के ज्येष्ठ मंगल में खास बात यह है कि पहला बड़े मंगल के दिन चन्द्रमा वृश्चिक राशि में रहेगा और अंतिम बड़े मंगल 2 जून को भी चन्द्रमा वृश्चिक राशि में ही गोचर करेगा। यानि ज्येष्ठ के बड़े मंगलों की शुरूआत और समापन दोनों ही शुभ है।

संकट मोचन हैं हनुमान
भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त हनुमान जी संकट हरने वाले देवता माने जाते है। संकट कैसा भी हो हनुमान जी उसे पल भर में दूर करने की क्षमता रखते हैं। लेकिन भक्त की उनके प्रति भक्ति और श्रद्धा वैसी ही होनी चाहिए जैसी हनुमान जी की श्रीराम के प्रति थी। जहां न कोई स्वार्थ हो, न आडंबर, न आकांक्षा और ना ही किसी प्रकार की आशंका है। क्योंकि जहां शंका है वहां विश्वास नहीं है और अगर ईश्वर पर विश्वास ही नहीं तो श्रद्धा और भक्ति कैसी। लिहाजा हनुमान जी की पूर्ण सम्पर्ण से भक्ति करने वाले के सभी कष्ट और संकट दूर हो जाते हैं।

लखनऊ में है खास महत्व कहा जाता है कि एक बार नवाब सआदत अली खां बहुत बीमार हो गए थे। और काफी इलाज कराने के बाद जब वह ठीक नहीं हो रहे थे। तब उनकी मां जो नवाब शुजाउद्दौला की बेगम थीं और शादी से पूर्व छतरकुंवर के राजपूत घराने की राजकुमारी थीं, ने नवाब के ठीक होने के लिए मन्नत मांगी और हुनमान जी की कृपा से नवाब सआदत अली स्वस्थ हो गए। नवाब के ठीक होने पर उनकी मां ने लखनऊ के अलीगंज का पुराना मंदिर 1798 में जेठ माह के मंगल के दिन स्थापित करवाया। उसी समय से लखनऊ में जेठ के मंगलो में बजरंग बली का विशेष पूजन कर लोगों को मीठा शरबत और ठंडा जल पिलाने की परंपरा प्रचलित है।
अदभुत हनुमान मंदिर

झांसी. हाथ में गदा लिए ब्रह्मचारी रूप बजरंगबली का मंदिर तो सभी ने देखा होगा, लेकिन हम आपको ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां हनुमान स्त्री वेश में विराजमान हैं। लहंगा-चोली धारण किए फूल-मालाओं से लदे बजरंगबली का यह स्‍वरूप देखते ही बनता है। खास बात ये है कि स्त्री वेश में होने के बाद भी उनके दोनों हाथ में गदा है। करीब 500 साल पुराने इस मंदिर में रोजाना हजारों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि यह विश्‍व का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां हनुमान जी स्‍त्री वेश में विराजमान हैं।
यह हनुमान मंदिर झांसी के ग्वालियर रोड पर स्थित है। मंदिर के अहम पुजारी बिहार के रहने वाले रमनदास जी महाराज बताते हैं कि इस मंदिर कि महिमा अपरंपार है। हनुमान जी को यहां रात में टहलते देखा जा चुका है। कई बार तो रात में मंदिर में लगे दर्जनों घंटे अपने आप बजने लगते हैं। उन्‍होंने बताया कि हनुमान के सखी वेश का वर्णन रामायण में भी है।
स्त्री वेश में इस तरह विराजमान हुए थे सखी हनुमान
पुजारी बताते हैं कि करीब 500 साल पहले ओरछा में एक सखी बाबा नाम के संत थे। उन्हें सपना आया कि एक हनुमान जी की मूर्ति‍ है। सपने के अनुसार सखी बाबा को एक स्थान पर पवन पुत्र हनुमान की मूर्ति मिली। मूर्ति सखी वेश में थी। बाबा ने मूर्ति को अपनी बैलगाड़ी में रख लिया और चल दिए। झांसी के पास से गुजरते समय शाम हो गई थी।
सखी बाबा ने ग्वालियर रोड स्थित एक पीपल के पेड़ के नीचे मूर्ति को रख दिया और आराम करने लगे। सुबह जब वह चलने को हुए तो उनकी बैलगाड़ी का पहिया निकल गया। इस कारण उन्हें सही कराने के लिए एक दिन और वहीं रुकना पडा। इस दौरान उन्हें सपना आया कि अब मूर्ति को ज्यादा दूर न ले जाएं। राम राजा के दरबार ओरछा के पास ही रहने दें। अगले दिन सखी बाबा ने मूर्ति को वहीं स्थापित कर दिया। तभी से यह मंदिर यहां स्थापित है।
रामायण में भी है हनुमान जी के स्‍त्री वेश का वर्णन
रमण दास जी महाराज बताते हैं कि हनुमान के स्त्री वेश का वर्णन रामायण में भी है। जनकपुरी में हनुमान ने सखी रूप धारण किया था। उनके अनुसार झांसी के इस मंदिर के अलावा पूरे विश्व में ऐसा मुखारबिंद कहीं और नहीं है। विशाल क्षेत्र में बने इस मंदिर में राधारानी, भगवान कृष्ण, शंकर भगवान, पार्वती जी, राम-सीता आदि की भी मूर्तियां विराजमान हैं।
यहां देश के कई हि‍स्‍सों के अलावा अमेरिका, कनाडा जैसे देशों के अप्रवासी भारतीय भी दर्शन करने आते हैं। पुजारी जी के अनुसार इस सिद्ध मंदिर में लोगों की हर मनोकामना पूरी होती है। यदि किसी को बेटा या बेटी रत्न की प्राप्ति नहीं हो रही हो तो वह यहां लगातार पांच सोमवार पूजा-अर्चना विधि के अनुसार करे तो निश्चित ही फल मिलता है। ऐसा देखा भी जा चुका है। मंदिर के एक और पुजारी अर्पित दास जी महाराज बताते हैं कि एक बार मंदिर के बड़े पुजारी गोपाल दास जी महाराज को रात में टहलते देखा गया। सुबह जब उनसे जिक्र किया गया कि महाराज रात में क्यूं टहल रहे थे, तो उन्होंने इससे अनभिज्ञता जाहिर की। उन्होंने कहा कि वह रात भर सोते रहे तब उन्हें अहसास हुआ कि वह महाराज के वेश में बजरंगबली ही थे।

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