भाजपा की यूपी में जीत असम्‍भव- 50साल के आंकड़ों के अनुसार

hardik-patelभाजपा को पटकनी देने को तैयार हार्दिक पटेल, नीतीश कुमार, अरविंद केजरीवाल

उत्‍तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा को पटकनी देने को तैयार हुए हार्दिक पटेल, नीतीश कुमार, अरविंद केजरीवाल Presents by www.himalayauk.org

यूपी में अगले साल चुनाव होने हैं।  हार्दिक पटेल का यूपी जाना काफी अहम-बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के साथ जा सकते हैं। नीतीश की पार्टी जदयू यूपी चुनाव लड़ेगी। हार्दिक चुनाव प्रचार में उनकी मदद कर सकते  दिल्‍ली के सीएम अरविंद केजरीवाल भी हार्दिक पटेल को साथ ले सकते हैं। आम आदमी पार्टी गुजरात विधानसभा चुनाव लड़ने जा रही है।

वही इतिहास बताता है कि जब-जब बीजेपी ने उत्‍तर प्रदेश में चुनाव के पहले अपना सीएम उम्‍मीदवार उतारा है तब-तब वो औंधे मुंह गिरी है. भगवा पार्टी के मुख्‍यमंत्री उम्‍मीदवार यूपी की जनता ने हमेशा नकारे हैं. फिलहाल यह बात हम नहीं पिछले पचास साल के ये आंकड़े तो यही कर रहे हैं….

  1. वर्ष 2012 में उमा भारती, जोसीएम पद की अघोषित उम्‍मीदवार थीं, उनकी सीटें 57 से घटकर 47 हो गई थीं.
  2. वर्ष 2007 में जब कल्‍याण सिंह सीएम पद के उम्‍मीदवार थे, तब सीटें 88 से घटकर 51 हो गई थीं.
  3. राजनाथ सिंह को साल 2002 में जब सीएम पद का बीजेपी ने उम्‍मीदवार बनाया था तब सीटें 174 से घटकर 88 पहुंच गईं.
  4. 1996 में कल्‍याण सिंह को बीजेपी ने जब बतौर सीएम उतारा तब सीटें 221 से घटकर 177 हो गईं.
  5. 1991 में सीएम पद का कोई चेहराबीजेपी की ओर से नहीं प्रोजेक्‍ट नहीं किया गया तब 221 सीटें मिलीं.
  6. 1974 में जब अटल बिहारी वाजपेयी (जनसंघ) को सीएम पद का उम्‍मीदवार बताकर चुनाव मैदान में उतारा गया तब सीटें घटकर 61 हो गईं.
  7. 1967 में जनसंघ के समय 98 सीटें जीतकर लंबी छलांग मारी गई.

दूसरी ओर विधानसभा चुनावों की आहट से पूर्व हार्दिक पटेल की जमानत भाजपा के लिए नुकसानदेह साबित होगी, पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल को दंगे भड़काने के मामले में सोमवार को जमानत मिल गई। हालांकि कोर्ट ने उन्‍हें नौ महीने तक मेहसाणा में न जाने की शर्त पर जमानत दी। इससे पहले गुजरात हाईकोर्ट ने राष्‍ट्रद्रोह के मामले में भी हार्दिक को बेल दे दी थी लेकिन छह महीने तक गुजरात में घुसने पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके चलते अब हार्दिक उत्‍तर प्रदेश जा सकते हैं। पाटीदार नेताओं का कहना है कि जेल से छूटने के बाद वे महाराष्‍ट्र या यूपी जा सकते हैं। लेकिन उनके यूपी जाने की सबसे ज्‍यादा संभावना है।

यूपी में अगले साल चुनाव होने हैं। इस लिहाज से हार्दिक पटेल को यूपी जाना काफी अहम हो जाएगा। वे बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के साथ जा सकते हैं। नीतीश की पार्टी जदयू यूपी चुनाव लड़ेगी। हार्दिक चुनाव प्रचार में उनकी मदद कर सकते हैं। पाटीदार समुदाय(कुर्मी) का यूपी में भी आधार है। हार्दिक कुर्मी समुदाय को नीतीश के पाले में ले जा सकते हैं। नीतीश कुमार खुद भी कुर्मी हैं। पाटीदार आंदोलन के समय नीतीश ने हार्दिक का समर्थन किया था। अगर ये दोनों साथ आ जाते हैं तो भाजपा के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। भाजपा ने कुर्मी मतों को अपने साथ करने के लिए ही अनुप्रिया पटेल को केंद्र में मंत्री बनाया था।

हार्दिक और नीतीश दोनों भाजपा के विरोध में हैं। नीतीश बिहार का हवाला देते हुए वोट मांग सकते हैं। जबकि हार्दिक आरक्षण आंदोलन के जरिए भाजपा को घेर सकते हैं। कुर्मी समुदाय के मतों के लिए ही समाजवादी पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने बेनी प्रसाद वर्मा को पार्टी में लिया था। साथ ही राज्‍य सभा भी भेजा था। अपना दल का वोट बैंक भी कुर्मी समुदाय ही है। इधर, जेल से रिहा किए जाने के बाद हार्दिक को खुले ट्रक में पटेल समुदाय की बहुलता वाले इलाकों से ले जाया जाएगा। रात गुजरात में बिताने के बाद सुबह वे रवाना होंगे।

दिल्‍ली के सीएम अरविंद केजरीवाल भी हार्दिक पटेल को साथ ले सकते हैं। आम आदमी पार्टी गुजरात विधानसभा चुनाव लड़ने जा रही है। इसी सिलसिले में आप पाटीदार समुदाय के नेताओं से संपर्क बढ़ा रही है। उसे उम्‍मीद है कि पाटीदार भाजपा से दूर गए हैं और अगर वह उन्‍हें अपने साथ ले आती है तो उलटफेर किया जा सकता है। केजरीवाल ने हार्दिक पटेल की गिरफ्तारी की भी आलोचना की थी। इसे पाटीदारों को करीब लाने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि पाटीदारों का कहना है कि अभी वे किसी के साथ नहीं हैं।

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