करोडों रूपया ठिकाने लगाने का यह सरकारी कार्यक्रम-ढेर सवाल छोड गया

RANGERS COLL CRICKET GROND 5हरेला घी संक्रांति महोत्सव का 3 दिवसीय भव्‍य  कार्यक्रम देहरादून  Execlusive Report: www.himalayauk.org (UK Leading Digital  Newsportal) Bureau Report;

#थोडी देर में ही मुख्य मंत्री जी के यह संज्ञान में आया- तो उन्होने स्वयं इस गंभीर त्रुटि के लिए विशेष रूप से सॉरी बोला,  

#रेंजर्स कालेज मैदान- देदून- यह मैदान क्रिकेट के लिए जाना जाता है, यहां रणजी खेल होते हैं, परन्तु इस सरकारी कार्यक्रम ने पूरे क्रिकेट पिच को खत्म कर दिया, इस मैदान में लगे मेले में आयी सरकारी गाडियो ने पूरे मैदान को धान के खेत का मैदान बना दिया।

एक बडी तथा एक्‍सक्‍लूसिव रिपोर्ट-

16 अगस्त 2016, हरेला घी संक्रांति महोत्सव का 3 दिवसीय भव्‍य  कार्यक्रम देहरादून स्‍थित रेंजर्स कालेज मैदान में सम्प‍न्न हो गया, इस कार्यक्रम के लिए स्वयं हरीश रावत मुख्यमंत्री बहुत उत्साहित थे, तीन दिन उत्साह से लबरेज मुख्युमंत्री ने गणमान्य नागरिकों, स्कूली बच्चों तक को आमंत्रित तथा उनको पहाडी व्यंजन करवाया, निसंदेह एक सार्थक व अच्छी पहल है, मुख्य मंत्री ने अपने निजी स्टाफ से भी अपेक्षा की कि देहरादून के सामाजिक संगठनों को भी आमंत्रित किया जाये, परन्तु मुख्यमंत्री जी के चौबीस घण्टेा बगलगीर रहने वाले जसबीर रावत जो आम जनता से दूरी बनाकर रखते हैं, सिर्फ विशेष कार्य –स्थानांतरण, पोस्‍टिंग- के लिए मुख्यंमंत्री जी को फोन मिलाकर देते हैं,  मुख्‍यमंत्री जी ने उनको सामाजिक संगठनों को निमंत्रण देने की जिम्मेनदारी दी गयी थी, परन्तु उन्होंने मुख्‍यमंत्री की इस सलाह को दरकिनार कर दिया,

कार्यक्रम के उपरांत जब वो डीजीपी तथा महत्वपूर्ण सचिव आदि को भोजन उपलब्ध करवा रहे थे, उनसे जब इस बारे में पूछा गया कि आपके द्वारा सूबे के महत्व पूर्ण सामाजिक संगठनों को निमंत्रण नही दिया गया, तो वो महत्वसपूर्ण अधिकारियों को खाना खिलाने की व्यस्तता कहकर तुरंत रफा दफा हो RANGERS COLL CRICKET GROND 2गये, मुख्यमंत्री के चौबीस घण्टे बगलगीर रहने वाले जसबीर सिंह रावत चर्चाओं में रहे,

थोडी देर में ही मुख्य मंत्री जी के यह संज्ञान में आया- तो उन्होने स्वयं इस गंभीर त्रुटि के लिए विशेष रूप से सॉरी बोला,  

परन्तु् मुख्यमंत्री के द्वारा -सॉरी – बोलना तथा अन्‍य तंत्र की लापरवाही यह दर्शा गयी कि इस पूरे मामले में कही बडा झोल है- पूरे तंत्र की निगाह कही ओर है- पडताल हुई तो ज्ञात हुआ कि इस आयोजन में करीबन 5 करोड रूपयो ठिकाने लगा दिये गये, मुख्य मंत्री जी को यह समझा दिया गया कि राज्य स्तरीय इस कार्यक्रम से पहाड में एक अच्छा संदेश जायेगा, सब सामाजिक संगठन आयेगें, स्‍कूली बच्‍चे आयेगें, गणमान्‍य आयेगे,कलाकार आयेगें, स्‍वयं सहायता समूह आयेगें, एक माहौल बन जायेगा, सीधे सरल स्‍वभाव के हरदा मान गयेे,  परन्तु उनको क्‍या पता था कि इस आयोजन के पीछे करोडों रूपये ठिकाने लगा दिये गये- विस्तार से एक रपट-पढे,उससे पहले एक ब्रेकिंग खबर आ रही है,

बीमार महिला की मौत का जिम्मेदार कौन-सोशल मीडिया में जबर्दस्‍त चर्चा …………….
मुख्यमंत्री की विधानसभा के मल्ला जोहार क्षेत्र के बिल्जू गाँव में बिमला देवी बीमार थी। 15 दिनों तक हैलीकापटर का इंतजार करती रही। सरकार ने हाँ कहाँ था। अंत में वे मुनसियारी की ओर पैदल ही चल पड़े। तड़प – तड़प कर महिला ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। सावधान- सारा तंत्र व्‍यस्‍त है-रेला घी संक्रांति महोत्सव कार्यक्रम में-

वही
कृषि विभाग,संस्कृति विभाग, उद्योग विभाग, सहकारिता विभाग के जिले से लेकर सचिवालय में बैठे अपर सचिव तक के अधिकारी खुल कर इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए जी जान से जुट गये थे, इसके लिए यह बधाई के पात्र हैं, परन्तु इस ३ दिवसीय राज्य स्तरीय हरेला संक्रांति महोत्सव के आयोजन में ५ करोड रूपये से ज्यादा अपव्यय कर इन विभागों के मुखियाओं ने कौन सा राज्य का भला कर दिया, यह किसी की समझ में नही आया।

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बिन्दुवार कुछ तथ्य -करोडों रूपया ठिकाने लगाने का यह सरकारी कार्यक्रम-ढेर सवाल छोड गया-
१- हरेला घी संक्रान्ति महोत्सव २०१६ का राज्य स्तरीय हरेला कार्यक्रम में संस्कृति विभाग, उद्योग विभाग, कृषि विभाग, सहकारिता विभाग ने पूरे संसाधन, पूरा बजट झोंक दिया, उसके उपरांत धाद लोक वादय एवं लोक कला संवर्द्वन संस्था को भारी बजट किस उपलक्ष्य में दे दिया गया।
२- इस संस्था के स्लोगन में साफ कहा गया है कि हिमालयी संगीत एवं लोक वाद्ययों के पक्ष की एक संस्था है, सूबे के अन्य सामाजिक संगठनों को इससे दूर क्यों रखा गया, इससे एक अच्छा संदेश नही गया।
३-राज्य सरकार के विभागों ने कई जनपदों से स्वयं सहायता समूह बुलाये थे, जिसमें नैनीताल, चम्पावत, अल्मोडा, रूद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, पौडी, टिहरी के स्वयं सहायता समूहों ने अपने बिक्री स्टाल लगाये थे जिसमें इन्होने उत्पाद व व्यंजनों की प्रदर्शनी लगायी थी, परन्तु आयोजकों की कमी से इस राज्य स्तरीय कार्यक्रम में जनता तो आयी नही, सिर्फ सरकारी कर्मचारी व अधिकारियों का कार्यक्रम बनकर रह गया। कर्मचारियों की मजबूरी थी, सचिव स्तर तक के अधिकारी लगातार तैनात रहे। स्वयं सहायता समूहों को भारी नुकसान हुआ, अव्यवस्था का यह आलम था कि कई स्टालों में चोरी तक हो गयी, वही सरकारी सहायता के नाम पर अधिकारियों ने अपने चहेते कुछ स्वयं सहायता समूहों को कुछ सरकारी सहायता करीबन १० हजार रूपये पकडाये, यह सहायता भी सभी को नही दी गयी जिससे उनको भारी आक्रोश देखा गया।
४- हरेला घी संक्रान्ति महोत्सव २०१६ का राज्य स्तरीय हरेला कार्यक्रम में भारी अपव्यय कर नौकरशाहों ने क्या संदेश दिया, जनता की समझ में यह नही आया, जनचर्चा के अनुसार अगर यह कार्यक्रम जनपद स्तर का होता तो पूरे प्रदेश में कांग्रेस सरकार की वाहवाही होती, जनता को इसका लाभ मिलता, और कार्यक्रम के द्वारा मुख्यमंत्री जी को लाखों जनता से प्रत्यक्ष संवाद करने को मिलता। जिसका दूरगामी असर होता।
५- वही हरेला घी संक्रान्ति महोत्सव २०१६ का जनपद स्तरीय हरेला कार्यक्रम से स्वयं सहायता समूहो को भारी प्रोत्साहन मिलता, क्षेत्रीय जनता को मनोरंजन का भी अवसर मिलता, कलाकारों को अपनी प्रतिभाएं दिखाने का अवसर मिलता। इस कार्यक्रम के लिए आयोजित बजट का सीधा लाभ लाभार्थी को मिलता। क्षेत्र की समस्‍त जनता लाभान्‍वित होती,
६- हरेला घी संक्रान्ति महोत्सव २०१६ का राज्य स्तरीय हरेला कार्यक्रम में सुदूरवर्ती क्षेत्रों से आने में स्वयं सहायता समूहों को २ दिन से ज्यादा लगे, बरसात के इस कहर में पहाड की अधिकांश सडकें बंद हैं, महिला कलाकार अपनी जान जोखिम में डाल कर घरों को वीरान छोडकर इस कार्यक्रम में प्रतिभाग करने के लिए देहरादून पहुंची, महिलाओं तथा बालिकाओं के सुदूरवर्ती क्षेत्रों से देहरादून पहुंचने तथा वापस जाने की कोई चिंता इन सरकारी विभागों द्वारा नही की गयी। बरसात के मौसम में इनके आने जाने में कोई दुर्घटना घटित हो जाये तो इसका कौन जिम्मेदार होगा। इनके आने जाने, रहने खाने पीने की चिंता इन विभागों ने नही की।
७- सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि हरेला घी संक्रान्ति महोत्सव २०१६ का राज्य स्तरीय हरेला कार्यक्रम रेंजर्स कालेज मैदान देहरादून में हुआ, यह मैदान क्रिकेट के लिए जाना जाता है, यहां रणजी खेल होते हैं, परन्तु इस सरकारी कार्यक्रम ने पूरे क्रिकेट पिच को खत्म कर दिया, इस मैदान में लगे मेले में आयी सरकारी गाडियो ने पूरे मैदान को धान के खेत का मैदान बना दिया। जानकारों का कहना है कि एक बेहतरीन पिच तैयार करने तथा घास आदि लगाने में १० से १५ लाख का खर्चा तथा समय अलग से लगता है, हरेला घी संक्रान्ति महोत्सव २०१६ का राज्य स्तरीय हरेला के सरकारी कार्यक्रम ने रेंजर्स कालेज मैदान के किक्रेट पिच का सत्यानाश कर डाला और अब इसमें होने वाले खर्चे के लिए कौन जिम्मेदार होगा?
८- हरेला घी संक्रान्ति महोत्सव २०१६ का राज्य स्तरीय हरेला के ३ दिवसीय कार्यक्रम हेतु रेंजर्स कालेज मैदान देहरादून में लगाये गये टैंट शामियाना आदि का ठेका श्री संजय सिंह नामक व्यक्ति को दिया गया, किस विभाग ने यह ठेका दिया, और हर सरकारी आयोजन में हर साल इसी व्यक्ति को यह ठेका कैंसे मिल जाता है, सवालों के घेरे में हैं?
९-कुल मिलाकर रेंजर्स कालेज मैदान देहरादून म ३ दिवसीय हरेला घी संक्रान्ति महोत्सव २०१६ का राज्य स्तरीय हरेला कार्यक्रम अधिकारियों का सरकारी बजट को ठिकाने लगाने का एक ३ दिवसीय प्रचार मात्र था, जिसमें सबसे मजेदार बात यह रही कि पैसा सरकारी विभागों का लगा, ठिकाने लगवाया निजी संस्थाओं और ठेकेदारों से।

10- कुल मिलाकर यह सरकारी आयोजन अपनेे पीछे बहुत सारे सवाल छोड गया कि सिर्फ प्रचार प्रसार तथा बजट को ठिकाने लगाने मात्र तक सीमित था-  करोडों रूपया ठिकाने लगाने का यह सरकारी कार्यक्रम-

One thought on “करोडों रूपया ठिकाने लगाने का यह सरकारी कार्यक्रम-ढेर सवाल छोड गया

  • August 19, 2016 at 8:37 pm
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    माननीय संपादक महोदय इस पुरे आयोजन पर आपकी रिपोर्ट के एक विशिष्ट हिस्से पर आपका ध्यान दिलाना चाहूंगा। आपने ये कहा है कि धाद लोक वाद्य एवं लोक कला संवर्धन स्वायत्त सहकारिता को एक भारी भरकम रकम दी गयी है। मैं आपको बताना चाहूंगा कि यह स्वायत्त सहकारिता उत्तराखंड के ढोल दमाऊ वादकों के हक़ और उन्हें सांस्कृतिक श्रमिक मानने के उद्देश्य से गठित की गयी थी जो की उत्तराखंड में अपनी तरह की पहली सहकारीता है। जिसके अंतर्गत उनके सार्वजनिक आयोजन मैं सभी वादकों को न्यूनतम 1000 प्रतिदिन का मानदेय और भोजन की शर्त रखी जाती है। चूँकि इस बार दस बाजगी उनके समूह मैं थे इसलिए सहकारिता विभाग द्वारा उन्हें बुलाये जाने के प्रस्ताव मैं उन्हें प्रोत्साहन हेतु रूपए 40000 दिए गए इसके अतिरिक्त उनके मार्ग व्यय का वहन धाद द्वारा 1000 प्रति व्यक्ति दिया गया। एक सामान्य बैंड वाले इतना व्यय एक विवाह का लिया करते है जो इन्हें 4 दिन के लिए प्राप्त हुआ है। समाज सदियों से वंचित है और अपने मूल अधिकारों की लड़ाई लड़ रहा है उनकी सेहकारिता को ये राशि मिलना उनका एक वाजिब हक़ है। इसके अतिरिक्त उन्हें कोई भी रकम नहीं दी गयी है।- ओंकार दास

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