कोर्ट में बहस में मेरी आवाज़ नहीं फूटती थी ;साल्वे

हरीश रावत को भी बचाया था साल्वे ने#गुजरात दंगा मामले में लगे थे भेदभाव के आरोप # # शर्मीले दिनों को याद करते हुए साल्वे  #   Harish Salve  Born 22 June Pride of India: A detail Report: हिमालय गौरव उत्‍तराखण्‍ड

वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे की ख़ूब चर्चा हो रही है. इन्होंने एक रुपये की फ़ीस लेकर कुलभूषण जाधव मामले में अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में भारत का पक्ष रखा. अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने पाकिस्तान की जेल में क़ैद भारतीय कुलभूषण जाधव के मामले में अंतिम सुनवाई तक उन्हें दिए गए मृत्युदंड पर रोक लगा दी है. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ट्वीट कर हरीश साल्वे के प्रति आभार व्यक्त किया है.
ग़ौरतलब है हरीश साल्वे लंबे समय तक केंद्र में कांग्रेस की सरकारों में मंत्री रहे एनकेपी साल्वे के बेटे हैं. 1999 में एनडीए सरकार के समय उन्हें भारत का सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया गया. उस वक़्त उनकी उम्र 43 साल थी. वह 2002 तक इस पद पर रहे.
अपने कार्यकाल पर उन्होंने कहा था, ‘मैं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, सुषमा स्वराज, मेरे दोस्त अरुण जेटली, मुरली मनोहर जोशी, अनंत कुमार, सुरेश प्रभु और तमाम लोगों से मिले स्नेह और समर्थन को हमेशा याद रखूंगा.’
साल्वे जब वकालत नहीं करते हैं तो क़ानून से जुड़ी दिलचस्प चीज़ें पढ़ते हैं. उन्हें दूसरे विश्व युद्ध पर चर्चिल के लेख बेहद पसंद हैं. वह दिल्ली के वसंत विहार के घर में अपनी बेटियों- साक्षी और सानिया के साथ वक़्त बिताना भी पसंद करते हैं. ख़ुद पियानो बजाते हैं और क्यूबा के जैज़ पियानिस्ट गोंज़ालो रूबालकाबा के ज़बरदस्त फ़ैन हैं.
निजी संपत्ति पर उनके विचार दिलचस्प हैं. वह कहते हैं, ‘मैंने एक चीज़ सीखी है कि कभी अपनी कामयाबी पर शर्मिंदा महसूस नहीं करना चाहिए. मैंने ये मेहनत से कमाया है. मैं यहां तक पहुंचने के लिए किसी की क़ब्र पर खड़ा नहीं हुआ.’
42 साल के अपने करियर में वह कई कॉरपोरेट घरानों का पक्ष कोर्ट में रख चुके हैं. उनकी गिनती भारत के सबसे महंगे वकीलों में होती है. ‘लीगली इंडिया डॉट कॉम’ के मुताबिक, 2015 में साल्वे कोर्ट में एक सुनवाई के लिए 6 से 15 लाख रुपये लेते थे.

##वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने हरीश रावत की ओर से उत्तराखंड उच्च न्यायालय में बहस की थी   

वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने उत्तराखंड राज्य की तरफ से पेश होते हुए केंद्र से पूछा कि यदि केंद्र के पास भ्रष्टाचार के अकाट्य प्रमाण हैं तो क्या वह सदन में शक्ति परीक्षण होने देता तथा वह मूक दर्शक बने रहकर एक भ्रष्ट एवं गैर कानूनी सरकार को चलने देता. उन्होंने कहा कि केंद्र इस स्थिति में अभागा बन कर नहीं रह सकता. केंद्र लोकतंत्र की स्पष्ट हत्या में मूक दर्शक नहीं रह सकता. साल्वे ने कहा कि केंद्र का काम संवैधानिक नैतिकता से संबंधित है, संख्या गणना करने से नहीं. रावत की तरफ से पेश होते हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने साल्वे की दलील का विरोध करते हुए कहा कि राज्य की कोई भूमिका नहीं क्योंकि राज्य में फिलहाल राष्ट्रपति शासन लागू है.  उत्तराखंड उच्च न्यायालय में मंत्री हरीश रावत एवं संबंधित पक्षों द्वारा राष्ट्रपति शासन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी. 

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सीए की परीक्षा में दो बार फ़ेल हुए
हरीश बचपन से इंजीनियर बनना चाहते थे. लेकिन कॉलेज तक आते-आते उनका रुझान चार्टर्ड अकाउंटेसी (सीए) की ओर हो गया. सीए की परीक्षा में वह दो बार फ़ेल हो गए. जाने माने वकील नानी अर्देशर पालखीवाला के कहने पर उन्होंने क़ानून की पढ़ाई शुरु की.
नागपुर में पले बढ़े साल्वे के मुताबिक- ‘मेरे दादा एक कामयाब क्रिमिनल लॉयर थे. पिता चार्टर्ड अकाउंटेंट थे. मां अम्ब्रिती साल्वे डॉक्टर थीं. इसलिए कम उम्र में ही मुझ में प्रोफेशनल गुण आ गए थे.’ हरीश साल्वे के पिता एनकेपी साल्वे पेशे से सीए थे, लेकिन क्रिकेट प्रशासक और कांग्रेस के साथ अपनी राजनीतिक पारी के लिए ज़्यादा जाने गए.
पहली बार इंग्लैंड से बाहर क्रिकेट वर्ल्ड कप कराने का श्रेय उन्हें ही दिया जाता है. उन्हीं के नाम पर बीसीसीआई ने 1995 में एनकेपी साल्वे ट्रॉफी शुरू की थी. पिता के संपर्कों का हरीश साल्वे को फ़ायदा मिला और उन्हीं की बदौलत उनकी नानी पालखीवाला से मुलाक़ात हुई. हरीश के मुताबिक, उनका करियर 1975 में फिल्म अभिनेता दिलीप कुमार के केस के साथ शुरू हुआ. हरीश इस केस में अपने पिता की मदद कर रहे थे. दिलीप कुमार पर काला धन रखने के आरोप लगे थे. आयकर विभाग ने उन्हें नोटिस भेजा था और बकाया टैक्स के साथ भारी हर्जाना भी मांगा था.
मामला ट्रिब्यूनल और हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. अपने शर्मीले दिनों को याद करते हुए साल्वे कहते हैं, ‘मैं सुप्रीम कोर्ट में दिलीप कुमार का वकील था. आयकर विभाग की अपील ख़ारिज़ करने में जजों को कुल 45 सेकेंड लगे. दिलीप कुमार एक पारिवारिक मित्र थे. वह बहुत खुश हुए. मुझे कोर्ट में बहस करनी पड़ती तो मेरी आवाज़ नहीं फूटती. ख़ुशक़िस्मती से कोर्ट ने मुझसे जिरह के लिए नहीं कहा.’
सरकार जब बेयरर बॉन्ड्स लेकर आई थी तो साल्वे ने अपने सीनियर सोराबजी से इज़ाजत लेकर सरकारी फ़ैसले के ख़िलाफ़ अर्ज़ी दाख़िल कर दी. इसी मामले पर वरिष्ठ वकील आरके गर्ग ने भी अर्ज़ी दाख़िल की थी. सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच इस पर सुनवाई कर रही थी. गर्ग ने तीन घंटे तक अपनी दलीलें रखीं, फिर साल्वे का नंबर आया.
साल्वे ने लड़खड़ाते हुए शुरुआत की. दोपहर ठीक 1 बजे जस्टिस चंद्रचूड़ ने पूछा कि क्या वह अपनी बात रख चुके हैं. लेकिन साल्वे को हैरानी और राहत हुई जब जस्टिस भगवती ने कहा, ‘आपने गर्ग को तीन दिन तक सुना. ये नौजवान अच्छी दलीलें दे रहा है. ये जब तक चाहे, इसे अपनी बात रखने की इज़ाजत मिलनी चाहिए.’
शाम 4 बजे तक साल्वे ने अपनी बात रखी. साल्वे बताते हैं, ‘जब मैंने ख़त्म किया तो मुझे सबसे बड़ा इनाम अटॉर्नी जनरल एलएन सिन्हा से मिला, जिनके लिए इतना सम्मान था कि मैं उनकी पूजा करता था. वो खड़े हुए और बोले कि मैं गर्ग की बातों को 15 मिनट में काउंटर कर सकता हूं, लेकिन मैंने इस नौजवान को बड़े चाव से सुना है. मैं अपने दोस्त मिस्टर पाराशरन (उस वक़्त के सॉलिसिटर जनरल) से कहूंगा कि पहले वह इस नौजवान की दलीलों का जवाब देने की कोशिश करें.’
1992 में दिल्ली हाईकोर्ट की तरफ से साल्वे सीनियर एडवोकेट बना दिए गए. इसके बाद उन्होंने अंबानी, महिंद्रा और टाटा जैसे बड़े कॉरपोरेट घरानों की कोर्ट में नुमाइंदगी की.
मशहूर केजी बेसिन गैस केस में जब अंबानी बंधुओं के बीच विवाद हुआ तो बड़े भाई मुकेश अंबानी का पक्ष हरीश साल्वे ने ही रखा.

भोपाल गैस त्रासदी के बाद यूनियन कार्बाइड केस की सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में उन्होंने केशब महिंद्रा का पक्ष रखा था. कोर्ट ने महिंद्रा समेत यूनियन कार्बाइड के सात अधिकारियों के ख़िलाफ़ ग़ैर-इरादतन हत्या के आरोपों को ख़ारिज़ कर दिया था.
इसके ख़िलाफ सरकार ने ‘क्यूरेटिव पेटिशन’ दाख़िल की थी, जिसमें महिंद्रा की पैरवी साल्वे ने की थी.
नीरा राडिया के टेप सामने आने के बाद रतन टाटा निजता के उल्लंघन का सवाल लेकर सुप्रीम कोर्ट गए थे. तब उनके वकील भी साल्वे ही थे.लेकिन साल्वे को ‘लगभग अजेय’ तब माना गया, जब उन्होंने वोडाफ़ोन को 14,200 करोड़ की कथित टैक्स चोरी के केस में जीत दिलाई. सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट का फैसला पलट दिया और कहा कि भारतीय टैक्स प्रशासन को कंपनी के विदेश में किए लेन-देन पर टैक्स लेने का अधिकार नहीं है. साल्वे बताते हैं, ‘इस केस की तैयारी के दौरान मैं हमेशा अपने पास पालखीवाला की तस्वीर रखा करता था. वह मुझे प्रेरित करते थे.’ बहुत सारे लोगों को शायद हैरत हो कि केरल में दो भारतीय मछुआरों की हत्या के मामले में वह इटली के दूतावास की तरफ से अभियुक्त इतालवी नौसैनिकों का पक्ष रख रहे थे.
लेकिन जब इटली की सरकार ने दोनों को सौंपने से मना कर दिया तो साल्वे ने ख़ुद को इस केस से अलग कर लिया. बिलकीस बानो मामला भी उनकी बड़ी जीतों में माना जाता है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को इस केस की जांच के आदेश दिए थे.
गुजरात दंगा मामले में लगे थे भेदभाव के आरोप
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगा मामले में साल्वे को ‘एमीकस क्यूरी’ चुना था. इसका शाब्दिक अर्थ ‘अदालत का मित्र’ होता है.
जनहित के मामलों में वे न्याय सुनिश्चित करने में कोर्ट की मदद करते हैं.
लेकिन कुछ दंगा पीड़ितों ने साल्वे पर जनहित के ख़िलाफ़ काम करने का आरोप लगाया.
कामिनी जायसवाल और प्रशांत भूषण जैसे वकीलों ने भी आरोप लगाया कि दंगों के केस में- जिसमें गुजरात सरकार शक के दायरे में है- एमीकस क्यूरी होने के बावजूद साल्वे कुछ ‘दाग़ी’ पुलिस वालों को बचा रहे हैं. हालांकि कोर्ट ने इस आरोप को ख़ारिज़ करते हुए कहा, ‘आपका विश्वास मायने नहीं रखता. हमें साल्वे की निष्पक्षता पर पूरा भरोसा है.’
साल्वे ने मशहूर ‘हिट एंड रन’ मामले में सलमान ख़ान की पैरवी की. कोर्ट ने जब सलमान को आरोप से बरी कर दिया तो इसका पूरा श्रेय साल्वे को ही दिया गया.

Harish Salve  Born 22 June 1955 Res. 42, Poorvi Marg, Vasant Vihar,
New Delhi  Off. Solicitor General’s Office Supreme Court, 
New Delhi  ph. 011 6141217   6143266   6142789   3381636

is an Indian lawyer, who specializes in constitutional, commercial and taxation laws. He primarily practices at the Supreme Court of India, but also appears in various High Courts and in international arbitration, sometimes as a counsel and other times as an adjudicator. He served as the Solicitor General of India from 1 November 1999 to 3 November 2002. India Today magazine ranked him #43th in India’s 50 Most powerful people of 2017 list.Harish Salve is the son of N. K. P. Salve, who was a prominent politician and member of the Indian National Congress party. His mother, Ambriti Salve, was a doctor. His grandfather, P.K. Salve, was a successful criminal lawyer and his great-grandfather (father of P.K. Salve) was a munsif (subordinate judge). Harish is married to Meenakshi and has two daughters, Saaniya and Sakshi. He has one sister, Arundati. His family hails from Chhindwara in Madhya Pradesh state. Salve qualified as a Chartered Accountant and practiced as a CA specializing in taxation before qualifying as a lawyer and moving to the legal profession. He was inspired by Nani Palkhivala, an eminent tax lawyer from Mumbai.

He began his legal career in 1980 as an intern at J. B. Dadachandji & Co first as an intern and later as a full-time lawyer. During this time, he assisted Palkhivala in the Minerva Mills case (case citation: AIR 1980 SC 1789). Salve was later designated as a Senior Counsel by the Delhi High Court.

Salve worked with former Attorney General, Soli Sorabjee from 1980–1986. He declined to be nominated for a second 3-year term due to “personal reasons” when his first term ended in November 2002. He later clarified that his wife was unhappy about him bringing work home and continuing to be worried as he watched the evening news.

Salve was appointed as Amicus Curiae by the Supreme Court in cases mostly relating to the preservation of the environment. However, in 2011, he recused himself from this position during a hearing on illegal mining, on the grounds that he had previously appeared for one or more of the parties.

In 2013, Salve was admitted to the English Bar and he subsequently joined the Blackstone Chambers. Harish Salve argued the first Anti-Dumping case in the Supreme Court of India. He frequently represents large corporations like Mukesh Ambani’s Reliance Industries Limited. He has appeared in the Krishna Godavari Basin gas dispute case against the latter’s brother, Anil Ambani’s Reliance Natural Resources Limited.

Other clients include the Tata Group and ITC Limited, whom he has represented on various matters. He has appeared for several Tata group companies, including for Ratan Tata himself in a privacy petition concerning the leakage and publication of the Niira Radia conversations which exposed an alleged politico-corporate crony capitalistic nexus, causing a huge scandal in late 2010 (see Radia tapes controversy).

Salve represented Vodafone in its $2.5 billion tax dispute with the Indian government. He initially lost the case in the Bombay High Court, but later won it at the Supreme Court after taking a temporary residence in London and relocating his office there to solely focus on the case. Salve has been extremely critical of the Indian government for passing a retrospective clarification to the Income Tax law in the 2012 Union Budget, which nullified the Supreme Court’s decision.

Salve appeared for Bilkis Bano, a victim of the Gujarat Riots, at the behest of the National Human Rights Commission in 2003.

In 2009, India Today magazine ranked him the 18th most powerful person in the country.

In 2015, he took up the high-profile case of actor Salman Khan. The actor was earlier sentenced to five years in jail for a 2002 hit-and-run accident that left one man dead and four others injured. Senior Counsel Amit Desai, a Mumbai-based lawyer replaced Salve for a short time in the Salman Khan trial. The Bombay High Court eventually suspended the sessions court decision and Salman Khan didn’t go to jail for even one day. Citing failure of the prosecution to conclusively prove drunken driving charges against him, the Bombay High Court on 10 December 2015, acquitted him of all charges for the 2002 hit-and-run and drunk-and-drive case.

In 2017, he is representing India before the International Court of Justice in the Kulbhushan Jadhav case. Jadhav was sentenced to death by a Pakistani military court on charges of spying.

 In February 2009, Citizens for Justice and Peace (CJP), an activist group, represented by lawyer Kamini Jaiswal, alleged that Salve was not fit to be amicus curiae in the Gujarat Riots cases due to his indifferent attitude to their complaints of a shoddy investigation by the special team.

In 2011, an article in Tehelka claimed that Salve was misusing his position as amicus curiae in the Gujarat Riots case, by simultaneously lobbying for companies with state government officials, who were part of the investigation he was overseeing for the court. The magazine’s correspondent made allegations: “Can the renowned lawyer do justice to the 2002 Gujarat riot victims while referring business deals to the Narendra Modi government? Ashish Khetan has the evidence of impropriety and conflict of interest”.

Later, in an interview to Khetan, Salve, while not denying any of the article’s factual assertions, rejected any possibility of a quid pro quo or conflict in his role as an amicus in the case. “I am appearing against Narendra Modi and his government’s misdeeds. I’m not appearing against Gujarat. If a project is good for Gujarat I will again direct it to Gujarat. If you can show that I have received one rupee from this I will leave this profession and go,” said Salve in the interview, denying that he had any pecuniary interest in making recommendations on behalf of Eros Energy, a company promoted by London-based billionaire Kishore Lulla.

He is fond of music and is a passionate piano player. Salve said he would perhaps like to teach at Oxford University one day.He counts Subhash Chandra of Zee Network and Naresh Goyal of Jet Airways amongst his close friends.

 Presents by ; (www.himalayauk.org) Web & Print Media : Publish at Dehradun & Haridwar;

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