इलाहाबाद हाईकोर्ट का गंभीर रुख ; योगी सरकार की मुश्किलें बढेगी

बिजनौर कोर्ट शूटआउट: HC ने डीजीपी को किया तलब, कहा- जब जज सुरक्षित नहीं तो आम जनता का क्या हाल होगा #अदालत ने इस मामले में बिजनौर के जिला जज की रिपोर्ट का भी संज्ञान लिया और इस मामले को पीआईएल के तौर पर सुनने का फैसला किया. हाईकोर्ट द्वारा क़ानून व्यवस्था पर तल्ख़ टिप्पणी करने के बाद योगी सरकार की मुश्किलें और बढ़नी तय हैं #Himalayauk Newsportal Presented # Ajay Saini – Bureau Chief U.P. Mob. 9368351609

बिजनौर की सीजेएम कोर्ट में हुए शूट आउट पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गंभीर रुख अपनाते हुए इस मामले में यूपी सरकार से जवाब तलब करते हुए डीजीपी समेत तमाम अफसरों को व्यक्तिगत तौर पर तलब कर लिया है. हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई की और तल्ख़ टिप्पणी करते हुए कहा कि जब यूपी में अदालतें और जज सुरक्षित नहीं हैं तो आम जनता कितनी सुरक्षित होगी, इसका अंदाजा खुद ही लगाया जा सकता है. अदालत ने इस मामले में चिंता जताते हुए इस घटना को निंदनीय बताया है और कहा है कि इससे क़ानून व्यवस्था व सुरक्षा को लेकर गलत संदेश गया है.

जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस सुनीत कुमार की डिवीजन बेंच ने इस मामले में प्रोग्रेस रिपोर्ट के साथ यूपी के गृह विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेट्री, डीजीपी और एडीजी लॉ एंड आर्डर के साथ ही बिजनौर के पुलिस अफसरों को बीस दिसम्बर को व्यक्तिगत तौर पर कोर्ट में मौजूद रहने को कहा है. अफसरों को कोर्ट में बिजनौर शूट आउट मामले में की गई कार्रवाई की प्रोग्रेस रिपोर्ट पेश करनी होगी. साथ ही अदालतों की सुरक्षा को लेकर उठाए जा रहे एहतियाती क़दमों की भी जानकारी देनी होगी. अफसरों को यह बताना होगा कि बिजनौर जैसी घटना दोबारा न हो इसके लिए अदालतों की सुरक्षा को लेकर क्या इंतजाम किये जा रहे हैं.

बिजनौर में सीजेएम की अदालत में हुई गोलीबारी के मामले में बुधवार को स्वत: संज्ञान लेते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के मुख्य गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को समन किया और कोर्ट परिसरों की सुरक्षा मजबूत करने के लिए योजना पेश करने को कहा. हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 20 दिसंबर तय की गई है. जस्टिस सुधीर अग्रवाल और सुनीत कुमार की पीठ ने कहा, ‘ऐसा लग रहा है कि राज्य में कानून व्यवस्था पूरी तरह से फेल हो गई है. राज्य में सबसे असक्षम पुलिसकर्मियों को कोर्ट परिसरों की सुरक्षा के लिए तैनात कर दिया गया है. क्या सरकार कोर्ट की सुरक्षा के लिए गंभीर है. क्या शीर्ष अधिकारी उन घटनाओं के बारे में जानते हैं जो हाल के दिनों में उत्तर प्रदेश की विभिन्न अदालतों में हुईं?’ न्यायाधीशों ने अतिरिक्त महाधिवक्ता को बताया कि राज्य में अदालत की सुरक्षा को मजबूत करना 2008 से ही मुद्दा बना हुआ है, लेकिन वास्तविकता में इसके लिए बहुत कुछ नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि अगर राज्य सरकार अदालत परिसर में पर्याप्त सुरक्षा नहीं दे सकती है तो हम केंद्र सरकार से इसके लिए केंद्रीय बल तैनात करने के लिए कहेंगे.

अदालत इस मामले में बीस दिसम्बर को फ़िर से सुनवाई करेगी. अदालत ने इस मामले में बिजनौर के जिला जज की रिपोर्ट का भी संज्ञान लिया और इस मामले को पीआईएल के तौर पर सुनने का फैसला किया. डिवीजन बेंच ने बिजनौर की बार एसोसिएशन को भी अपना पक्ष रखने का सुझाव दिया है. गौरतलब है कि बिजनौर की सीजेएम कोर्ट में कल कुछ हमलावरों ने एक आरोपी की गोली मारकर हत्या कर दी. कोर्ट रूम में हुई ताबड़तोड़ फायरिंग में सीजेएम को किसी तरह भागकर अपनी जान बचानी पड़ी थी. हाईकोर्ट द्वारा सुओ मोटो लेने और क़ानून व्यवस्था पर तल्ख़ टिप्पणी करने के बाद योगी सरकार की मुश्किलें और बढ़नी तय हैं.

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