हाईकोर्ट की फटकार- इस धारणा में मत रहिए कि आप कानून से बंधे नहीं हैं

 कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को सद्गुरु जग्गी वासुदेव की संस्‍था ईशा फाउंडेशन को ‘कावेरी कॉलिंग प्रोजेक्ट’ के लिए इकट्ठा की गई राशि का खुलासा करने को कहा है. कोर्ट ने ईशा फाउंडेशन को एक अतिरिक्त हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है, साथ ही पूछा है कि फाउंडेशन से उक्त राशि किस तर‌ीके अर्ज‌ित की, ये भी बताएं।

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कर्नाटक हाईकोर्ट ने जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन को कहा, इस धारणा में मत रहिए कि चूंकि आप एक आध्यात्मिक संस्था हैं तो आप कानून से बंधे नहीं हैं. : स्वतंत्र जांच न कराने के लिए कोर्ट ने राज्य सरकार को भी कड़ी फटकार लगाई – Execlusive Report

हाईकोर्ट ने सद्गुरु की संस्‍था कहा, इस मुग़ालते में ना रहें कि आध्यात्‍मिक संगठन कानून से ऊपर हैं मामले की अगली सुनवाई 12 फरवरी को होगी।

  कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन को निर्देश दिया कि वे ‘कावेरी पुकारे या कावेरी कॉलिंग प्रोजेक्ट’ के लिए जमा की गई राशि का खुलासा करते हुए एक अतिरिक्त याचिका दायर करें. फाउंडेशन से यह भी कहा गया कि वे बताएं कि उन्होंने किस तरीके या माध्यम से इस राशि को जमा किया है.

चीफ जस्टिस अभय ओका ने पूछा “जब एक नागरिक आपसे (राज्य से) शिकायत करता है कि राज्य के नाम पर धन इकट्ठा किया जा रहा है तो क्या राज्य की जिम्मेदारी नहीं है कि वह पूछताछ करे?”

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अभय ओका और जस्टिस हेमंत चंदनगौदर की पीठ ने ये नहीं बताने को लेकर जग्गी वासुदेव की अध्यक्षता वाले फाउंडेशन को फटकार लगाई कि क्या ये राशि स्वैच्छिक तरीके से जमा की गई है. लाइव लॉ के मुताबिक पीठ ने कहा, ‘इस धारणा में मत रहिए कि चूंकि आप एक आध्यात्मिक संस्था हैं तो आप कानून से बंधे नहीं हैं.’

पीठ ने वकील एवी अमरनाथन द्वारा दायर की गई याचिका पर ये निर्देश दिया है. उन्होंने मांग की है कि ईशा फाउंडेशन को निर्देश दिया जाए कि वे ‘कावेरी कॉलिंग प्रोजेक्ट’ के लिए जनता से कोई पैसा न जमा करें.

इस पर पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा, ‘अगर कोई संरक्षण कार्यों के लिए जागरूकता का कार्य कर रहा है तो उसका बिल्कुल स्वागत है लेकिन ये काम जबरदस्ती पैसे जमा करके नहीं किया जा सकता है.’

चीफ जस्टिस अभय ओका और जस्टिस हेमंत चंदागौदर की खंडपीठ ने जग्गी वासुदेव द्वारा संचालित फाउंडेशन की यह न स्पष्ट करने पर कि क्या राशि स्वेच्छा से एकत्र की जा रही है, ख‌िंचाई की।पीठ ने कहा “इस मुग़ालते में न रहें कि आप एक आध्यात्मिक संगठन हैं, इसलिए आप कानून से बंधे नहीं हैं।” बेंच एडवोकेट एवी अमरनाथन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने फाउंडेशन को ‘कावेरी कॉलिंग प्रोजेक्ट’ के लिए जनता से धन इकट्ठा न करने का निर्देश देने को कहा था। कोर्ट ने फाउंडेशन द्वारा जबरन धन इकट्ठा किए जाने की शिकायतों की स्वतंत्र जांच नहीं कराए जाने पर राज्य सरकार की भी ख‌िंचाई की।

फाउंडेशन द्वारा कथित रूप से जबरदस्ती पैसे जमा करने की शिकायतों पर स्वतंत्र जांच न कराने के लिए कोर्ट ने राज्य सरकार को भी कड़ी फटकार लगाई है. मुख्य न्यायाधीश अभय ओका ने कहा, ‘जब कोई नागरिक आपसे (राज्य) शिकायत करता है कि राज्य के नाम पर धन एकत्र किया जा रहा है तो क्या यह राज्य की जिम्मेदारी नहीं है कि वह जांच करे?’

हालांकि राज्य ने सूचित किया कि उन्हें कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है और उन्होंने पैसे जमा करने के लिए ईशा फाउंडेशन को अधिकृत नहीं किया है. वकील ने तर्क दिया कि राज्य ने फाउंडेशन को सरकारी जमीन पर कोई काम करने की अनुमति नहीं दी है.

ईशा फाउंडेशन कावेरी नदी के 639 किमी लंबे किनारों पर कुल 253 करोड़ पेड़ लगाने की योजना बनाई है. इसके लिए लोगों से प्रति पेड़ 42 रुपये इकट्ठा किए जा रहे हैं. इसका मतलब ये हुआ कि कुल 10,626 करोड़ रुपये इकट्ठा करने की योजना बनाई गई है.

याचिकाकर्ता के मुताबिक ये एक बहुत बड़ा घोटाला है. इस मामले की अगली सुनवाई 12 फरवरी को होगी.

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