डीएवीपी की नई विज्ञापन नीति केे विरोध का ज्ञापन दिया गया- चन्द्रशेखर जोशी नैशनल चैयरमैंनः-

RAVINDRA GUPTA”विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय“ की नई विज्ञापन नीति-२०१६- को कैंसिल करने की मांग का ज्ञापन देश के मुख्‍य’मुख्‍य स्‍थानों पर दिया गया- चन्द्रशेखर जोशी नैशनल चैयरमैंनः-

भारतीय रेल के वरिष्ठ नेता तथा वरिष्ठ पत्रकार श्री रवीन्द्र गुप्ता जी ने चन्द्रशेखर जोशी नैशनल चैयरमैंनः- कम्यूनिकेशन अफेयर, प्रेसीडेन्टः उत्तराखण्डः इंडियन फैडरेशन आफ स्माल एण्ड मीडियम न्यूज पेपर्स, (आई०एफ०एस०एम०एन०) भारत के लघु व मध्यम समाचार पत्रों का महासंघ, नई दिल्ली को ५ अगस्त २०१६ को भेजे गये अपने संदेश में अवगत कराया है कि

जोशी जी, आप के दो पृष्ठ के ज्ञापन को श्री वैंकया नायडू  सूचना एवं प्रसारण  मंत्री के कार्यालय में देकर रिसीव करवा लिया है । इसके अलावा
2-माननीय सर्व श्री मोती लाल वोरा जी , गुलाम नबी आज़ाद, चन्द्रकांत खेरे , राहुल गांधी, रवीन्द्र कुशवाहा (सभीसंसद सदस्य)संदीप दीक्षित( प्रवक्ता alcc) को आपके ज्ञापन की प्रतिलिपियां देकर कारवाही की मांग की है ।
3- श्री राहुल गांधी एवम् गुलाम नवी आज़ाद से मुलाकात तय थी परन्‍तु उस समय अचानक वह उपलब्‍ध नही हो पाये तो उनके कार्यालय पदाधिकारियों द्वारा रिसीव किया गया है
4- इसके अलावा संसद भवन में बी. जे. पी. के संसदीय कार्यालय में बी. जे .पी . संसदीय दल के नेता के नाम भी एक ज्ञापन की प्रति सचिव को दी है ।

ज्ञात हो कि “इंडियन फैडरेशन आफ स्माल एण्ड मीडियम न्यूज पेपर्स“ ने ”विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय“ की नई विज्ञापन नीति-२०१६- के विरूद्व बडा अभियान चलाया हुआ है, ३० जुलाई को फैडरेशन की नैशनल काउंसिल की मीटिंग में फैडरेशन के राष्टीय पदाधिकारियों जिसमें मुख्य रूप से नेशनल प्रेसीडेंट श्री पूर्वाचल, केरला, श्री लक्ष्मण पटेल, गुजरात, श्री पीके दास उडीसा, श्री एमके मोदी, राजस्थान, श्री रविन्द्र गुप्ता नई दिल्ली ने सदन में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास कर चन्द्रशेखर जोशी प्रेसीडेन्टः उत्तराखण्ड को नैशनल चैयरमैंनः- कम्यूनिकेशन अफेयर का दायित्व देते हुए जिम्मेदारियां सौंपी थी, इसी के तहत बनायी गयी योजना में ८ अगस्त २०१६ को श्री रविन्द्र गुप्ता जी के नेतृत्व में फैडरेशन संयुक्त विरोध प्रदर्शन मे भाग लेगा, तथा ५ अगस्त को श्री रविन्द्र गुप्ता जी ने कार्यवाही करते हुए ”विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय“ की नई विज्ञापन नीति-२०१६- को तत्काल कैंसिल करने का ज्ञापन दियाः जिसमें

इंडियन फैडरेशन आफ स्माल एण्ड मीडियम न्यूज पेपर्स द्वारा तैयार ज्ञापन में कहा गया है कि

विषयः ”विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय“ की नई विज्ञापन नीति-२०१६- के तहत

महोदय,
भारत के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली के अन्तर्गत आने वाले ”विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय“ द्वारा दमनकारी विज्ञापनकारी नीति २०१६ लागू की है, जिससे देशभर के लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों में रोष व्याप्त है। लघुं एवं मध्यम समाचार पत्रों के महासंघ “इंडियन फैडरेशन आफ स्माल एण्ड मीडियम न्यूज पेपर्स“ को आफ संरक्षण की आवश्यकता है। ”विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय“ ने विज्ञापन जारी करन को लेकर जो नीति बनाई है, उससे लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों को नुकसान होगा तथा वह बंद होने के कगार पर आ जायेगे, डीएवीपी की नई नीति लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों के हित में नही है।
माननीय प्रधानमंत्री जी की सोच हमेशा लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों के हित में रही है। वह स्वयं इस बात को स्वीकार करते हैं कि जिला स्तर पर प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र गांव-गांव, गली-मौहल्ले में प्रचार-प्रसार का एक सशक्त माध्यम होते हैं, जबकि बडें घरानों के समाचार पत्रों की आम जनता तक पहुंच नही होती है। देशभर के लघु व मध्यम समाचार पत्रों पर आये संकट को देखते हुए हम प्रमुख फैडरेशन (आई०एफ०एस०एम०एन०) यह निवेदन करना चाहते हैं कि डीएवीपी की नई नीति विज्ञापन नीति-२०१६ म माननीय प्रधानमंत्री जी की सोच एवं सिद्वांतों को तिलांजलि दी जा रही है।
स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आज तक लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों का देशहित में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। जिसे आज भूला दिया जा रहा है, देश की एक कल्याणकारी सरकार को लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों को संरक्षण, सर्वद्वन एवं प्रोत्साहन देने की आज जरूरत है।
फैडरेशन ने अपनी नेशनल मीटिंग्स में इस बात पर गंभीर चिंता जतायी है कि मध्यम तथा लघु समाचार पत्रों के प्रति सरकार का रवैया उपेक्षात्मक व असहयोगात्मक है। सरकार को चाहिए कि संबंधित विभागों को देश की प्रमुख फैडरेशन (आई०एफ०एस०एम०एन०) को भी विश्वास में लिया जाना चाहिए तथा हमारी सलाह व सुझावों को पर भी अमल किया जाये जिससे लोकप्रिय तथा कल्याणकारी सरकार का संदेश पूरे देश में गूंजे। देश के लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों की ओर से हम आपसे आग्रह करते हैं कि ”विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय“ की विज्ञापन नीति-२०१६ के कार्यान्वन पर रोक लगाकर लघु एवं मध्यम समाचार पत्र को बढावा देने वाली नीति को जारी करवाने की कृपा करें।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के ”विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय“ की नई विज्ञापन नीति-२०१६- के तहत
१- डीएवीपी निदेशालय लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों का गला घोटने को तैयार है, पूरे देश में जबर्दस्त तीव्र आक्रोश है। डीएवीपी निदेशालय अपनी विज्ञापन नीति-२०१६ से जहां एक ओर पूंजीपतियों के अखबारों को खुले हाथों से विज्ञापन बांटेगी वही लघु व मध्यम समाचार पत्रों के हाथों में बेडियां तथा गले व मुंह में पटटी बांधने की तैयारी कर रही है। ”विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय“ की नई विज्ञापन नीति-२०१६ तुरंत कैंसिल की जाये।
२- इस नीति में समाचार एजेंसियों की सेवा लेने वाले अखबारों को वरीयता दी गई है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने इस नई नीति की रूप रेखा तैयार करते हुए इसमें पहली बार नई मार्केटिंग प्रणाली बनाई है जिसके तहत उन अखबारों को तरजीह दी जाएगी जो नए मानदंडों पर खरे उतरेंगे। इसके तहत प्रत्येक मानदंड के लिए अंक निर्धारित किया गया है। ”विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय“ की नई विज्ञापन नीति-२०१६ तुरंत कैंसिल की जाये।
३- भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय नई दिल्ली द्वारा जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार एबीसी या आरएनआई द्वारा अखबारों की संख्या प्रमाणित होने पर २५ अंक, कमर्चारी भविष्य निधि के लिए २० अंक, यूएनआई, पीटीआई और हिन्दुस्थान समाचार की सेवा लेने पर १५ अंक, अपना प्रेस होने पर १० अंक तथा प्रेस काउंसिल की सदस्यता लेने पर १० अंक दिए जाएंगे। इन अंकों के आधार पर ही विज्ञापन दिए जायेंगे। ”विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय“ की नई विज्ञापन नीति-२०१६ तुरंत कैंसिल की जाये।
४- ”विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय“ की नई विज्ञापन नीति-२०१६ द्वारा जारी की गई नई नीति के मुताबिक, डीएवीपी के पैनल में शामिल होने के लिए समाचार पत्र, पत्रिकाओं की प्रसार संख्या भी निर्भर करेगी। प्रतिदिन प्रसार संख्या ४५,००० प्रतियों से ज्यादा होने की स्थिति में कॉस्ट/चार्टर्ड अकाउंटेंट/स्टैच्युअरी ऑडिटर सर्टिफिकेट/एबीसी से मिला प्रमाण पत्र अनिवार्य कर दिया गया है। नई नीति में कहा गया है कि आरएनआई प्रसार प्रमाण पत्र जारी होने की तारीख से दो साल तक के लिए वैध होगा। मौजूदा प्रमाण पत्र को प्रसार प्रमाण पत्र के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा।
”विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय“ की नई विज्ञापन नीति-२०१६ तुरंत कैंसिल की जाये।

५- नई विज्ञापन नीति-२०१६ नीति के मुताबिक, जब भी एक समाचार पत्र के एक संस्करण की प्रतियां एक से अधिक केंद्र पर छपती हैं और यदि समाचार पत्र की सामग्री अलग-अलग है तो उसे अलग संस्करण माना जाएगा। समाचार पत्र के हर संस्करण के लिए एक अलग आरएनआई पंजीकरण संख्या होगी और आरएनआई को प्रसार के सत्यापन के साथ हर संस्करण के लिए अलग इकाई माना जाएगा। हालांकि नीति के दिशानिर्देशों में उल्लेख है कि यदि एक समाचार पत्र अपनी सुविधा के लिए एक संस्करण को एक से ज्यादा प्रिटिंग प्रेस में छापता है तो उस संस्करण को अंक देते समय इस बात को ध्यान में रखा जा सकता है। जन विरोधी ”विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय“ की नई विज्ञापन नीति-२०१६ तुरंत कैंसिल की जाये।

६- बिलों के भुगतान और समायोजन के लिए नीति में यह अनिवार्य बनाया गया है कि डीएवीपी को अनिवार्य तौर पर ईसीएस या एनईएफटी के माध्यम से विज्ञापन बिलों का भुगतान सीधे समाचार पत्र/कंपनी के खाते में सीधे जमा करना होगा। यह भी उल्लेख किया गया है कि समाचार पत्र डीएवीपी द्वारा जारी रिलीज ऑर्डर मिलने के बाद ही डीएवीपी विज्ञापनों का प्रकाशन करेंगे। नई नीति में समाचार पत्र-पत्रिकाओं को तीन श्रेणियों में बांटा गया है, जो छोटी (प्रतिदिन २५,००० प्रतियों से कम), मध्यम (२५,००१, ७५,००० प्रतियां प्रतिदिन) और बडी (प्रतिदिन ७५,००० प्रतियों से ज्यादा) हैं, जिसके आधार पर ही विज्ञापन के मानक तय किए गए हैं। ”विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय“ की नई विज्ञापन नीति-२०१६ लघु एवं मध्यम समाचार पत्र विरोधी है, इसे तुरंत कैंसिल की जाये।

७- नई विज्ञापन नीति में इस बात का भी उल्लेख है कि पीएसयू और स्वायत्त संस्थाएं डीएवीपी के पैनल में शामिल समाचार पत्रों को सीधे डीएवीपी दरों पर विज्ञापन जारी कर सकती हैं। हालांकि, उन सभी को सभी वर्गीकृत जारी करने और सभी छोटी, मझोली व बडी श्रेणियों के विज्ञापनों के प्रकाशन के लिए डीएवीपी द्वारा तय पक्रियाओं का पालन करना होगा। डीएवीपी पहले पृष्ठ पर रंगीन/काला-सफेद के लिए डीएवीपी दरों से ५० प्रतिशत ज्यादा, तीसरे पृष्ठ के लिए २० प्रतिशत ज्यादा, पाचवें पृष्ठ के लिए १० प्रतिशत ज्यादा और अंतिम पृष्ठ के लिए ३० प्रतिशत ज्यादा प्रीमियम का भुगतान करेगा, जो उन्हीं समाचार पत्रों को मिलेगा, जिनकी प्रसार संख्या एबीसी/आरएनआई द्वारा मान्यता प्राप्त है।
”विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय“ की नई विज्ञापन नीति-२०१६ लघु एवं मध्यम समाचार पत्र विरोधी है, इसे तुरंत कैंसिल की जाये।

८- नई विज्ञापन नीति में डीएवीपी के सभी ग्राहकों को नए वित्त वर्ष के पहले महीने के भीतर डीएवीपी को बीते साल के वास्तविक खर्च का ५० प्रतिशत भुगतान अधिकार पत्र/चेक/डीडी/एनईएफटी/आरटीजीएस के माध्यम से करने के लिए निर्देशित किया गया है। साथ ही वित्त वर्ष की २८ फरवरी से पहले बाकी भुगतान करने के भी निर्देश दिए गए हैं। वैकल्पिक तौर पर ग्राहक मंत्रालयों को विज्ञापनों पर अनुमानित खर्च का ८५ प्रतिशत तक अग्रिम भुगतान भी करना पड सकता है।

”विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय“ (डीएवीपी) के भ्रष्टाचार, तानाशाही व निरंकुश रवैये से देशभर के लघु व मध्यम समाचार पत्र इससे पीडित हैं। आज तक इनके खिलाफ कोई आवाज नही उठा पाया है। वर्षो से इनकी तानाशाही चल रही है, समाचार पत्रों को मात्र इम्पैनलमेंट कराने के नाम पर मोटा भ्रष्टाचार व तानाशाही व लम्बी चौडी औपचारिकताएं हेतु विवश होना पडता है।
हमारी मांग है कि डीएवीपी में गुजरात मॉडल लागू हो तथा लम्बी चौडी औपचारिकताएं बंद हो, डीएवीपी में जब सब कार्य ऑन लाईन होता है तो डीएवीपी ने पेपर प्रिन्ट (कागज कार्य) क्यों अनिवार्य किया हुआ है। उसमें कमियां निकलाते हैं और भ्रष्टाचार को जन्म देते हैं। लघु व मध्यम समाचार पत्रों को आसानी से इम्पैनलमेंट नही और मोटा चढावा देकर किसी तरह से इम्पैनलमेंट करवा भी लिया जाए तो विज्ञापन आवंटन में भारी भ्रष्टाचार व तानाशाही का रवैया है।
देशभर के लघु एवं मध्यम समाचार पत्र आज आंदोलित है तथा आपसे आशा करते हैं कि प्रधानमंत्रीजी व सूचना प्रसारण मंत्री जी के समक्ष उठाकर इस मामले को लाकर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अन्तर्गत ”विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय“ की नई विज्ञापन नीति-२०१६ पर रोक लगायी जाये। इसके लिये देश भर के लघु व मध्यम समाचार पत्र आफ आभारी रहेगें।

सादर

चन्द्रशेखर जोशी
नैशनल चैयरमैंनः- कम्यूनिकेशन अफेयर,
प्रेसीडेन्टः उत्तराखण्डः
इंडियन फैडरेशन आफ स्माल एण्ड मीडियम न्यूज पेपर्स, (आई०एफ०एस०एम०एन०)
भारत के लघु व मध्यम समाचार पत्रों का महासंघ, नई दिल्ली

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *