पत्रकार सुरक्षा एवं प्रशिक्षण पर कार्य-योजना

hgulogoपत्रकार सुरक्षा एवं प्रशिक्षण पर IFWJ राष्ट्रीय परिषद की कार्य-योजना

सीनियर पत्रकारों हेतु पेंशन, आवास तथा अन्य सुविधाओं को उपलब्ध कराने का प्रयास करें
चैन्नई में सम्पन्न 70वें अधिवेशन में मुफीद विमर्श
साथियों
चैन्नई में हुये दो-दिवसीय सम्मेलन में IFWJ की राष्ट्रीय परिषद् ने श्रमजीवी पत्रकारों की हिफाजत तथा प्रशिक्षण पर एक देशव्यापी कार्ययोजना को रेखांकित किया है। इस मसौदे को 23-26 सितम्बर 2016 को जैसलमेर (राजस्थान) में प्रस्तावित राष्ट्रीय परिषद के 71वें अधिवेशन में अन्तिम शक्ल दी जायेगी। फिर इसे संसद के शीतकालीन सत्र में कानून रचने हेतु प्रचारित किया जायेगा।
प्रतिनिधियों ने दो विचारपत्रों पर चर्चा की तथा कारगर सुझावों को लिपिबद्ध किया। प्रशिक्षण पर उपाध्यक्ष गोपाल मिश्र (नई दिल्ली) तथा सुरक्षा पर झारखण्ड र्जनलिस्ट्स एसोसियेशन के अध्यक्ष शहनवाज हसन (न्यूज वर्ल्ड, रांची) ने अपने शोधपत्र पेश किये थे। सर्वोच्च न्यायालय के एडवोकेट ऑन रिकार्ड तथा IFWJ के विधि परामर्शदाता श्री अश्वनी कुमार दुबे ने कहा कि पाकिस्तान तथा कुछ पश्चिम राष्ट्रों में पत्रकार सुरक्षा कानून प्रचलन में हैं। विधिवेत्ता ने जैसलमेर बैठक में एक विधेयक का खाका प्रस्तुत करने का सुझाव दिया।
चैन्नई के इस चार-दिवसीय (जून 10 से 13 तक) सम्मेलन में 29 राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों से 493 प्रतिनिधियों ने शिरकत की थी। वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन ऑफ तमिलनाडु WJUT कें अध्यक्ष ए.जे.बी. सगयराज, महासचिव एस. सोलोमन मोहनदास तथा IFWJ राष्ट्रीय सचिव (दक्षिण) श्रीमती आर. चन्द्रिका आयोजकों में रहे।
इस विचारयज्ञ में “ चैन्नई घोषणापत्र ” को अंगीकृत किया गया जिस में राष्ट्र के जलसंरक्षण हेतु श्रमजीवी पत्रकारों के योगदान को निरूपित किया गया। सूखाग्रस्त बालुई रेगिस्तानी प्रदेश राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार सत्य पारीक ने इस पर वक्तव्य दिया। इसे पेश किया था राष्ट्रीय अध्यक्ष के.विक्रम राव ने। घोषणापत्र में पत्रकारों ने मांग की कि तालाबों, झीलों, पोखरों, बावड़ियों, नहरों आदि जलाशयों पर बिल्डरों द्वारा अवैध निर्माण हेतु कब्जा खत्म किया जाय। नदी तटों पर भूमाफियाओं द्वारा भूमि हथियाने को बाधित करने के लिये कठोर अधिनियम लागू किया जाय।
राष्ट्रीय परिषद् की बैठक का उद्घाटन समारोह श्रमजीवी पत्रकारों के वर्गचरित्र के माफिक रहा। तमिलनाडु फिल्म कलाकार यूनियन के प्रधान सचिव तथा दक्षिण भारत के अभिताभ बच्चन कहे जाने वाले हीरो विशाल ने सम्मेलन का शुभारंभ किया। तमिलनाडु में राजनीति से लेकर समाज के हर क्षेत्र में फिल्मी संस्कृति का प्रभाव है। गत चार दशकों से सिनेमाकर्मी ही मुख्यमंत्री बनते रहें हैं। तेलुगु-भाषी तमिल अदाकार विशाल डान-बास्कों में शिक्षित हुये तथा मद्रास विश्वविद्यालय से दृष्य कला में उन्होंने एम.ए. डिग्री पाई है। गत वर्ष तमिलनाडु नाडिगार (कलाकार) संघम के धारधार चुनाव में युवा विशाल ने जमेजमाये पदाधिकारियों को जबरदस्त शिकस्त दी थी। उनके अभियानकर्ताओं में कमल हासन तथा अभिनेत्री खुशबू थे। इस फिल्मकार्मिक यूनियन के संस्थापकों में एमजी रामचन्द्रन ;डळत्द्ध तथा शिवाजी गणेशन थे। जे. जयललिता इसकी अगुवा थी। विशाल ने अपने उद्घाटन भाषण में IFWJ द्वारा बेहतर वेतनमान के संघर्ष का पुरजोर समर्थन किया तथा पत्रकारों पर हमलें के प्रतिकार हेतु कानून की मांग की।

प्रदेश यूनियनों की वार्षिक रपट
इस 70वें अधिवेशन में 1993 के बाद पहली बार दिल्ली जर्नलिस्ट्स यूनियन D.J.U. की ओर से सम्पूर्ण तथा विस्तृत वार्षिक रपट कार्यकारिणी सदस्य पवन कुमार भारद्वाज ने पेश की। विगत 22 वर्षों में दिल्ली से कोई भी श्रमजीवी पत्रकार प्रतिनिधि आया ही नहीं था। वकील पाण्डे़ अकेले पधारते थे। इसी प्रकार जम्मू क्षेत्र से प्रतिष्ठित संवाददाता अजात जामवाल (पोलिटिकल एण्ड बिजिनेस दैनिक के ब्यूरो प्रमुख) ने पत्रकार यूनियन को पुनर्जीवित करने की अपनी योजना बताई। उनके पूर्व वर्षों से जम्मू का IFWJ में प्रतिनिधित्व मोटर ड्राइविंग स्कूल के मालिक उदय चन्द्र करते आये हैं। कश्मीर घाटी में मीडियाकर्मियों पर उग्रवादियों के हमले का वरिष्ठ पत्रकार पण्डित रामचन्द्र गंजू ने वर्णन किया।
सीवान के पत्रकार राजीव रंजन यादव की हत्या, पड़ोस के झारखण्ड में इन्द्रदेव यादव की हत्या आदि समेटकर श्रमजीवी पत्रकारों पर माफिया हिंसा पर रपट जर्नलिस्ट यूनियन ऑफ बिहार के अध्यक्ष शशि भूषण प्रसाद सिंह (तरूणमित्र, मुजफ्फरपुर) ने प्रस्तुत किया। उन्हीं के साथी सुधीर मधुकर (दैनिक, आज पटना) ने भी अन्य तथ्य जोड़े। कर्नाटक यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स की राष्ट्रीय पार्षद श्रीमती के. शान्ता कुमारी के उद्बोधन में आग थी। उनकी साप्ताहिक पात्रिका का नाम ही “अग्नि” है। वे मार्क्सवादी आल इण्डिया डेमोक्रेटिक विमेन्स एसोसियेशन (AIDWA) में सक्रिय हैं। तेलंगाना वर्किंग जर्नलिस्ट्स फेडरेशन TWJF जो IFWJ की नवीनतम इकाई है, ने सशक्त और बड़ा दल भेजा जिसका नेतृत्व अध्यक्ष एम.सोमय्या, (दैनिक नव तेलंगाना, हैदराबाद) ने किया। उपाध्यक्ष पी.आनन्दम ने सभा को विस्तार में बताया कि किस प्रकार TWJF पूराने श्रमिक शत्रु आंध्र-प्रदेश यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स के चंगुल से श्रमजीवी पत्रकारों को मुक्त कराने के लिए कृतसंकल्प है। आनन्दमजी दूरदर्शन एवं आकाशवाणी से जुड़े है। वे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के दैनिक विशालांध्र में काम कर चुके हैं। तेलगांना के साथियों ने हैदराबाद में IFWJ अधिवेशन की पेशकश की है। पिछली बार हैदराबाद में अगस्त 1977 में IFWJ का प्रतिनिधि सम्मेलन हुआ था, जब तिहाड जेल से रिहा होकर आये कामरेड के. विक्रम राव प्रधान सचिव बने थे। कर्नाटक के अलावा उड़ीसा तथा मध्यप्रदेश इकाइयों ने वेणुधर पाण्डा और सलमान खान की अगुंवाई मे बड़े दल भेजे थे। उड़ीसा के प्रकाश चन्द्र मिश्र जो आदि चुनचुनगिरी में (3-6 मार्च 2016) हुये तीसवें प्रतिनिधि अधिवेशन में राष्ट्रीय सचिव (पूर्व) निर्वाचित हुये थे, सर्वाधिक मुखर रहे। कारण था कि पूर्व प्रधान सचिव (पी.पाण्डे़) ने कहा था कि प्रकाश चन्द्र मिश्र नामक पत्रकार है ही नहीं, वरन एक भूत हैं। केरल से आये IFWJ उपाध्यक्ष एस. सुधीशन जो कोल्लम में कांग्रेसी दैनिक वीक्ष्णम के स्थानीय सम्पादक हैं, ने सबसे अनुरोध किया कि सीनियर पत्रकारों हेतु पेंशन, आवास तथा अन्य सुविधाओं को उपलब्ध कराने का प्रयास करें। केरल में दोनों LDF तथा UDF सरकारों ने ऐसी योजनायें क्रियान्वित की हैं।
एस.आर.एम. विश्वविद्यालय जहां अधिवेशन आयोजित हुआ था कल्तनकुलथूर में राष्ट्रीय मार्ग 45 पर 250 एकड वृहद हरे भूभाग में निर्मित है। यह चैन्नई के मीनम्बाक्कम हवाई अड्डे से दस किलोमीटर पर है। यह दिल्ली, जम्मू, कर्नाटक, उड़ीसा, राजस्थान तथा उत्तर प्रदेश से वायुमार्ग द्वारा आने वाले पत्रकारों के लिये सुविधाजनक रहा। कर्नाटक के सौ से अधिक लोग सडक मार्ग से बसों में आये। उड़ीसा के 126 तथा मध्यप्रदेश के 76 प्रतिनिधि भिन्न रेलगाड़ियों से आये।
एसआरम विश्वविद्यालय की स्थापना एक साधारण से गणित स्कूल मास्टर डा. पच्चमुत्यु परविन्देर ने की थी। पिता की अल्पायु में मृत्यु के कारण माता वल्लियामाई ने उन्हे पाला-पोसा। आज यहां मेडिकल, इंजिनियरिंग, प्रौद्योगिकी, समाज शास्त्र, साहित्य आदि पढ़ाये जाते हैं। इस विश्वविद्यालय की शाखायें सोनीपत (हरियाणा) तथा नोइडा में है जहां हजारों छात्र पढ़ते हैं।

मुख्य मंत्री जयललिता का सन्देश
सम्मेलन परिसर में पुर्ननिवार्चित AIADMK मुख्यमंत्री डा. जे. जयललिता के अधिकृत सैकड़ों पोस्टर लगे थे जिसमें उन्होंने IFWJ सम्मेलन को शुभ सन्देश दिया था।
इस अधिवेशन की एक विलक्षणता यह रही कि श्रमजीवी पत्रकारों के लिये 45 मिनटों का सहजमार्गीय ध्यान शिविर रामचन्द्र मिशन की ओर से लगा। मिशन प्रमुख श्री सी. राजागोपालन तथा उनके दल ने संचालन किया। सभी प्रतिनिधियों ने ध्यान योग की प्रशंसा की और दैनिक जीवन में ध्यान योग करने का निर्णय किया। राष्ट्रीय अध्यक्ष के. विक्रम राव ने बताया कि ध्यान के पश्चात उन्हें वैसा ही प्रतीत हुआ जैसे रेलवे कुली सर का बोझा जमीन पर रख कर हलका महसूस करता है।
अधिवेशन के बाद सैकड़ों प्रतिनिधिजन, खासकर उड़ीसा वाले, कांची कामाकोटी के शंकर मठ गये। कामाक्षी मन्दिर का दर्शन किया। जगद्गुरु जयेन्द्र सरस्वती तथा स्वामी विजयेन्द्र सरस्वती से आशीर्वाद पाये। प्रसाद में सांबार और दही मिश्रित अन्न खाया।
एक अनुभव भी हुआ इस 70वें अधिवेशन में। भविष्य में IFWJ के सम्मेलन के आयोजकों को इन गलतियों से बचना चाहिये। चार भूलों को यहां गिनाया जा सकता है। पहला, आयोजकों को स्पष्ट निर्दिष्ट करना चाहिये कि किस रेलवे स्टेशन पर उतरना है। आदि चुनचुनगिरि में बताया गया था कि बंगलूर सिटी तथा यशवन्तपुर रेलवे स्टेशनों पर आना है जो चैदह किलोमीटर के फासले पर हैं। तेलंगाना के लगभग 50 पत्रकार हैदराबाद से एगमोर रेलवे स्टेशन पर उतर गये जब कि स्वागत बूथ चैन्नई सेन्ट्रल स्टेशन के प्लाटफार्म नबर 6 पर बना था। फिलहाल बस भेजकर एगमोर से उन्हें लाया गया। दूसरी गलती थी कि मंच पर IFWJ का बैनर नहीं दिखा। एक कल्पनाशील पत्रकार को लगा कि नई तकनीक से प्रोजेक्टर द्वारा बैनर को फोकस किया जाये। सिस्टम नहीं चला। अतः परम्परागत तरीका अर्थात फ्लैक्स पर बैनर बनाकर मंच पर टांगना ही श्रेयस्कर हैं। तीसरी कमी अखरी कि हिन्दी अथवा अंग्रेजी में भारतीय भाषायी वक्ताओं के अनुवाद का प्रबंध होना चाहिये । दुभाषिये उपलब्ध हों। वर्ना यह राष्ट्रीय सम्मेलन केवल आंचलिक भाषायी बैठक बन जाती है। श्रोताओं को भाषायी वक्ताओं के गूढ़ विचारों से वंचित होना पड़ता है। चौथी त्रुटि, बल्कि कोताही थी कि कई प्रतिनिधियों की वापसी यात्रावाली ट्रेन पहले थी। कांचीपुरम में कई लोग शापिंग करने लगे। इतनी देर हो गई कि पर्यटन का कार्यक्रम काटना पड़ा। किसी भी प्रतिनिधि को अधिकार नहीं है कि वह दूसरे का समय चुराये। श्रमिक सम्मेलनों में हर कामरेड को सरोकारी होना चाहिए। अतः राज्य इकाइयों के अध्यक्षों तथा महासचिवों का अपने साथियों की सभागार में उपस्थिति सुनिश्चित करना अनिवार्य कर्तव्य है। सम्मेलन समय में कुछ लोग मरीना बीच (विश्व का सबसे लम्बा सागरतट) देखने तथा अन्य बालाजी भगवान का दीदार पाने तिरूपति चले गये। पत्रकार सम्मेलन के प्रति ऐसी अरुचि अक्षम्य है। अपना कार्यक्रम वे अलग से बना सकते हैं।
इसलिये जैसलमेर अधिवेशन (23 से 26 सितम्बर) में अनुशासन मानना पड़ेगा। IFWJ उपाध्यक्ष उपेन्द्र सिंह राठौर ने पर्यटन की पर्याप्त व्यवस्था की है। भारत-पाकिस्तानी सीमा पर बालुई भूमि पर ऊंट की सुरम्य सवारी का आयोजन भी है। हालाकि उपेन्द्र भाई ने 500 प्रतिनिधियों की व्यवस्था की है।
IFWJ विन टीवी के अध्यक्ष डा. टी. देवनाथ यादव द्वारा सहायता हेतु आभारी है। उद्घाटन सत्र में उन्होंने समय भी दिया। विशेष आभार WJUT के महासचिव सोलोमन मोहनदास का है जो डायलसिस पर रहने के बावजूद आपकी सेवा में जुटे रहे। कोषाध्यक्ष टीसी मीनाक्षी सुन्दरम, IFWJ वर्किंग कमेटी सदस्य तथा स्वागत बूथ के प्रभारी बी. प्रदीप कुमार, तथा स्वाधीनता सेनानी की आत्मजा श्रीमती लक्ष्मी राजाराम को खासकर धन्यवाद। रमजान के रोजे के बावजूद श्रीमती बानो वोरा सक्रिय रहीं। वे हिन्दी और तमिल पत्रकारों के बीच दुभाषिया रही। उनका IFWJ कृतज्ञ है।
सम्मेलन में सांस्कृतिक कार्यक्रम अनूठा तथा मनभावन था। श्रीमती नन्दिनी के ग्रुप द्वारा उद्घाटन की बेला पर भरतनाट्यम पेश हुआ। एक अत्यधिक प्रभावी भेंट थी बंगलूर से आये आर्ट एगेइन्स्ट वार (युद्ध के विरूद्ध कला) ग्रुप जिसमें जया टामस और जॉन देवराज ने नृत्य-संगीत प्रस्तुत किया। उनका सन्देश था कि जंग निषिद्ध हो, सेनायें खत्म कर दी जांय और नई दुनिया बने जिसमें सभी बच्चे हों जायें।
एसआरएम विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ने IFWJ के प्रतिनिधियों के लिये 380 डबल बिस्तर के कमरे दिये जिनमे बाथरूम जुड़ा था। बड़ा डाइनिंग हाल सटा हुआ था। विश्वविद्यालय के विशाल, ऊंची छतवाले, वातानुकूलित, चार हजार सीटों वाले सभागार का नाम IFWJ ने स्वर्गीय एस.वी. जयशील राव के नाम पर रखा। नई दिल्ली के जन्तर मन्तर पर 28 अक्तूबर 1950 के दिन स्थापित IFWJ के सदस्यों में कर्नाटक के जयशील राव थे। वे अयोध्या में अप्रैल 1984 में सम्पन्न IFWJ के प्रतिनिधि अधिवेशन में उपाध्यक्ष चुने गये थे। तभी के. विक्रम राव ने राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संभाला था। कर्नाटक के साथियों ने तमिलनाडु यूनियन का आभार व्यक्त किया।
अब शुक्रवार, 23 सितंबर 2016, को जयसलेमर में भेंट होगी।
तब तक के लिये शुभकामनायें, IFWJ परिवार की ओर से !

आपका साथी
एच.बी. मदन गौड़ा
राष्ट्रीय प्रधान सचिव IFWJ बंगलूर (कर्नाटक)

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