‘अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस’ ;पर्वतीय क्षेत्र का सतत विकास है उद्देश्य

‘अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस’  11 दिसंबर  पहाड़ों में सतत विकास को प्रोत्साहित करने के लिए #संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा स्थापित किया #इस दिवस को मनाने का उद्देश्य #पर्वतीय क्षेत्र के सतत विकास के महत्व पर प्रकाश डालना #‘अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस’ ;पर्वतीय क्षेत्र का सतत विकास शून्‍य साबित हुआ उत्‍तराखण्‍ड में  #पृथ्वी की सतह के लगभग 22 प्रतिशत हिस्से पर पहाड़ # विश्व की जनसंख्या का 13%  पहाड़ पर निवास करते हैं #

हिमालयायूके न्‍यूज पोर्टल

11 दिसंबर को विश्वभर में ‘अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस’ (International Mountain Day) मनाया जाताा है । उल्लेखनीय है कि यह दिवस पहाड़ों में सतत विकास को प्रोत्साहित करने के लिए वर्ष 2003 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा स्थापित किया गया था। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पर्वतीय क्षेत्र के सतत विकास के महत्व पर प्रकाश डालना और पर्वतीय क्षेत्र के प्रति दायित्वों के लिए जागरूक करना है। संपूर्ण पृथ्वी की सतह के लगभग 22 प्रतिशत हिस्से पर पहाड़ हैं जहां पर दुनिया भर के 915 मिलियन लोग (जो विश्व की जनसंख्या का 13% है) निवास करते हैं।

११ दिसंबर को पहाड़ दिवस था .पूरे विश्व के भूभाग का 4% हिस्सा पर्वतीय है, और इस 4% भूभाग में विश्व जन संख्या की 13% मानव जनसँख्या निवास करती है. पहाड़ पानी के भंडार हैं. 70% जनसँख्या किसी न किसी तरह पहाड़ों से निकलने वाली नदियों से पेयजल प्राप्त करते हैं. भूमिगत जल के भण्डारण में भी पहाड़ों कि महत्त्वपूर्ण भूमिका है!

 संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित 11 दिसम्बर अन्तर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस का आयोजन जनपद बागेश्वर के लीती गाँव में 11 दिसम्बर, 2017 को किया जायेगा। यह आयोजन उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद एवं चिनार संस्था द्वारा संयुक्त रूप से किया जायेगा। यह कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र के माउंटेन पार्टनरशिप के अन्तर्गत किया जा रहा है। यह वर्ष माउटेन पार्टनरशिप की 15 वर्षगाॅंठ है। इसका उद्देश्य पर्वतीय जीवन में सुधार लाना पर्यावरण संरक्षण करना है। इस वर्ष का मुख्य विषय मौसम, भूख, पलायन है।       इस कार्यक्रम में पर्यटन विकास गतिविधियों का प्रदर्शन किया जायेगा। इनमें माउटेन बाइकिंग, वल्र्ड वाचिंग, जिप लाइन इत्यादि प्रमुख हैं। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के अनुसार पर्यटन आज उत्तराखण्ड के अर्थिक विकास एंव उन्नति के प्रमुख स्रोत के रूप में है। प्रदेश में पर्यटन की असीम सम्भावना विकसित करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है।

उत्तराखंड में जलप्रलय का मूल कारण वैश्विक तापमान में वृद्धि तथा अवैज्ञानिक, अनियोजित पर्वतीय विकास ही है. बढ़ते वैश्विक तापमान के कारण स्नो-लाइन जादा ऊंचाई की ओर जा रही है. जहाँ बर्फ होती थी वहाँ अब वनस्पति दिखने लगी है. बर्फ़बारी वाले इलाकों में तेज़ वर्षा हो रही है. बादलों के फटने वाली घटना हिमालय के उच्च बर्फीले इलाकों में भी हो रही हैं. केदार नाथ का जलप्रलय इसीका परिणाम था. जंगलों की कटाई ,पानी के प्राकृतिक ढालों पर निर्माण, अनियोजित विकास, तथा बड़ी संख्या में मानवों का तीर्थाटन व पर्यटन गतिविधियां, हस्तक्षेप, स्तिथि को और दुरूह बना रहा है. वैश्विक पर्यावरणीय प्रदूषण के बढ़ने के कारण इस तरह के जलप्रलय भविष्य में बढ़ेंगे! ऐसी स्‍थिति में वैज्ञानिक,नियोजित विकास तथा नियोजित पर्यटन से जन हानि से बचा जा सकता है. पर्यावरण संवर्धन के कार्य सभी को करने चाहिए. खास तौर पर हिमालय जैसी परिवर्तनशील पर्वतश्रृंखला पर पर्यावरण संवर्धन कार्य ज्यादा आवश्यक हैं. हिमालय एक अपेक्षाकृत नया विकसित होने वाला पहाड़ है. इस पर्वत श्रृंखला में भूमिगत परिवर्तनों की वजह से भूगोल बदलता रहता है.
विश्व पर्वत दिवस
#हर साल 11 दिसंबर को विश्व पर्वत दिवस मनाया जाता है।
# पर्वत वह भू-क्षेत्र होता है जो अपने आस पास के क्षेत्र से ऊँचा होता है।
# पर्वत मे चोटी पायी जाती है।
# पर्वत का पर्यावाची शब्द – गिरि, पहाड़, शैल, नग, अचल, महीधर, अद्रि, धराधर, भूधर, तुंग व मेरु आदि।
# प्रथ्वी के 27% भू भाग पर पर्वत पाये जाते है।
# पर्वतो पर 12% जनसंख्या निवास करती है
# 70% जनसंख्या किसी न किसी पर्वत से निकलने वाली नदी के जल से पेय जल प्राप्त करती है।
# पर्वतो की ऊँचाई 600 मीटर से अधिक होती है।
# प्रथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण पर्वत 15000 मीटर से अधिक ऊँचाई नही पा सकते।
#उत्पत्ति के आधार पर पर्वत के भाग
# वालित या मोड़दार पर्वत जैसे – हिमालय, आल्पस, रॉकी, एण्डीज आदि।
# अवरोधी पर्वत जैसे – नर्मदा, ताप्ती व दामोदर घाटी (भारत), वासाचरेँज (अमेरिका) आदि।
# संग्रहीत पर्वत जैसे – माउण्ट फ्यूजी यामा (जापान), विजुवियस (इटली) आदि।
# अवाशिष्ट पर्वत जैसे – विँध्याचल, अरावली, सतपुड़ा, नीलगीरि आदि।
# प्रथ्वी का सबसे ऊँचा पर्वत माउण्ट एवरेस्ट है जो नेपाल मे 8848 मीटर का है।
# सौरमंडल का सबसे ऊँचा पर्वत ओलपस मान्सु है जो मंगल ग्रह पर 21171 मीटर का है।

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