UK राज्यपाल की संवेदनहीनता;आमरण अनशन का ऐलान; जनसंघर्ष  मोर्चा

राज्यपाल के पास जनमानस की पीडा को सुनने का समय नहीं; जनसंघर्ष  मोर्चा  

गवर्नर की उदासीनता के खिलाफ आमरण अनशन करेगा मोर्चा ….नेगी  
देहरादून  विकासनगर- सेवानिवृत्त सिंचाई कर्मचारियों की पेंशन सम्बन्धी मांग पर विचार विमर्ष हेतु बैठक में बोलते हुए जनसंघर्ष  मोर्चा अध्यक्ष एवं जी०एम०वी०एन० ने पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि उत्तराखण्ड में सिंचाई कर्मचारियों को पेंशन  दिये जाने के मामले में मा० सुप्रीम कोर्ट के दो-दो बार आदेश  करने व हाईकोर्ट के कई बार आदेश करने के बाद भी पेंशन इत्यादि न दिया जाना सरकार के लिए शर्म की बात है। इन परिस्थितियों में अब सिर्फ अन्तर्राश्ट्रीय अदालत ही शेष बची है।  

उत्‍तराखण्‍ड  प्रदेश  के महामहिम राज्यपाल से मा० सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के आदेषों का पालन कराये जाने को लेकर मोर्चा काफी दिनों से भेंट वार्ता हेतु समय प्रदान किये जाने की मांग कर रहा है, लेकिन गवर्नर के पास इन कर्मचारियों एवं जनमानस की पीडा को सुनने का समय नहीं है, अगर समय है तो सिर्फ नौटंकियों के लिए – 

मा० सुप्रीम कोर्ट के दो-दो आदेषों के बावजूद सेवानिवृत्त कर्मचारियों को नहीं मिली पेंषन।

गवर्नर के पास जनता की पीडा के लिए नहीं है समय, सिर्फ नौटंकी के लिए है समय।

सिंचाई कर्मचारी खा रहे दर-दर की ठोकरें।

नेगी ने आश्‍चर्य जताया है कि उत्‍तराखण्‍ड  प्रदेश  के महामहिम राज्यपाल से मा० सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के आदेषों का पालन कराये जाने को लेकर मोर्चा काफी दिनों से भेंट वार्ता हेतु समय प्रदान किये जाने की मांग कर रहा है, लेकिन गवर्नर के पास इन कर्मचारियों एवं जनमानस की पीडा को सुनने का समय नहीं है, अगर समय है तो सिर्फ नौटंकियों के लिए।
नेगी ने कहा कि आलम यह है कि सिंचाई कर्मचारी ३०-४० वर्ष की वर्कचार्ज की नौकरी करने के उपरान्त भी पेंशन का हकदार नहीं होता तथा वहीं दूसरी ओर विधायक शपथ लेते ही आजीवन पेंशन का हकदार हो जाता है।
जनसंघर्श मोर्चा कर्मचारियों की पेंषन प्रकरण पर मा० सुप्रीम कोर्ट के आदेषों का पालन कराये जाने में गनर्वर की संवेदनहीनता को लेकर आमरण अनषन करेगा, जिसकी जिम्मेदारी गवर्नर की होगी।

बैठक में ः- मोर्चा महासचिव आकाष पंवार, दिलबाग सिंह, ओ०पी० राणा, प्रवीण षर्मा, मौ० असद, फकीरचन्द पाठक, कुंवर सिंह नेगी, जे०पी० त्यागी, टी०सी० जग्गी, मुन्नालाल षर्मा, घनानन्द ध्यानी, नारायण सिंह चौहान, अकरम सलमानी, अकबर अली, मंजीत सिंह, मुमताज, जगन्नाथ, रूपचन्द, गजपाल रावत आदि थे।

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