कैलाश पर्वत ;जहां भगवान शिव साक्षात विराजमान ;राहुल गॉधी को आया बुलावा

HIGH LIGHT; एक दैवीय चमत्कार # राहुल को भोलेनाथ का बुलावा- 31 अगस्त को कैलाश मानसरोवर जायेगे # राहुल ने कहा कि उनका विमान जब उड़ान के दौरान 8,000 फीट नीचे तक आ गया तो एक बार उन्‍हें लगा कि सब खत्‍म हो गया, लेकिन फिर तुरंत उन्‍हें भगवान शिव का ख्‍याल आया और उन्‍होंने सोचा कि उन्‍हें कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाना चाहिए। # विद्वानो,पंडितो ने हिमालयायूके को बताया कि इसका सीधा सा मतलब है उन्‍हें भोलेनाथ ने कैलाश जाने का संकेत दिया; और राहुल उस समय कैलाश पर्वत पर जा रहे है जब कुदरत अपना भीषण रूप दिखा रही है, यह राहुल की असली परीक्षा है, इसके पीछे कुदरत का बहुत बडा संकेत छिपा है- # कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाने वाले हैं। अगस्‍त के आखिर में या सितंबर की शुरुआत में कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जा सकते हैं #कई मौकों पर खुद को ‘शिवभक्त’ बता चुके कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी 31 अगस्त को कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने जाएंगे# राहुल गांधी ने वादा किया था कि कर्नाटक चुनाव के बाद कैलाश जाएंगे. #अब जाकर राहुल को भोले बाबा का बुलावा आया है# राहुल गांधी कैलाश मानसरोवर की यात्रा नेपाल के रास्ते नहीं बल्कि चीन के रास्ते से करेंगे #www.himalayauk.org (HIMALAYA GAURAV UTTRAKHAND) पंडित चन्‍द्रशेखर जोशी की एक्‍सक्‍लूसिव रिपोर्ट-

# मानसरोवर जैसे पवित्र जगह जहां है  शिव का धाम;  भारत के पहले राजनैतिज्ञ की यात्रा पर विद्वानो, पंडितो,ज्‍योतिषविदो, साधको ने अच्‍छा संकेत बताया है; विद्वानो का कहना है कि श्रीकेेेेदारनाथ आपदा के समय भी राहुल गॉधी पैदल चल कर केदारनाथ पहुंचे थ्‍ाेे- क्‍या भोलेनाथ अब उन्‍हें अपने दिव्‍य धाम बुलाकर आशीर्वाद देना चाहते है- कैलाश में उनको दिव्‍य जल मिलेगा,और मिलेगे हिमालय के साधक

कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी अगले दो-तीन दिनों में कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जा सकते हैं। बताया जा रहा है कि इसकी पूरी तैयारी कर ली गई है। राहुल की यह यात्रा 31 अगस्‍त या 1 सितंबर को हो सकती है। कांग्रेस अध्‍यक्ष ने कर्नाटक विधानसभा चुनावों से पहले इस बारे में घोषणा की थी, जिसके कई राजनीतिक निहितार्थ लगाए गए थे।

हिन्‍दू धर्म में कैलाश मानसरोवर यात्रा की खास जगह है। शिवभक्‍तों में यह काफी अहम है। माना जाता है कि कैलाश पर्वत पर भगवान शिव का वास होता है। यहां के पानी को भी बेहद पवित्र माना जाता है और ऐसी मान्‍यता है कि यहां का पानी पीने और यहां नहाने से सभी पाप धुल जाते हैं। यह यात्रा बेहद मुश्किलों भरी होती है, पर सनातन धर्म को मानने वाले श्रद्धालु जीवन में कम से कम एक बार वहां जाने की इच्‍छा जरूर रखते हैं। हिंदू धर्म के लिए खास महत्व रखने वाली मानसरोवर तिब्बत की एक झील है। जो कि इलाके में 320 वर्ग किलोमाटर के क्षेत्र में फैली है। इसके उत्तर में कैलाश पर्वत और पश्चिम में राक्षसताल है। यह समुद्रतल से लगभग 4556 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इसकी त्रिज्या लगभग 88 किलोमीटर है और औसत गहराई 90 मीटर। कैलाश पर्वत और मानसरोवर को धरती का केंद्र माना जाता है। यह हिमालय के केंद्र में है। मानसरोवर वह पवित्र जगह है, जिसे शिव का धाम माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि मानसरोवर के पास स्थित कैलाश पर्वत पर भगवान शिव साक्षात विराजमान हैं। मानसरोवर शब्द मानस और सरोवर को मिलाकर बना है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है- मन का सरोवर।

अभी राहुल गांधी केरल के बाढ़ पीड़ित क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं. वहां से लौटते ही राहुल गांधी कैलाश के लिए रवाना होंगे. खास बात ये है कि राहुल गांधी कैलाश मानसरोवर की यात्रा नेपाल नहीं बल्कि चीन के रास्ते करेंगे. राहुल ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि उनका विमान जब उड़ान के दौरान 8,000 फीट नीचे तक आ गया तो एक बार उन्‍हें लगा कि सब खत्‍म हो गया, लेकिन फिर तुरंत उन्‍हें भगवान शिव का ख्‍याल आया और उन्‍होंने सोचा कि उन्‍हें कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाना चाहिए।चुनाव के मौसम में राहुल के इस बयान को सॉफ्ट हिन्‍दुत्‍व की ओर कांग्रेस के झुकाव से जोड़कर देखा गया। कांग्रेस अध्‍यक्ष के इस बयान को बीजेपी के हिन्‍दुत्‍व कार्ड के जवाब में उसके हिन्‍दू वोट बैंक में सेंध लगाने के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।

भगवान शिव का निवास स्थल होने के कारण हिंदुओं के लिए इसका धार्मिक महत्व है। साथ ही यह जैनियों और बौद्धों के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह यात्रा केवल भारतीय नागरिकों के लिए है जो धार्मिक उद्देश्य से यात्रा पर जाना चाहते हैं, जिसके लिए भारतीय पासपोर्ट अनिवार्य है।  इस यात्रा के दो रास्‍ते हैं पहला लिपुलेख पास जो कि उत्तराखंड में है और इस रास्‍ते से जाने के लिए विदेश मंत्रालय 18 जत्‍थों की अनुमति देता है। इस रास्‍ते से यात्रा करने पर आपको 1.6 लाख रुपए अदा करने होंगे।  इस यात्रा का दूसरा मार्ग है सिक्किम स्थित नाथुला पास और इस यात्रा के लिए सात जत्‍थों की अनुमति दी गई है। इस रास्‍ते से यात्रा की अवधि 23 दिन है। यात्रा का खर्च करीब दो लाख रुपए है। यात्रा अत्यधिक ठण्डे एवं बीहड़ इलाके सहित कई दुर्गम परिस्थितियों तथा 19,500 फीट तक की ऊंचाई के रास्ते से होकर गुजरती है जहां सीमित सुविधाएं हैं, इसलिए यह यात्रा शारीरिक एवं चिकित्सीय रूप से अस्वस्थ लोगों के लिए दुर्गम हो सकती है।

दरअसल, कर्नाटक चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी के विमान के साथ कुछ हादसा हुआ था. उन्होंने खुद इसकी जानकारी दी थी. कर्नाटक चुनाव के दौरान ही उन्होंने कार्यकर्ताओं से कुछ दिन की छुट्टी भी मांगी थी. उन्‍होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से इसकी इजाजत मांगते हुए कहा था कि इसका ख्‍याल उन्‍हें तब आया था जब कर्नाटक जाते समय उनका विमान उड़ान के दौरान अचानक तय मानक से नीचे आ गया था।

अप्रैल महीने में कर्नाटक विधानसभा चुनाव प्रचार के लिए राज्य के दौरे पर गए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के विमान में अचानक तकनीकी खराबी आ गई थी. इसके बाद विमान की हुबली में इंमरजेंसी लैंडिंग करवानी पड़ी. कांग्रेस ने इस मामले में जांच की मांग करते हुए हुबली थाने में एफआईआर दर्ज करवाई थी. कांग्रेस ने इस मामले की शिकायत नागरिक विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) से भी की थी. डीजीसीए की ओर से जांच का आश्वासन दिया गया था. घटना को लेकर राहुल के करीबी कौशल विद्यार्थी ने कर्नाटक के डीजीपी को एक चिट्ठी भी लिखी थी, विद्यार्थी ने लिखा था, ”राहुल जिस विमान में सवार थे, वो एकाएक बायीं तरफ झुक गया और विमान तेजी से नीचे चला गया. उसमें काफी कंपन हुई. यह घटना सुबह 10 बजकर 45 मिनट पर हुई.” चिट्ठी में लिखा था, ”मौसम सामान्य था और तेज हवा भी नहीं चल रही थी. विमान के संदिग्ध एवं ठीक से काम नहीं करने से साफ था कि उसमें कंपन होना और उसका नीचे चले जाना स्वभाविक या मौसम संबंधित नहीं था, बल्कि ऐसा किसी तकनीकी गड़बड़ी के कारण हुआ.’’

 

राहुल ने कहा था कि प्रचार के दौरान उनका जहाज अचानक कई हज़ार फिट नीचे आ गया था, तब उन्हें भगवान शिव याद आए और उन्होंने कैलाश मानसरोवर जाने की ठान ली. गुजरात चुनाव के दौरान राहुल खुद को जनेऊधारी हिंदू, शिवभक्त बता चुके हैं. राहुल रुद्राक्ष की माला भी पहनते हैं, जो गुजरात मे प्रचार के आख़िरी दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस में नज़र भी आई थी. अप्रैल में दिल्ली में आयोजित कांग्रेस की ‘जन-आक्रोश रैली’ राहुल गांधी ने कहा था, ‘मैं दो-तीन दिन पहले कर्नाटक जा रहा था, मैं प्लेन में सवार था. प्लेन अचानक 8 हजार फीट नीचे आ गया. मैं अंदर से हिल गया और लगा कि अब गाड़ी गई. तभी मुझे कैलाश मानसरोवर याद आया. अब मैं आपसे 10 से 15 दिन के लिए छुट्टी चाहता हूं ताकि कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जा सकूं.’

राहुल गांधी ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव से ठीक पहले दिल्‍ली में अप्रैल 2018 में कांग्रेस के एक कार्यक्रम में कहा था कि राज्‍य में चुनाव के उपरांत वह 10-15 दिनों का अवकाश चाहते हैं और इस दौरान वह कैलाश मानसरोवर जाने की इच्‍छा रखते हैं। कर्नाटक चुनाव के दौरान राहुल गांधी कई मठों में गए थे। इससे पहले गुजरात चुनाव के दौरान भी वह मंदिर-मंदिर घूमे थे। हालांकि बीजेपी ने इसे लेकर उन पर हमला भी बोला था, लेकिन बीजेपी की आलोचनाओं से बेपरवाह राहुल मंदिरों-मठों के चक्‍कर लगाते रहे।इस दौरान मंदिरों-मठों में पारंपरिक परिधान पहने माथे पर तिलक लगाए राहुल गांधी की पूजा-अर्चना करती कई तस्‍वीरें सामने आई थीं। गुजरात चुनाव के दौरान जब यह मुद्दा गरमाया था तो कांग्रेस ने जोर देकर कहा था कि राहुल सच्चे शिवभक्त हैं।

राहुल सच्चे शिवभक्त हैं; राहुल की कैलाश यात्रा से यह सिद्व भी होने जा रहा है,  साधको ने इस यात्रा के विशेष प्रभाव पडने की ओर भी संकेत किये है-

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