चंडी देवी प्रसन्न होंगी, तो वो जरूर प्रधानमंत्री बनेंगे; तपस्‍यारत आचार्य ने किस शिष्‍य के लिए किया खुला ऐलान?

#केसीआर धार्मिक अनुष्ठानों के मामले में सभी राजनेताओं से काफ़ी आगे # मुख्यमंत्री होकर साधुओं को ‘साष्टांग प्रणाम’ करते है केसीआर # वैष्णव साधु चिन्न जीयर स्वामी, विशाखा शारदा पीठ के स्वामी स्वरूपानंद, स्वामी परिपूर्णानंद से लिया आशीर्वाद # केसीआर किसी कारणवश प्रधानमंत्री बन गये तो उनके मुख्‍य सचिव Shailendra Kumar Joshi जो उत्‍तराखण्‍ड मूल के है, का योगदान माना गया,
# पिछले 4 साल से वाराणसी में तपस्या कर रहे हैं  आचार्य माणिक्य समयाजुलू के मुताबिक ‘सभी की प्रधानमंत्री बनने की इच्छा होती है. हम सिर्फ देवी से प्रार्थना कर सकते हैं. अगर देवी (केसीआर से) प्रसन्न होंगी, तो वो जरूर (प्रधानमंत्री) बनेंगे.’

Kalvakuntla Chandrashekar Rao better known and abbreviated as K.C.R., is an Indian politician and the first Chief Minister of Telangana, a new state formed by the division of Andhra Pradesh in 2014. He is the leader and Founder of the Telangana Rashtra Samithi, a regional party in India

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव चंडी देवी की शरण में हैं  टीआरएस प्रमुख केसीआर-  हैदराबाद के पास सिद्धीपेट जिले में अपने पैतृक येर्रावेल्ली गांव में सहस्त्र चंडी महायज्ञ, रुद्र महायज्ञ और चतुर्वेद यज्ञ  कराया-

महायज्ञ के मुख्य आचार्य माणिक्य समयाजुलू वाराणसी से हैदराबाद आए  माणिक्य समयाजुलू पिछले 4 साल से वाराणसी में तपस्या कर रहे हैं  केसीआर के महायज्ञ के मुख्य पुरोहित माणिक्य समयाजुलू ने बताया कि- ‘दुष्टों का नाश करने और शिष्टों का रक्षण करने वाले सहस्त्र चंडी महायज्ञ को करने से केसीआर की लोकप्रियता में जबरदस्त बढ़ोत्तरी होगी और उनके विरोधियों का हृदय परिवर्तन हो जाएगा.’

आचार्य माणिक्य समयाजुलू ने बताया कि- ‘मार्कंडेय पुराण के उप पुराण का नाम अष्टादश पुराण है, जिसमें देवी का माहात्म्य बताया गया है. अष्टादश पुराण में 500 से ज्यादा श्लोक हैं और उन्हीं से कात्यायनी तंत्र में 700 मंत्र बनाए गए हैं, जो बहुत शक्तिशाली हैं. इन्हीं को सप्तशती चंडी मंत्र भी कहा जाता है.’ मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखऱ राव से संकल्प लेकर कर्मकांडी पुरोहित सप्तशती चंडी मंत्र का जाप किया गया. 100 पुरोहितो ने सप्तशती चंडी मंत्र का एक-एक हजार बार जाप किया. बाकी पुरोहित महारुद्र और चारों वेदों का पाठ किया, पांचवे दिन विशाल कुंडों के पास बैठकर केसीआर ने अपनी पत्नी के साथ मिलकर हवन किया. आचार्य माणिक्य समयाजुलू के मुताबिक ‘सभी की प्रधानमंत्री बनने की इच्छा होती है. हम सिर्फ देवी से प्रार्थना कर सकते हैं. अगर देवी (केसीआर से) प्रसन्न होंगी, तो वो जरूर (प्रधानमंत्री) बनेंगे.’

मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव इससे पहले आयुत चंडी महायज्ञ कर चुके हैं.   केसीआर मानते हैं कि आयुत चंडी यज्ञ की वजह से वो तेलंगाना में साढ़े चार साल तक सफलतापूर्वक राज कर सके और विधानसभा चुनाव में दोबारा जबरदस्त जीत हासिल कर सके हैं. इस बार केसीआर सहस्त्र चंडी महायज्ञ के साथ शिव को प्रसन्न करने वाला रुद्र महायज्ञ भी कर रहे हैं.  आचार्य माणिक्य समयाजुलू के मुताबिक ‘सभी की प्रधानमंत्री बनने की इच्छा होती है. हम सिर्फ देवी से प्रार्थना कर सकते हैं. अगर देवी (केसीआर से) प्रसन्न होंगी, तो वो जरूर (प्रधानमंत्री) बनेंगे.’

बीजेपी का कोई भी मुख्यमंत्री धार्मिक अनुष्ठान करवाने में केसीआर का मुक़ाबला करते हुए भी नज़र नहीं आ रहा है। यहाँ तक कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भगवाधारी योगी आदित्यनाथ भी इस मामले में उनसे कहीं पीछे हैं। बड़ी बात तो यह है कि केसीआर के धार्मिक अनुष्ठान और कार्य कोई रहस्य नहीं हैं। वे लोगों के सामने अपने धार्मिक अनुष्ठान करवाते हैं। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) मंदिरों का जीर्णोद्धार करवाने, यज्ञ-हवन आयोजित करने और मठों की यात्रा कर साधु-संतों का आशीर्वाद लेने के मामले में सभी राजनेताओं को पछाड़ते दिख रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी भी मंदिरों की यात्रा करने के मामले में केसीआर से पीछे हैं। 

Sri Shailendra Kumar Joshi

 Chief-Secretary; Sri Shailendra Kumar Joshi is born on 20 December, 1959 to Sri Shanker Lal Joshi and Smt Shyama Joshi couple in Bareilly, Uttar Pradesh. He had his school education at Sri Vishnu Bal Sadan and Government Inter College, Bareilly. Sri SK Joshi had studied Telugu as third language during 6th to 8th classes.

 दक्षिण भारत के कई नेता धार्मिक अनुष्ठान करवाते हैं लेकिन वे इन्हें सार्वजनिक तौर पर नहीं करते, लेकिन केसीआर इस मामले में कुछ रहस्य नहीं रखते। मुख्यमंत्री रहते हुए भी एक धर्म विशेष से जुड़े अनुष्ठानों को करवाने के बावजूद ज़्यादातर विपक्षी नेता इसे राजनीतिक रंग देने से कतराते दिखते हैं। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों की राय में इन विपक्षी नेताओं को डर है कि राजनीतिक रंग देने पर केसीआर इससे भी राजनीतिक फ़ायदा उठा सकते हैं और यही वजह भी है कि वे धर्म के मामले में उलझना नहीं चाहते हैं।

राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर रही कि केसीआर ने प्रधानमंत्री बनने के लिए ही यज्ञ करवाए। अभी यह चर्चा ख़त्म भी नहीं हुई थी कि केसीआर ने एक और बड़े महायज्ञ के आयोजन की घोषणा कर दी।

मुख्यमंत्री बनने के बाद केसीआर ने साल 2015 में पहली बार आयुत चंडी महायज्ञ करवाया। कहा गया कि मुख्यमंत्री ने यह यज्ञ तेलंगाना राज्य के विकास और जनता के कल्याण के मक़सद से करवाया है। दिलचस्प बात यह है कि इस महायज्ञ में राज्यपाल नरसिम्हन के अलावा कई सरकारी अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया था। यज्ञ में आंध्र के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के अलावा दूसरी पार्टियों के नेताओं ने भी हिस्सा लिया था।

दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद भी केसीआर ने राज श्यामल यज्ञ और चंडी यज्ञ करवाया। इस बार भी कई राजनेताओं और सरकारी अधिकारियों ने इस यज्ञ में हिस्सा लिया। इस बार भी यही कहा गया कि केसीआर ने तेलंगाना के विकास और जनता की भलाई के लिए यज्ञ करवाया है।

केसीआर ने एलान किया है कि यादगिरीगुट्टा में लक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी मंदिर का पुनर्निर्माण पूरा होते ही वे सहस्राष्टक कुंड यज्ञ करवाएँगे। यानी, एक साथ 11 दिनों तक 1008 कुंडों में यज्ञ होगा। महत्वपूर्ण बात यह है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद केसीआर ने यादगिरीगुट्टा का नाम बदलकर यादादरी किया और साथ ही लक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी मंदिर का पुनरुद्धार शुरू करवाया। 

केसीआर ने तेलंगाना में और भी कई मंदिरों का पुनरुद्धार शुरू करवाया है। उनका कहना है कि वे प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिरों का वैभव वापस लाना चाहते हैं। तेलंगाना राज्य के मंदिरों के जीर्णोद्धार के अलावा केसीआर ने आंध्र के प्रमुख मंदिरों के लिए दान भी दिया है। तेलंगाना सरकार की ओर से वे तिरुमला-तिरुपति बालाजी मंदिर के वेंकटेश्वर स्वामी और विजयवाड़ा के कनकदुर्गा मंदिर की माँ को आभूषण बनवाकर भेंट कर चुके हैं।

केसीआर ने मुख्यमंत्री के तौर पर कृष्णा नदी पुष्कर यानी कृष्णा कुम्भ और गोदावरी पुष्कर का भी आयोजन भव्य तरीके से करवाया। इन सब के बीच मज़ेदार बात यह है कि मंदिर की राजनीति को लेकर बीजेपी पर लगातार हमले बोलने वाले असदुद्दीन ओवैसी केसीआर के राजनीतिक दोस्त हैं और उन्होंने केसीआर के राजनीतिक अनुष्ठानों पर कोई सवाल नहीं उठाया है। 

बीजेपी पर धर्म के नाम पर मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने का आरोप लगाने वाली कांग्रेस भी केसीआर के मामले में सख़्त नहीं है। सिर्फ़ वामपंथी पार्टियाँ और कुछ दलित संगठन ही धार्मिक अनुष्ठानों को लेकर केसीआर की तीख़ी आलोचना कर रहे हैं। एक और बात के लिए केसीआर की आलोचना होती है। वह यह कि मुख्यमंत्री मठों की यात्रा करते हैं और साधुओं के चरणों को छूकर उनका आशीर्वाद लेते हैं। 

क्या तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) की नज़र भी प्रधानमंत्री की कुर्सी पर है? दक्षिण भारत के राजनीतिक गलियारे में इन दिनों इसी सवाल को लेकर गरमा-गरम बहस चल रही है। बड़ी बात यह है कि केसीआर को छोड़कर दक्षिण भारत से कोई दूसरा नेता प्रधानमंत्री पद के लिए दावेदारी की कोशिश करता नज़र नहीं आ रहा है। यही वजह भी है कि केसीआर ख़ुद को दक्षिण के सबसे बड़े और असरदार राजनेता के तौर पर उभारने की कोशिश में हैं, ताकि प्रधानमंत्री की दावेदारी मज़बूत की जा सके।

दिलचस्प बात यह है कि जिस तरह से केसीआर राजनीतिक चालें चल रहे हैं उससे यह संकेत मिलने लगे हैं कि वह भी प्रधानमंत्री पद के दावेदार हैं। तेलंगाना विधानसभा चुनाव में तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) को जिस तरह की शानदार जीत मिली उससे केसीआर का राजनीतिक कद भी काफ़ी बढ़ गया। सूत्रों की मानें तो इसी शानदार जीत से उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा भी बढ़ गयी। दुबारा तेलंगाना का मुख्यमंत्री बनने के बाद केसीआर ने ग़ैर-बीजेपी और ग़ैर-कांग्रेस वाला एक राजनीतिक मोर्चा केंद्र में बनाने के लिए कवायद तेज़ कर दी थी। 
केसीआर ने चुनाव से पहले ही कांग्रेस और बीजेपी विरोधी ताक़तों को एक मंच पर लाने की कोशिश नहीं रोकी है।
 कर्नाटक की करें तो देवगौड़ा की उम्र 85 साल है और वह इस उम्र में दुबारा प्रधानमंत्री बनने की सोच भी नहीं रहे हैं। उनके बेटे और कर्नाटक के मुख्यमंत्री कुमारस्वामी भी कर्नाटक से बाहर आने के इच्छुक नहीं हैं। कुमारस्वामी ने इशारों-इशारों में ममता बनर्जी का पक्ष लिया है। तमिलनाडु से क्षेत्रीय पार्टी का कोई नेता प्रधानमंत्री की कुर्सी के क़रीब पहुँचता भी नहीं दिखाई देता है। केरल की करें तो वहाँ से भी कोई नेता प्रधानमंत्री के तौर पर ख़ुद को उभारने की कोशिश करता नहीं दिख रहा है। आंध्र के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू राजनीति के बड़े खिलाड़ी हैं। केंद्र में सरकार बनवाने में पहले भी बड़ी भूमिका निभा चुके हैं। बीजेपी से नाता तोड़ने के बाद से ही वह कांग्रेस के साथ हैं। चंद्रबाबू ऐसे कोई गठबंधन का हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं जहाँ केसीआर हैं या फिर उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी जगन मोहन रेड्डी। फ़िलहाल केसीआर और जगन मोहन रेड्डी साथ आ गए हैं। बड़ी बात यह भी है कि चंद्रबाबू के सामने सबसे बड़ी चुनौती आंध्र में अपनी सत्ता बचाने की है। लोकसभा चुनाव के साथ ही आंध्र प्रदेश विधानसभा के भी चुनाव होंगे। इस बार चंद्रबाबू को जगन मोहन रेड्डी से कड़ी चुनौती मिल रही है। पिछले चुनाव में बीजेपी और फ़िल्मस्टार पवन कल्याण की जनसेना उनके साथ थी, इस बार चंद्रबाबू अकेले हैं।

दक्षिण की इन्हीं राजनीतिक परिस्थितियों से भलीभाँति वाक़िफ़ केसीआर ने केंद्र की राजनीति में अपनी ख़ास जगह बनाने की कोशिश तेज़ कर दी है। और तो और, पूजा-पाठ, धार्मिक अनुष्ठानों और ज्योतिष-शास्त्र में विश्वास रखने वाले केसीआर ने अपने फ़ॉर्म हौज़ में ‘सहस्त्र महारुद्र चंडी यज्ञ’ भी करवाया है।  केसीआर के लिए प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुँचना आसान नहीं है। केसीआर के प्रधानमंत्री बनने की संभावना उसी समय बनेगी जब एनडीए या यूपीए को बहुमत नहीं मिलेगा। इतना ही नहीं, चुनाव के बाद अगर यह तय हुआ कि न कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार बनेगी न बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार, तब किसी क्षेत्रीय पार्टी के नेता का नाम सामने आएगा।

केसीआर के लिए प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुँचने की राह के आसान न होने की एक बड़ी वजह तेलंगाना से केवल 17 लोकसभा सीटों का होना भी है। मान लिया जाय कि केसीआर अपने राजनीतिक दोस्त असदउद्दीन के साथ मिलकर तेलंगाना की सारी 17 लोकसभा सीटें जीत लेते हैं तब भी प्रधानमंत्री पद के कई ऐसे दावेदार होंगे जिनके पास ज़्यादा लोकसभा सीटें होंगी। अगर सर्वे के परिणामों और संकेतों को सही माना जाय तो ममता बनर्जी, मायावती, अखिलेश यादव, स्टालिन, नवीन पटनायक, शरद पवार के पास ज़्यादा लोकसभा सीटें होंगी। इतना ही नहीं, शरद पवार, ममता बनर्जी, मायावती जैसे नेताओं के पास केंद्र की राजनीति का ज़्यादा अनुभव है। इसी वजह से प्रधानमंत्री की रेस में ममता बनर्जी, मायावती, शरद पवार जैसे दिग्गज नेताओं को पछाड़ना केसीआर के लिए बिलकुल आसान नहीं है पर ज्योतिष-शास्त्र में विश्वास रखने वाले केसीआर प्रधानमंत्री बन गये तो केसीआर अपने बेटे के. तारक रामा राव (केटीआर) को तेलंगाना का मुख्यमंत्री बनाएँगे और ख़ुद केंद्र की राजनीति करेंगे।

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