कर्नाटक सरकार द्वारा सोशल मीडिया,  व्हॉट्सएप संदेशों से उपलब्‍धि घर-घर पहुंचाई

बीजेपी के लिए सिद्धारमैया को पटखनी दे पाना आसान नही  #कर्नाटक  विधानसभा चुनाव #कर्नाटक सरकार द्वारा सोशल मीडिया,  व्हॉट्सएप संदेशों से अपनी उपलब्‍धि घर-घर पहुंचाई # 

#भाजपा कमजोर क्‍यो-#गोवा के साथ जल विवाद # गोवा और कर्नाटक के बीच विवाद चल रहा है #  इस मसले ने बीजेपी  बैकफुट पर #बीजेपी के कोर लिंगायत वोटों बंट रहे है #बीजेपी के गुजरात में खेले गए गुजराती अस्मिता का कार्ड खेल रहे है कांग्रेस के मुख्‍यमंत्री  सिद्धारमैया # कन्नड़ गौरव का पत्ता चला # सिद्धारमैया सरकार ने बड़े पैमाने पर जातियों की जनगणना कराई #सिद्धारमैया ने वादा किया है कि वह तमिलनाडु फॉर्मूले के आधार पर पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों को 70 पर्सेंट तक आरक्षण देंगे#  गुजरात में दबदबा रखने वाली जाति पटेल को आरक्षण का वादा # व्हॉट्सएप संदेशों सोशल मीडिया के सफल प्रयोग से आम आदमी के मोबाइल में यह संदेश डाला जा रहा है कि किस तरह से कर्नाटक ने गुजरात के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है# इन संदेशों को गुजरात चुनावों के दौरान सोशल मीडिया पर बड़े लेवल पर फैलाया गया# 

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इस साल अप्रैल-मई में कर्नाटक में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इसके पहले बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही एक दूसरे पर हावी होने की कोशिश कर रही हैं. बीते रविवार को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां एक रैली की थी, जिसमें काफी भीड़ उमड़ी थी लेकिन सिद्धारमैया ने मोदी के स्वागत में ट्टीट करके सुर्खियां बटोर ली थीं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने   बेंगलुरु में भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) की एक रैली को संबोधित किया. इस मौके पर उन्होंने अपने संबोधन की शुरुआत कन्नड़ भाषा में नमस्कार करके किया. उन्होंने जैसे ही कन्नड़ भाषा में नमस्कार कहा, रैली में आए लोगों की भीड़ ने मोदी-मोदी के नारे लगाने शुरू कर दिए. पीएम मोदी ने कहा कि  पूरा देश देख रहा है कि अब कर्नाटक की हवा बदल रही है. कर्नाटक मे कांग्रेस एक्जिट गेट पर खड़ी है. इस बार हम कांग्रेस को यहां से बाहर करके रहेंगे. उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि लोगों का उत्साह दिखाता है कि कांग्रेस की उल्टी गिनती शुरू हो गई है. कर्नाटक को अब कांग्रेस संस्कृति की आवश्यकता नहीं है. पीएम ने कहा कि बीजेपी की सरकार कर्नाटक में विकास की गति को गति देंगी.  

5 जनवरी को बेंगलुरू में परिवर्तन यात्रा का आयोजन किया गया था. इस यात्रा को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई बड़े नेताओं ने संबोधित किया था. बीजेपी द्वारा परिवर्तन यात्रा कर्नाटक के सभी 224 विधानसभा क्षेत्रों में निकाली जा रही है. इस यात्रा के समापन समारोह को खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संबोधित किया. वर्तमान में कर्नाटक विधानसभा में कांग्रेस के 123, बीजेपी के 44 और जेडी (एस) के 40 सदस्य हैं. बीजेपी ने कर्नाटक में 224 में से 150 सीटों की जीत का टारगेट रखा है. बीजेपी की तरफ से बीएस योदियुरप्पा ही मुख्यमंत्री के दावेदार होंगे. येदियुरप्पा सांसद हैं और पार्टी सूत्र बताते हैं कि पार्टी उन्हें भी विधानसभा चुनाव लड़ाएगी.

 गुजरात विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद अब कांग्रेस पार्टी आगामी कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए अपनी कमर कस चुकी है. इसी के चलते कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधीकर्नाटक विधानसभा चुनाव के मद्देनजर 10 फरवरी से अपना चुनाव प्रचार अभियान शुरु करेंगे. पार्टी ने चुनाव के बूथ स्तरीय प्रबंधन को मजबूत करने के लिए जमीनी स्तर पर आक्रामक अभियान की रुपरेखा खींची है.  कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी  ने चुनावी राज्य कर्नाटक में आगामी चुनाव के मद्देनजर पार्टी कार्यकर्ताओं से गुजरात में हुए हालिया चुनाव से प्रेरणा लेकर और इसी की तर्ज पर जनता का घोषणापत्र तैयार करने तथा जन भागीदारी वाले कार्यक्रम शुरू करने के लिए कहा है.

विजयनगर के बीजेपी विधायक आनंद सिंह ने कर्नाटक विधानसभा से अपना इस्तीफा देते हुए कहा है कि वह पार्टी के भीतर कलह और गुटबाजी से तंग आ चुके हैं. विधायक ने राणेबेन्नूर में कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष केबी कोलिवाड के निवास पर उन्हें अपना इस्तीफा सौंपा और कोलिवाड ने उसे स्वीकार लिया.

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा है कि जब हम सत्ता में आए थे उस समय निवेश लिस्ट में हम 11वें स्थान पर थे. लेकिन पिछले दो सालों से हम नंबर 1 हैं. ये आंकड़े कहीं और नहीं केंद्र सरकार द्वारा ही जारी किए गए हैं. कर्नाटक सीएम ने एक बार फिर गोधरा कांड का जिक्र करते हुए बीजेपी पर निशाना साधा. उन्होंने पूछा कि उनके शासनकाल के दौरान गोधरा में कितने लोग मारे गए. दो हजार लोगों की मौत हुई. साथ ही हरियाणा में क्या कोई कानून-व्यवस्था है. जहां भी बीजेपी सरकार है, वहां अल्पसंख्यक असुरक्षित हैं. बीजेपी अध्यक्ष हत्या के मामले में शामिल थे, वो सिर्फ झूठ बोलते हैं. यहां भी वो उस समय उम्मीदवार का बचाव कर रहे हैं, जो खुद जेल जा चुके हैं. उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री ने राज्य के बारे में झूठी बातें बोलकर कन्नड़ लोगों के गर्व को चोट पहुंचाई है. प्रधानमंत्री हमेशा बयान देते रहते हैं कि उन्होंने राज्यों को बहुत पैसा दिया है. लेकिन आपको क्या लगता है, ये पैसा आता कहां से होगा. ये राज्यों द्वारा इकट्ठा किया हुआ टैक्स होता है, जो केंद्र को भेजा जाता है. ये हमारी ही पैसा है जो हमारे पास आता है.

कर्नाटक में चुनाव का मौसम गर्मा गया है. रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेंगलुरु में एक बड़ी रैली की. सारा दिन ट्विटर पर #KarnatakaTrustsModi #NammaKarnatakaFirst ट्रेंड कर रहे थे. अपने चिरपरिचित अंदाज में उन्होंने कर्नाटक सरकार को 10% सरकार की संज्ञा दी और कृषि के संदर्भ में TOP शब्द का इस्तेमाल किया.
गुजरात में बीजेपी ने जितनी मुश्किल के बाद जीत हासिल की है उसके बाद कर्नाटक के चुनाव बेहद अहम साबित हो रहे हैं. कांग्रेस मोदी के गृह राज्य में बीजेपी को जबरदस्त चुनौती देकर काफी उत्साहित है. साथ ही पार्टी इंडिया टुडे मूड ऑफ द नेशन पोल में राहुल गांधी की बढ़ती रेटिंग से भी ऊर्जा में आ गई है.
पंजाब में जीत के बाद कांग्रेस के लिए यह दूसरा बड़ा राज्य है जहां से 10 से ज्यादा सांसद आते हैं और जहां कांग्रेस सत्ता में है. कर्नाटक में हार साल के अंत में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में होने वाले चुनावों के लिहाज से बड़ा झटका होगा. इन राज्यों में चुनाव के तुरंत बाद 2019 में लोकसभा के चुनाव होने है. इस तरह से इन चुनावों को सेमीफाइल्स माना जा सकता है.
हालांकि, 1985 में रामकृष्ण हेगड़े के बाद से कोई भी पार्टी कर्नाटक में सत्ता में वापसी नहीं कर पाई है और राज्य के लोगों में मौजूदा सरकारों को हटाने का मजबूत ट्रेंड है, लेकिन सिद्धारमैया के आक्रामक पटलवार बीजेपी तक के रणनीतिकारों को चौंका रहे हैं. वह उन्हीं तरकीबों का इस्तेमाल कर रहे हैं जैसा कि बीजेपी दूसरे राज्यों में करती है. साथ ही वह अमित शाह से सीखे सबकों को उनपर ही चला रहे हैं.
 बीजेपी के लिए सिद्धारमैया को पटखनी दे पाना काफी मुश्किल लग सकता है.

 

दक्षिण भारतीय राज्य में भाजपा के पहले मुख्यमंत्री

डॉ॰ बूकानाकेरे सिद्धलिंगप्पा येदियुरप्पा,  जन्म: 27 फ़रवरी 1943 एक भारतीय राजनेता और भारत के राज्य कर्नाटक के पच्चीसवें मुख्यमंत्री है, जिन्होंने 30 मई 2008 शपथ ग्रहण किया। येदियुरप्पा कर्नाटक राज्य की विधानसभा में शिकारीपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के प्रतिनिधि रहे हैं। उन्होने साल 2014 का लोकसभा चुनाव शिमोगा लोकसभा क्षेत्र से विशाल अंतर्गत से जीता। भाजपा संगठन में उन्हे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का पद दिया गया लेकिन राज्य की राजनीतिक में उनकी सक्रियता को देखते हुए उन्हे राज्य का अध्यक्ष बना दिया गया। कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2008 में जीत के बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने थे। वे साल 2007 में जद(एस) के साथ गठबंधन टूटने से पहले भी थोड़े समय के लिए कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे। वे किसी भी दक्षिण भारतीय राज्य में भाजपा के पहले मुख्यमंत्री हैं। मुख्यमंत्री रहते हुए उन पर जमीन आवंटन में गड़बड़ी के आरोप लगे लेकिन हाल ही में उनको क्लीनचीट मिल गई है।

 कर्नाटक विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बड़ा ऐलान किया है। अमित शाह ने कहा है कि बीएस येदियुरप्पाही प्रदेश में बीजेपी के सीएम कैंडिटेट होंगे। इस साल मई-जून में होने वाले कर्नाटक विधानसभा चुनावों के लिए बीजेपी ने कमर कस ली है। बीजेपी ने कर्नाटक का विधानसभा चुनाव बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व में लड़ने का ऐलान किया है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि येदियुरप्पा कर्नाटक चुनाव में हमारे सीएम कैंडिडेट होंगे। 

दक्षिण भारत में बीजेपी को जगह दिलाने वालों में बीएस येदियुरप्पा का  अहम योगदान रहा है। यहां उनका खासा प्रभाव है। शायद इसी को देखते हुए पार्टी ने एक बार फिर से उनपर भरोसा दिखाया है।  बीएस येदियुरप्पा पहले भी कर्नाटक के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और उन्हें भ्रष्टाचार की वजह से अपनी सीएम पद की कुर्सी भी गंवानी पड़ी थी। उनपर जमीन और अवैध खनन घोटाले के आरोप लगे थे।  75 वर्षीय येदियुरप्पा ने 2011 में अपना अलग संगठन बनाया था लेकिन 2013 में इसका प्रदर्शन काफी खराब रहा था लेकिन वह बीजेपी के वोटबैंक का एक हिस्सा काटने में सफल रहे थे। इस वजह से बीजेपी को पराजय का मुंह देखना पड़ा था।  येदियुरप्पा का जन्म 27 फ़रवरी 1943 को भारत के कर्नाटक राज्य के मांड्या जिले के बुक्कनकेरे में हुआ था। उनके पिता का नाम सिद्धलिंगप्पा और माता का नाम पुट्टतायम्मा था। येदियुरप्पा हिंदू धर्म के लिंगायत समुदाय के हैं। कर्नाटक के तुमकुर जिले में येदियुर स्थान पर संत सिद्धलिंगेश्वर द्वारा बनाए गए शैव मंदिर के नाम पर उनका नाम रखा गया था। जब येदियुरप्पा चार साल के थे तब ही इनकी माता की मौत हो गई। उन्होंने कला से स्नातक किया है। 1965 में वे समाज कल्याण विभाग के प्रथम श्रेणी के किरानी चुए गए। लेकिन वे शिकारीपुर चले गए जहां उन्होंने वीरभद्र शास्त्री चावल मील में किरानी की नौकरी कर ली। 1967 में उन्होंने वीरभद्र शास्त्री की पुत्री मैत्रादेवी से शादी कर ली। बाद के दिनों में उन्होंने शिमोगा में हार्डवेयर की दुकान खोली। येदियुरप्पा के दो पुत्र, बी वाई राघवेंद्र और विजयेंद्र एवं दो पुत्री हैं, जिनके नाम, अरूणादेवी, पद्मावती और उमादेवी हैं। 2004 में एक दुर्घटना में उनकी पत्नी चल बसी.

कर्नाटक के बेंगलुरु में रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की परिवर्तन रैली थी। इस रैली को कर्नाटक में होने वाले विधानसभा चुनावों के शंखनाद के तौर पर देखा जा रहा है। इस रैली के दौरान एक वीडियो सामने आया है। इस वीडियो में ये सवाल उठाया जा रहा है कि क्या पीएम की रैली के लिए लोगों को 500 रुपए देकर बुलाया गया था? इस वीडियो को कर्नाटक के पब्लिक टीवी नाम के एक न्यूज़ चैनल ने जारी किया है। वीडियो में बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री की परिवर्तन रैली में आने के लिए लोगों को पांच-पांच सौ रुपए दिये गए थे।

  स्वागत का बेदर्द झटका?
पीएम मोदी का बेंगलुरु में आश्चर्यजनक स्वागत हुआ. सीएम सिद्धारमैया ने मोदी के स्वागत में ट्वीट किया और उसमें अपनी सरकार की उपलब्धियों को गिनाया. आमतौर पर बीजेपी नेता और पार्टी के हैंडल से इस तरह के ट्वीट जारी होते हैं, लेकिन सीएम के ट्वीट ने दिनभर की पूरी सुर्खियां अपने नाम कर लीं. मोदी ने इस तरह के स्वागत की उम्मीद नहीं की होगी. साथ ही उन्होंने उनकी स्पीच का एजेंडा भी तय करने की कोशिश की और मोदी से महादायी विवाद पर अपना रुख स्पष्ट करने की मांग की.
ऐसा पहली बार नहीं हो रहा जबकि सिद्धारमैया ने इस तरह की चीज उठाई है. जब पिछले महीने अमित शाह मैसूर में रैली के लिए थे, उस वक्त कांग्रेस के समर्थन वाले किसानों के समूह ने गोवा के साथ जल विवाद को लेकर बंद बुलाया था. इसके चलते शाह की रैली में कम उपस्थिति रही थी. शाह ने इसके लिए सरकार के अपनी मशीनरी का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था.
– लिंगायतों के लिए अलग धर्म की मांग का समर्थन
हालांकि, बीजेपी हिंदू वोटों को एकजुट करने की कोशिश कर रही है ताकि कांग्रेस का एएचआईएनडीए प्लान फेल हो जाए, लेकिन सिद्धारमैया बीजेपी के कोर लिंगायत वोटों को बांटने की चाल चल रहे हैं. वह लिंगायतों के एक तबके की अलग धर्म के तौर पर मान्यता देने की मांग का समर्थन कर रहे हैं. राज्य की आबादी में लिंगायतों की हिस्सेदारी 15-17 पर्सेंट है. साथ ही ये वोकालिगा के साथ राज्य में दबदबा रखते हैं. 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को 63 पर्सेंट लिंगायत वोट मिले थे. बीजेपी के सीएम कैंडिडेट येदियुरप्पा लिंगायत हैं. इस मामले को राज्य अल्पसंख्यक आयोग को भेज दिया गया है. कांग्रेस ने पिछले साल उपचुनाव में 2 लिंगायत बहुतायत वाली सीटों को अपने पास कायम रखने में सफलता हासिल की थी.
– हिंदुत्व बनाम कन्नड़ गौरव
बीजेपी की योजना राज्य में हिंदू वोटरों का ध्रुवीकरण करने की है और पार्टी हिंदुत्व का कार्ड खेल रही है. लेकिन सिद्धारमैया ने इसे बेअसर करने के लिए कन्नड़ गौरव का पत्ता चला है. एक कांग्रेसी नेता ने कहा, ‘वह सहनशीलता, साझा विरासत और सामाजिक सद्भाव के कन्नड़ गौरव के तत्वों को पेश कर रहे हैं जिनके लिए राज्य मशहूर है.’ उन्होंने राज्य के लिए अलग झंडा, भाषा को फिर से जिंदा करने और इसे आगे बढ़ाने, हिंदी के साइनबोर्ड्स, महादायी वॉटर शेयरिंग जैसे मसलों को उठाया है ताकि कन्नड़ सेंटीमेंट को जगाया जा सके. यह बीजेपी के गुजरात में खेले गए गुजराती अस्मिता जैसा ही है.
उन्होंने स्कूलों में (आईसीएसई और सीबीएसई समेत) कन्नड़ को एक अनिवार्य विषय बनाने, कन्नड़ मीडियम स्टूडेंट्स को राज्य के सविल सर्विसेज में 5 पर्सेंट रिजर्वेशन देने और सरकारी हॉस्पिटल कार्ड्स को कन्नड़ में प्रिंट करने जैसे कामों से इसकी शुरुआत की है. कन्नड़ एक ऐसा साझा धागा है जो कि एलआईबीआरए, वोकालीगा और एएचआईएनडीए सभी को एकसाथ जोड़ता है. उन्होंने जम्मू और कश्मीर की तर्ज पर कर्नाटक के एक अलग झंडे के इस्तेमाल की वकालत की है और इसकी वैधता की जांच करने के लिए एक कमेटी का गठन किया है. ताज होटल अपने परिसरों में इसे पहले से फहरा रहा है.
महादायी नदी उत्तरी कर्नाटक की जीवनरेखा है और इसके पानी के बंटवारे को लेकर गोवा और कर्नाटक के बीच विवाद चल रहा है. इस मसले ने बीजेपी को बैकफुट पर डाल दिया है. उन्होंने मेट्रो में लगे हिंदी साइनबोर्ड्स को लेकर आपत्ति जताई और आखिरकार इन्हें हटा लिया गया. इन सबसे बीजेपी के रणनीतिकार चक्कर में पड़ गए हैं. बीजेपी और आरएसएस को लगता है कि हिंदी एकमात्र ऐसी भाषा है जो कि पूरे देश को एक धागे में पिरोती है.
सिद्धारमैया सरकार ने बड़े पैमाने पर जातियों की जनगणना कराई है. इसके नतीजे सार्वजनिक नहीं किए गए हैं. यह जनगणना केंद्र सरकार के कराए जाने वाले कास्ट सेंसस जैसी ही है. केंद्र सरकार के जातिगत जनगणना के आंकड़े भी सार्वजनिक नहीं हुए हैं, जबकि विपक्ष ने इसकी मांग पूरे जोरशोर से की.
सिद्धारमैया ने जानबूझकर चुनिंदा जानकारियां लीक कीं जिससे पता चल रहा है कि लिंगायत और वोकालिगा जैसे दबदबे वाले जाति समूहों की आबादी में बड़ी गिरावट आई है. इससे वोटरों में भ्रम पैदा हो रहा है और यह बीजेपी और जेडीएस के रणनीतिकारों को भी भ्रम में डाल रहा है. सर्वे से पता चला है कि सिद्धारमैया और कांग्रेस पार्टी को इसकी भीतरी जानकारी होने से फायदा होगा.
सिद्धारमैया ने वादा किया है कि वह तमिलनाडु फॉर्मूले के आधार पर पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों को 70 पर्सेंट तक आरक्षण देंगे. फिलहाल यह आरक्षण 50 पर्सेंट है. हालांकि, इसी तरह की तरकीब गुजरात में कामयाब नहीं हुई है, लेकिन सीएम इस पर दांव लगा रहे हैं. गुजरात में दबदबा रखने वाली जाति पटेल को आरक्षण का वादा किया गया, जिससे दलित और ओबीसी नाराज हो गए. लेकिन, यहां वह आरक्षण का दायरा बढ़ाने की बात जनगणना के आंकड़ों के आधार पर कर रहे हैं. उन्हें लगता है कि एएचआईएनडीए वोट बैंक को और कंसॉलिडेट करने की काफी गुंजाइश है. सिद्धारमैया अपनी सरकार की उपलब्धियों को आक्रामक तरीके से पेश कर रहे हैं. चार्ट, व्हॉट्सएप संदेशों से बताया जा रहा है कि किस तरह से कर्नाटक ने गुजरात के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है. इन संदेशों को गुजरात चुनावों के दौरान सोशल मीडिया पर बड़े लेवल पर फैलाया गया. इस तरह से उन्होंने बीजेपी के बेस्ट गवर्नेंस मॉडल को सीधे चुनौती देने में कोई गुरेज नहीं किया. कर्नाटक बनाम गुजरात पर ग्राफिक्स को प्रमुख सामाजिक-आर्थिक पैरामीटर्स पर जारी किया गया, इनमें कर्नाटक को ज्यादातर फैक्टर्स पर गुजरात से आगे दिखाया गया है.
आखिर में, हालांकि, पीएम मोदी ने रविवार को एक बड़ी रैली की, सिद्धारमैया का आक्रामक रूप से चुनावी मोर्चा खोलना दो मुख्यमंत्रियों- केजरीवाल और नीतीश कुमार के बीजेपी को कड़ी चुनौती देने की याद दिलाता है. 1985 के बाद से कोई सीएम कर्नाटक में वापसी नहीं कर पाया है. क्या सिद्धारमैया इस ट्रेंड को पटलने में कामयाब होंगे? यही चीज इस लड़ाई को और रोचक बना रही है.

कर्नाटक में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे है वैसे-वैसे सियासी दांव-पेंच तेज होते जा रहे है. जहां एक तरफ राज्य में पांच साल से सत्ता पर काबिज कांग्रेस एक बार फिर से राज्य की कमान संभालने की कोशिशों जुटी हैं वहीं दूसरी तरफ बीजेपी कर्नाटक में अपनी सरकार बनाकर देश के एक और राज्य में भगवा लहराने की जुगत बैठाने में लगी. कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया की सरकार ने सर्कुलर जारी कर राज्य में अल्पसंख्यक, किसानों और कन्नड़ आंदोलनकारियों के खिलाफ दर्ज किए गए केस वापस लेने की बात कही है. बीजेपी ने कांग्रेस सरकार के इस फैसले पर निशाना साधते हुए इसे चुनाव के पहले अल्पसंख्यकों को रिझाने की कोशिश करार दिया है.  कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि, ‘मैं आदित्यनाथ से बेहतर हिंदू हूं, क्या सिर्फ बीजेपी के लोग ही हिंदू हैं?, मेरा नाम सिद्धारमैया है, जिसमें सिद्ध भी है और राम भी, क्या बीजेपी ने हिंदुओं का मालिकाना हक लिया हुआ है? हम भी हिंदू हैं, लेकिन हम सभी धर्मों का सम्मान करते है. हम सभी धर्म को बराबर मानते है, यह हमारी संस्कृति है, यही असली हिंदुत्व है’

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