देवगौड़ा का ऐलान- उनसे गठबंधन होने का सवाल ही नहीं उठता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) पर डोरे डाले हैं.   प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कर्नाटक चुनाव में अपनी रैलियों का आगाज करते हुए देवगौड़ा की तारीफ की थी. जिसके बाद से चुनाव बाद गठबंधन की अटकलें लगाई जा रही है. मोदी ने कहा, ”राजनीतिक पार्टियों के बीच मतभेद हो सकते हैं, लेकिन अनुशासन और सम्‍मान बनाए रखना चाहिए.  कर्नाटक में पिछले पांच साल से कांग्रेस सत्तारूढ़ है. कांग्रेस जहां बीजेपी और जेडीएस पर हमलावर है. वहीं बीजेपी और जेडीएस एक दूसरे पर हमले से बच रही है. ऐसे में बीजेपी-जेडीएस गठबंधन को लेकर सियासी अटकलें लगाई जा रही है. बीजेपी-जेडीएस पहले भी गठबंधन कर सरकार बना चुकी है. 2006 में जेडीएस ने कांग्रेस से गठबंधन तोड़कर बीजेपी से हाथ मिला लिया था और देवगौड़ा के बेटे कुमारास्वामी मुख्यमंत्री बने. बाद में जेडीएस ने मुख्यमंत्री का पद येदियुरप्पा को देने से इनकार कर दिया. विवाद के बाद कुमारास्वामी ने इस्तीफा दे दिया. उन्होंने कहा, ”जब भी पूर्व पीएम देवगौड़ा जी दिल्‍ली में मुझसे मिलने आए, मैंने हमेशा उनका स्‍वागत किया और उन्‍हें समय दिया. लेकिन हाल ही में राहुल गांधी ने जो उनके बारे में कहा वह शर्मनाक है.” मोदी ने कहा कि अगर उनकी ये मानसिकता है, तो वे कर्नाटक के लोगों के लिए अच्छा कैसे सोच सकते हैं.

जनता दल (सेक्युलर) प्रमुख एचडी देवगौड़ा ने कहा कि प्रधानमंत्री भले ही उनकी कितनी भी तारीफ करें, लेकिन उनका बीजेपी से गठबंधन होने का सवाल ही नहीं उठता है. पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि पीएम मोदी ने उनका जिक्र कर्नाटक सरकार पर कटाक्ष करते हुए किया था. जनता दल सेकुलर (जेडीएस) प्रमुख एचडी देवेगौड़ा ने बुधवार को कहा कि आगामी कर्नाटक चुनाव में भाजपा से गठबंधन की संभावना नहीं है।   “वास्तव में जेडीएस तेदेपा नेता चंद्रबाबू नायडू, टीआरएस के चंद्रशेखर राव और दूसरे राजनीतिक सहयोगियों की मदद से अपनी सरकार बनाएगी। मुझे त्रिशंकु विधानसभा की उम्मीद नहीं है। मैं पहले भी यही कह रहा था और मैं इस आगे भी कहूंगा। हम अपने बलबूते सरकार बनाने को लेकर आश्वस्त हैं। हमने बसपा से हाथ मिलाया है। ये हमें 20 सीटों पर वोट हासिल करने में मदद करेगी। ये गठबंधन लोकसभा में भी जारी रहेगा। हम किसी भी राष्ट्रीय दल से गठबंधन नहीं करेंगे।”

कर्नाटक के चुनावी समर में जहां राजनीतिक दल एकदूसरे पर आरोपों की बौछार कर रहे हैं, वहीं दलों को अपनी तरफ आकर्षित करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. कल मंगलवार को कर्नाटक में चुनावी प्रचार शुरू करते हुए एक जनसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा की तारीफ की थी. मोदी द्वारा जेडीएस प्रमुख की तारीफ किए जाने के फौरान बाद ही बीजेपी और जेडीएस में गठबंधन की खबरों का बाजार गर्म हो गया. हालांकि देवगौड़ा ने साफ किया कि जेडीएस का चुनावों में किसी से कोई गठबंधन नहीं होगा.

 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कर्नाटक चुनावी समर में उतरते ही सियासी समीकरण बदलने लगे हैं. उन्हों्ने एक मई से अपने चुनावी अभियान को शुरू किया है और पहले ही दिन मंगलवार को उडुपी की रैली में धुर विरोधी जनता दल सेक्युहलर(जेडीएस) नेता और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा की अप्रत्याुशित रूप से तारीफ कर सबको चौंका दिया. ऐसा इसलिए क्यों कि कर्नाटक में मुख्ये मुकाबला कांग्रेस, बीजेपी और जेडीएस के बीच है. ऐसे में जेडीएस नेता की तारीफ से इन दोनों दलों के बीच चुनाव बाद तालमेल की संभावनाओं के कयास लगाए जाने लगे हैं. अतीत में दोनों दल गठबंधन कर भी चुके हैं. दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रैली में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को आड़े हाथों लिया और कहा कि जेडीएस सुप्रीमो एचडी देवगौड़ा को अपमानित करना उनके ‘अहंकार’ को दर्शाता है. कर्नाटक में चुनावी रैली में पूर्व प्रधानमंत्री की तारीफ के पुल बांधते हुए मोदी ने कहा कि देवगौड़ा सर्वाधिक सम्मानित और कद्दावर नेताओं में से एक हैं जिनके लिए उनके मन में बहुत सम्मान है.

 
जनता दल (सेक्युलर) प्रमुख एचडी देवगौड़ा ने कहा कि प्रधानमंत्री भले ही उनकी कितनी भी तारीफ करें, लेकिन उनका बीजेपी से गठबंधन होने का सवाल ही नहीं उठता है. पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि पीएम मोदी ने उनका जिक्र कर्नाटक सरकार पर कटाक्ष करते हुए किया था. देवगौड़ा ने बताया कि सिद्धारमैया किस तरह कर्नाटक के लोगों का अपमान करते हुए यह बताने के लिए नरेंद्र मोदी ने उनके नाम का जिक्र किया था. उन्होंने कहा कि इस बात का यह मतलब कतई नहीं है कि जेडीएस और बीजेपी के बीच किसी प्रकार का कोई गठबंधन या समझौता हुआ है. देवगौड़ा ने कहा, ‘हो सकता है कि मेरी तारीफ करके वह (प्रधानमंत्री) सहानुभूति प्राप्त करना चाहते हों. यही हो सकता है. इसका मतलब यह नहीं कि (भाजपा और जेडीएस के बीच) कोई सहमति है.

भाजपा के साथ सरकार बनाने की खबरो पर नुकसान होने की आशंका   

देवेगौड़ा ने कहा, “2004 में जब सिद्धारमैया मेरी पार्टी में थे, तब वे भाजपा के सहयोग से मुख्यमंत्री बनना चाहते थे। मैंने मना कर दिया। अब सिद्धारमैया ये प्रचारित कर रहे हैं कि मैं भाजपा को समर्थन कर रहा हूं। भाजपा महासचिव और कर्नाटक में पार्टी के इनचार्ज पी मुरलीधर राव ने कहा, “भाजपा का जेडीएस के साथ कोई गुप्त समझौता नहीं है। ये केवल मीडिया है, जिन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की बातों को गलत तरीके से पेश किया। नरेंद्र मोदी ने शब्दों के जरिए वरिष्ठ राजनेता के लिए नम्रता और शालीनता जाहिर की है।” कुछ दिन पहले एक रैली में कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, “जेडीएस भाजपा की ‘बी’ टीम है। इस पार्टी का पूरा नाम ‘जनता दल संघ परिवार’ है। यह चुनाव दो राष्ट्रीय पार्टियों की विचारधाराओं के आधार पर लड़ा जा रहा है, लेकिन जेडीएस के अपने कोई सिद्धांत नहीं हैं।” – कांग्रेस से मुख्यमंत्री पद का चेहरा सिद्धारमैया ने भी कहा था कि भाजपा और जेडीएस के बीच कूटनीतिक समझौता हो चुका है।

देवगौड़ा ने कहा कि वह अकेले अपने दम पर राज्य में सरकार बनाएंगे और वह भी बिना किसी समर्थन के. उन्होंने कहा कि जेडीएस ने बीएसपी के साथ गठबंधन किया है और वह भी केवल 20 सीटों के लिए. उन्होंने कहा कि उनके लिए राज्य सर्वोपरी है. सिद्धारमैया ने देवगौड़ा पर वंशवाद की राजनीति करने का आरोप लगाया था. इस सवाल पर उन्होंने कहा था कि सिद्धारमैया खुद अपने बेटे को चुनाव लड़ा रहे हैं, इसलिए उनके इस आरोप पर कुछ भी कहने की गुंजाइश ही नहीं बचती. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक मई मंगलवार को एक चुनावी रैली में कहा, ‘कांग्रेस अध्यक्ष ने 15-20 दिन पहले राजनीतिक रैली में जो कहा, वह मैंने सुना, जिस तरह से उन्होंने देवगौड़ा जी के बारे में बात की, क्या यही आपके संस्कार हैं? यह तो अहंकार है.’ उन्होंने कहा, ‘आपका जीवन (कांग्रेस अध्यक्ष) तो अभी शुरू ही हुआ है. देवगौड़ा देश के कद्दावर नेताओं में से एक हैं. आप उनका अपमान कर रहे हैं.’ देवगौडा ने मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की उनकी इस टिप्पणी को लेकर निंदा की कि उनकी पार्टी भाजपा का समर्थन करेगी,. उन्होंने दावा किया कि जब सिद्धरमैया जेडीएस में थे तो वह 2004 में भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बनना चाहते थे.

 

दलित के घर खाना खाने की बीजेपी की समूची राजनीति विवादों में है.   दलित के घर खाना खाने की हर रस्मी घटना विवादों में घिरती जा रही है. सवाल है कि इससे हासिल क्या हो रहा है.  इससे उल्‍टा संंदेेेेश-  दलितों के घर में खाना इस बात का सूचक है कि वो ऊंची जातियों के हैं और इसलिए बराबरी प्रदर्शित करने की कोशिश कर रहे हैं. ये पूरी कवायद ही इस बात को प्रदर्शित करती है कि वो खुद को ऊंचा मानते हैं. ये लोग मानते हैं कि वो कुछ अलग हैं. ये प्रदर्शित करने के लिए कि हम दलितों के करीब हैं, इस तरह का ढोंग ; दलित जानते हैं कि ये लोग तुष्टिकरण के लिए ऐसा करते रहते हैं. इससे कुछ बदलने वाला नहीं है.   दलितों के घर खाना खाने की रवायत पर खुद बीजेपी की केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने भी सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा है कि हम भगवान राम नहीं हैं कि दलितों के साथ भोजन करेंगे, तो वो पवित्र हो जाएंगे. जब दलित हमारे घर आकर साथ बैठकर भोजन करेंगे, तब हम पवित्र हो पाएंगे.

 

देवगौडा के अपमान को लेकर राहुल गांधी की मोदी द्वारा आलोचना का लगभग समर्थन करते हुए जेडीएस प्रमुख ने कहा कि एक कन्नड़िगा प्रधानमंत्री बना था और मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कन्नड़िगा के गौरव को खत्म करने का प्रयास किया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस तरह से कन्नड़ गौरव को सम्मान देती है. एचडी देवगौड़ा की तरीफ किए जाने पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने प्रधानमंत्री पर कटाक्ष किया. उन्होंने कहा, पूर्व प्रधानमंत्री देवगौड़ा को लेकर पीएम मोदी के मन में उमड़ा प्रेम कुछ नहीं, सिर्फ सत्ता के लालच में किया एक गुप्त समझौता है. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने ही कुछ दिन पहले कहा था कि वह देवगौड़ा को रिटायरमेंट होम भेज देंगे. सिद्धारमैया ने कहा कि हम पहले से ही कहते आए हैं कि जेडीएस संघ का ही एक हिस्सा है. कांग्रेस ने जनता दल (एस) को बीजेपी की ‘बी’ पार्टी करार दिया है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 25 मार्च को मैसूर में जेडीएस पर हमला बोलते हुए कहा कि पहले ‘एस’ का मतलब सेक्यूलर यानी धर्म निरपेक्ष से था, लेकिन इस बार चुनाव में जेडीएस का नया नाम है- जनता दल संघ परिवार. राहुल ने कहा कि चुनाव में दो विचारधाराओं की लड़ाई है, एक तरफ बीजेपी तथा आरएसएस और दूसरी तरफ कांग्रेस. कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि इन सबके बीच एक तीसरा दल है जो कि बीजेपी की बी टीम है, वह है जेडीएस.

सर्वे  अनुसार कर्नाटक विधानसभा चुनाव में किसी भी एक दल को पूर्ण बहुमत मिलता नहीं दिख रहा है. ज्यादातर सर्वे में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरती दिख रही है. 224 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा में कांग्रेस को 100, बीजेपी को 95 और जेडीएस को करीब 30 सीटें मिलती दिख रही है. जो राज्य में बहुमत के लिए जरूरी आंकड़े 113 सीट से कम है.  

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