बीजेपी की इस रणनीति चूक का होगा दूरगामी असर

#बीजेपी की ये सरकार महज 55 घंटे चल सकी # सवाल उठता है कि बीजेपी से आखिर कहां रणनीति के स्तर पर चूक हुई # जिसके चलते उसकी सरकार तो नहीं बनी #फजीहत उसे पूरी झेलनी पड़ी#  इस पूरी प्रक्रिया में पार्टी की छवि पर कुछ दाग तो ऐसे लगे हैं जिन्हें लेकर विपक्ष लंबे समय तक उसे घेरता रहेगा #  बीजेपी  राज्यपाल के पद का दुरुपयोग करती नजर आई # फिर विधायकों की खरीद फरोख्त की कोशिश करती नजर आई #  फिर सुप्रीम कोर्ट में बीजेपी घिरती नजर आई # येदियुरप्पा, उनके बेटे विजयेंद्र और जनार्दन रेड्डी के कांग्रेसी विधायकों को धन और पद का ऑफर देते ऑडियो भी सामने आए#  इससे भी बीजेपी को शर्मसार होना पड़ा # पूरे मामले में बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व पर्दे के पीछे ही बना रहा #
# गुजरात में अहमद पटेल के राज्यसभा चुनाव के बाद ये दूसरा ऐसा मामला है जब बीजेपी को कांग्रेस ने रणनीति के स्तर पर जबर्दस्त मात दी है # यह कर्नाटक की रणनीतिक चूक का असर होगा अब बिहार में राजद मणिपुर में कांग्रेस, नगालैंड में NPF करेगी दावा # कांग्रेस ने सीएम पद का बलिदान देकर पूरा खेल ही बदल दिया #  बीजेपी की दक्षिण भारत में एंट्री और कांग्रेस मुक्त भारत का सपना कर्नाटक में पूरा नहीं हो सका # बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व को पूरे देश में किरकिरी झेलनी पड़ रही है # कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला के येदियुरप्पा को सीएम बनाने, बीजेपी को बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का समय देने और जूनियर विधायक केजी बोपैया को प्रोटेम स्पीकर बनाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कोर्ट ने 15 दिन की समय-सीमा को 24 घंटे करने के अलावा बहुमत परीक्षण की प्रकिया के लाइव प्रसारण की भी इजाजत दे दी# इस मामले में भी बीजेपी को निराशा ही हाथ लगी # पूरे घटनाक्रम में बीजेपी को नुकसान के अलावा कुछ हासिल नही हुआ # 

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कांग्रेस भी अब बढ़े हुए मनोबल के साथ बीजेपी पर हमलावर होगी

#अब तैयारी 2019 की # शपथ ग्रहण विपक्ष का शक्‍ति प्रदर्शन होगा #कर्नाटक के राज्यपाल को समझ आया बहुमत का अंकगणित, इस्तीफा देंगे? #कांग्रेस के सामने राज्यों में सत्ता पाने से बड़ा लक्ष्य 2019 #कर्नाटक की तरह बडी घेराबंदी को तैयार समस्‍त विपक्ष #राहुल गांधी का प्रधानमंत्री पद पर दावे से बचना ; बडी रणनीति # राहुल गांधी गठबंधन के साथ बडे नायक के रूप में उभरे हैं  # कर्नाटक से यह संदेश गया कि कांग्रेस कर्नाटक में पूरी तरह जीती है और बीजेपी बैकडोर से सत्ता तक पहुंचने का प्रयास कर रही है # बहुमत साबित न कर पाने से भारतीय जनता पार्टी की बडी किरकिरी हुई है #यह जीत कांग्रेस के लिए दूरगामी जीत के रूप में आई # कम विधायकों के बावजूद कुमारास्वामी को सीएम बनाकर कांग्रेस कर्नाटक मॉडल को 2019 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष की एकता के रूप में दुहराया सकती है #कर्नाटक नाटक से कांग्रेस की राजनीतिक कुशलता और बीजेपी अपने नुकसान की भरपाई करते हुए दिखी # कांग्रेस की सफलता ने इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले एक बढ़त दे दी है # मध्यप्रदेश, छत्सीगढ़ औ राजस्थान में विधानसभा के चुनाव होने हैं. इन तीनों ही राज्यों में बीजेपी की सरकारें हैं और तीनों ही राज्यों में सीधी लड़ाई बीजेपी-कांग्रेस के बीच है# ऐसे में कर्नाटक में हार कर भी जीतने वाली कांग्रेस भी अब बढ़े हुए मनोबल के साथ बीजेपी पर हमलावर होगी # कांग्रेस ने कर्नाटक में छोटी पार्टी को मुख्यमंत्री का पद देकर दूसरे राज्यों में भी संकेत दे दिया है कि वो आने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को रोकने के लिए छोटे दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने को तैयार है # जेडीएस को समर्थन देने के फैसले के बाद एक बार फिर से कांग्रेस कर्नाटक में मजबूत स्थिति में आ गई है # शपथ ग्रहण समारोह 21 MAY सोमवार को दोपहर 12 बजे से होगा.

कर्नाटक में जेडीएस को सरकार बनाने का मौका देकर कांग्रेस इसकी कीमत वसूलने की कोशिश लोकसभा चुनाव में कर सकती है. फिलहाल कर्नाटक में कुमारास्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में विपक्षी नेताओं का जमावड़ा लगाकर कांग्रेस शक्ति प्रदर्शन की तैयारी में है. शपथ ग्रहण समारोह में मायावती, अखिलेश यादव से लेकर शरद पवार, ममता बनर्जी जैसे नेता दिख सकते हैं. कुमारास्वामी ने बताया कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, आंध्र प्रदेश सीएम चंद्रबाबू नायडू और तेलंगाना सीएम चंद्रशेखर राव ने मुझे बधाई दी है. मायावतीजी ने भी शुभकामनाएं दी हैं. कुमारास्वामी ने कहा कि मैंने सभी क्षेत्रिय नेताओं को शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया है. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी को मैंने व्यक्तिगत तौर पर निमंत्रण दिया है.

ढाई दिनों की येदियुरप्पा सरकार के गिरने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी दिल्ली में कांग्रेस दफ्तर में मीडिया से मुखातिब हुए. राहुल गांधी ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत में ही कर्नाटक के बीजेपी विधायकों पर हमला बोला है. उन्होंने मीडिया से कहा कि क्या आप लोगों ने नोटिस किया कि बीजेपी विधायक सदन में राष्ट्रगान बजने से पहले ही चले गए.कर्नाटक के डेवेलपमेंट से उत्साहित राहुल गांधी ने एक सवाल के जवाब में कहा ‘हम सभी विपक्षी दल मिलकर, कोऑर्डिनेट कर बीजेपी को हराएंगे.’ राहुल गांधी के इस बयान से बहुत कुछ साफ हो जाता है. उनके बयान से कांग्रेस की आगे की रणनीति का पता चलता है, जिसमें वो मोदी विरोधी मुहिम को आगे बढ़ाने की तैयारी में हैं. मोदी विरोधी मुहिम के मूल में हर हाल में 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी को हराना है. इस कवायद में कांग्रेस भी लगी है और टीएमसी, टीआरएस से लेकर आरजेडी, एसपी और बीएसपी जैसी दूसरी पार्टियां भी लगी हैं.

मुझे इस बात पर गर्व है कि बीजेपी को हराने के लिए विपक्ष एक हुआ. और हम अगर यूं ही रहे तो आगे भी ऐसा ही करते रहेंगे : राहुल गांधी

तो क्या कांग्रेस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पद से हटाने के लिए सबकुछ त्याग करने को तैयार हो गई है. क्या कांग्रेस पूरे देश भर में वही फॉर्मूला अपनाने को तैयार है जिस फॉर्मूले के तहत उसने बीजेपी को कर्नाटक में पटखनी दी है. यूपी, बिहार, झारखंड, तमिलनाडु जैसे राज्यों में कांग्रेस बी टीम बनकर लड़ने को राजी है. लेकिन, उसे मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों से ज्यादा उम्मीद है जहां उसकी लड़ाई सीधे बीजेपी से है. कांग्रेस को लगता है कि इन सभी राज्यों से आने वाली उसकी सीटें मिलाकर उसकी अपनी ताकत में ज्यादा इजाफा हो जाएगा, जिससे विपक्षी कुनबे में वो सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर पाएगी.

जेडीएस कांग्रेस और बीजेपी से चुनाव पूर्व तालमेल न कर वोटरों के बीच यह धारणा बनाने में कामयाब रही कि वह इस चुनाव के साथ 2019 के लिए भी तैयारी कर रही है. बीते तीन दिन से कर्नाटक में जारी सियासी दंगल को भी उसने आखिरकार शिकस्‍त दे दी. इससे अगले साल आम चुनाव में उसे मदद मिलेगी. बीजेपी को उम्‍मीद थी कि अगर कर्नाटक में उसकी सरकार बन जाती है तो 2019 में दक्षिण भारत से उसे मदद मिलेगी लेकिन जेडीएस ने ऐन मौके पर उसको छका दिया.

Bengaluru: BJP’s BS Yeddyurappa submits resignation as Chief Minister of Karnataka to Governor Vajubhai Vala. बीएस येदियुरप्पा ने अपना इस्तीफा गवर्नर वजूभाई वाला को सौंपा.
बात पहले कर्नाटक की करें तो, 224 सदस्यीय विधानसभा में 222 सीटों पर वोटिंग हुई थी, जिसमें बीजेपी 104 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी थी. लेकिन, सत्ताधारी कांग्रेस 78 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर खिसक गई. जेडीएस को महज 37 सीटों पर ही जीत मिली, जबकि बीएसपी, केपीजेपी और निर्दलीय एक-एक सीट पर विजयी रहे. लेकिन, चुनाव नतीजे आते ही कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा से संपर्क साधा और उनके बेटे एचडी कुमारास्वामी को मुख्यमंत्री पद ऑफर करते हुए सरकार बनाने का दावा पेश करने की सलाह दे दी. सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी 104 सीटों से आगे बढ़ नहीं पाई. आठ विधायकों को जुटाने में विफल बीजेपी को मात खानी पड़ी. अब जेडीएस-कांग्रेस की सरकार कर्नाटक में बनने जा रही है. यानी छोटी पार्टी को समर्थन देने के लिए कांग्रेस ने त्याग कर दिया या फिर त्याग करना पड़ा. ये त्याग बीजेपी को रोकने के लिए ही है. कांग्रेस कर्नाटक में बीजेपी को रोकने के लिए ही ऐसा नहीं कर रही है. अब तैयारी 2019 की है. कर्नाटक में बीजेपी का रास्ता रोककर कांग्रेस का मनोबल बढ़ा हुआ है. कांग्रेस 2019 के लोकसभा चुनाव के वक्त भी कर्नाटक में जेडीएस के साथ मिलकर गठबंधन कर चुनाव लड़ेगी. कांग्रेस की रणनीति भी यही है जिसमें यूपीए 1 और 2 की तरह एक बार फिर से यूपीए 3 का कुनबा बड़ा किया जाए. कांग्रेस अपने साथ अलग-अलग दलों को जोड़ने के लिए अभी से ही तैयारी कर रही है.

हालांकि कांग्रेस को इसके लिए क्षेत्रीय दलों का पिछलग्गू बनकर ही रहना पड़ेगा. मसलन, बिहार मे कांग्रेस को आरजेडी का पिछलग्गू बनकर रहना पडेगा, जबकि, यूपी में अखिलेश यादव और मायावती के साथ गठबंधन कर कांग्रेस को यहां भी कम सीटों पर समझौता करना पडे़गा. पश्चिम बंगाल में कांग्रेस की हालत खस्ता हो गई है. वहां ममता बनर्जी का मुकाबला बीजेपी से ही है. ऐसे में कांग्रेस वहां भी ममता की बी टीम बनकर काम करने के लिए तैयार हो सकती है. इसी तरह झारखंड में जेएमएम के पीछे-पीछे और तमिलनाडु जैसे राज्य में कांग्रेस डीएमके के पीछे चलने को तैयार दिख रही है. कांग्रेस की कोशिश ममता बनर्जी और चन्द्रशेखर राव जैसे नेताओं को अपने साथ लाने की है जो अलग मोर्चे की तैयारी में दिख रहे हैं. लेकिन, कांग्रेस इन दलों की बी टीम बनकर उनको साधने की तैयारी में है.

ये बीजेपी के लिए तगड़ा झटका है और मैं सोचती हूं कि 2019 के लिए उन्होंने जो तैयारी कर रखी थी वो सब फेल हो गई हैं. अब उन्हें दोबारा सोचना होगा और अपनी रणनीति फिर से बनानी होगी: मायावती

कर्नाटक में बीजेपी सरकार ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया और बीएस येदियुरप्पा ने संख्याबल जुटाने से पहले इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया. कर्नाटक में शनिवार को मुख्‍यमंत्री बीएस येदियुरप्‍पा ने शक्ति परीक्षण से पहले ही इस्‍तीफा दे दिया है. उन्‍होंने अपने भाषण में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन को षडयंत्र बताया. उन्‍होंने दावा किया कि अगले चुनाव में अब वह 150 सीटें जीतकर आएंगे. 55 घंटे की इस सियासी उठा-पटक में कांग्रेस के 5 बड़े नेताओं ने अहम भूमिका निभाई. इन नेताओं ने चुनाव शुरू होने से पहले न सिर्फ कांग्रेस के प्रचार को निर्णायक स्‍तर पर पहुंचाया बल्कि नतीजों के बाद बीजेपी को सत्‍ता से बेदखल करने में भी अहम भूमिका निभाई. विधानसभा चुनावों में बीजेपी सबसे बड़े दल के रूप में उभरी और उसके पास 104 सीटें हैं, जबकि कांग्रेस के पास 78 तथा जेडीएस के पास 38 सीटें हैं. 2 सीटें निर्दलीय को मिली हैं. 224 सदस्यीय विधानसभा में मतदान 222 सीटों पर हुआ था.

बीजेपी की ये सरकार महज 55 घंटे चल सकी. सवाल उठता है कि बीजेपी से आखिर कहां रणनीति के स्तर पर चूक हुई जिसके चलते उसकी सरकार तो नहीं बनी लेकिन फजीहत उसे पूरी झेलनी पड़ी. इस पूरी प्रक्रिया में पार्टी की छवि पर कुछ दाग तो ऐसे लगे हैं जिन्हें लेकर विपक्ष लंबे समय तक उसे घेरता रहेगा. राज्यपाल के पद का दुरुपयोग करती नजर आई फिर विधायकों की खरीद फरोख्त की कोशिश करती नजर आई, फिर सुप्रीम कोर्ट में बीजेपी घिरती नजर आई; गुजरात में अहमद पटेल के राज्यसभा चुनाव के बाद ये दूसरा ऐसा मामला है जब बीजेपी को कांग्रेस ने रणनीति के स्तर पर जबर्दस्त मात दी है.

वही कांग्रेसी के महारथियों के बारे में जाने जिन्‍होने हारी हुई बाजी जीत ली
सोनिया गांधी ने चुनाव परिणाम आने से 1 दिन पहले ही पार्टी के सीनियर नेता गुलाम नबी आजाद और अशोक गहलोत को कर्नाटक भेज दिया था. बीजेपी ने भी प्रकाश जावड़ेकर, धर्मेंद्र प्रधान और केंद्रीय मंत्री अनंत हेगड़े को कर्नाटक भेजा, लेकिन तब तक काफी देर हो गई थी. सोनिया के कहने पर ही मतगणना वाले दिन आजाद ने एच डी देवगौड़ा को फोन किया और उनके बेटे कुमारस्वामी को सीएम पद ऑफर किया. इसके बाद बीजेपी चार दिनों तक जोड़-तोड़ की कोशिश करती रही, लेकिन सरकार नहीं बचा सकी.

गुलाम नबी आजाद : कांग्रेस के सीनियर नेता हैं. कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के नती‍जों के बाद कांग्रेस के पक्ष में समीकरण बदलने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई. येदियुरप्‍पा सरकार के बहुमत हारने के पीछे उनकी रणनीति ही थी. उन्‍होंने ही चुनाव परिणाम आने के बाद ऐलान किया था कांग्रेस जेडीएस का समर्थन करेगी. उन्‍होंने माना था कि जनादेश कांग्रेस के खिलाफ है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जेडीएस से उन्होंने ही बात की थी. इसक बाद ही कांग्रेस-जेडीएस ने मिलकर शाम को गवर्नर से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया गया था.
अशोक गहलोत : कांग्रेस के संगठन महासचिव अशोक गहलोत ने भी येदियुरप्‍पा की सरकार गिराने में अहम भूमिका निभाई. राजस्‍थान के पूर्व सीएम गहलोत हर घटनाक्रम पर नजदीकी से निगाह रखे रहे और आजाद की अगुवाई में डैमेज कंट्रोल में जुटे रहे. उन्‍होंने परिणाम आने के बाद कहा था कि कर्नाटक की लड़ाई विचाराधारा और सिद्धांतों की है. ऐसे में विकल्प उसी के साथ खुले रहते हैं जिसके साथ हमारी विचाराधारा मिलती-जुलती है.
मल्लिकार्जुन खड़गे : मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में से एक हैं. कर्नाटक में पार्टी के दलित चेहरे के साथ-साथ जमीनी नेता के तौर पर उनका नाम है. 2013 के विधानसभा चुनाव खड़गे के नाम को आगे बढ़ाकर लड़ा गया था. यही वजह थी कि बहुमत आने के बाद खड़गे का नाम सीएम के रेस में भी शामिल था. लेकिन उस समय सिद्धारमैया को सीएम बनाना पार्टी की मजबूरी बन गई. खड़गे स्वच्छ छवि वाले नेता माने जाते हैं और 9 बार जीतकर विधायक बन चुके हैं और दूसरी बार सांसद हैं. कर्नाटक की राजनीति में लंबा अनुभव रखने वाले नेता हैं.
सिद्धारमैया : कर्नाटक के पूर्व सीएम रहे सिद्धारमैया कुशल शासक रहे हैं. उनके कार्यकाल में कांग्रेस सरकार कभी अस्थिर नहीं हुई. सिद्धारमैया का ताल्‍लुक जेडीएस से रहा है. उन्‍हें भी जेडीएस नेता एचडी देवगौड़ा ने राजनीति सिखाई. बाद में मतभेद होने पर उन्‍होंने कांग्रेस ज्‍वाइन कर ली थी. उनके कार्यकाल में कर्नाटक में कांग्रेस ने अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा किया.
डीके शिवकुमार : शिवकुमार तत्कालीन मुख्यमंत्री एस बंगरप्पा और एसएम कृष्णा से नजदीकियों के कारण विख्यात रहे हैं. वह कर्नाटक में युवा कांग्रेस के महासचिव भी रह चुके हैं. कर्नाटक में चुनाव नतीजे आने के बाद कांग्रेस और जेडीएस विधायकों को बीजेपी की पहुंच से दूर रखने में पार्टी की मदद की थी. शिवकुमार को कांग्रेस ने राज्य की सतानुर विधानसभा सीट से जनता पार्टी के दिग्गज नेता एचडी देवगौड़ा के खिलाफ उतारा लेकिन वह चुनाव हार गये. बाद में 1989 में उन्होंने यह सीट जीती थी.

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