उत्तराखंड के पर्वतीय जनपदो की हल्दी ; एक चमत्‍कारिक ताकतवर एंटीऑक्‍सीडेंट

 हल्दी एक महत्वपूर्ण औषधि है। इसका उपयोग रसोई घर से लेकर मांगलिक कार्यों तक किया जाता है,  एक स्वस्थ व्यक्ति को दिनभर में 500 से 1000 मिलीग्राम करक्यूमिन की जरूरत होती है। एक चम्मच हल्दी में लगभग 200 मिलीग्राम करक्यूमिन होता है और इसलिए दिनभर में 4 या 5 चम्मच हल्दी ले सकते हैं। इसका सीधा सेवन करने की बजाए हल्दी से बने अन्य प्रोडक्ट्स का सेवन करने से भी करक्यूमिन की कमी को पूरा किया जा सकता है।   

ब्लड शुगर बढ़ने पर हल्दी वाले दूध का सेवन करना लाभकारी है। शुगर लेवल कम होता है।   हल्दी में मौजूद करक्यूमिन कैंसर को बढ़ने से रोकता है। हल्दी पित्ताशय को उत्तेजित करती है, जिससे पाचन सुधरता है और गैस ब्लोटिंग को कम करती है।  हल्दी शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाती है। इसमें मौजूद लाइपोपॉलीसकराइड नाम का पदार्थ यह काम करता है।

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ब्लड को प्यूरिफाई करने वाली क्वॉलिटी के कारण कच्ची हल्दी स्किन में बैक्टीरिया को पनपने से रोकती है जिससे पिंपल्स और ऐक्ने जैसी समस्या नहीं होती। इतना ही नहीं यह ग्लो और फेयरनेस भी बढ़ा देती है। हल्दी के सेवन से रक्त साफ होता है। हल्दी में करक्यूमिन नामक रसायन पाया जाता है जो दवा के रूप में काम करता है और यह शरीर की सूजन कम करने में सहायक होता है.  अगर आप सुबह उठकर गर्म पानी में हल्दी मिलाकर पीते हैं तो यह दिमाग के लिए बहुत अच्‍छा रहता है. हल्दी को नैचुरल लिवर डिटॉक्सीफायर है। इसके इस्तेमाल से रक्त में मौजूद विषैले तत्व बाहर निकलते हैं और ब्लड सर्कुलेशन अच्छा होता है। रक्त का धमनियों में प्रवाह बढ़ जाता है और हार्ट संबंधी परेशानियां नहीं होती।  हल्‍दी एक ताकतवर एंटीऑक्‍सीडेंट है जो कैंसर पैदा करने वाली कोशिकाओं से लड़ती है.  रिसर्च के मुताबिक हल्‍दी रोजाना खाने से पित्‍त ज्‍यादा बनता है. इससे खाना आराम से हजम होता है.  हल्‍दी वाला पानी पीने से खून नहीं जमता और यह खून साफ करने में भी मददगार होती है. इसके सेवन से रक्त में मौजूद विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं। अगर चोट लगने पर तेजी से खून बह रहा है, तो आप उस जगह तुरंत हल्दी डाल दें।  इससे खून बहना रुक जाएगा।   हल्दी डायबिटीज के रोगियों के लिए लाभकारी है।  हल्दी, मंजिष्ठा, गेरू, मुलतानी मिट्टी, गुलाब जल, एलोवेरा एवं कच्चे दूध को मिलाकर लेप तैयार करें। इसे चेहरे पर लगाने से त्वचा में निखार आता है। हल्दी वाला दूध पीने से त्वचा में प्राकृतिक चमक पैदा होती है।  महिलाओं में होने वाले श्वेत प्रदर या ल्युकोरिया जैसे रोगों में हल्दी अत्यंत गुणकारी औषधि है। इसके लिए पांच ग्राम हल्दी और अंजीर के तीन टुकड़े का सेवन करने से लाभ होता है।

उत्तराखंड के विभिन्न जिलों में पंत पीताभ, सुगंधा, रोमा, सुवर्णा व स्थानीय प्रजाति की हल्दी उगाई जाती है। इसके हरे पत्तों व कंदों से तेल भी निकाला जाता है। साबुन व क्रीम बनाने में भी इसका मिश्रण उपयोग में लाया जाता है। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन तत्व के कारण इसकी बाजार में अत्यधिक मांग है। इसके पौधे का वानस्पतिक नाम करक्यूमा लौंगा है। राज्य के पहाड़ी इलाकों में यह 1500 से लेकर 1800 मीटर की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में यह आसानी से उगाया जा सकता है। इसकी खूबी यह है कि छायादार स्थानों में जहां अन्य फसलों का उत्पादन नहीं हो पाता है, वहां इसकी खेती आसानी से की जा सकती है। दैनिक उपयोग में काम आने के साथ ही इसका औषधीय महत्व भी है।  काश्तकारों का रूझान पिछले कई सालों से हल्दी की खेती की ओर बढ़ रहा है। 

रोजाना एक गिलास दूध में सुबह के समय आधा चम्मच हल्दी मिलाकर पिएं। इससे शरीर सुडौल रखने में मदद मिलती है। गुनगुने दूध के साथ हल्दी लेने से शरीर में जमा एक्स्ट्रा फैट धीरे-धीरे कम होने लगता है। यदि आप नजले, जुकाम, खांसी से परेशान हैं, तो गर्म दूध में एक चम्मच हल्दी मिलाकर पिएं, इससे लाभ होगा। रोज सुबह खाली पेट गुनगुने दूध में हल्दी मिलाकर सेवन करें, तो शरीर के दर्द, पेट के रोग आदि से छुटकारा पा सकते हैं। एनीमिया, पीलिया, बवासीर, सांस के रोग और लगातार हिचकी आने की स्थिति में हल्दी और काली मिर्च के धुएं  को सूंघने से लाभ होता है। हल्दी जलनरोधी, एंटीफंगल, एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल खूबियों से भी भरपूर होता है.  

SPECIAL BOX; वहीं दूसरी तरफ अदरक सिर्फ चाय का स्वाद ही नहीं बढ़ाता बल्कि इसके कई औषधीय फायदे भी हैं. ये विटामिन A,C,E और B-कॉम्प्लेक्स का एक अच्छा स्रोत है. साथ ही इसमें मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, आयरन, जिंक, कैल्शियम और बीटा-कैरोटीन पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है. चाय में अदरक का इस्तेमाल करना बहुत फायदेमंद होता है. अदरक वाली चाय के कुछ फायदे: 1. इससे ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है. 2. यह दर्द में राहत दिलाने में कारगार होती है.  3. इससे माहवारी के दौरान होने वाली परेशानी में भी राहत मिलती है. 4. यह रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मददगार है. 5. यह सांस संबंधी बीमारियों में भी असरदार है. अदरक का इस्तेमाल हम सभी अपने-पने घरों में करते हैं. कुछ लोग इसका इस्तेमाल मसाले के तौर पर करते हैं तो कुछ गार्निशिंग के लिए. इसके अरोमा और फ्लेवर से खाने का स्वाद बढ़ जाता है. अदरक के कई औषधीय फायदे भी हैं. ये विटामिन A, C, E और B-complex का एक अच्छा माध्यम है. साथ ही इसमें मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, आयरन, जिंक, कैल्शियम और बीटा-कैरोटीन पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है. साथ ही ये जलनरोधी, एंटीफंगल, एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल खूबियों से भी भरपूर होता है. इसकी वजह से ये एक हेल्थ टिश्यू को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है. वैसे तो अदरक को कई तरह से खाया जा सकता है लेकिन चाय में इसका इस्तेमाल करना काफी फायदेमंद होता है.हालांकि ये बात भी काफी महत्वपूर्ण है कि आप अदरक को चाय के तौर किस तरह से इस्तेमाल करती हैं . अदरक का पूरा फायदा लेने के लिए सबसे सबसे अदरक के एक इंच के टुकड़े को छिलकर काट लें. इन टुकड़ों को गैस पर उबल रहे पानी में डालकर ढक दें. 10 मिनट तक इस पानी को उबलने दें. फिर इसे छन्नी की मदद से छान लें और कुछ बूंद नींबू का रस मिला लें; मीठे के लिए चीनी का इस्तेमाल करने से बेहतर रहेगा कि आप शहद का इस्तेमाल करें.

हल्दी भारतीय खाने का अहम हिस्सा है। चाहे दाल हो या फिर सब्जी इनमें हल्दी का इस्तेमाल जरूर होता है। आमतौर पर खाने में हल्दी पाउडर का ही इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन सर्दियों के सीजन में मार्केट में कच्ची हल्दी भी उपलब्ध हो जाती है। अदरक सी दिखने वाली इस हल्दी में इतने गुण होते हैं कि ठंड में भी यह आपको फिट बनाए रखने में मदद करेगी।  कच्ची में ऐंटी-इन्फ्लेमेटरी और ऐंटीबैक्टीरियल कम्पाउंड होते हैं, जो वातावरण में मौजूद बैक्टीरिया को शरीर से दूर रखने में मदद करते हैं। इस वजह से ठंड के मौसम में आमतौर पर होने वाली जुकाम और खांसी जैसी बीमारियां शरीर को जकड़ नहीं पाती हैं। अगर कोई इससे पहले से पीड़ित है और अगर वह कच्ची हल्दी रोज खाए तो उसे जल्दी ठीक होने में भी मदद मिलती है। रोज कच्ची हल्दी खाने से शरीर में ऐंटीऑक्सिडेंट एंजाइम्स बूस्ट होते हैं, जो शरीर की इम्युनिटी को भी बूस्ट मिलता है। इससे बॉडी को वायरल इंफेक्शन से लड़ने में मदद मिलती है।  कच्ची हल्दी खून की धमनियों में मौजूद एन्डोथीलीअम के फंक्शन को सुधारती है। इससे ब्लड प्रेशर, ब्लड क्लॉटिंग जैसी कई समस्याएं दूर रहती हैं। साथ ही में यह इन्फ्लेमेशन और ऑक्सिडेशन को कम करती है। ये सभी फैक्टर कंट्रोल में रहने पर दिल की बीमारी होने का खतरा भी अपने आप कम हो जाता है। सर्दियों में ऑर्थराइटिस के मरीजों में दर्द व सूजन की समस्या बढ़ जाती है। इस परेशानी को कच्ची हल्दी कम कर सकती है और यह बात कई स्टडीज में भी साबित हो चुकी है।  डिप्रेशन के कारणों में से एक ब्रेन डिराइव्ड न्यूरोट्रॉपिक फैक्टर (BDNF) में कमी है। कच्ची हल्दी इस फैक्टर को कम करने में काफी मदद करती है। यह न्यूरोट्रांसमिटर सेरोटॉनिन और डोपामाइन को बूस्ट करता है जो डिप्रेशन को कम करने में मदद करते हैं। ऐसे लोग जो पहले से डिप्रेशन से जूझ रहे हैं, उन्हें रोज कच्ची हल्दी जरूर खाना चाहिए। सर्दियों में पाचन क्रिया आमतौर पर स्लो हो जाती है जिससे अक्सर लोग पेट खराब होने की शिकायत करते हैं। कच्ची हल्दी इस स्थिति में राहत देती है और खाने के बेहतर तरीके से पचाने में मदद करती है।

’चर्म रोगों में एक चम्मच कच्ची हल्दी और एक चम्मच आंवले के रस को पानी के साथ लेने से लाभ होता है। ’देसी घी से यदि दुर्गंध आ रही हो, तो उसे दूर करने के लिए हल्दी के पत्तों को पीसकर घी के साथ उबाल लें। इसके बाद इसे छान लें। इससे घी की दुर्गंध दूर हो जाएगी। ’खुजली, दाद या त्वचा पर चकत्ते पड़ जाने पर हल्दी को गौ मूत्र के साथ मिलाकर इसका लेप प्रभावित जगह पर लगाएं, इससे जल्द आराम मिलेगा।  मोटापा कम करने के लिए हल्दी, नीबू, पुदीना, तुलसी और अदरक को आपस में मिलाकर चटनी बना लें। इसका नियमित सेवन करें, मोटापे पर काबू पाने में सफलता मिलेगी।  खांसी में हल्दी को भूनकर आधा चम्मच शहद या देसी घी के साथ खाने से भी लाभ होता है। ’जुकाम होने पर हल्दी पाउडर या हल्दी की गांठ को चूल्हे पर गर्म कर इससे निकलने वाले धुएं को सूंघें, लाभ होगा। ’सिरदर्द होने या चक्कर आने पर हल्दी का लेप सिर पर लगाने से लाभ होता होता है। हल्दी का सेवन 3 से 5 ग्राम की मात्रा में ही करना चाहिए। 

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# 100 ग्राम हल्दी में लगभग 6.3 ग्राम प्रोटीन होता है। जबकि ऊर्जा लगभग 349 किलो कैलौरी होती है। परन्तु पोषण की दृष्टि से हल्दी का ज्यादा महत्व नहीं है क्योंकि दिन भर में हल्दी की जो मात्रा हमारे भोजन में प्रयोग की जाती है वह बहुत ही थोड़ी लगभग 2 से 5 ग्राम ही होती है। हल्दी एक महत्वपूर्ण औषधि है। परन्तु अकसर लोग जानकारी के अभाव के कारण इससे पूरा लाभ नहीं उठा पाते। वात, पित्त तथा कफ तीनों प्रकार के विकारों को ठीक करने की शक्ति हल्दी में होती है। गरम दूध में हल्दी डालकर पिलाने से रोगी को खांसी से आराम मिलता है। हल्दी की छोटी सी गांठ को यदि सेंक कर रात को सोते समय मुंह में रखा जाए तो भी जुकाम−खांसी में लाभ मिलता है। दो ग्राम हल्दी के चूर्ण में थोड़ा सा सेंधा नमक मिलाकर, मुंह में डालकर ऊपर से गर्म पानी पीने से खांसी का प्रकोप नष्ट हो जाता है। रात को गर्म दूध में हल्दी डालकर पीने से दबी आवाज खुल जाती है और गला भी हल्का हो जाता है। इसी दूध में एक चम्मच घी मिला देने पर खांसी जुकाम पूरी तरह ठीक हो जाते हैं। बढ़े हुए टांसिल पर हल्दी लगाने से लाभ मिलता है। सिर दर्द में भी हल्दी से आराम मिलता है इसके लिए पिसी हुई हल्दी को पानी में उबाल कर उसकी भाप को सांस द्वारा अंदर खींचना चाहिए। एक कप चाय में चुटकी भर हल्दी मिलाकर पीने से सिरदर्द के साथ−साथ कमर दर्द में भी आराम मिलता है। हल्दी अपने आप में बहुत अच्छी ऐन्टिसेप्टिक भी है। किसी भी घाव पर हल्दी और गरम तेल लगाने से वह जल्दी ठीक हो जाता है। यह तो सभी जानते हैं कि गुम चोट लगने पर पिसी हल्दी को गर्म दूध में मिलाकर सेवन करना चाहिए साथ ही हल्दी को चूने में मिलाकर ताजा चोट पर लगाने से बहता खून बंद हो जाता है। यदि चोट लगने पर खून जम जाए तो हल्दी को पानी में पीसकर गर्म करके चोट पर लगाना चाहिए। हल्दी की पुल्टिस बनाकर सूजे हुए भागों पर लगाने से आराम मिलता है, मोच आने पर हल्दी का लेप पीड़ित अंग को लाभ पहुंचाता है। नमक मिली हल्दी को मंजन की तरह प्रयोग करने से दांतों का पीलापन तो दूर होता ही है मसूढों में भी मजबूती आती है। बराबर मात्रा में काले नमक और हल्दी का सेवन पेट की गैस दूर करता है। हिचकी दूर करने के लिए चुटकी भर हल्दी पानी में मिलाकर लें। बराबर मात्रा में (लगभग पांच−पांच ग्राम) हल्दी और उड़द की दाल का पाडडर जलती चिलम में रखकर कश खींचने से हिचकी बंद हो जाती है। गठिया रोग में हल्दी के लड्डू विशेष लाभ देते हैं इसके लिए आग में भुनी हुई हल्दी की गांठों को घिसकर उसमें गुड़ मिलाकर लड्डू बनाएं। आप चाहें तो इसमें काजू भी मिला सकते हैं। इन लड्डुओं का सेवन प्रतिदिन सुबह नींबू या तुलसी की चाय के साथ करना चाहिए। हल्दी में विष हरने का गुण भी पाया जाता है। किसी विषैले कीड़े के काटने पर तुरन्त हल्दी को घिसकर उसके लेप में नींबू का रस मिलाकर प्रभावित अंग पर लगाया जाना चाहिए। गर्भवती महिलाएं यदि नवें मास में लगभग पांच ग्राम हल्दी पीसकर दूध के साथ सेवन करें तो उन्हें प्रसव कष्ट कम होगा तथा साथ ही बच्चे का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। यकृत के विभिन्न रोगों में हल्दी विशेषकर लाभकारी है। पीलिया होने पर लगभग तीन ग्राम हल्दी को आधा किलो छाछ में मिलाकर सेवन करें। ऐसा करते हुए गर्म पानी से स्नान से परहेज करें तथा भोजन में मिर्च मसाले का प्रयोग न करें। लगभग दो ग्राम हल्दी को गाय के पच्चीस ग्राम घी में मिला कर सुबह−सुबह खाली पेट खाने से फायदा होता है। थोड़े से दही में हल्दी मिलाकर सुबह−शाम खाने से भी सात−आठ दिन में पीलिया ठीक हो जाता है।

आंखों की बीमारियों में भी हल्दी गुणकारी है। इसके लिए हल्दीयुक्त पानी तैयार किया जाना चाहिए इस पानी में दुखती या सूजी हुई आंखें धोने से फायदा होता है। हल्दी युक्त पानी बनाने के लिए हल्दी को पानी में उबाल लें तथा उसे दो−तीन बार साफ कपड़े से छानकर बोतल में डालकर रख लें।

त्वचा के विभिन्न विकारों को दूर करने के लिए हल्दी श्रेष्ठ मानी जाती है। त्वचा पर होने वाले फोड़े−फुन्सी मुख्यतः रक्त की अशुद्धि के कारण होते हैं। रक्त की शुद्धि के लिए हल्दी युक्त जल में शहद मिलाकर उसका सेवन करना चाहिए। इस मिश्रण को बनाकर संग्रहित किया जा सकता है। इसका सेवन भोजन के लगभग आधा घंटा बाद करना चाहिए। नियमित रूप से इसका सेवन विभिन्न त्वचीय विकारों के होने की संभावना कम कर देता है। यदि फोड़े−फुन्सियों के कारण, त्वचा पर गड्ढे पड़ गए हों तो हल्दी का लेप लगाने से जल्द ही नई त्वचा आ जाती है। हल्दी की गांठ का गाढ़ा लेप एग्जिमा से भी राहत दिलाता है।

गर्मियों में घमौरियां सभी को परेशान करती हैं। आधा किलो कच्ची हल्दी की गांठों को उबालकर उसमें लगभग 200 ग्राम शहद मिलाकर कांच के बर्तन में बंद करके रखें। इस मिश्रण का सेवन फायदेमंद होता है। किसी भी फल के रस में दो−तीन चम्मच हल्दी मिलाकर लेने से भी शरीर की उष्णता शांत होती है।

 

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