उत्तराखंड का वो मंदिर जहां खास चुम्बकीय शक्तियां मौजूद हैं

देवभूमि उत्तराखंड का ये स्थान भारत का एकमात्र और दुनिया का तीसरा ऐसा स्थान है, जहां खास चुम्बकीय शक्तियां मौजूद हैं. खुद नासा के वैज्ञानिक भी इस पर शोध कर चुके हैं..ये है देवभूमि उत्तराखंड के अल्मोड़ा से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कसार देवी मंदिर।  Top Focus; www.himalayauk.org (Leading Digital Newsportal) 

कसार देवी अल्मोड़ा जहां मानो हिमालय हमारे सामने खड़ा लुका छुपी का खेल खेल रहा हो. और धार्मिक आस्‍था का वो केन्‍द्र जहां के चमत्कारों से नासा के वैज्ञानिक भी हैरान हैं अल्मोड़ा में कसार पर्वत पर स्थित कसार देवी मंदिर अद्वितीय और चुंबकीय शक्ति का केंद्र माना जाता है। कहा जाता है इस शक्तिपीठ में मां दुर्गा साक्षात प्रकट हुई थीं। दृढ विश्वास है कि माता के इस दरबार में आनेवाले भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है।
सुंदर हिमालयी नजारे के साथ अद्भुत शक्तियों से सराबोर उत्‍तराखण्‍ड के पर्वतीय क्षेत्र का यह स्थान धार्मिक पर्यटन और ध्यान केन्द्र के रूप में विख्‍यात है, कसार देवी उत्तराखण्ड में अल्मोड़ा के निकट एक गाँव है। यह कसार देवी मंदिर के कारण प्रसिद्ध है। मंदिर दूसरी शताब्दी का है। स्वामी विवेकानन्द १८९० में यहाँ आये थे, यहां उनके द्वारा साधना की गयी थी। इसके अलावा अनेकों पश्चिमी साधक यहाँ आये और रहे। यह क्रैंक रिज के लिये भी प्रसिद्ध है जहाँ १९६०-७० के दशक के हिप्पी आन्दोलन में बहुत प्रसिद्ध हुआ था। आज भी देशी-विदेशी पर्वतारोही और पर्यटक यहाँ आते रहते हैं। अल्मोड़ा शहर से तकरीबन दस किलोमीटर दूर माता के इस मंदिर का खास महत्व है. “कसार देवी अल्मोड़ा” जहां श्वेत बर्फधारी हिमालय को देखने विदेशी मेहमानों का ताता लगा रहता है

प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा (नवम्बर-दिसम्बर में) को यहाँ कसार देवी का मेला लगता है। अल्मोड़ा स्थित कसारदेवी मंदिर और दक्षिण अमेरिका के पेरू स्थित माचू-पिच्चू व इंग्लैंड के स्टोन हेंग में अद्भुत समानताएं हैं।

कसाय पर्वत पर मौजूद मां दुर्गा के मंदिर में अनोखी शक्तियां मौजूद हैं. नासा के वैज्ञानिक भी  इस जगह का शोध कर हैरान रह गये  कसार देवी के आस-पास के क्षेत्र वैन एलेन बेल्ट है.यहां विशेष चुम्बकीय शक्तियां मौजूद हैं जो ध्यान और तप के लिये इसे एक उत्तम स्थान बनाती हैं हिमालयायूके न्‍यूज पोर्टल तथा दैनिक समाचार पत्र के मुख्‍य सम्‍पादक चन्‍द्रशेखर जोशी द्वारा कसार देवी मंदिर से फेसबुक लाइव – 31 दिसम्‍बर 2017

मान्‍यता है कि उत्तराखंड में यह एक ऐसा स्थान है, जहां मां दुर्गा साक्षात् प्रकट हुई थीं. देवभूमि का ये स्थान भारत का एकमात्र और दुनिया का तीसरा ऐसा स्थान है, जहां खास चुम्बकीय शक्तियां मौजूद हैं. खुद नासा के वैज्ञानिक भी इस पर शोध कर चुके हैं. कसाय पर्वत पर मौजूद मां दुर्गा के मंदिर में अनोखी शक्तियां मौजूद हैं. यहां आने वाले भक्त आसानी से सैकड़ों सीढ़ियां बिना किसी थकावट के ही चढ़ जाते हैं. मान्यता है कि ढाई हजार साल पहले मां दुर्गा ने दो राक्षसों का वध करने के लिये कात्यायनी रूप में अवतार लिया था. मंदिर के भीतर पहाड़ का वो हिस्सा आज भी सिंह रूप में मौजूद है. तब से इस जगह को विशेष स्थान के रूप में जाना जाता है. ये स्थान जितना प्राचीन और धार्मिक महत्व का है उतना ही वैज्ञानिक लिहाज से भी अहम है. नासा के वैज्ञानिक भी साल 2012 में इस जगह का शोध कर हैरान रह गये क्योंकि दुनिया भर में पेरू के माचू पिच्चू और इंग्लैंड के स्टोन हेंग के बाद कसार देवी ही एकमात्र स्थान है जहां विशेष चुम्बकीय शक्तियां मौजूद हैं. कसार देवी के आस-पास के क्षेत्र वैन एलेन बेल्ट है.यहां विशेष चुम्बकीय शक्तियां मौजूद हैं जो ध्यान और तप के लिये इसे एक उत्तम स्थान बनाती हैं. कसार देवी मंदिर और उसके आस-पास के क्षेत्र के विशेष चुम्बकीय शक्तियों की वजह से ध्यान और तप के लिये विशेष तवज्जो दी जाती है. खास बात ये है कि स्वामी विवेकानंद भी इस जगह पर ध्यान में लीन हो गये थे. कसार देवी मंदिर के आस-पास का पूरा क्षेत्र हिमालयी के वन और अद्भुत नजारे से घिरा हुआ है. बड़ी संख्या में देशी पर्यटकों के अलावा विदेशी पर्यटक भी यहां आते हैं. बिनसर और आस-पास तमाम विदेशी पर्यटक रोजाना भ्रमण करते दिखाई भी पड़ते हैं. कुछ लोग बताते हैं कि बड़ी संख्या में विदेशी साधकों ने अस्थाई ठिकाना भी यहां बना लिया है.
पर्यावरणविद डॉक्टर अजय रावत ने भी लंबे समय तक इस पर शोध किया है। उन्होंने बताया कि कसारदेवी मंदिर के आसपास वाला पूरा क्षेत्र वैन एलेन बेल्ट है, जहां धरती के भीतर विशाल भू-चुंबकीय पिंड है। इस पिंड में विद्युतीय चार्ज कणों की परत होती है जिसे रेडिएशन भी कह सकते हैं।पिछले कई साल से नासा के वैज्ञानिक इस बैल्ट के बनने के कारणों को जानने में जुटे हैं। इस वैज्ञानिक अध्ययन में यह भी पता लगाया जा रहा है कि मानव मस्तिष्क या प्रकृति पर इस चुंबकीय पिंड का क्या असर पड़ता है। अब तक हुए इस अध्ययन में पाया गया है कि अल्मोड़ा स्थित कसारदेवी मंदिर और दक्षिण अमेरिका के पेरू स्थित माचू-पिच्चू व इंग्लैंड के स्टोन हेंग में अद्भुत समानताएं हैं। जाहिर है सुंदर हिमालयी नजारे के साथ अद्भुत शक्तियों से सराबोर इस स्थान को धार्मिक पर्यटन और ध्यान केन्द्र के रूप में और अधिक बेहतर बनाया जा सकता है

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