फारूक अब्दुल्ला का अशांति को बढाने वाला बडा बयान

कश्मीर के एक क्रिकेट क्लब के खिलाड़ी पाकिस्तान का राष्ट्रगान भी गा रहे हैं # हिमालय गौरव उत्‍तराखण्‍ड#

नेशनल कॉन्फ्रेंतस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने भारत-पाकिस्तान के रिश्तों और कश्मीर में पत्थर मारने वाले युवाओं पर बड़ा बयान दिया है, जिससे एक बार फिर राजनीति गरमा गई है. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि कश्मीर में जो बच्चे पत्थर मारते हैं, उनका राज्य के टूरिज्म से कोई लेना-देना नहीं है वह अपने देश के लिए लड़ रहे हैं.
जम्मू-कश्मीर में अलगाववादियों और पाकिस्तान के संरक्षण में भारत विरोधी गतिविधियां थमने का नाम नहीं ले रही हैं. रुक-रुक कर ऐसी घटनाएं सामने आती रहती हैं, जिससे क्षेत्र में अशांति को बल मिलता है.

वही दूसरी ओर चिंताजनक बात यह है कि इनके लपेटे में कश्मीरी युवा आ रहे हैं. अब सोशल मीडिया में एक Video वायरल हो रहा है, जिसमें कश्मीर के एक क्रिकेट क्लब के खिलाड़ी पाकिस्तानी क्रिकेट टीम की जर्सी पहने हुए दिख रहे हैं. इतना ही नहीं वे पाकिस्तान का राष्ट्रगान भी गा रहे हैं. अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो ऐसा हुआ है.

जहां भारत सरकार कश्मीर में विकास पर लगातार ध्यान दे रही है, वहीं अलगाववादी नहीं चाहते कि वहां के युवा मुख्यधारा में आकर रोजगार हासिल करें और वहां के विकास में योगदान दें. कश्मीरी युवाओं ने यह मैच 2 अप्रैल को मध्य कश्मीर स्थित गंदेरबाल डिस्ट्रिक्ट के वायिल ग्राउंड पर खेला. खास बात यह कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चेनानी-नाशरी टनल के उद्घाटन के लिए उस समय कश्मीर के दौरे पर थे और अलगाववादियों ने राज्य में मौजूद प्रधानमंत्री मोदी के विरोध में हड़ताल बुलाई थी. खबरों के अनुसार बाबा दरियाउद्दीन टीम के खिलाड़ियों ने पाकिस्तानी क्रिकेट टीम की जर्सी पहनी हुई थी, जबकि विपक्षी टीम के खिलाड़ी सफेद जर्सी पहने दिखे.

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस इस वीडियो में मैच शुरू होने से पहले कमेंटेटर यह घोषणा करते हुए सुनाई दे रहा है कि मैच में सम्मान स्वरूप पाकिस्तान का राष्ट्रगान बजाया जाएगा. एक और चौंकाने वाली बात यह रही कि यह मैदान पुलिस स्टेशन के पास ही है, लेकिन पुलिस को इसकी भनक नहीं लगी. खबरों के अनुसार जब बाबा दरियाउद्दीन टीम के खिलाड़ियों से इस बारे में पूछा गया, तो उनके मुंह से वही रटी-रटाई कश्मीर के मुद्दे वाली बात निकली. टीम के खिलाडियों का कहना था कि वह अपने कश्मीरी भाई-बहनों को ये बताना चाहते थे कि वे कश्मीर मुद्दे को भूले नहीं हैं.

हालांकि कुछ खिलाड़ी इसका समर्थन नहीं करना चाहते थे, लेकिन अन्य के दबाव में उन्हें ऐसा करना पड़ा. वैसे यह कोई नहीं बात नहीं है और इस साल की शुरुआत में भी कश्मीर के दो उभरते हुए संगीतकारों ने पाकिस्तानी राष्ट्रगान को अपनी आवाज देकर विवादों को जन्म दे दिया था. इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था.

पीएम मोदी ने कहा था- आतंक की बजाए पर्यटन को बढ़ावा दें
क्रिकेट मैच से इतर टनल का उद्घाटन पहुंचे पीएम मोदी ने रविवार को ही कश्मीर में वहां के युवाओं से अपील करते हुए कहा था, ‘मैं कश्मीरी युवकों से कहना चाहता हूं कि आपके सामने दो रास्ते हैं जो आपका भविष्य तय कर सकते हैं. एक रास्ता पर्यटन का है और दूसरा रास्ता आतंकवाद का है. उन्होंने कहा, पिछले 40 वर्षों में बहुत रक्तपात हुआ है. मेरी अपनी घाटी खून से लथपथ रही है, मेरे प्यारे कश्मीरी युवाओं, मेरे हिंदुस्तान के प्यारे युवाओं..इस रक्तपात से किसी का फायदा नहीं हुआ है.’

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा था कि अगर कश्मीर के लोगों ने उसी 40 वर्षों को पर्यटन के विकास के लिए समर्पित किया होता तो आज यहां विश्व स्तर का पर्यटन होता. पीएम मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के मशहूर कथन ‘कश्मीरियत, जम्हूरियत, इंसानियत’ को उद्धृत किया और कहा कि इसका ‘मुख्य मकसद’ राज्य को विकास की नई ऊंचाइयों तक ले जाना है और ‘कोई रुकावट हमें रोक नहीं सकती.

वही दूसरी ओर नेशनल कॉन्फ्रेंहस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने भारत-पाकिस्तान के रिश्तों और कश्मीर में पत्थर मारने वाले युवाओं पर बड़ा बयान दिया है, जिससे एक बार फिर राजनीति गरमा गई है. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि कश्मीर में जो बच्चे पत्थर मारते हैं, उनका राज्य के टूरिज्म से कोई लेना-देना नहीं है वह अपने देश के लिए लड़ रहे हैं.

उन्होंेने भारत-पाकिस्ता न के रिश्तों पर कहा कि कश्मीुर मसले पर अमेरिका मध्यस्थता करे तो कोई परेशानी नहीं. फारुक श्रीनगर सीट से उपचुनाव लड़ रहे हैं. राज्ये के पूर्व मुख्य.मंत्री फारूक अब्दुुल्लास ने कहा कि वे (पत्थ‍रबाज) भूखे रहेंगे, लेकिन देश के लिए पथराव करेंगे और यही हमें समझने की जरूरत है. फारुख ने भारत-पाक के रिश्तों पर कहा कि अगर भारत और पाकिस्तान मिलकर इस मुद्दे को नहीं सुलझा पा रहे हैं, तो अमेरिका को बीच में आकर समझौता करने चाहिए. यह किसी पार्टी में लड़ाई नहीं है बल्कि सांप्रदायिकता के खिलाफ एक जंग है.

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