पाक की नई रणनीति ;कुलभूषण जाधव ‘‘जासूसी’ आरोप

पाक की नई रणनीति – भारत ने एक बार भी  अंतरराष्ट्रीय अदालत के अधिकारक्षेत्र को मानने से इनकार कर दिया था #जाधव को निर्दोष साबित करके हिंदुस्तान लायेंगे -अगर जिवित हुआ  ;देश के जाने-माने वकील उज्जवल निकम 

(www.himalayauk.org) HIMALAYA GAURAV UTTRAKHAND: mail himalayauk@gmail.com

इस्लामाबाद : भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को ‘‘जासूसी’ के आरोप में मौत की सजा सुनाने के अपनी सैन्य अदालत के फैसले को लेकर पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आइसीजे) के समक्ष अपनी स्थिति का ‘‘मजबूती से’ बचाव करने के लिए रणनीति तैयार कर रहा है. आइसीजे ने जाधव की मौत की सजा पर रोक लगा दी है. डॉन अखबार ने पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल अश्तर औसाफ के हवाले से आज कहा, कि हमने अपनी सिफारिशें प्रधानमंत्री कार्यालय और विदेश कार्यालय को भेज दी हैं. सिफारिशों में इस बारे में रणनीति को रेखांकित किया गया है कि हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत में पाकिस्तान किस तरह अपने मामले को रख सकता है. औसाफ ने कहा कि सभी कदमों और विकल्पों को गोपनीय रखना आवश्यक है जिससे कि दूसरे पक्ष को हमारी रणनीति का पता न लग सके. विदेश विभाग और कानूनी विभाग के अधिकारियों के साथ दो दिन से मैराथन बैठकें कर रहे औसाफ द्वारा आईसीजे में पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व किए जाने की उम्मीद है. लेकिन उन्होंने इस मामले में विदेश से किसी की सेवा लिए जाने की संभावना से भी इनकार नहीं किया. उन्होंने माना कि समय कम है क्योंकि सुनवाई 15 मई से शुरू होगी. औसाफ ने कहा कि पाकिस्तान की ओर से मजबूत तरीके से जवाब दिया जाएगा. अंतरराष्ट्रीय कानून के एक विशेषज्ञ ने कहा कि पाकिस्तान 1999 में भारत द्वारा अपने एक विमान को मार गिराए जाने का हवाला देकर आइसीजे के समक्ष अधिकारक्षेत्र का मुद्दा उठा सकता है. विमान को मार गिराने के मामले में भारत ने इस आधार पर अंतरराष्ट्रीय अदालत के अधिकारक्षेत्र को मानने से इनकार कर दिया था कि वह राष्ट्रमंडल देशों के बीच विवाद के मामलों में सुनवाई नहीं कर सकती पिछले साल तीन मार्च को गिरफ्तार किए गये जाधव को ‘‘जासूसी और विध्वंसक गतिविधियों’ के आरोपों में मौत की सजा सुनाई गयी थी. भारत ने जाधव पर लगे आरोपों को नकारा है और कहा है कि उनका ईरान से अपहरण किया गया. नई दिल्ली ने जाधव की दोषसिद्धि को पलटने के लिए प्रक्रिया शुरू करने की उनकी मां की अपील भी पाकिस्तान को सौंपी है.

उज्जवल निकम ने कहा है कि अगर पाकिस्तान में नये सिरे से जाधव का केस की सुनवाई की जाएगी तो वह खुद पाकिस्तान में जाकर कुलभूषण जाधव का केस लड़ेंगे, क्योंकि पाकिस्तान का कोई भी वकील जाधव को कानूनी मदद देने के लिए तैयार नहीं है. इसलिए एडवोकेट उज्जवल निकम पाकिस्तान में जाकर पाकिस्तान की अदालत में जाधव की तरफ से वकालत करने को तैयार हैं. निकम को विश्वास है कि वो जाधव को निर्दोष साबित करके हिंदुस्तान वापस लायेंगे क्योंकि उन्हें पता है कि पाकिस्तान के पास जाधव के खिलाफ कोई भी सबूत नहीं है, लेकिन हिंदुस्तान को अंतराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करने के लिए पाकिस्तान ने यह चाल चली है.
देश के जाने-माने वकील उज्जवल निकम ने कहा है कि कुलभूषण जाधव निर्दोष हैं और उन पर नये सिरे से मुकदमा चलाया जाना चाहिए़. जाधव की रिहाई के लिए वह पाकिस्तान जाकर केस लड़ने को तैयार हैं. उज्जवल निकम ने यह भी आशंका जाहिर की है कि कुलभूषण जाधव के साथ क्रूरता बरती गयी होगी और हो सकता है कि वह जीवित ही न हो, शायद यही वजह है कि पाकिस्तान उन्हें किसी से मिलवाने की हालत में नहीं है और बहाने बना रहा है. निकम ने कहा कि जाधव इसलिए निर्दोष है क्योंकि ईरान सरकार ने भी कहा कि कुलभूषण जाधव ईरान में अपने व्यवसाय के संबंध में काम कर रहे थे. पाकिस्तान के खिलाफ हिंदुस्तान ने इस मामले में सख्त कदम उठाया है इससे बचने के लिए पाकिस्तान इस तरह की गलत बयानबाजी पर उतर आया है कि जाधव भारतीय जासूस है. गौरतलब है कि नौसेना के पूर्व अधिकारी और भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव पाकिस्तान की कैद में हैं और उन्हें फांसी की सजा सुनायी गयी है.

विशेष सरकारी वकील उज्जवल निकम ने बताया कि पाकिस्तान एक बनाना रिपब्लिक है और अस्थिर सरकार वाला देश है. उन्होंने कहा कि उन्हें पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सरताज अजीज के उस बयान पर ताज्जुब हुआ जिसमें उन्होंने कहा कि फांसी की सजा सुनाये गये कुलभूषण जाधव को किसी से भी मिलने नहीं दे सकते. उज्जवल निकम ने कहा, इससे यह साबित होता है कि पाकिस्तान ने जाधव का इकबालिया बयान दबाव में लिया है. ऐसे में कहीं पाकिस्तान की पोल न खुल जाये, वह उन्हें किसी से मिलने नहीं देना चाहता. गौरतलब है कि भारत एक साल में अब तक 14 बार कुलभूषण से मुलाकात करने की कोशिश कर चुका है, लेकिन पाकिस्तान ने इसकी अनुमति नहीं दी.

उज्जवल निकम का कहना है कि जाधव केस को दोबारा, नये सिरे से पाकिस्तान की न्यायपालिका में लड़ा जाये, ताकि इस कानूनी कार्रवाई को इंडियन कॉन्सुलेट और संयुक्त राष्ट्र संघटन का प्रतिनिधि नजर रख सके, जिससे दुनिया को विश्वास हो कि पाकिस्तान ने जाधव को खुद को बेगुनाह साबित करने का पूरा मौका दिया.

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