जेल से बिहार की राजनीति को घुमाते लालू यादव

 बिहार की राजनीति को  लालू जेल की काल कोठरी से कैसे घुमाते हैं. जिस तरीके से सक्रिय हैं –  बिहार की राजनीति में बहुत कुछ पक रहा है- Execlusive ; www.himalayauk.org (Leading Digital Newsortal) 

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव को सीबीआई की विशेष अदालत ने चारा घोटाले के चाईबासा कोषागार से 35 करोड़, 62 लाख रुपये का गबन करने के मामले में पांच साल सजा सुनाई है. इसके साथ ही लालू यादव पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. लालू यादव के अलावा बिहार के ही पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र को भी कोर्ट ने पांच साल की सजा सुनाई है. अब इस पर बयानबाजी भी तेज हो गई है. बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और लालू के बेटे तेजस्वी यादव ने कहा कि लालू यादव को फंसाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट और जरूरत पड़ने पर सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. तेजस्वी ने लालू को लोगों का हीरो बताया. बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि ये तो होना ही था. इसमें साजिश जैसा कुछ नहीं है. कोर्ट ने फैसला दिया है. कोर्ट ने सुबूत देखे हैं, तभी तो सजा हुई है. कोर्ट के फैसले से सरकार का, पार्टी का कोई संबंध नहीं है बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि हमारा इससे कोई लेना-देना नहीं है. ये न्यायिक फैसला है, हम इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देंगे. हम न्याय और विकास के रास्ते पर चलते रहेंगे और बिहार की सेवा करते रहेंगे.

वही लालू अब जेल में जरूर है परन्‍तु उनके राजनीतिक समीकरण बनाने में उनको अब भरपूर समय मिल रहा है, जहां से वह रणनीतिक समीकरण बनाने में लग गये हैं,  लालू यादव आने वाले दिनों में मांझी को राज्यसभा भेज सकते हैं. लोकसभा के सीट बंटवारे में एनडीए की तुलना में ज्यादा सीट दे सकते हैं. बदले में लालू यादव को एमवाईएम यानी मुस्लिम, यादव और मांझी समीकरण मिल सकता है. पहले रांची जाकर वृषण पटेल का लालू यादव से मिलना फिर तेजस्वी यादव का बयान इन अटकलों को बल देता है.

 

सुशील मोदी ने कहा कि ‘चारा घोटाले के बाद भी लालू प्रसाद यादव सुधरने वाले नहीं हैं’. तेजस्‍वी द्वारा लालू को भाजपा और आरएसएस द्वारा फंसाए जाने का आरोप लगाए जाने पर डिप्‍टी सीएम सुशील मोदी ने कहा कि, ‘सीबीआई कोर्ट के जज किसी पार्टी के नहीं हैं’. उन्‍होंने आगे कहा‍ कि ‘बेनामी संपत्ति के लिए लालू ने सत्‍ता का दुरुपयोग किया’. यह आश्चर्य की बात नहीं है, इसकी उम्मीद थी. आरजेडी की तरफ से आया बयान दुर्भाग्यपूर्ण हैं. क्या उनका यह कहना है कि जज भाजपा और नीतीश जी के साथ षड्यंत्रण कर रहे हैं? 

 

वहीं 22 तारीख को पप्पू यादव और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा साथ दिखे. कुशवाहा एनडीए की सहयोगी आरएलएसपी के अध्यक्ष हैं. कुशवाहा भी एनडीए में खुश नहीं माने जा रहे हैं. इसकी पुष्टि पप्पू यादव के इस बयान से हो जाती है जिसमें कुशवाहा के साथ मंच साझा करने के अगले ही दिन उन्होंने नीतीश कुमार पर हमला बोला.
पप्पू यादव फिलहाल न तो एनडीए में हैं और ना ही लालू यादव के साथ हैं. लेकिन नंदन गांव की घटना को लेकर जिस तरीके से सक्रिय हैं और जेल में जाकर गिरफ्तार लोगों से मिले हैं उससे ये सवाल जरूर उठ रहा है कि बिहार की राजनीति में बहुत कुछ पक रहा है. कौन किसके साथ कब तक है कहा नहीं जा सकता. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि कैसे जेल की काल कोठरी से लालू बिहार की राजनीति को घुमाते हैं.

जिस दिन नंदन गांव में नीतीश कुमार के काफिले पर हमला हुआ था उसी दिन से ये लगने लगा था कि बिहार की राजनीति बदल रही है. अब हो भी ऐसा ही रहा है. आज लालू के बेटे तेजस्वी यादव ने राज्यपाल से मिलकर नीतीश सरकार पर सवाल उठाए हैं. पिता के जेल जाने के बाद तेजस्वी यादव बिहार की राजनीति में ज्यादा सक्रिय हैं. खबर ये है कि जिस महादलित समुदाय को नीतीश कुमार का वोट बैंक माना जाता था उसपर अब लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव की नजर है. बिहार में दलितों की आबादी करीब 16 फीसदी है. इनमें से चार फीसदी पासवान जाति के वोटर पर रामविलास पासवान की पकड़ है. बाकी दलित जातियों पर नीतीश कुमार का प्रभाव माना जाता है. लेकिन नंदन गांव में 12 जनवरी को दलितों ने नीतीश कुमार के काफिले पर पत्थऱ बरसाए और इस घटना ने राजनीति को नया मोड़ दे दिया. इसी विवाद के बीच 19 जनवरी को रांची कोर्ट में जीतन राम मांझी की पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वृषण पटेल ने लालू यादव से मुलाकात की. वृषण का बयान बताता है कि नीतीश सरकार के कामकाज से उनकी पार्टी खुश नहीं है. मांझी के ‘दूत’ वृषण पटेल की लालू यादव से हुई मुलाकात के बाद ये चर्चा होने लगी कि क्या बिहार में एनडीए बिखरने वाला है. इस चर्चा को बल मिला है लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव के बयान से, जिन्होंने कहा है कि जिस प्रकार का माहौल देश में है उसे देखते हुए बिहार के एनडीए में भी बिखराव की संभावना है. क्योंकि सहयोगी दलों में नाराजगी है.

इस बयान के साथ ही लालू यादव की पार्टी के बड़े नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने तो मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को साथ आने का ऑफर तक दे दिया है. अब सवाल ये है कि मांझी अगर एनडीए छोड़कर लालू यादव के साथ जाते हैं तो उन्हें क्या हासिल होगा? इस सवाल के जवाब से पहले ये जानना जरूरी है कि कि जीतन राम मांझी एनडीए में खुश क्यों नहीं हैं?
जीतन राम मांझी को लगता था कि उन्हें गवर्नर बनाया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ. वे चाहते थे कि नीतीश सरकार में उनका बेटा मंत्री बने लेकिन यह भी नहीं हुआ. इसके अलावा नीतीश कुमार के एनडीए में आने के बाद मांझी का कद कम हुआ है. क्योंकि मांझी पहले नीतीश के साथ थे और उन्हीं से बगावत करके नई पार्टी बनाई और एनडीए का हिस्सा बने. लेकिन नीतीश के एनडीए में लौटने के बाद इनके और इनकी पार्टी के सामने अस्तित्व का संकट आ गया है. ऐसे में लग रहा होगा कि शायद लालू यादव के साथ जाने में भविष्य़ उज्जवल है.

चारा घोटाला के चाईबासा मामले में बहस दस जनवरी को पूरी हो गई थी और मामले में अदालत ने फैसला सुरक्षित कर लिया था. 950 करोड़ रुपये के चारा घोटाले से जुड़े चाईबासा कोषागार से 33 करोड़, 67 लाख रुपये फर्जी ढंग से निकालने के मामले में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश स्वर्ण शंकर प्रसाद की अदालत ने यह फैसला सुनाया है.  इससे पहले छह जनवरी को रांची में ही सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत ने लालू यादव को देवघर कोषागार से जुड़े चारा घोटाले के एक मामले में साढ़े तीन वर्ष के सश्रम कारावास एवं पांच लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी.
 नौ सौ पचास करोड़ रुपये के चारा घोटाले से जुड़े देवघर कोषागार से 89 लाख, 27 हजार रुपये की अवैध निकासी के मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को जहां साढ़े तीन वर्ष की कैद एवं दस लाख जुर्माने की सजा सुनाई गई थी. वहीं उनके दो पूर्व सहयोगी लोक लेखा समिति के तत्कालीन अध्यक्ष जगदीश शर्मा को सात वर्ष की कैद एवं बीस लाख रुपये जुर्माना एवं बिहार के पूर्व मंत्री आर के राणा को साढ़े तीन वर्ष की कैद एवं दस लाख रूपये जुर्माने की सजा विशेष सीबीआई अदालत ने सुनाई थी. 

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