चौथे चरण का मतदान आते-आते जाति पर चुनाव

PM की जाति पर विपक्षी हमले का जेटली ने दिया जवाब, मोदी ने कभी जातिगत राजनीति नहीं की

नई दिल्लीकेंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए रविवार को दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कभी जातिगत राजनीति नहीं की और वह राष्ट्रवाद से प्रेरित हैं. मोदी के ‘अति पिछड़ी जाति’ के होने पर ट्विटर पर छिड़ी जुबानी जंग में कूदते हुए जेटली ने दावा किया, “प्रधानमंत्री की जाति कैसे प्रासंगिक हो सकती है? उन्होंने सिर्फ विकास की राजनीति की है. वह राष्ट्रवाद से प्रेरित हैं.”

2019 का चुनाव अब चौथे राउंड में पहुंच चुका है, सोमवार को 71 सीटों पर वोटिंग होनी हैं. बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए ये अहम राउंड है, क्योंकि इन 71 सीटों में बीजेपी ने पिछली बार 56 सीट पर जीत हांसिल करी थी, लेकिन बीजेपी से भी ज़्यादा ये राउंड कांग्रेस के लिए करो या मरो का है क्योंकि पिछली बार इन सीटों में सिर्फ 2 सीटों पर कांग्रेस जीती थी. इस राउंड के साथ ही मध्य प्रदेश और राजस्थान की भी इस चुनाव में एंट्री हो रही है, जहां अभी चार महीने पहले ही बनी कांग्रेस की सरकारों का पहला चुनावी टेस्ट होगा. 2019 के इस चौथे चुनावी टेस्ट के बीच अब चुनाव प्रधानमंत्री की जाति पर भी चला गया है, बात असली पिछड़ा और नकली पिछड़ा की होने लगी है. आज ख़बरदार में हम विश्लेषण करेंगे कि आखिर चुनाव जाति के मुद्दे पर क्यों चला गया है? पिछड़ा वाली राजनीति में चुनावी गणित का क्या चक्कर है? क्योंकि कल और आज में पीएम नरेंद्र मोदी की जाति को लेकर बहुत राजनीति हुई है. प्रधानमंत्री ने कल उत्तर प्रदेश के कन्नौज की रैली में अपनी जाति की जो बात की उस पर उनके राजनैतिक विरोधियों की तीखी प्रतिक्रियाएं आईं हैं. 

जेटली ने कहा कि जो जाति के नाम पर गरीबों को धोखा दे रहे हैं, वे कामयाब नहीं होंगे. जेटली  ने आरोप लगाया, “उन्होंने जातिगत राजनीति करके अकूत संपत्ति अर्जित की है। प्रधानमंत्री की संपत्ति बसपा और राजद के प्रथम परिवारों की तुलना में 0.01 प्रतिशत भी नहीं है.”


केंद्रीय मंत्री ने यह बात कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री पी चिदंबरम और राजद नेता तेजस्वी यादव के ट्वीट के जवाब में कही. चिदंबरम और तेजस्वी ने ट्वीट कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कन्नौज रैली में दिये गए बयान पर सवाल उठाए थे.

प्रधानमंत्री ने शनिवार को एक चुनावी रैली में कहा था, “मायावतीजी, मैं अति पिछड़ा हूं. मैं आपसे हाथ जोड़कर विनती करता हूं कि जातिगत राजनीति में मेरा नाम न घसीटें. 130 करोड़ लोग मेरा परिवार हैं. विरोधियों के गाली देने से पहले तक देश मेरी जाति नहीं जानता था. मैं मायावती जी, अखिलेश जी, कांग्रेस के लोगों और ‘महामिलावटियों’ का शुक्रगुजार हूं कि वे मेरी जाति पर चर्चा कर रहे हैं. मेरा मानना है कि पिछड़ी जाति में जन्म लेना देश की सेवा करने का एक मौका है.”

प्रि‍यंका गांधी ने कसा था तंज
रविवार को बह‍िराइच में एक रैली के बाद मीड‍िया से बातचीत करते हुए कांग्रेस महास‍च‍िव मैं अब तक पीएम मोदी की जाति नहीं जानती है.

वर्तमान लोकसभा चुनावों में भोपाल लोकसभा सीट मध्य प्रदेश की ही नहीं, देश की सबसे चर्चित लोकसभा सीट बन जाने के बीच प्रदेश में पहले चरण का मतदान 29 अप्रैल को होने जा रहा है. यह लोकसभा चुनावों का चौथा चरण होगा, लेकिन मध्य प्रदेश में पहला चरण है.

इस दिन प्रदेश की कुल 29 लोकसभा सीटों में से राज्य की छह सीटों पर मतदान होने हैं. जिसमें महाकौशल क्षेत्र की चारों सीटें- जबलपुर, मंडला, बालाघाट और छिंदवाड़ा शामिल हैं. वहीं विंध्य क्षेत्र की सीधी और शहडोल हैं.

भोपाल में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी दिग्विजय सिंह और भाजपा से मालेगांव बम धमाके के आरोप में 9 साल जेल काटकर आईं प्रज्ञा सिंह ठाकुर के बीच मुक़ाबला इतना हाई प्रोफाइल हो गया है कि राज्य की अन्य सीटों पर चुनावी चर्चा मुख्य पटल से गायब सी हो गई है. जबकि पहले चरण के मतदान में प्रदेश की राजनीति के लिहाज़ से महत्वपूर्ण छिंदवाड़ा, जबलपुर, सीधी की सीटें शामिल हैं.

इन सीटों पर मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ, कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा, प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के बेटे अजय सिंह और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह जैसे बड़े नामों का राजनीतिक भविष्य दांव पर है. कमलनाथ के लिए बेटे को जिताना उनकी साख़ का भी प्रश्न है.

इन छह में से पांच सीटों पर वर्तमान में भाजपा का क़ब्ज़ा है. केवल छिंदवाड़ा सीट कांग्रेस के पास है.

प्रदेश के विधानसभा चुनावों में सत्ता से विदाई के बाद भाजपा पर दबाव है इसलिए तीन सीटों पर नए चेहरों पर दांव लगाया है और दो सांसदों के टिकट काटे हैं.

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