LokSabha; लोकसभा चुनाव दूसरा चरण ;बीजेपी के लिए मुश्किल भरा

 18 अप्रैल यानी कल 17वीं लोकसभा चुनने के लिए दूसरे चरण में 95 सीटों पर मतदान होना है. दूसरा चरण केंद्र में सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के लिए सबसे मुश्किल है, क्योंकि 95 में से 55 सीट ऐसी हैं, जिन पर पार्टी कभी चुनाव नहीं जीत पाई है. बीजेपी के लिए तमिलनाडु की 39 सीटें भी इस चरण में मुसिबत का सबब हैं. तमिलनाडु की 39 में 35 सीटों पर बीजेपी कभी चुनाव नहीं जीत पाई है.
सात चरणों में हो रहे इस चुनाव का एक चरण पूरा हो चुका है तो वहीं दूसरे चरण के लिए कल वोटिंग होगी. दूसरे चरण में 95 सीटों पर उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होगा. सत्ताधारी बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी के सामने सबसे बड़ी चुनौती 2014 के प्रदर्शन को दोहराने की है. इस सबके बीच बड़ा सवाल है कि आखिर पीएम मोदी के लिए दूसरे चरण का चुनाव क्या मायने रखता है. बता दें दूसरे चरण में बीजेपी के सामने यूपी में जहां आठों सीटों पर जीत दोहराने की चुनौती है तो वहीं पार्टी दक्षिण की सीटों पर बढ़त बनाने की कोशिश करेगी.

 लोकसभा चुनाव  2019 सात चरणों में हो रहे इस चुनाव का एक चरण पूरा हो चुका है तो वहीं दूसरे चरण के लिए कल वोटिंग होगी. दूसरे चरण में 95 सीटों पर उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होगा. बीजेपी के सामने जहां 2014 के प्रदर्शन को दोहराने की चुनौती है वहीं कांग्रेस के लिए अपना खोया जनाधार वापस पाना भी किसी चुनौती से कम नहीं है. उत्तर भारत से लेकर दक्षिण तक कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार रैलियां कर रहे है, राहुल गांधी अपनी रैलियों में सीधे प्रधानमंत्री मोदी को निशाने पर ले रहे हैं. राहुल गांधी की इस चुनावी मेहनत के बीच सवाल उठता है कि आखिर यह चुनाव राहुल गांधी के लिए क्या मायने रखता है?

दूसरे  चरण में राहुल गांधी के लिए सबसे बड़ी चुनौती सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में खाता खोलने की है. दूसरे चरण की जिन आठ सीटों पर चुनाव हो रहा है 2014 ये सभी सीटें बीजेपी के खाते में गईं थीं. राहुल गांधी उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया को उतार कर अपना ‘आखिरी दांव’ भी चल दिया है. इस चरण में फतेहपुर सीकरी से खुद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और अभिनेता राजबब्बर मैदान में हैं. इसके साथ ही मथुरा में कांग्रेस ने बीजेपी की प्रत्याशी हेमा मालिनी को रोकने के लिए महेश पाठक को उतारा है.

हालांकि दूसरे चरण में कर्नाटक और छत्तीसगढ़ की चार सीटें बीजेपी का गढ़ मानी जाती हैं. कर्नाटक की दक्षिण कन्नड़ सीट पर बीजेपी की उम्मीदवार 1991 के बाद से जीत दर्ज करते रहे हैं. कर्नाटक की बैंगलोर साउथ सीट भी बीजेपी ने 1991 से बाद से कभी नहीं हारी.
1991 के बाद से बीजेपी छत्तीसगढ़ की राजनांदगांव सीट पर हमेशा चुनाव जीतती रही है. इसके अलावा राज्य की कांकेर सीट पर भी बीजेपी के उम्मीदवार को 1998 के बाद से कभी हार का साना नहीं करना पड़ा.
बीजेपी को 2014 में इन 95 में से 27 सीटों पर जीत मिली थी. लेकिन पार्टी के लिए परेशानी की बात है कि 27 में से 11 सीटें 70 फीसदी से अधिक मतदान वाली थीं.

दूसरे चरण में उत्तर प्रदेश की आठ सीटों पर वोटिंग होगी, इन आठ सीटों के करीब एक करोड़ चालीस लाख वोटर नेताओं की किस्मत का फैसला करेंगे. 2014 में ये आठों सीट बीजेपी की झोली में आई थीं, इसलिए इन आठों सीटों पर बीजेपी के लिए 2014 का प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है. इस बार उत्तर प्रदेश का सियासी माहौल 2019 से एकदम उलट है. 2019 में जहां सभी पार्टियां एक दूसरे से लड़ रही थीं तो इस बार एसपी, बीएसपी और आरएलडी का गठबंधन बीजेपी के सामने मजबूत दीवार बनकर खड़ा है. इसके साथ ही कांग्रेस भी अपना खोया जनाधार पाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है.

दूसरा चरण बीजेपी के लिए उत्तर प्रदेश में एक चुनौती बनकर आ रहा है, दरअसल चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के चुनाव प्रचार पर 72 घंटे की रोक लगा रखी है. सीएम आदित्यनाथ ने एक रैली में अली और बजरंग बली को लेकर बयान दिया था. योगी आदित्यनाथ भले ही प्रचार नहीं कर रहे हैं लेकिन उन्होंने आयोग के आदेश की काट जरूर ढूंढ ली है. आदित्यनाथ यूपी के अलग अलग हनुमान मंदिरों में जा रहे हैं.

दूसरे चरण में बीजेपी के चार मंत्रियों और कई दिगग्जों की किस्मत भी दांव पर लगी है. मथुरा में जहां ड्रीमगर्ल हेमा मालिनी, जम्मू कश्मीर में केंद्रीय मंत्री जीतेंद्र सिंह, बेंगलुरू नॉर्थ से सदानंद गौड़ा, महाराष्ट्र के बीड से प्रीतम मुंडे, ओडिशा के सुंदरगढ़ से जुअल ओराम, तमिलनाडु के धर्मापुरी से अंबुमणि रामदौस, उत्तर प्रदेश के अलमोड़ा से कंवर सिंह तंवर और आगरा से एसपी सिंह बघेल अपना भाग्य आजमा रहे हैं.

बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी के लिए दक्षिण की लड़ाई आसान नहीं रहने वाली है. आपको जानकर हैरानी होगी कि दूसरे चरण में जिन 95 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं उनमें से 53 सीटों पर बीजेपी कभी जीत दर्ज नहीं कर पाई है. बीजेपी का सबसे खराब प्रदर्शन दक्षिण में तमिलनाडु में रहा है, यहां की जिन 38 सीटों पर चुनाव हो रही है इनमें से 34 पर बीजेपी कभी नहीं जीती. इसलिए तमिलनाडु में बीजेपी और दिवंगत सीएम जयललिता की पार्टी एआईएडीएमके की दोस्ती का भी इम्तिहान है. वहीं कांग्रेस की बात करें तो वह स्टालिन की पार्टी डीएमके के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही है. दक्षिण के दो दिग्गजों जयललिता और एम करुणानिधि के निधन के बाद ये पहला लोकसभा चुनाव है.

दक्षिण की लड़ाई कांग्रेस के लिए थोड़ी राहत जरूर लेकर आती है लेकिन इस बार की बीजेपी दक्षिण में भी कांग्रेस को टक्कर देने का मन बना चुकी है. तमिलनाडु में बीजेपी ने एआईएडीएमके के साथ गठबंधन किया है, 2014 के चुनाव की बात करें तो तमिलनाडु में सबसे ज्यादा 36 सीटें एआईएडीएमके ने ही जीती थीं. एआईएडीएमके के एनडीए में शामिल होने के बाद राहुल गांधी की राह तमिलनाडु में थोड़ी कठिन जरूर नजर आ रही है.

कांग्रेस इस बार डीएमके के साथ मैदान में उतर रही है, कांग्रेस के लिए राहत की बात ये है कि 2014 में बीजेपी का प्रदर्शन तमिलनाडु में बेहद खराब रहा था. यहां की जिन 38 सीटों पर चुनाव हो रहा है इनमें से 34 पर बीजेपी कभी नहीं जीती. कर्नाटक में कांग्रेस के लिए हमेशा फायदे का सौदा रहा है लेकिन पिछले कुछ चुनाव में बीजेपी ने यहां बेहतर प्रदर्शन किया है. इसके साथ ही कांग्रेस और जेडीएस के बीच चल रहा मनमुटाव भी राहुल गांधी के लिए चुनौती बनकर उभर रहा है. गठबंधन में होने के बाद भी दोनों पार्टी के कार्यकर्ता एक दूसरे का साथ नहीं दे रहे. वहीं इस बार ओडिशा से भी बीजेपी उम्मीद लगाए हैं, इसलिए यहां भी राहुल गांधी के लिए चुनौती कम नहीं है.

महाराष्ट्र कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व सीएम अशोक चव्हाण और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे की भी किस्मत दांव पर लगी हुई है. अशोक चव्हाण जहां नांदेण से मैदान में हैं तो सुशील कुमार शिंदे को पार्टी ने सोलापुर से उतारा है. इसके अलावा असम के सिल्चर से सुष्मिता देव, बिहार के कटिहार से तारिक अनवर, बेंगलुरू दक्षिण से बीके हरिप्रसाद, तमिलनाडु के शिवगंगा से पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम, और मथुरा से राज बब्बर मैदान में हैं.

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