देवशनी एकादशी 12 जुलाई ; चंद्र ग्रहण 16 जुलाई; राशियों पर ग्रहण का असर

मंगलवार, 16 जुलाई की रात चंद्र ग्रहण होगा। ये ग्रहण भारत में दिखाई देगा। इस बार आषाढ़ मास की पूर्णिमा यानी गुरु पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण # मंगलवार, 16 जुलाई 2019 की रात करीब 1.30 बजे से ग्रहण शुरू हो जाएगा। इसका मोक्ष 17 जुलाई की सुबह करीब 4.30 बजे होगा। पूरे तीन घंटे ग्रहण रहेगा। 149 साल पहले ऐसे दुर्लभ योग बने थे।  # 16 जुलाई को गुरु पूर्णिमा होने से इस दिन विशेष पूजा-पाठ करने की परंपरा है। इस दिन अपने गुरु की पूजा की जाती है। इस दिन पूजन दोपहर 1.30 बजे से पहले ही करना होगा। उसके बाद सूतक काल शुरु हो जाने से पूजा-पाठ नहीं हो सकेगी। ग्रहणकाल में प्रकृति में कई तरह की अशुद्ध और हानिकारक किरणों का प्रभाव रहता है। इसलिए कई ऐसे कार्य हैं जिन्हें ग्रहण काल के दौरान नहीं किया जाता है। ग्रहों का यह योग और इस पर लगने वाला चंद्र ग्रहण तनाव बढ़ा सकता है।  ग्रहणकाल में अन्न, जल ग्रहण नहीं करना चाहिए।  चंद्र ग्रहण का सभी राशियों पर अलग – अलग प्रभाव पड़ेगा। ग्रहणकाल के दौरान गुरु प्रदत्त मंत्र का जाप करते रहना चाहिए।  

देवशनी एकादशी 12 जुलाई 2019 के दिन मनाई जाएगी. देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु की विशेष पूजा अर्चना करने का विशेष महत्व होता है. देवशयनी एकादशी को हरिशयनी एकादशी और ‘पद्मनाभा’ भी कहते हैं.मान्यता के अनुसार इसी रात्रि से भगवान का शयन काल आरंभ हो जाता है जिसे चातुर्मास या चौमासा का प्रारंभ भी कहते है.

इस बार साल का दूसरा चंद्र ग्रहण 16 जुलाई को लगने वाला है. ये चंद्र ग्रहण कई मायनों में खास है. इस बार यह चंद्र ग्रहण भारत में भी दिखाई देने वाला है. इसके अलावा यह ग्रहण आषाढ़ मास की पूर्णिमा यानी गुरु पूर्णिमा के दिन पड़ रहा है. ज्योतिषों की मानें तो ऐसा संयोग 149 साल बाद बन रहा है. चंद्र ग्रहण 16 जुलाई की मध्यरात्रि में खंडग्रास रात 1 बज कर 32 मिनट से शुरू होकर सुबह 4 बज कर 31 मिनट तक रहेगा. बात अगर सूतक काल की करें तो यह 9 घंटे तक रहेगा. जो कि 16 जुलाई की शाम 4 बज कर 31 मिनट से शुरू होगा.  12 जुलाई, 1870 को 149 साल पहले गुरु पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण हुआ था. उस समय भी शनि, केतु और चंद्र के साथ धनु राशि में स्थित था.  सूर्य, राहु के साथ मिथुन राशि में स्थित था. चंद्र ग्रहण पूरे भारत के साथ ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, एशिया, यूरोप और दक्षिण अमेरिका में दिखाई देगा.

शनि और केतु ग्रहण के समय चंद्र के साथ धनु राशि में रहेंगे। इससे ग्रहण का प्रभाव और अधिक बढ़ जाएगा। सूर्य के साथ राहु और शुक्र रहेंगे। सूर्य और चंद्र चार विपरीत ग्रह शुक्र, शनि, राहु और केतु के घेरे में रहेंगे। मंगल नीच का रहेगा। इन ग्रह योगों की वजह से तनाव बढ़ सकता है। भूकंपन का खतरा रहेगा। बाढ़, तूफान और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से नुकसान होने के योग 

चंद्रग्रहण खत्म होने के बाद घर में शुद्धता बनाए रखने के लिए गंगाजल का छिड़काव जरूर करें.
-ग्रहण के बाद स्नान करके भगवान की मूर्तियों को भी स्नान करवाकर ही उनकी पूजा करें.
-ग्रहण काल के दौरान गर्भवती महिलाएं घर से बाहर नहीं निकलें. निकलना अगर जरूरी हो तो गर्भ में पल रहे शिशु की रक्षा के लिए चंदन और तुलसी के पत्तों का लेप अवश्य लगाकर निकलें. ग्रहण काल के दौरान यदि खाना जरूरी हो तो सिर्फ खानपान की उन्हीं वस्तुओं का उपयोग करें जिनमें सूतक लगने से पहले तुलसी पत्र या कुशा डला गया हो। गर्भवती महिलाएं ग्रहण के दौरान चाकू, छुरी, ब्लेड, कैंची जैसी काटने की किसी भी वस्तु का प्रयोग न करें। इससे गर्भ में पल रहे बच्चे के अंगों पर बुरा असर पड़ सकता है। इस दौरान सुई धागे का प्रयोग भी वर्जित है। ग्रहण काल के दौरान भगवान का नाम लेने के अलावा कोई दूसरा काम न करें भगवान वेदव्यासजी ने परम हितकारी वचन कहे हैं- सामान्य दिन से चंद्र ग्रहण में किया गया पुण्य कर्म (जप, ध्यान, दान आदि) 1 लाख गुना और सूर्य ग्रहण में 10 लाख गुना फलदायी होता है। यदि गंगाजल पास में हो तो चंद्र ग्रहण में 1 करोड़ गुना और सूर्य ग्रहण में 10 करोड़ गुना फलदायी होता है।

इस साल हरिशयनी एकादशी 11 जुलाई को रात 3:08 से 12 जुलाई रात 1:55 मिनट तक रहने वाली है. प्रदोष काल शाम साढ़े पांच से साढे सात बजे तक रहेगा. माना जाता है कि इस दौरान की गई आरती, दान पुण्य का विशेष लाभ भक्तों को मिलता है. देवशयनी एकादशी के दिन भगवान को नए वस्त्र पहनाकर, नए बिस्तर पर सुलाएं क्योंकि इस दिन के बाद भगवान सोने के लिए चले जाते हैं.

सभी 12 राशियों पर ग्रहण का असर

मेष राशि
इस राशि के लिए ग्रहण के योग शुभ रहने वाला है। इन लोगों को सफलता के साथ ही मान-सम्मान की प्राप्ति होगी। धन लाभ मिलने की संभावनाएं हैं।
वृषभ राशि
आपके लिए समय कष्टदायी रहेगा। सावधान रहकर काम करना होगा, क्योंकि धन हानि हो सकती है।
मिथुन राशि
इनके लिए दुखद समय रहेगा। काम समय पर पूरे नहीं होंगे। बाधाएं आएंगी। धैर्य रखें।
कर्क राशि
कर्क राशि के लिए उत्तम समय रहेगा। काम जल्दी पूरे होंगे और आशा के अनुरूप फल भी मिलेंगे। सुखद वातावरण रहेगा।
सिंह राशि
तनाव बढ़ सकता है। बाधाओं की वजह से किसी काम में मन नहीं लगेगा। मन शांत रखें। कुछ दिन बाद समय पक्ष का हो जाएगा।
कन्या राशि
चिंताएं बढ़ सकती हैं। नौकरी में अधिकारियों का सहयोग नहीं मिलने से मन उदास रहेगा। बने बनाए काम बिगड़ सकते हैं।
तुला राशि
लाभदायक समय रहेगा। सोचे हुए काम समय पर पूरे कर पाएंगे। अविवाहितों को विवाह के प्रस्ताव मिल सकते हैं।
वृश्चिक राशि
आपके लिए सावधान रहने का समय है। थोड़ी लापरवाही भी बड़ी हानि करवा सकती है।
धनु राशि
सतर्कता रखनी होगी। कोई करीबी व्यक्ति धोखा दे सकता है। नौकरी में नुकसान होने के योग बन रहे हैं।
मकर राशि
आपको इस समय संघर्ष करना होगा। पुरानी योजनाएं विफल हो सकती हैं। किसी अनजान व्यक्ति पर भरोसा न करें।
कुंभ राशि
इस राशि के लिए समय शुभ रहने वाला है। तरक्की मिल सकती है। कार्य समय पर पूरे हो जाएंगे और वर्चस्व बढ़ेगा।
मीन राशि
आपको लंबी दूरी की यात्रा पर जाना पड़ सकता है। इस यात्रा से लाभ मिलेगा। भविष्य को लेकर प्रसन्न रहेंगे।

देवशयनी एकादशी व्रत के दौरान बरतें ये सावधानी-

– देवशयनी एकादशी पर सूर्य उदय से पहले उठने का प्रयास अवश्य करें.

– घर में लहसुन प्याज और तामसिक भोजन बिल्कुल भी ना बनाएं और ना ही खरीद कर लाएं

– एकादशी की पूजा पाठ में साफ-सुथरे कपड़ों का ही प्रयोग करें, हो सके तो काले नीले वस्त्र प्रयोग न करें.

-देवशयनी एकादशी के व्रत विधान में परिवार में शांतिपूर्वक माहौल रखें.

– सभी प्रकार की शुद्ध और साफ पूजा पाठ की सामग्री ही प्रयोग में लाएं

– पूजा में पीले फल और फूल अवश्य प्रयोग करें

घर मे सुख समृद्धि बनाए रखने के लिए ऐसे करें देवशयनी एकादशी पर पूजा-

– देवशयनी एकादशी पर एक गमले में सुबह के समय छोटा केले का पौधा लगाएं.

– घर की उत्तर पूर्व दिशा में केले के पौधे को रख कर रोली-मोली, पीले फल-फूल, केसर, धूप, दीप आदि से पूजा-अर्चना करें.

– एक शुद्ध आसन पर बैठकर गाय के घी का दीपक हल्दी का स्वस्तिक बनाकर उस पर रखकर जलाएं.

– देवशयनी एकादशी की व्रत कथा पढ़ें तथा परिवार के सदस्यों को भी सुनाएं. भगवान कृष्ण के 108 नामों का जाप करें.

– शाम के समय केले के पौधे के नीचे फिर से गाय के घी का दिया जलाएं. इसके बाद अपने मन की इच्छा भगवान विष्णु के सामने कहे.

– अब यह केले का पौधा किसी भी विष्णु मन्दिर या भगवान कृष्ण के मंदिर में रखकर आएं.

देवशयनी एकादशी पर न करें ये काम-

देवशयन के चातुर्मासीय व्रतों में पलंग पर सोना, भार्या का संग करना, झूठ बोलना, मांस, शहद, मूली, पटोल एवं बैगन आदि का सेवन वर्जित माना जाता है.

YR. CONTRIBUTION HERE; NAME: HIMALAYA GAURAV UTTARAKHAND

IFSC CODE: SBIN0003137 IFSC ACCOUNT NUMBER: 30023706551 IFSC ACCOUNT

himalayauk@gmail.com  Mob. 9412932030

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *